Ardhangini - 16 in Hindi Love Stories by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 16

Featured Books
Categories
Share

अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 16

अपने ताऊ जी से बात करने के बाद राजेश ने अपने छोटे भाई सुनील से कहा - सुनील तुम अब घर चले जाओ और मैत्री को भी अपने साथ ले जाओ, तुम दोनों सुबह से यहां पर हो अब मैं रुक जाता हूं ताऊ जी के साथ...

राजेश की ये बात सुनकर सुनील ने कहा- नही भइया आप कल से बहुत भागदौड़ कर रहे हो इसलिये आज रात मै रुकूंगा और आप मैत्री को घर ले जाओ क्योकि ताई जी रात में रुकने की बात कह के दोपहर मे ही आराम करने घर चली गयी थीं तो आप बस रात मे ताई जी को छोड़कर चले जाना और तभी खाना भी ले आना...

इसके बाद सुनील की बात मानकर राजेश अपने साथ मैत्री को लेकर घर आ गया और रात मे अपनी ताई जी को खाने के साथ हॉस्पिटल छोड़ आया, घर आने के बाद राजेश इसी उहापोह मे था कि वो किस तरह से मैत्री की दूसरी शादी की बात शुरू करे, उसे वो एक सिरा नही मिल रहा था जिसे पकड़ कर वो आगे बढ़े कि तभी उसके दिमाग मे एक खयाल आया और वो ये कि "फिलहाल कुछ मैट्रीमोनियल साइट्स पर मैत्री के नाम की प्रोफाइल बना देता हूं फिर देखता हूं कि कैसा रिस्पॉंस आता है.." यही सोचकर राजेश ने तीन चार मैट्रीमोनियल साइट्स पर मैत्री की प्रोफाइल बना दी और उनकी मेंमबरशिप भी ले ली ताकि सही और मैट्रीमोनियल साइट द्वारा जांची परखी प्रोफाइल वाले ही संपर्क करें...

इसके बाद एक एक दिन करके दिन गुजरने लगे, राजेश के पास मैत्री की शादी के लिये कई रिश्ते भी आने लगे थे लेकिन राजेश ने अभी किसी को फाइनल नही किया था वजह थी कि जादातर ऐसे लोगो के रिश्ते आ रहे थे जो पहले से शादीशुदा थे और जिनके बच्चे थे और राजेश ये चाहता था कि ऐसे परिवार का शख्स मैत्री के लिये मिले जो चाहे विधुर हो चाहे तलाकशुदा पर उसके बच्चे ना हों और उसकी उम्र भी मैत्री से आठ दस साल ही बड़ी हो क्योंकि मैत्री लगभग 29 साल की ही है तो ऐसे मे जादा उम्र के शख्स से शादी करवा के वो मैत्री को जीवन भर का अवसाद नही देना चाहता था,इस बार मैत्री के लिये अच्छा जीवनसाथी ढूंढने में राजेश पूरी सावधानी बरत रहा था |

मैत्री के लिये रिश्ते तो आ रहे थे पर उनमे से कोई भी ऐसा नही था जिनसे तुरंत बात चलायी जा सके, एक एक दिन करके काफी दिन गुजर चुके थे इधर राजेश के ताऊ जी जगदीश प्रसाद को भी एक हफ्ते हॉस्पिटल मे एडमिट रखने के बाद डॉक्टर ने दूसरी रिपोर्ट देखकर डिस्चार्ज कर दिया था और अब उनकी तबियत भी काफी ठीक थी, बस पैरालिसिस के हल्के अटैक की वजह से उनकी हड्डियो के जोड़ो मे थोड़ी अकड़न सी आ गयी थी पर वो भी फिजियोथैरेपी से धीरे धीरे जा रही थी...

इधर मैत्री के लिये सही रिश्ता ना मिल पाने के कारण राजेश के माथे पर भी बल पड़ने लगे थे, वो ये सोच कर भी परेशान था कि "मैने इतनी बड़ी जिम्मेदारी ले तो ली, पर समझ नही आ रहा कि कैसे मैत्री के रिश्ते की बात को आगे बढ़ाऊं".... ऐसे ही एक दिन राजेश जब अपने ऑफिस के केबिन मे बैठा अपना काम कर रहा था तो उसके फोन की रिंग बजने लगी, कॉल अननोन नंबर से थी.. राजेश ने जब फोन रिसीव किया तो दूसरी तरफ से आवाज आयी- जी मै कांता प्रसाद बोल रहा हूं असल में मैने मैत्री के नाम से एक प्रोफाइल देखी थी एक मैट्रीमोनियल साइट पर...

