Internet wala love - 81 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | इंटरनेट वाला लव - 81

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इंटरनेट वाला लव - 81

चल समीर भाई फ्रेश हो जा। में भी आता हू। फिर एक जरूरी बात करनी है।


हा भाई आप भी जल्दी जाओ फ्रेश हो कर आजाओ। में आता हू फ्रेश हो कर।


अरे तुम दोनों जाओगे भी फ्रेश होने। की यही पर बाते करते रहोगे।


हा जा रहें है तब तक आप अपनी तैयारी कर लो आस्था जी।



कुछ देर बाद. . .



अरे भूमी बेटा उस लड़के के घर से कोई खबर आई। क्या कहा उन लोगों ने। वो तेरी शादी के लिए मान तो गए है ना।


अरे मम्मा आप टेंशन मत लो वो लड़का मना लेगा। वो अपने वादे के पक्के है।


हा चलो फिर तो ठिक है। अब में जा रही हु। तुम्हारे पापा के पास उनसे कुछ बातें करनी है।


हा ठीक है मम्मा आप जाओ मैं यही हु। और हा टेंशन मत लो वो लड़का अपनी फैमिली को मना लेगा।


हा ठिक है में आती हु।



ठिक 30 मिनट बाद. . .



हितेश भाई अब बोलो क्या कहने वाले थे। बताओ अब क्या कन्फ्यूशन है।


हा भाई में ये बताने के लिए तुम्हे यही बुलाया है। की शादी की डेट कब की निकाले।


वॉट तुम्हारा दिमाग तो खराब नही हो गया है। कैसी बातें कर रहे हो। अभी तक माजी ने बात नही की है उस लड़की से। उनकी बातें सुनी नही तुमने भाई। और इस बारे में बताने के लिए तो बिल्कुल भी मना किया है।


लेकीन भाई शादी की बात को क्या है। वो तो होनी ही है शादी की बात चलते हुए। तुम अभी पंडित जी को ढूंढो।


क्यू पंडित जी कही खो थोड़ी गए है। जो उनको ढूंढने जाना पड़ेगा। थोड़े स्लो यार जल्द बाजी करना अच्छा नहीं है।


नही अब तो हमे भी जल्दी है भाई। एसा लग रहा है जैसे मेरे अंदर शादी करने का कीड़ा घुस चुका है। जो ऐसे कंट्रोल से बहार जा रहा है।


यार भाई आप जल्द बाजी करके अच्छा नही कर रहे हो हा। पता है ना भाई कोई भी काम जल्दी से लिया गया सही नही रहा है किसी का भी। याद रखना ये बात।


नही अब को शब्र नही करना है। अगर कल सुबह के 10 बजे तक पंडित नही आया। तो तो में लड़की को लेके भाग जाऊंगा। फिर तुम लोग जानो।


यार हितेश भाई तुम ये गैर जिम्मेदारी वाली बाते क्यू कर रहे हो। तुम एक जिम्मेदार व्यक्ति हो पता भी है। ऐसे काम वे लोग करते जिन्हे कोई जिम्मेदारियां नहीं रहती।


नही भाई इस बात से तो बिलकुल भी सहमत नही हु। क्यू की प्यार जिम्मेदारी और गैर जिम्मेदारी वाली कैसे आई। लड़का या लड़की शादी करके या भाग ने के बाद अपनी जिम्मेदारियां थोड़ी भूल जाते है। वो तो अपनी जगह ही रहते है। बदलते है तो सिर्फ़ हालते।


हा भाई में ये बात मान रहा हु। लेकिन ऐसे घर के सारे लोगों अरमान को खुच्चल कर। अपने अरमान पूरे करना ठिक नही है। ये चीज हमे पसंद नही है।


अरे भाई में सब जानता हु पर अगर घर वाले नही माने फिर मेरा दूसरा ऑप्शन यही है ना।


पड़ना जारी रखें. . .