Ardhangini - 14 in Hindi Love Stories by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 14

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 14

अपने पापा को खाना खिलाने के बाद उनके ऑफिस से निकल कर घर तक के रास्ते मे जतिन यही प्लानिंग करता रहा कि अब वो अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाने के लिये किस तरह से काम करे जो रिजल्ट मिलना शुरू हो जायें, यही सब प्लानिंग करते करते जतिन ने सोचा कि "फील्ड पर जादा घूमने का कोई फायदा नही है वो मैं कर के देख चुका हूं तो अब दुकान पर ही मेज कुर्सी डालकर बैठता हूं क्योंकि जिस सड़क पर दुकान है वो ठीक ठाक भीड़ वाली सड़क है, दुकान पर मुझे बैठा देखकर जब लोग निकलते बढ़ते पूछेंगे तब जादा अच्छा रिस्पॉन्स मिलेगा..!!" यही सोचते हुये जतिन घर पंहुचा और ठीक से खाना खाने के बाद वो अपने कमरे मे गया और वहां रखी एक पुरानी मेज उठाकर अपनी दुकान चला गया, मेज दुकान मे रखकर वापस घर आया और तीन प्लास्टिक की कुर्सियां लेकर दुकान मे रख दीं और खुद वहीं दुकान मे बैठ गया चूंकि शाम होने को आयी थी तो उस दिन कोई कस्टमर दुकान पर नही आया और अंधेरा होने के थोड़ी देर बाद जतिन घर चला आया| अगले दिन जतिन सुबह दस बजे ही दुकान खोलकर बैठ गया ये सोचकर और इस आत्मविश्वास के साथ कि "आज तो कोई ना कोई जरूर आयेगा...!!" जैसा जतिन ने सोचा था हो भी वैसा ही रहा था लेकिन लोग आ तो रहे थे पर दुकान के सामने रुकते इधर उधर खाली दुकान देखते और आगे बढ़ जाते....!!यही सिलसिला दो तीन दिन तक चलता रहा, लोग दुकान के बाहर रुकते, खाली दुकान देखते और आगे बढ़ जाते लेकिन दुकान पर आकर कोई जतिन से कुछ पूछता नहीं था, जैसे जैसे दिन गुज़रते जा रहे थे जतिन के माथे पर बल पड़ते जा रहे थे, घर की इतनी बड़ी जिम्मेदारी और आंखों में एक खुशहाल जिंदगी के सपने जतिन को ठीक से नींद तक नहीं आने देते थे, कई दिनों तक जीरो रिस्पॉंस मिलने के करीब बीस पच्चीस दिनों के बाद एक दिन दो लोग बाइक से जतिन की दुकान के बाहर आकर रुके, उनमे से जो बाइक चला रहा था वो बड़ी तिरछी नजरो से दुकान के हर कोने मे नजर दौड़ा रहा था और जतिन दुकान मे बैठा बस उसकी तरफ आशा भरी नजरो से देखे जा रहा था ये सोचकर कि शायद ये ही कुछ ऑर्डर कर दे.. कि तभी बाइक मे आगे बैठा शख्स बड़ी तल्ख आवाज मे बोला- सिर्फ बोर्ड ही लगा रखा है या माल वाल भी है...?

ये पहला ऐसा मौका था इतने दिनो मे जब जतिन से किसी कस्टमर ने दुकान पर आकर कुछ पूछा था और वो भी इस अंदाज में लेकिन जतिन ने बड़े सहज तरीके से उससे कहा- है सर माल भी है, आप अंदर तो आइये...!!

जतिन की बात सुनकर बाइक पर पीछे बैठा शख्स आगे बैठे शख्स से बोला- आइये चलिये बात तो कर ही लेते हैं...

आगे बैठा शख्स बोला- हां चलिये देखते हैं इन्हे भी कैसी सर्विस देते हैं ये...

