Humsafar - 7 in Hindi Love Stories by Seema Tanwar books and stories PDF | हमसफर - 7

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हमसफर - 7

मां उठो क्या हुआ है तुम्हें मां आस्था ने रोते हुए कहा
यह सब दरवाजे पर खड़े अजिंक्य जी देख रहे थे ,,, वह
कुछ कर पाते उससे पहले ही नीरब वृंदा जी को
धक्का दे चुका था l

अजिंक्य,,,,

उन्होंने बिना समय गवाएं ड्राइवर से वृंदा जी को उठाने
को कहा और गाड़ी की ओर बढ़ गए आस्था भी भूत
बने उनके पीछे आ गई थी l

गाड़ी फुल स्पीड में दौड़ रही थी ,,, कुछ ही मिनटों में वह
पुणे के एक बड़े हॉस्पिटल में पहुंच चुके थे डॉक्टर
बचाइए इन्हें पैसों की फिक्र आप मत कीजिए जस्ट
सेव हर लाइव अजिंक्य ऑपरेशन थिएटर में वृंदा जी
पर इलाज चालू था l आस्था का रो रो कर बुरा हाल हो
चुका था और अजिंक्य जी बस खड़े हुए देख रहे थे l

वह जिन से अपने बेटे की जान बचाने के लिए उम्मीद
लेकर आए थे,,,, उनकी जान खतरे में थी कुछ देर बाद
वहां महागुरु भी आ गए 6 घंटे तक ऑपरेशन जारी
रहा ,,, डॉक्टर बाहर आ गए आस्था के मुंह से एक ही
अल्फाज निकल रहा था ,,, माँ

वह बस सिसकियां ले रही थी
.... माँ
कैसी हैं ?????

अजिंक्य जी ने ही सामने आकर कहा डॉक्टर कैसी
वह अजिंक्य अजिंक्य जी क्रिटिकल कंडीशन है ,,,, उनके
पास ज्यादा वक्त नहीं है सर पर बहुत गहरी चोट लगी
है l ज्यादा से ज्यादा कुछ ही मिनट है उनके पास उन्हें
रूम में शिफ्ट कर दीजिए आप मिल लीजिए ,,,,

डॉक्टर की यह बात सुनकर आस्था घुटनों के बल नीचे
बैठ गई और रोने लगी ,,,, अजिंक्य जी ने उसे उठाकर बेंच
पर बिठा दिया मैं मां से मैं मी मी मी लव ना है आस्था,,,

हां लेकिन पहले मैं मिलकर आता हूं अजिंक्य ,,,, आस्था
वहां बैठी रही अजिंक्य और महा गुरु जी वृंदा से मिलने
अंदर चले गए l

शांत रहिए आप सादा बातों से आपको तकलीफ होगी ,,,,
यह यही समय तो नहीं है फिर भी फिर भी मैं चाहता हूं
कि आप आज तक की शादी मेरे बेटे एकांश से करवा
दीजिए अजिंक्य जी ने एक साथ में कहा वह भी
मजबूत है l

अपने बेटी के लिए वृंदा जी की आंखों से आंसू निकल
गए ,,, बेटा देखो उन दोनों की किस्मत एक दूसरे से जुड़ी
हुई है वह हमसफ़र हैं एक दूसरे के मान जाओ इस
रिश्ते के लिए स्वामी नंदा जी वृंदा जी सिर्फ सिर्फ आंसू
बहाती रही,,,

आपके जाने के बाद आस्था वैसे भी अकेली हो
जाएगी ,,, अकेली रहे इस से अच्छा है कि वह हमारे साथ
हमारे घर की बहू बन कर रहे ,,,, आप ही बताइए क्या
आपको अच्छा लगेगा कि उसका अकेले रहना l

अजिंक्य जी ने कहा वृंदा जी सोच में पड़ गई ,,,
मेरे होते हुए यह सब हो गया तो मेरे जाने के बाद नहीं
नहीं नहीं मेरी आस्था ठीक है ,, आस्था को बुलाइए वृंदा
आस्था को नर्स ने बुलाया ,,,, आस्था रोते हुए उनसे लिपट गई l

सिर्फ मां ही अल्फाज उसके मुंह से निकला ,,,,
आस्था ए के बेटे से शादी कर कर लो मैं मेरे बाद इनके
साथ साथ जाओ खुश रहो ,,,, हमेशा रो रो रोना नहीं है
वादा करो मां से हम वादा करते हैं ,,,, वृंदा मां लेकिन मुझे
छोड़कर मत जाओ l आस्था कहा ना रो रो रोना नहीं है,,,,
मां ने उसके सर पर हाथ रखा आस्था उनका हाथ थाम
थी उससे पहले ही वह बेजान हो गई ,,,, मां कहते हुए
आस्था बेतहाशा रोए जा रही थी l अजिंक्य जी ने उसके
सर पर हाथ रखा और कुछ देर के लिए वह बाहर चली
गई ,,,,

वृंदा जी को गए हुए 13 दिन हो चुके थे.....