राजेश ने कहा- हां जी, वो मेरी बहन है....
कांता प्रसाद- हां हां आपने लिखा था उसमे कि "प्रोफाइल पोस्टेड बाइ ब्रदर..." तो क्या करती हैं आपकी बहन...?

राजेश ने कहा- जी करती कुछ नही हैं घर पर ही रहती हैं लेकिन अपनी पहली शादी से पहले जॉब करती थीं...

कांता प्रसाद ने कहा- अच्छा अच्छा वैसे मै आर्डिनेन्स फैक्ट्री से अभी दो साल पहले रिटायर हुआ हूं और मेरे दो बेटे और एक बेटी हैं...

कांता प्रसाद की बात सुनकर राजेश थोड़ा खुश हुआ कि कांता प्रसाद बातचीत मे सही लग रहे हैं और दो बेटे भी हैं तो उन दोनो मे से ही किसी के लिये इन्होने फोन किया होगा, ये सोचकर राजेश ने कहा- अच्छा अच्छा तो क्या करते हैं आपके बेटे...

कांता प्रसाद ने कहा- बड़ा बेटा तो सॉफ्टवेयर कंपनी मे है और गुरुग्राम मे रहता है उसकी उम्र चौंंतीस साल है और छोटा बेटा रेल्वे मे है तो वो जबलपुर मे पोस्टेड है और वो बत्तीस साल का है और बेटी अपने ससुराल मे मेरठ मे रहती है और मै प्रयागराज मे रहता हूं...

कांता प्रसाद की बात सुनकर राजेश ने सोचा कि चलो इनकी लड़की की शादी हो गयी है तो वो पहले वाला ननदो वाला ड्रामा मैत्री के साथ नही होगा, यही सब सोचकर राजेश को थोड़ी खुशी भी हुयी और सुकून भी मिला कि चलो कोई तो ढंग का रिश्ता आया..

यही सोचते हुये राजेश ने कहा- तो.... आपने अपने बड़े बेटे की शादी के लिये ही कॉल किया होगा...

राजेश की बात सुनकर कांता प्रसाद हल्का सा हंसते हुये बोले - अरे नही नही उसकी तो शादी हो गयी और उसके तो दो बच्चे भी हैं...

राजेश ने सोचा फिर हो ना हो छोटे बेटे के लिये कॉल किया होगा, यही सोचकर राजेश ने भी हल्की सी हंसते हुये कहा- अच्छा अच्छा.... तो फिर आपके छोटे बेटे की डीटेल्स मुझे भेज दीजिये मै एक बार कुंडली मिलवा लेता हूं फिर आगे की बात कर लेते हैं...

कांता प्रसाद ने फिर से हंसते हुये कहा- अरे उसकी भी शादी हो चुकी है और उसकी एक बेटी है...

कांता प्रसाद की ये बात सुनकर राजेश थोड़ा आशंकित सा हुआ और सोचने लगा कि शायद किसी भांजे, भतीजे या किसी रिश्तेदार के लिये ये पूछताछ कर रहे होंगे यही सोचकर राजेश ने कहा- तो फिर आप किसी और के साथ मैत्री की शादी के लिये बात कर रहे होंगे...

कांता प्रसाद ने कहा- मै क्यो किसी और की शादी के लिये बात करूंगा...

कांता प्रसाद की बाते राजेश की बेचैनी बढ़ाने के लिये काफी थीं, इसी बेचैनी मे राजेश ने कहा- तो फिर!?

कांता प्रसाद ने कहा- मेरी पत्नी का स्वर्गवास हुये दो साल हो चुके हैं इतने बड़े घर मे अकेला रहता हूं, आपकी बहन बेचारी विधवा है, बेसहारा है... दो अकेले बेसहारा लोग शादी कर लेंगे तो बाकी का जीवन सुख से बीत जायेगा, मै अपनी शादी की बात कर रहा हूं...

कांता प्रसाद की ये बात सुनकर राजेश को जैसे एकदम से झटका सा लगा, उसका मन हुआ कि अभी इसे गालियां देकर फोन काट दूं लेकिन अपने को संभालते हुये राजेश ने कहा- मै समझ सकता हूं आपकी मनस्थिति कि इस उम्र मे एक साथी की जरूरत होती है लेकिन आप मे जरा सी भी शर्म जरा सी भी इंसानियत है??? आपकी हिम्मत कैसे हुयी मेरी अट्ठाइस उनतीस साल की बहन का हाथ मांगने की, आपके तीनो बच्चो से भी छोटी उम्र की है वो और आप ऐसा सोच भी कैसे सकते हो अपनी बेटी की उम्र की लड़की के लिये...

