मम्मी यार …अपने आप को एक बार तो आईने के सामने देख लिया करो, आप तो रहने ही दो, मैं पीटीएम में पापा को लेकर चली जाऊंगी! पता है मम्मी.. मेरी सभी दोस्तों की मम्मी इतनी टिप टॉप अप टू डेट रहती हैं एक आप हो .. पता नहीं कैसे रहती हो, अब तो आपके साथ जाने में भी मुझे शर्म सी आती है!
जब मेरे दोस्त मुझसे पूछते हैं नेहा… क्या यह तुम्हारी मम्मी है तो मुझे अपने आप पर बहुत शर्म महसूस होती है, इसलिए प्लीज मम्मी आप तो घर में ही काम किया करो !कुछ ही समय बाद बेटा विपुल भी कॉलेज से आया और आते ही बरस पड़ा.. मम्मी आपको बिल्कुल भी सलीका है या नहीं, आज आपने फिर से मेरे बैग में अचार और पराठे का टिफिन रख दिया,
मम्मी 18 साल का हो गया हूं, तथा अचार की खुशबू से मेरे सभी दोस्तों के सामने मुझे कितना शर्मिंदा होना पड़ा। मेरा कोई भी दोस्त बच्चों की तरह टिफिन लेकर कॉलेज नहीं आता, आपको कितनी भी समझा लो आपको तो कोई बात समझ में ही नहीं आती! मेरे काम में आगे से आप हस्तक्षेप मत किया करो, मेरे सभी दोस्तों की मम्मी देखो, क्या फर्राटेदार इंग्लिश बोलती हैं,
गाड़ियां चलती हैं, और बिल्कुल आधुनिकता से जीती हैं और एक आप हो.. अपने दोस्तों की मम्मी के साथ में उनसे मिलवाने में शर्म आती है आपको! नेहा और विपुल की बात सुनकर आरती एकदम सन्न रह गई! उसने तो कभी सपनों में भी ऐसी कल्पना नहीं की थी, आज उनके बच्चों को अपनी मम्मी से ही शर्म आ रही है! बस अब और नहीं सहा गया आरती से, बच्चे बड़े हो गए तो क्या हुआ, क्या उन्हें हक मिल गया
अपनी मम्मी की आए दिन बेइज्जती करने का, तब आरती ने भी उनको जोरदार सुना दिया ..हां मैं गवार हूं, मुझे नहीं आती इंग्लिश, न हीं मुझे आधुनिकता के साथ रहना आता है, जब मैं शादी करके इस घर में आई थी मेरी अच्छी सरकारी टीचर की नौकरी थी, किंतु तब तुम्हारे पापा और दादी ने कहा..
कि तुम अगर नौकरी करोगी तो तुम्हारे दादा दादी को कौन संभालेगा? मैंने नौकरी छोड़ दी! कुछ समय पश्चात जब दोबारा नौकरी करने की सोची तब तक विपुल मेरी गोद में आ चुका था और उसके कुछ समय बाद नेहा! और फिर तुम दोनों की जिम्मेदारियां में मैं ऐसी पिसती चली गई कि मैं अपने बारे में तो सोचना ही भूल गई,
तुम्हारे पापा ने कहा.. अगर तुम भी नौकरी करने लगोगी तो बच्चों की परवरिश कैसे होगी? बच्चों को सही दिशा कैसे मिलेगी? फिर नौकरी के बारे में नहीं सोचा! मुझे क्या पता था कि मेरी शिक्षा या परवरिश ही आज यह रंग दिखाएगी? अरे.. मैंने तो तुम्हारी वजह से अपनी सारी खुशियां, सारी हॉबीज सब छोड़ दी,