अजिंक्य जी ने हॉस्पिटल के सारी फॉर्मेलिटी पूरी की
और......
पूरे रित से उनका अंतिम संस्कार किया.....
आस्था की ऐसी हालत नहीं थी कि उसे......
राजस्थान ले जाया जाए इसलिए उन्होंने
दाई मां एकांश और बाकी सब बच्चों को जिन्होंने
संभाला था और जो बहुत सालों से अजिंक्य की
वफादार थी....

और अपने 2 लोगों को आस्था के rishtedar बताकर
उसके घर पर रुका दिया.........

उस रात के हादसे के बारे में किसी को कुछ भी
जानकारी नहीं थी सभी को यही बताया गया था कि
उनकी गिरने की वजह से मौत हो गई है गांव के लोगों
ने भी आस्था से हरदा हमदर्दी जताई इन 13 दिनों में
आस्था की हालात बहुत ही ज्यादा खराब हो चुकी थी
.......

आस्था ना कुछ खा रही थी और ना ही ठीक से सो रही थी ,,,
हमेशा रोती रहती थी ,,,, दाई मा के बहुत समझाने पर
फिर भी उसकी हालत जैसे कि वैसे ही थी ,,,, दाई मां के
अपने बच्चे नहीं थे ,,, वह सबसे ज्यादा एकांश से प्यार ही
करती थी उन्हें एकांश की कुंडली के बारे में सारी
जानकारी थी और यह भी पता था कि सिर्फ आस्था ही
ऐसी है जिसकी वजह से उनके कुंवर सा का मृत्यु योग
कर सकता है l

इसलिए वह आस्था को अपनी बेटी जैसा ध्यान रख
रही थी,,,, इन दिनों आस्था भी उनसे थोड़ी बहुत जुड़
चुकी थी ,,,, आस्था बेटा कुछ तो खा लो दाई मा भूख नहीं
है ,,,, आस्था ऐसे कैसे तुमने कुछ भी नहीं खाया है ,,,, बेटा
दाई मा आस्था मां क्यों चली गई ,,,, मैं उनके बिना नहीं रह
सकती उनसे कहो ना वापस आ जाएं दाई मा बेटा जो
एक बार चला गया है l वह वापस थोड़ी ना आता है
आस्था मुझे मां चाहिए दाई मा ,,,, मैं भी तो तुम्हारे मां
जैसी हूं फिर भी मां चाहिए ,,,, आस्था ने रोते हुए कहा
उसकी हालत देखकर दाई मा को भी बहुत बुरा लग
रहा था ,,,, तो वह 15 साल की बच्ची ना जिसकी दुनिया
सिर्फ उसकी मां के आसपास ही थी ,,,और आज वह
उसके साथ नहीं थी l

उसके सारी खुशियां उससे दूर हो चुकी थी ,,, दाई मा के
काफी समझाने पर भी उसने कुछ नहीं खाया बस रोती
रही ,, आखिर थककर दाई मां ने अजिंक्य जी को फोन
किया और सारी बातें बता दे अजिंक्य जी ने अपने
बाबा सा और स्वामी नंद गुरु जी से बात की हमें पता है
कि यह समय ठीक नहीं है लेकिन दो दिन बाद बहुत ही
शुभ मुहूर्त है l

अगर उस समय के कुंवर सा और आस्था का विवाह हो
जाए तो यह उन दोनों के लिए बहुत शुभ होगा ,,,, स्वामी
नंद जी आप जैसा कहेंगे वैसा ही होगा क्यों अजिंक्य
दादा सा जी कुछ कहा आपने बाबा साहब अजिंक्य
क्या हुआ किस बारे में सोच रहे हैं आप दादा सा बाबा
सा एकांश नहीं मानेंगे शादी के लिए ,,,,

अजिंक्य यह तो आपने सही कहा वह भगवान में
विश्वास रखते हैं लेकिन कुंडली मूरत इन सब को
अंधविश्वास मानते हैं ,,,, और इन सबके चलते वह यह
व्यवहार नहीं करेंगे दादा साहब और एक बात और
बाबसा ,,,,