अगले दिन जहां एक तरफ राजेश कानपुर जाकर जतिन से मैत्री की बात करने वाला था वहीं दूसरी तरफ जतिन के घर मे भी उसके मम्मी पापा उसकी शादी को लेकर एक जगह रिश्ते की बात चला रहे थे लेकिन अभी तक सिर्फ कुंडली मिलवायी गयी थी और फोटोज़ एक दूसरे के घर भेजी गयी थीं, जतिन और उस लड़की श्वेता का मिलना अभी बाकी था |
जहां एक तरफ श्वेता की फोटो देखकर जतिन की मम्मी बबिता, उसके पापा विजय और बहन ज्योति ने उसे पसंद कर लिया था वहीं दूसरी तरफ जतिन ने भी सबकी मर्जी को अपनी मर्जी मान लिया था लेकिन श्वेता की फोटो देखने के बाद कुछ ऐसा था जिसकी कमी जतिन के दिल को महसूस हो रही थी, वो क्या कमी थी ये जतिन की भी समझ मे नही आ रहा था वो बस सबकी खुशी मे खुश था और आने वाले जीवन को खुले दिल से स्वीकार करने के लिये तैयार था....
दोपहर का समय था जतिन अपने ऑफिस मे बैठा लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था कि तभी किसी ने उसके केबिन मे प्रवेश किया, जतिन ने जब लैपटॉप से नजर हटा के देखा तो चौंक के एकदम से खुश होते हुये वो बोला- अरे राजेश तुम यहां!! आज अचानक से कैसे?? आज तो तुम्हारा शेड्यूल नही था आने का..
जतिन की इस बात पर थोड़ी घबराहट वाली हंसी हंसते हुये राजेश ने कहा- हां जतिन भाई आज आपसे मिलने का मन हुआ तो बस चला आया...
जतिन ने कहा- अरे वाह ये तो बहुत अच्छी बात है... आओ बैठो...
जतिन एक बेहद प्रोफेशनल इंसान था, जिंदगी के बहुत उतार चढ़ाव उसने देखे थे इसलिये वो ये जानता था कि इस प्रोफेशनल दुनिया मे कोई किसी से इतनी दूर यूं ही मिलने तो नही आयेगा लेकिन उसने बिल्कुल भी ऐसा रियेक्ट नही किया कि वो जानता है कि राजेश को कोई ना कोई काम जरूर है, उसने एक अच्छे दोस्त की तरह रियेक्ट किया और राजेश को पानी पिलवाया, राजेश ने जब पानी पी लिया और वो थोड़ा रिलैक्स हो गया तब जतिन ने उससे पूछा- और बताओ राजेश भाई क्या चल रहा है? कैसी तबियत है अब तुम्हारे ताऊ जी की...?
राजेश ने कहा- बस भाई दुआये हैं आप सबकी, अब वो बिल्कुल ठीक हैं बाकी दवाइयां और फिजियोथैरेपी तो अभी चल रही है...
जतिन ने कहा- हां वो तो है पैरालिसिस के बाद फिजियोथैरेपी तो लंबी चलती है और बताओ राजेश कैसे आना हुआ? अच्छा रुको... पहले चाय पीते हैं फिर बात करते हैं...
ऐसा कहकर जतिन ने बेल बजाकर अपने ऑफिस मे काम करने वाली एक आया को बुला लिया और उनसे कहा- दीदी जी जरा दो कप चाय ले आइये और थोड़ी कड़क बनाइयेगा...
आया ने कहा - जी भइया अभी लेके आयी...
ऐसा कहकर वो आया चाय लेने चली गयी, जहां एक तरफ राजेश के मन मे अभी भी उहापोह की स्थिति थी कि वो कैसे जतिन से मैत्री के रिश्ते के लिये बात शुरू करे क्योंकि उसके मन मे अभी भी ये बात कहीं ना कहीं चल रही थी कि "पता नही जतिन कैसे रियेक्ट करेगा, कहीं नाराज ना हो जाये या कहीं बुरा ना मान जाये...!!" वहीं दूसरी तरफ उस दिन उस मजदूर के साथ किये गये जतिन के व्यवहार और आज ऑफिस की आया से इतने अच्छे तरीके से की गयी बात राजेश का आत्मविश्वास थोड़ा बढ़ा रही थी, राजेश अपने मन मे यही सोच रहा था कि जतिन से कैसे बात करूं कि तभी ऑफिस की आया दो कप चाय और साथ मे खाने के लिये नमकीन और बिस्कुट ले आयी, चाय पीते पीते जतिन ने फिर से राजेश से पूछा- अब बताओ राजेश भाई कैसे आना हुआ...
जतिन के फिर से यही सवाल पूछने पर राजेश ने हिचकिचाते हुये और अपना गला खखारते हुये उससे कहा- वो असल मे जतिन भाई बात कुछ ऐसी थी कि... वो मै... कहना चाहता था कि... वो अम्म्म्!!