कांता प्रसाद भी थोड़ा झल्लाते हुये बोले- तो क्या हुआ है तो विधवा और बेसहारा ही ना!! एक तो मै सहारा दे रहा हूं ऊपर से आप बकवास कर रहे हैं...

राजेश भी गुस्से से बोला - ए सुनो मिस्टर वो कोई बेसहारा वेसहारा नही है उसका पूरा परिवार और उसके दो भाई उसके साथ खड़े हैं, इससे पहले मै अपनी मर्यादाये भूल जाऊं फोन काट दो वरना अभी दो मिनट मे सहारा बेसहारा का मतलब पता चल जायेगा.....

इसके बाद राजेश ने ही झल्लाते हुये फोन काट दिया, कांता प्रसाद के मुंह से अपनी बहन मैत्री के लिये बार बार "विधवा" शब्द सुनकर राजेश का मन बहुत खिन्न सा हो गया था और इसी खुन्नस मे जब शाम को वो घर गया तो चाय पीकर चुपचाप अपने कमरे मे जाकर बैठ गया, मैत्री के लिये सुने गये इन शब्दो के बाद हद से जादा मानसिक उलझन मे फंसा राजेश अपने सिर पर हाथ रखकर आंखे बंद किये बस यही सोचे जा रहा था कि "कैसे कैसे लोग हैं दुनिया मे, इन्हे रिश्तों की, उम्र की कोई मर्यादायें ही नही है, एक लड़की अगर विधवा है तो उसमे उसकी क्या गलती, ऐसी घटिया सोच कोई कैसे रख सकता है" यही सब सोचते सोचते बेहद झुंझुलाये से राजेश ने अपने ऑफिस बैग से अपना लैपटॉप बाहर निकाला और जितनी भी मैट्रीमोनियल साइट्स पर उसने मैत्री की प्रोफाइल्स बनायी थीं सब की सब डिलीट कर दीं, ये सोचकर कि "शादी के नाम पर अपनी बहन के साथ खिलवाड़ थोड़े ना होने दूंगा..."

प्रोफाइल्स डिलीट करने के बाद झुंझुलाये राजेश ने अपना लैपटॉप अपने बैड की साइड मे रखा और गुस्से मे अपना लैपटॉप वाला बैग उठा के बैड के दूसरे कोने मे झटके के साथ फेंक दिया कि तभी झुंझुलाये और परेशान राजेश के साथ नियति ने एक बहुत अनोखा और प्यारा सा खेल खेल दिया...

राजेश ने जब वो बैग बेड की दूसरी साइड मे फेका तो बैग खुला होने के कारण उसमे रखी एक फाइल बुरी तरह मुड़ तुड़ के बाहर आकर गिर गयी चूंकि वो ऑफिस की फाइल थी तो उसे ऐसे मुड़ा तुड़ा देखकर राजेश "हॉॉॉ.. ये क्या हो गया" कहते हुये जब उस फाइल को उठाने लगा तो उसने ध्यान दिया कि ये तो जतिन की कंपनी "मां हार्डवेयर एंड सीमेंट एजेंसी" की फाइल है, फाइल को समेटते हुये वो बोला- अरे यार ये तो जतिन की फाइल है... (ये बोलते हुये उसके मुंह से निकल गया) ओहो ये तो जतिन की फाइल है... ये जतिन की फाइल है... जतिन!! जतिन भी तो कुंवारा है और जतिन से भी तो बात की जा सकती है मैत्री के लिये, हां हां जतिन से भी बात की जा सकती है लेकिन अगर वो बुरा मान गया ये सुनकर कि ये मैत्री की दूसरी शादी है तो कहीं हमारे बिज़नेस रिलेशन पर फर्क ना पड़ जाये, नही नही जतिन इतना अच्छा इंसान है, इतना सहज स्वभाव है उसका, याद नही उस दिन कैसे उसने अपने गोदाम के मजदूर से प्यार से बात करी थी वो बुरा नही मानेगा, ज्यादा से ज्यादा मना कर देगा और क्या..!! पर एक बार बात करके देखता हूं क्योंकि अगर कहीं वो मान गया तो मेरी बहन की जिंदगी संवर जायेगी, एक काम करता हूं मै कल ही कानपुर जाता हूं... हां मै कल ही जाता हूं... शुभ काम मे इतना क्या सोचना....!!

जतिन का नाम मन मे आते ही राजेश का मन उससे खुद से जैसे अनगिनत बाते करने लगा था और दो मिनट मे ही राजेश ने कल कानपुर जाकर जतिन से मिलने का पक्का इरादा कर लिया था...

क्रमश:

भाई बहन का रिश्ता इस दुनिया का सबसे प्यारा और अनोखा रिश्ता होता है.. हैना?