जैसा तुम लोगों को पसंद था सिर्फ वही करती रही, और जिसका सिला मुझे इस रूप में दे रहे हो! विपुल तुम्हें याद है, तुम कितना बीमार रहते थे? तुम्हें ले लेकर हम जाने कितने ही अस्पतालों के चक्कर काटते थे और फिर डॉक्टर ने कहा था कि तुम्हारे हाथ पांव में बहुत कमजोरी है तो सिर्फ मैंने.. तरह-तरह की तुम्हारी मालिश से तुमको इस लायक बनाया है, ताकि आज तुम अपनी बाइक चला सको, और नेहा तुम्हें मैंने घर पर ही इतना पढ़ाया था कि आज तुम हर कक्षा में अब्बल आती हो,
मैं तुमको यह सब सुनाना नहीं चाहती थी, नाही मैं तुमसे इस तरह की बातें सुनना चाहती हूं! अगर तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हारे काम में हस्तक्षेप करती हूं या तुम्हें मेरे साथ आने-जाने में शर्म आती है तो ठीक है.. आज से तुम दोनों आजाद हो, मैं तो मैं ही पागल थी.. मेरे बच्चे, मेरे बच्चे करके रात दिन तुम्हारी चिंता में घुली जा रही हूं, तुम जब भी दोनों बहन भाई स्कूल कॉलेज से घर आते हो तुम्हारे लिए बैठी रहती हूं
कि ताकि तुम्हें गर्म खाना मिल सके, तुम्हें रखा हुआ ठंडा खाना नहीं खाना पड़े, तुम्हारे बैग में टिफिन इसलिए रखती हूं कि कहीं रोज-रोज बाहर का खाना खाने से तुम्हारी सेहत पर कोई विपरीत असर न पड़े, अरे ..मुझे क्या बल्कि अगर तुम लोग बाहर खाना खाओगे तो मेरी तो मेहनत बचेगी ही! मैं क्यों दिन-रात रसोई में तुम्हारे लिए लगी रहती हूं!
कभी तुम्हें घर की पसंद की चीज बनाकर खिलाती हूं, कभी लड्डू , कभी क्या, चीज बनाती हूं, मैं गवार हूं इसलिए,… शायद पढ़ी-लिखी नौकरी वाली मम्मी यह सब नहीं करती होगी, हां मुझे कार चलाना चलना भी नहीं आता, किंतु मैं घर के सारे काम खुद जाकर करती हूं, और नेहा जब तुम्हारी मैडम तुमसे कहती है कि तुम्हें पढ़ाई में कौन मदद करता है तो वह मैं हूं,
जो आज तुम इस लायक हो वह सिर्फ मेरी वजह से हो और तुम मुझे इतना जलील कर रहे हो! अरे मैंने तो इस परिवार और तुम्हारे पीछे अपनी जिंदगी के खुशनुमा पल इस घर की चार दिवारी में बर्बाद कर दिए !मैं भी चाहती तो तुम्हें किसी आया के भरोसे छोड़कर नौकरी पर जाती और मैं भी तुम्हारे दोस्तों की मम्मी की तरह होती,
पर गलती मेरी थी जो मैंने तुम्हारे बारे में, सिर्फ तुम्हारी सुख सुविधा और इस परिवार के बारे में इतना सोचा! मुझसे गलती हुई है! इसलिए मेरे प्यारे बच्चों.. हो सके तो अपनी मम्मी को माफ कर देना, तब दोनों बच्चों को महसूस हुआ कि उनकी हर कामयाबी के पीछे आज तक उनकी मम्मी का उनके द्वारा अनदेखा सहयोग ही था!
दोनों अपनी मम्मी से अपने किए पर माफी मांगने लगे, मम्मी आपने आज तक हमारे लिए इतना सब कुछ किया है बस लास्ट बार आप हमारे लिए, हमें माफ कर दो! आइंदा हम कभी भी ऐसा ना कहेंगे ना सोचेंगे, बाहर से सब कुछ देख रहे उनके पापा अपने बच्चों की माफी मांगने की हरकत पर मुस्कुरा रहे थे ,और इशारों ही इशारों में आरती से भी उन्हें माफ करने के लिए कह रहे थे।
हेमलता गुप्ता स्वरचित
# बच्चों और परिवार के पीछे वह खुद को भूल गई!