nakal ya akal - 8 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 8

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नक़ल या अक्ल - 8

8

ब्याह 

 

जब किशोर ने अपना नाम सुना तो डरते हुए अपना मुँह मोड़ा तो उसे सवालियां नज़रों से रिमझिम  उसकी तरफ देखती नज़र आई। उसने उसे घूरते हुए पूछा,

 

किशोर! यहाँ क्या कर रहें हो और यह यह क्या हुलिया बना रखा है??

 

रिमझिम मदद करोगी ?  उसने बड़ी ही विनम्रता से पूछा।

 

 

सोनाली,  निहाल और सोमेश वहीं पेड़ के नीचे बैठकर बतिया रहें हैं,  अब सोना ने सोमेश से कांस्टेबल के पेपर की तारीख के  बारे में  पूछा तो उसने बताया कि उसका पेपर इंस्पेक्टर वाले पेपर के ठीक दो महीने बाद है। अब थोड़ी देर में  मीना भी वहीं आ  गई।  उसे देखकर  सोमेश के चेहरे पर मुस्कान  आ गई,  अब चारों पढ़ने लगें। राजवीर अपनी मित्र मण्डली के साथ सैर कर रहा है,  जब उन्होंने पेड़ के नीचे का दृश्य देखा तो उनकी त्योरियाँ चढ़ गई। 

 

यार  राज !! यहाँ  तो बड़े ज़ोरो शोरो से पढ़ाई चल रही है। उसने उन्हें घूरा और फिर कुछ सोचते हुए, वहीं उनके पास आ गया। 

 

क्यों नन्हें?  लगता है,  पैर टूटने का असर दिमाग  पर नहीं  हो रहा  है। 

 

सही कहा तूने।  तभी मैंने सोचा है कि पेपर देने भी जाऊँगा।

 

पता चला यह किसने किया है?

 

तूने तो नहीं किया न? अब राज को गुस्सा आ गया,  वह उस पर चिल्लाकर बोला,  “मैं  मारता तो सिर्फ पैर पर नहीं मारता। समझा !!!” अब वह फिर सोना की तरफ देखकर बोला,  “सोना  अगर कोई सवाल  समझ  नहीं आए तो मुझसे भी पूछ सकती हो।“

 

“सोना  दीदी ने पास  होना है,  फेल नहीं”,  सोमेश की बात सुनकर सब हँसने लगें तो निहाल ने तंज करते हुए कहा,  “सोमू ऐसे नहीं बोलते,  राजवीर भी टॉपर है, वो भी नीचे से।“ अब राज का मन किया कि  वह पास  रखा पत्थर उठाए और उसके पलास्टर लगे पैर पर दे मारे।

 

किशोर ने रिमझिम को सारी बात समझाई तो वह घबराते हुए बोली,  “राधा के बापू बड़े सख़्त है।  पता चल  गया तो मेरा भी बुरा हाल कर देंगे इसलिए मुझे माफ़ करो।“  अब वह रिमझिम के पैरो में गिर गया तो  वह सकपका  गई,  “यह क्या कर रहे हो?”  “बस पाँच मिनट भी नहीं लगेँगे,  तेरा एहसान होगा मुझे पर !!” उसने गहरी साँस छोड़ी और बोली,  ठीक है,  लेकिन जल्दी निकल लेना।“  अब किशोर ने  अपना घूँघट अच्छे से ठीक करते हुए चेहरा ढका और रिमझिम  उसे लेकर  राधा का दरवाजा  खटखटाने लगी। 

दरवाजा उसकी छोटी बहन  सुमित्रा ने खोला,  उसने उसे प्यार से देखते हुए पूछा, "राधा कहाँ है?" कमरे  में  है,  बरामदे में राधा की माँ बैठी हुई है,  “राम राम  मौसी!!” “राम! राम!  बेटा,  कैसे हो? यह कौन है?”  उसने औरतो के भेस में  खड़े किशोर की तरफ  ईशारा  किया। “यह मेरी दूर की चचेरी  बहन है, सोनीपत से आई है,”  यह कहते  हुए उसकी ज़बान  लड़खड़ा रही है। अब किशोर ने भी अभिवादन करने के लिए सिर हिलाया और फिर वो दोनों फटाफट  अंदर कमरे में  चली गई। अंदर राधा चारपाई पर निढाल लेटी हुई है। रिमझिम ने चुपके  से दरवाजा  बंद किया और तभी किशोर ने अपना घूँघट  उठा  लिया । उसे देखकर उसकी हैरानी की कोई सीमा नहीं रही ।

 

 

किसोर !!