इतना कहकर वो दोनो बाइक सवार जतिन की दुकान मे आकर बैठ गये, उनमे से एक शख्स जो बाइक चला कर आया था वो कुर्सी पर बैठने के बाद उसी तल्ख अंदाज मे बोला- आपकी सीमेंट एजेंसी का बोर्ड देखकर हम लोग रुके हैं, असल मे जिस सीमेंट वाले के साथ मै काम करता था अब वो लापरवाह हो गया है, समय पर माल नही देता जिससे मेरा काम रुकता है और मै ठेकेदार हूं जिसकी वजह से कई मकानो और अपार्टमेंट्स के ठेके रहते हैं मेरे पास, फिलहाल मुझे अर्जेंट मे 300 बोरी सीमेंट चाहिये और वो भी एक घंटे के अंदर अगर आप एक घंटे के अंदर मुझे तीन सौ बोरी सीमेंट की दे सकें तो लेकर आ जाइयेगा और एक घंटे से एक मिनट भी ऊपर हुआ तो या तो आइयेगा मत या अगर आ गये तो मै आपका सारा माल वापस कर दूंगा...

उस ठेकेदार की बातों से साफ लग रहा था कि वो अपने पिछले सीमेंट सप्लायर से हद से जादा परेशान है और बहुत जादा चिढ़ा हुआ भी है!!

उस ठेकेदार की बाते सुनकर जतिन अंदर ही अंदर तीन सौ बोरियो का ऑर्डर सुनकर बहुत खुश हो गया और उस ठेकेदार से बोला- मिल जायेंगी सर आप अपना पता बता दीजिये, मै खुद आपकी सीमेंट की बोरियां लेकर आपके पास आता हूं...

ठेकेदार ने कहा- वो तो ठीक है पर शायद आपने मेरी शर्त ध्यान से नही सुनी, मुझे एक घंटे के अंदर ही चाहिये, वरना मत लाइयेगा...
जतिन ने कहा- हां सर एक घंटे के अंदर ही ला के दूंगा मै आपको, आप बिल्कुल भी चिंता मत करिये और अब अपनी चिंता मुझ पर छोड़ दीजिये...

इसके बाद उस ठेकेदार ने वो पता जतिन को बताया जिसपर सीमेंट की बोरियां पंहुचानी थीं और दुकान से जाने लगा, दुकान से जाते जाते वो जतिन से बोला- आपका समय शुरू होता है.... अब!!

इसके बाद वो अपने साथी के साथ दुकान से चला गया उसके जाते ही जतिन अपनी जगह से उठा और फटाफट दुकान का शटर गिरा के अपनी बाइक से उस डिस्ट्रीब्यूटर के यहां भागा जिसके पास उसके कोटे की बची 400 बोरियां रखीं थीं, तेज स्पीड मे बाइक चलाकर जतिन जब उस डिस्ट्रीब्यूटर के यहां पंहुचा तो वो डिस्ट्रीब्यूटर जतिन को देखकर बोला- अरे जतिन भाई इतनी तेज धूप मे इतनी हड़बड़ी मे कहां से आ रहे हो...?

जतिन ने कहा- भइया बात करने का बिल्कुल टाइम नही है मै वापस आके आपसे बात करूंगा फिलहाल मुझे तीन सौ बोरी सीमेंट की चाहिये...

वो डिस्ट्रीब्यूटर बोला- अरे पानी तो पी लो, दो मिनट सांस लो, मजदूर खाना खाने गये हैं आ जायें फिर ट्रैक्टर मे लदवा दूंगा...

जतिन ने कहा- भइया बिल्कुल टाइम नही है आप ट्रैक्टर वाले को बोलो ट्रैक्टर घुमा के इस तरफ खड़ा करे मै खुद उठा लूंगा बोरियां...

ऐसा कहकर जतिन उस डिस्ट्रीब्यूटर के गोदाम मे गया और बोरियां उठाने लगा, जतिन को ऐसे बोरियां उठाते देख उस डिस्ट्रीब्यूटर ने सोचा मामला वाकई गंभीर है, ये सोचकर उसने ट्रैक्टर वाले को आवाज देकर बुलाया और ट्रैक्टर दुकान की तरफ खड़ा करवा दिया इतने मे जतिन एक बोरी सीमेंट की अपने कंधे पर उठा के ले आया और ट्रैक्टर पर लाद दी, जतिन को इतनी मेहनत करते देख उस डिस्ट्रीब्यूटर का दिल भी पसीज गया और वो भी जतिन के साथ ही बोरियां उठवाने लगा, ट्रैक्टर के ड्राइवर ने जब इन दोनो को बोरियां उठाते देखा तो वो भी समझ गया कि कहीं ना कहीं जल्दी पंहुचना है वरना मालिक खुद कभी बोरियां ना उठाते और ये सोचकर वो भी उन दोनो के साथ ही बोरियां उठा के ट्रैक्टर पर लादने लगा, तीन लोगो के जल्दी जल्दी बोरियां उठाने के कारण करीब बीस मिनट मे ही तीन सौ बोरियां ट्रैक्टर पर लद गयीं, बोरियां पूरी होते ही जतिन तेज स्पीड मे चलता हुआ ट्रैक्टर वाले के पास आया और बोला चलो मै तुम्हारे साथ ही ट्रैक्टर पर बैठ के चल रहा हूं और डिस्ट्रीब्यूटर को बोला "भइया बाइक का ध्यान रखना मै इसी ट्रैक्टर के साथ वापस आता हूं"... ये कहकर जतिन ने उस ड्राइवर की जेब मे चुपके से सौ का नोट रखा और उससे कहा- हमें करीब सात किलोमीटर जाना है और हमारे पास सिर्फ बीस मिनट हैं...