राजेश को ऐसे हिचकिचाते हुये बात करते देख जतिन ने मेज पर रखे हुये उसके हाथ पर अपना हाथ रखा और उससे बड़े ही सहज तरीके से और प्यार से कहा- क्या हुआ राजेश भाई इतना हिचकिचा क्यो रहे हो? हम दोस्त हैं यार जो भी बोलना है खुल के बोलो... (फिर जतिन ने धीरे से कहा) अम्म्म्.... पैसो वैसो की जरूरत तो नही है ना...!! अगर है तो बता दो इसमे हिचकिचाना कैसा... एक दोस्त दूसरे दोस्त का साथ नही देगा तो कौन देगा....!!
जतिन की पैसो वाली बात सुनकर राजेश ने कहा- अरे नहीं नहीं जतिन भाई पैसो वाली कोई बात नहीं है, वो असल मे मैं और मेरे परिवार वाले यानि मेरे पापा मम्मी मेरा भाई मेरे ताऊ जी और ताइ जी सब मिलकर मेरी बहन की दूसरी शादी के लिये रिश्ता देख रहे हैं...
जतिन ने कहा- ये तो बहुत अच्छी बात है और ये वही बहन है ना तुम्हारी जिसके पति का स्वर्गवास कोरोना की वजह से हो गया था, तुमने बताया था मुझे एक बार...
राजेश ने कहा- हां हां ये वही बहन है जिसके लिये आपने कहा था कि अगर आपको सही टाइम पर बता दिया जाता तो आप उनके लिये ऑक्सीजन वगैरह का इंतजाम करवा देते...
जतिन ने कहा- हां कहा था पर क्या कर सकते हैं जिसको जाना होता है वो चला ही जाता है, कोरोना ने ना जाने कितने परिवारो को जिंदगी भर का दर्द दिया है, मैने तो ये सब बहुत करीब से देखा है लेकिन तुम ये बहुत अच्छा काम कर रहे हो जो अपनी बहन की दूसरी शादी की बात चला रहे हो, सबको हक है खुश रहने का और फिर एक उम्र के बाद अकेले जिंदगी नही कटती, कोई ना कोई साथी तो चाहिये ही होता है सुख दुख बांटने के लिये... (इसके बाद माहौल को थोड़ा हल्का करते हुये जतिन ने हंसते हुये राजेश से कहा) लेकिन आज ये तुम मुझे इतनी देर से "आप" "आप" करके क्यो बुला रहे हो....?
जतिन की बात सुनकर राजेश भी हंसने लगा और बोला- अरे नही नही ऐसी कोई खास बात नही बस ऐसे ही, लखनऊ से हूं ना तो आप जनाब कहने की आदत सी है...
राजेश की बात सुनकर जतिन भी हंसने लगा इसके बाद राजेश ने सोचा कि "जतिन का मूड अच्छा है यही अच्छा मौका है मैत्री के लिये बात करने का...." ये सोचकर राजेश ने अपने मोबाइल की गैलरी मे पड़ी मैत्री की एक फोटो खोली और जतिन को अपना मोबाइल देते हुये कहा- जतिन मै आज इसलिये तुमसे मिलने स्पेशली आया क्योकि मै तुमसे कहना चाहता था कि भाई मेरी एक ही बहन है जिसने इतनी छोटी सी उम्र मे इतने कष्ट सहे हैं, वो बिल्कुल तुम्हारे जैसी है, अम्म् जतिन मेरी बहन को स्वीकार करलो...
जिस समय राजेश.. जतिन से अपने दिल की बात कर रहा था उस समय राजेश का फोन हाथ मे लिये हुये जतिन बस मैत्री की फोटो को देखे जा रहा था, जतिन की नजर जैसे ही मैत्री की फोटो पर पड़ी थी उसकी पहली ही नजर मैत्री पर मानो टिक सी गयी थी, जतिन को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मैत्री की आंखे उसे कुछ बताना चाहती हों और उसके होंठ जो बेमन सी मुस्कुराहट लिये हुये थे वो ऐसे महसूस हो रहे थे मानो वो जतिन से कुछ कहना चाह रहे थे, सैंतीस साल के जतिन की जिंदगी का ये पहला ऐसा मौका था जब उसके दिल को किसी लड़की को देखकर एक बेहद अजीब सी बेचैनी महसूस हो रही थी..
जिस लड़की श्वेता के साथ जतिन की शादी की बात चल रही थी उसकी फोटो देखने के बाद जतिन को जो कमी और खालीपन सा महसूस हो रहा था वो मैत्री को देखकर उसे पूरा होता हुआ सा महसूस हो रहा था चूंकि जतिन ने कोरोना से बीमार हुये मरीजो के परिवार वालो के दर्द को बहुत करीब से देखा और महसूस किया था तो उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो मैत्री की इस बेमन से की गयी मुस्कुराहट के पीछे छुपे दर्द को अपने दिल पर महसूस कर रहा था...
क्रमशः