A Perfect Murder - 15 in Hindi Crime Stories by astha singhal books and stories PDF | ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 15

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 15

भाग 15


“माधवी जी, नमस्ते। मैं कविता राठोर। आपसे फोन पर बात हुई थी।”

“जी कविता मैम, आइए, अंदर आइए।” ये कह माधवी, मेनेजर विपुल की साली कविता को अंदर ले गई।

“बैठिए कविता मैम। क्या लेंगी आप? ठंडा-गर्म कुछ मंगवाऊं?”

“नहीं माधवी जी, बस चंद सवालों के सही जवाब चाहिएँ। आप नीलम अहूजा को जानती हैं?”

“जी, वो मेरी कॉलेज की सहेली है।”

“आपने ही उसे अपने जीजाजी विपुल के रेस्तरां में उसकी सिफारिश की थी?”

“जी मैम, मैं उसकी मदद करना चाहती थी।”

“तो नीलम खुद आपके पास आई थी, अपनी सिफारिश करवाने?” कविता ने पूछा।

“दरअसल मैम, मेरी दीदी, यानी विपुल जीजू की वाइफ मिनाक्षी, उसे एक दिन मॉल में किसी रेस्टोरेंट में मिली। बातों-बातों में नीलम को पता चला कि पंजाबी ढाबा रेस्तरां के मेनेजर मिनाक्षी दीदी के हसबैंड हैं। तब उन्होंने मिनाक्षी दीदी से मेरा नम्बर मांगा और मुझे फोन किया और अपनी परेशानी बताई। तो मैंने सोचा कि मुझे उसकी सहायता करनी चाहिए। कॉलेज में डांस प्रोग्राम में नीलम भी मेरी बहुत मदद करती थी। बस इसलिए मैंने जीजू से बात की।” माधवी ने सब कुछ बताते हुए कहा।

“एक बात बताइए माधवी जी कि नीलम ने आपसे सिफारिश क्यों की? वो सीधे मिनाक्षी जी से भी तो कह सकती थीं?” कविता ने प्रश्न किया।

“मैम, दीदी को वो बस मेरी बहन के रूप में थोड़ा बहुत जानती थी। इसलिए शायद उसे लगा होगा कि मुझसे सिफारिश कराना ज़्यादा आसान रहेगा। ये…मेरा सोचना है। आगे उसके दिमाग की तो वो ही जाने।”

“अच्छा आपने कहा कि उसने आपकी दीदी से आपका नम्बर लिया, तो क्या आप दोनों टच में नहीं थीं?”

“नहीं मैम, नीलम की शादी के बाद वो मेरठ चली गई। तो उसके बाद हम टच में नहीं रहे।”

“अब एक बात बिल्कुल सच बताइएगा, क्या आप नीलम और मिस्टर विपुल के बीच हुई झड़प के बारे में जानती हैं?”

माधवी थोड़ा घबराते हुए बोली, “जी मैम, जानती हूँ। पर उस बात को लगभग एक माह से ऊपर होने वाला है। नीलम कब कम्पलेन कर रही है? और क्यों कर रही है? ग़लती उसकी ही थी। बेकार जीजू को फसा रही है।” माधवी गुस्से में बोली।

“आप ये कैसे कह सकती हैं कि गलती नीलम की थी। आपके जीजू की भी हो सकती है?” कविता को भी थोड़ा गुस्सा आ गया।

“नहीं मैम, जीजू बिल्कुल…सही हैं। ये नीलम ही…ऐसी होगी। मैं…अपने जीजू को जानती हूँ। वो…अच्छे इंसान हैं।” माधवी हिचकिचाते हुए बोली। उसकी ज़ुबान से निकले शब्द और चेहरे के भाव दोनों अलग तस्वीर बयां कर रहे थे।‌

“नीलम भी तो आपकी दोस्त है। उसको भी तो आप अच्छे से जानती थीं। क्या वो‌ ऐसा कर सकती थी?” कविता ने पूछा।

“अब मैम..किसी का स्वभाव कब बदल जाए ये कौन कह सकता है। नीलम वैसे स्वभाव की बहुत अच्छी थी…पर कॉलेज में वो शायद सबसे खूबसूरत लड़की थी, इसलिए सारे लड़के उसके आगे पीछे घूमते थे। उसका वैसे कोई बॉयफ्रेंड नहीं था पर उसे मज़ा आता था जब लड़के उसे अटेंशन देते थे। उनकी अटेंशन पाने के लिए मुझे ऐसा लगता था कि कभी-कभी वो नाटक भी करती थी। तो…हो सकता है कि विपुल जीजू का भी ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए उसने ऐसा किया हो।” माधवी ने कहा।

“माधवी, अपनी अच्छी सहेली को यूँ बदनाम करते तुम्हें शर्म नहीं आ रही?” कविता ने कड़क आवाज़ में कहा।

“तो उसको शर्म नहीं आ रही कि इस बात को एक महीने बाद उठा जीजू को और रेस्तरां को बदनाम कर रही है।” माधवी भी गुस्से से बोली।

