दिल की बातेँ होंठों पर आ गई तो क़यामत आ जाएंगीं l
राज़ की बातेँ होंठों पर आ गई तो क़यामत आ जाएंगीं ll
ग़र जाहिर हो गये जज़्बात ओ दिल तो कहाँ छुपोगे l
रात की बातेँ होंठों पर आ गई तो क़यामत आ जाएंगीं ll
पिछले दिनों मुलाक़ात में बहुत रंगीन वक्त गुज़रा l
साथ की बातेँ होंठों पर आ गई तो क़यामत आ जाएंगीं ll
महफ़िल में आमने सामने बैठकर निगाहों से पीए हुए l
जाम की बातेँ होंठों पर आ गई तो क़यामत आ जाएंगीं ll
मोहब्बत की आगोश में घिर कर कारवाँ के संग की हुई l
मन की बातेँ होंठों पर आ गई तो क़यामत आ जाएंगीं ll
१-६-२०२४
पैग़ाम आया है चलो कहीं दूर चले l
दिल में सो तरह के अरमान है पलें ll
मन मस्त पंछी बनके उड़ चला है l
पहुँचे पास सजना के शाम ढले ll
दूर तक साथ चलने का वादा l
दुआ करते हैं फ़िर से ना छलें ll
गुलिस्तां में जाकर गीत गुनगुनाए l
प्यार से एकदूसरे के मिले गले ll
खों जाए आसमान की रवानी में l
जल्द मंजिल की ओर निकले ll
२-६-२०२४
पहेले प्यार की पहली बारिश में भीग जाना हैं l
दिल में सुलगती हुई तेज़ तपिश को बुझाना हैं ll
वक़्त की सोच का भरोसा नहीं क्या क्या दिखा दे l
जीतना ज्यादा मिले उतना ज्यादा प्यार पाना हैं ll
घने बादलों के साथ मौसम के रूहानी मिजाज़ में l
प्यार मोहब्बत से ही हरा भरा ये आशियाना हैं ll
एक छतरी के नीचे बारीश से बचने की कोशिश में l
आधे बचते, आधे अधूरे भीगना लगे सुहाना हैं ll
कुछ पल के लिए वक़्त वहीं ठहर सा गया है कि l
अनजाने अचानक हाथ में हाथ होना ख़ज़ाना हैं ll
३-६-२०२४
मोहब्बत की रस्मे निभाने वाले जांबाज होते हैं l
दिलों दिमाग का चैन के साथ सुकून भी खोते हैं ll
प्यार मिलने की चाहत और उम्मीद में दिल के l
ख्बाब, अरमान, ख्वाइशे, जज्बातों को बोते हैं ll
इकरार भी है मुश्किल, इनकार भी है मुश्किल अब l
इश्क़ की दुनिया में जीने वाले ना जागे,ना सोते हैं ll
दिवाने, आवरा, पागल, मजनू, बेपनाह इश्क़ में l
वो दो लम्हों की ख़ुशी पाकर ढ़ेर सारा रोते हैं ll
चाहत की क़ायनात बड़ी अजीबोगरीब होती है l
ताउम्र के लिए वो आंसू, बेचेंनी का बोझ ढोते हैं ll
४-६-२०२४
खुदा की क़ायनात में सब जोकर हैं l
इस रंगमंच में एकदूसरे के नोकर हैं ll
वहीं पाया है जो आजतक बोया है l
यहाँ कुछ भी मिलता कुछ खोकर हैं ll
जब तक साँसें चलती दुनिया छलती l
सुन मिलता चैन कबर में सोकर हैं ll
यहाँ कोई किसीका नहीं है जान जा l
मुकम्मल तो दर-ब-दर का होकर हैं ll
लम्हा भर खुशी ओ ढेर सारे ग़म है l
संभलना क़दम क़दम पर ढोकर हैं ll
५-६-२०२४
ताउम्र दर-ब-दर भटकता रहा l
बदलते रिश्तों में अटकता रहा ll
मुकम्मल चैन ओर सुकूं की l
तलाश में शहर बदलता रहा ll
एक दिन न्याय जरूर मिलेगा l
इसी भरोसे पर छटकता रहा ll
महफिल में हुस्न को देख l
बिन पीये ही बहकता रहा ll
इंतज़ार करते करते जाने कब l
हाथों से वक्त सरकता रहा ll
६-६-२०२४
बदलते रिश्ते के साथ बदलता इंसान हैं l
गधा पहलवान ग़र ख़ुदा महेरबान हैं ll
चाहें कितना भी बड़ा तिश्मार खां हो l
किसीकी नहीं चलती वक्त महान हैं ll
राह देखो तो क्या कुछ नहीं मिलता l
आम की मिठास पर जहां कुर्बान हैं l
जिगर का खून करने वाली गोली l
बंदूक से छूटने के बाद पशेमान हैं ll
सुहानी यादों के सहारे जी ही लेगे l
बस एक मुलाकात का अरमान हैं ll
औलाद को बेहाल फिरता देख कर l
आज हेरान ओ परेशान बागबान हैं ll
किसकी सजा किसको मिल रहीं हैं l
साथ हम दोनों के रोया आसमान हैं ll
६-६-२०२४
जज़्बात बेहाल हैं l
मुहब्बत बेज़ान हैं ll
वक़्त की मार से l
ज़िंन्दगी हेरान हैं ll
इन्सानियत देख l
खुदा परेशान हैं ll
यार की बेरूखी l
दिल पशेमान हैं ll
आज हसरतों का l
डूबता जहान हैं ll
७-६-२०२४
काली सड़क का सफ़र याद रहेगा l
सुहाने दिनों की दास्तान कहेगा ll
लम्हा भर की खुशियां जुटाकर l
ज़िंन्दगी भर दर्दे जुदाई सहेगा ll
दिन तो दौड़ेगे घोड़ा रेस जैसे l
दिल में कसक बनकर बढ़ेगा ll
हिटलर भी खाली हाथ गया l
वक़्त की मार से कौन बचेगा?