सौ का नोट मिलते ही ट्रैक्टर वाले की आंखो मे चमक आ गयी और वो बोला- पंद्रह मिनट मे पंहुचाउंगा साहब आप कसके पकड़ कर बैठे रहो...

ये कहकर उसने तेज स्पीड मे ट्रैक्टर दौड़ाना शुरू कर दिया... रास्ता दूर था और घड़ी की सुइयां जैसे रॉकेट की तरह तेज भाग रही थीं, गनीमत बस ये रही कि दोपहर का टाइम होने की वजह से रास्ते मे ट्रैफिक नही मिला जिसकी वजह से थोड़ी देर मे ही जतिन उस ठेकेदार के बताये पते पर पंहुच गया, जतिन को सीमेंट की बोरियो से लदे ट्रैक्टर पर बैठे देखकर उस ठेकेदार ने अपना मोबाइल निकाला और टाइम देखकर मुस्कुराने लगा कि इतने मे जतिन ट्रैक्टर से उतरा और उस ठेकेदार के सामने जाकर बोला- ये लीजिये सर आपकी तीन सौ सीमेंट की बोरियां, आपने मुझे साठ मिनट का टाइम दिया था मै अट्ठावन मिनट मे ही आ गया, पूरे दो मिनट का प्रॉफिट...!!

जतिन का आत्मविश्वास देखकर वो ठेकेदार मुस्कुराने लगा और जतिन की शर्ट मे लगी धूल को झाड़ते हुये बोला- अगर हजार बोरियो का ऑर्डर दूं तो क्या पूरा कर पाओगे और वो भी समय से??

जतिन ने कहा- आप दस हजार का भी ऑर्डर देंगे तो भी पूरा कर दूंगा सर और वो भी समय से, आप बताइये तो सही कितनी देर मे लानी हैं हजार बोरियां?

जतिन की ये बात सुनकर वो ठेकेदार हंसने लगा और बोला- अरे नही नही अब कोई टाइम लिमिट नही है आराम से दो दिन मे पंहुचा देना मै तुम्हे ऐड्रेस देता हूं, मुझे तो रोज जरूरत पड़ती है सीमेंट की, कहीं ना कहीं काम चलता ही रहता है वैसे मजा आयेगा तुम्हारे साथ काम करने मे...

इस दिन के बाद उस ठेकेदार ने जतिन को बहुत काम दिया और इसके बाद जतिन ने कभी पीछे मुड़ के नही देखा, वो बस आगे ही बढ़ता रहा...!!

इस पूरे घटनाक्रम के दो साल बाद कड़ी मेहनत के परिणामस्वरूप जतिन का बिज़नेस चल पड़ा और उसने एक छोटी सी पक्की दुकान किराये पर ले ली, अपनी फर्म बनायी और उसका रजिस्ट्रेशन करवा के सीमेंट की बोरियो की बिलिंग अपने नाम से करवाने लगा और तब इसी दुकान मे जतिन की मुलाकात राजेश से हुयी और राजेश के समझाने और उधारी पर माल दिलवाने के कारण ही जतिन ने सीमेंट के साथ हार्डवेयर का बिजनेस भी शुरू कर दिया और आज उसका अच्छा खासा बड़ा शोरूम है हार्डवेयर का और उसी शोरूम से लगा सीमेंट का गोदाम और इसी गोदाम और शोरूम के ऊपर वाले फ्लोर मे जतिन ने एक ऑफिस बनवा लिया था जिसमे आज वो राजेश के साथ बैठकर चाय पी रहा था....

क्रमशः

सही कहा है किसी ने कि "कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती!!" हैना?