“माधवी, नीलम ने ऐसी कोई रिपोर्ट दर्ज़ नहीं की है। वो तो हम तफ्तीश करते हुए मिस्टर विपुल के रेस्टोरेंट में पहुँचे।”

“तफ्तीश? कैसी तफ्तीश?” माधवी ने हैरान होकर पूछा।

“नीलम 16 जुलाई से गायब है। हम उसी को ढूंढ रहे हैं। पता नहीं गायब है या गायब कर दी गई। ज़िंदा भी है या…” कविता ने दुखी स्वर में कहा।

कुछ पल के लिए माधवी स्तब्ध सी सोफे पर बैठी रही। उसे लग रहा था कि जिस बात को उसने नीलम को दबाने के लिए कहा था, नीलम ने उसी बात को पुलिस को बता दिया। पर नीलम गायब है, ये सुनकर उसे बहुत बड़ा सदमा लगा।

“देखिए माधवी जी, यदि आप कुछ भी जानती हैं तो प्लीज़ हमारी मदद कीजिए। नीलम के छोटे-छोटे बच्चे उसके वापस आने की राह देख रहे हैं। हम हर कड़ी को जोड़ने की कोशिश में लगे हैं कि सच्चाई तक पहुँच सकें। अगर आप बता देंगी कि उस दिन आखिर हुआ क्या था, तो शायद हमें कोई सुराग मिल जाए।” कविता की आँखों में भी नमी थी।

माधवी ने जग से गिलास में पानी डालकर पानी पिया। फिर कुछ पल शांत होकर बैठ गई। उसकी आँखों के कोने से आँसू छलक रहे थे।

“सॉरी मैम, दरअसल मुझे लगा कि नीलम उस दिन जीजू द्वारा की गई बदतमीजी का बदला ले‌ रही है। अपनी बहन का घर बचाने के लिए मैं सच को छिपा रही थी। पर अब बात नीलम को ढूंढने की है, तो मैं आपको सब कुछ सच बताऊंगी। मुझे नहीं पता कि इस बात का नीलम के गायब होने से कोई लेना-देना है भी कि नहीं पर यदि इससे आपको कोई सुराग मिलता है तो मुझे खुशी होगी।”

“आप बस सच बताओ माधवी, बाकी हम देख लेंगे।” कविता बोली।

“मैम ये सच है कि जीजू दिलफेंक किसम के इंसान हैं। सुंदर लड़कियों से फ्लर्ट करते रहते हैं। नीलम तो गजब की खूबसूरत थी, तो उसके साथ जीजू ने ज़रूर बदतमीजी की होगी। उस दिन जब रेस्तरां में वो हंगामा हुआ तो नीलम ने मुझे फोन किया। मैम मैं आपको वो पूरी रिकार्डिंग सुनाती हूँ।” ये कह माधवी ने अपने फोन से वो रिकार्डिंग ढूंढी और चालू कर दी।


“हैलो माधवी।” नीलम ने रोते हुए कहा।

“नीलम? क्या हुआ तू रो क्यों रही है।” माधवी ने पूछा।

“आज रेस्टोरेंट में…विपुल सर ने…हद कर दी। माधवी उनकी बदतमीजी का जवाब मुझे एक थप्पड़ से देना पड़ा। माफी चाहूंँगी, पर मेरे पास और कोई चारा नहीं था।” नीलम अब भी रो रही थी।

“नीलम खुल के बता, हुआ क्या?” माधवी उसको शांत कराते हुए बोली।

“आज विपुल सर ने मुझे अपने कैबिन में बुलाया और कहने लगे कि मेरे टपरवेयर के काम से उनके रेस्टोरेंट को कोई फायदा नहीं पहुंँच रहा। इसपर मैंने उनसे कहा कि मेरी महीने में जितनी आमदनी होती है, उसमें वो कमीशन ले सकते हैं। तो..वो हँसने लगे कि इतनी सी कमीशन से रेस्टोरेंट का क्या ही फायदा होगा। वो मेरे साथ हुई डील को कैंसिल करना चाहते हैं।”

“क्या जीजू ने ऐसा कहा? तो इसलिए तूने जीजू को थप्पड़ मारा?”

“नहीं माधवी, इस बात के लिए मैं कैसे थप्पड़ मार सकती हूँ। उनको हक है अपने रेस्टोरेंट के बारे में फैसले लेने का।”

“तो फिर तूने उन्हें थप्पड़ क्यों मारा बहन? तू जानती है कि उनसे मेरा रिश्ता कितना नाज़ुक है। वो दीदी के पति हैं! घर में आकर हंगामा कर देंगे। दीदी को छोड़ दिया उन्होंने तो?”

“माधवी…शांत हो जा और पूरी बात सुन। मैं पागल नहीं हूँ जो इस बात पर थप्पड़ मारूंगी।”

“तो क्यों मारा बहन? ये तो बता दें?”



क्रमशः
आस्था सिंघल