ख़ुद के कारनामें का ज़ख्म l
जिगर में साथ लहू के बहेगा ll
८-६-२०२४
लम्हों में ज़िंन्दगी को जी लो l
यार के साथ का जाम पी लो l
जुदाई के पलों की कापकुप l
मुहब्बत के धागों से सी लो ll
जो भी है बस यहीं एक पल हैं l
नशीली शाम का लुफ्त भी लो ll
कल के भरोसे पर मत रहना l
जो भी मिले आज अभी लो ll
कल शायद देनेवाला ना हो l
जीतना जी चाहें वे सभी लो ll
९-६-२०२४
बेबसी दिल की किसीको बता नहीं सकते l
ज़ख्म ए जिगर किसीको दिखा नहीं सकते ll
चाहें कितने ही डोरे मन्नतों के धागे बांधे l
तकदीर में लिखा हुआ मिटा नहीं सकते ll
शाख से गिरते पतखड़ में मुरझाए हुए l
खिजां के फूल फ़िर से सजा नहीं सकते ll
बरसात की रिमझिम में शव्दों से भिगोने को l
अन्तर्मन की आवाज़ को दबा नहीं सकते ll
महफिल में आज हुस्न बेनकाब आया है तो l
खूबसूरत चहरे से नज़रे हटा नहीं सकते ll
१०-६-२०२४
इंतजार की घड़ियाँ कैसे बिताई मत पूछो l
प्यार की कसमें कैसे निभाई मत पूछो ll
न चिट्ठी ना कोई संदेश आया फिर भी l
आश की ज्योत कैसे जलाई मत पूछो ll
ख्वाबों की क़ायनात से निकलकर आज l
हकीकत में हसीन कैसे बनाई मत पूछो ll
उम्मीदों औ अरमानों का गला घोट के l
हाथों में महेंदी कैसे रचाई मत पूछो ll
खुद सो बार टूटे पर हुस्न वालों के l
दिल में उम्मीद कैसे जगाई मत पूछो ll
११-६-२०२४
मासूमियत का नकाब पहन के ना फिरा करो l
भोलापन, ईमानदारी, शुद्धि ओ सफ़ेदी भरो ll
जूठी मुहब्बत दिखाके, दिलों दिमाग से खेल l
धोखाधड़ी और बेईमानी से सुकून ना हरो ll
इन्सानियत का तकाज़ा तो यहीं कहता है l
बंध दरवाजे खटखटाके मन के अंदर सरो ll
कोई किसीका नहीं यहाँ, तू सबको अपनाना l
ब्रह्मांड की अदृश्य ओ अद्भुत शक्ति से डरो ll
होठों पर मुस्कान सजाये, नादां बने रहना l
जूठ कितना भी हसी पर सदाकत पर मरो ll
१२-६-२०२४
मन परिंदा उड़कर जा पहुँचा साजन के पास l
लम्हा दो लम्हा जी हल्का करने बैठे साथ ll
बाद मुद्दतों के मुलाकात का पैगाम आया है l
कल फ़िर मिले ना मिले एसी सुहानी रात ll
दिल चटपटा रहा कुछ हुस्न को भेजने को l
महकिले लिफ़ाफ़े में आज भेज दी है याद ll
बड़ा बैचेन और उखड़ा सा रहेता है दिल l
अरसा हुआ ठीक तरह से नहीं हुई बात ll
सुबह से आज एक कौआ बोल रहा है कि l
शायद नामाबर लाए खुशखबरी का तार ll
१३-६-२०२४
प्यार नहीं है तो फ़िर बता क्यूँ नहीं देते?
मिरे नशीले ख़त को जला क्यूँ नहीं देते?