 

उसने राधा का हाथ पकड़ लिया।

 

कैसी है तू ?

 

बुख़ार नहीं है,  कमज़ोरी बहुत है। उसकी आवाज़ में  दर्द है।

 

अब रिमझिम उन दोनों को अकेले छोड़कर दूसरे कमरे में  चली गई और वहीं से बाहर का ध्यान रखने लगी।

 

राजवीर ने नन्हें को घूरा और जाते हुए उसे  कहा,  “रस्सी जल गई पर बल नहीं गया ।“ उसके जाते ही सोमेश ने नदी के किनारे कही राजवीर की बात नन्हें और बाकी सबको बता दी।

 

इसका मतलब  कौन हो सकता  है?  सोना ने नन्हें की तरफ  देखा।

 

कोई तो है,  जो चाहता है कि  मैं  पेपर न दो।

 

मगर कौन? भैया ?  सोमेश ने पूछा।

 

एक बार मेरा पैर ठीक हो जाए और  यह  पेपर निकल जाए । उसके बाद पता करता हूँ कि  कौन है  वो? उसने दाँत भींचते हुए कहा।

 

किशोर राधा का हाथ पकड़े उससे बतिया रहा है कि तभी इमरती ने बताया कि राधा के बापू घर आ गए हैं। “किशोर चलो!” अब उसने उसका  माथा चूमा और  कमरे  से निकल गया। राधा के चेहरे पर मुस्कान है। उन दोनों को बाहर जाते हुए देखा तो बृजमोहन ने रोक लिया,

 

रिमझिम! यह कौन है?

 

मेरी दूर की चचेरी बहन है,  उसकी जबान  फिर से  लड़खड़ा  रही है ।

 

लोग  आजकल पास से नहीं निभा पा रहें हैं और  यह दूर की लिए फिरती है। अब सुमित्रा हाथ में  लस्सी का गिलास लिए आ गई।  “चलो बैठो,  लस्सी पी लो।“

 

“नहीं चाचा,  देर हो रही  है,  हम चलेंगे।“ अब बृजमोहन खड़े हो गए। घूंघट में छिपे किशोर के चेहरे पर पसीने की बूँद दिखने लगी। बृजमोहन बोले,

 

तेरी बहन का कद तो बड़ा लम्बा है। अब रिमझिम  भी काँपने लग गई।

 

“चाचा! मेरा पेपर है। मैं चलो?” अब उन्होंने सिर हिलाया तो वह दोनों जल्दी से वहाँ से निकल गए। उसके घर से थोड़ी दूर होते ही रिमझिम ने गुस्सा करते हुए कहा,  “अब अगली बार ऐसी हरकत मत करियो,  इस बार तो बच  गए,  मगर अगली बार नहीं बचेगा।“ “मैं अगली बार आने ही नहीं दूँगा,”  उसने अपना घूँघट हटाते हुए कहा।

 

क्यों?? कुछ सोचा है?

 

उसने अब मुस्कुराते हुए सिर हिला दिया तो रिमझिम को हँसी आ गई।

 

रात को खाना खाने के बाद,  निहाल के घर में सभी आम खाने का आनंद ले रहें हैं। अब किशोर  ने मौके की नज़ाकत को देखते हुए कहा,  “बापू, अम्मा मुझे कुछ  कहना है? “ “क्या !!! बापू ने गुठली चूसते हुए पूछा।“

 

मेरा और राधा का ब्याह अगले महीने कर दो। अब सब उसकी तरफ देखने लगे।

 

बावला हो गया क्या ? हमने तो दिवाली के बाद की तारीख़ निकाल ली है। बापू ज़ोर से बोले।

 

तारीख़ तो दूसरी भी निकल जाएगी।

 

पर इतनी जल्दी क्या है?  अब काजल  और निहाल मुस्कुराने लगें पर किशोर के पास  उनके सवाल का कोई ज़वाब नहीं है। अब उसकी माँ सरला भी बोल पड़ी,

 

“तेरे बापू बिल्कुल ठीक कह रहें हैं। ब्याह तो दिवाली के बाद होगा। मेरा भी यही फैसला है।“किशोर एक ऑउट हुए खिलाड़ी  की तरह अपने  भाई बहन की तरफ देखने लगा तो निहाल समझ गया कि  अब एक ज़ोरदार छक्का मारने की ज़रूरत है। काजल भी उसका साथ देने के लिए तैयार  हो गई। निहाल ने आम  एक तरफ  रखते हुए अपने अम्मा बापू की तरफ देखा।