Ardhangini - 12 in Hindi Love Stories by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 12

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 12

जतिन के साथ साथ घर के सारे सदस्य खुश थे, जतिन को मिली पहली कामयाबी की वजह से घर का माहौल भी बहुत अच्छा था, सबने साथ बैठकर खाना खाया उसके बाद जतिन अपने कमरे मे सोने चला गया, आज जतिन को छोटी ही सही लेकिन पहली सफलता मिली थी इसलिये उसकी आंखो में नींद बिल्कुल नहीं थी, वो आंखे बंद करके आगे की प्लानिंग कर ही रहा था कि तभी उसे किसी चीज के टूटने की आवाज आयी, ऐसा लगा जैसे उसके घर की छत पर कोई भारी चीज आकर गिरी हो, उस चीज के गिरने की आवाज सुनकर जतिन चौंक के उठ गया, पहले तो उसे लगा शायद छत पर बिल्ली ने गमला गिराया होगा लेकिन फिर भी वो बिस्तर से उठकर खड़ा हुआ और टॉर्च जला के छत की तरफ जाने लगा, जैसे जैसे वो छत की तरफ ऊपर जा रहा था वैसे वैसे उसे छत की तरफ से आ रही हवा तेज होती हुयी महसूस हो रही थी, छत पर पंहुच कर उसने चारो तरफ देखा तो पाया कि वो कोई बिल्ली नही थी जिसकी वजह से वो गमला गिर पड़ा था बल्कि वो आंधी थी.. बहुत तेज धूल भरी आंधी...!! आंधी बहुत तेज थी और उस आंधी में चारों तरफ बहुत तेज धूल उड़ रही थी जिससे बचने के लिये जतिन सीढ़ियों का गेट बंद करके नीचे अपने कमरे मे चला आया थोड़ी देर बाद बादलो की गड़गड़ाहट होने लगी और फिर तेज बारिश..!! आंधी की तेज हवाओ की आवाज उसके साथ बादलो की तेज गड़गड़ाहट ऐसी लग रही थी मानो भयंकर तूफान चल रहा हो, इतनी भयानक आवाजे सुनकर जतिन को अपनी टीन की दुकान की चिंता होने लगी थी लेकिन वो अपने मन को ये कहकर बहला रहा था कि "नही मैने बहुत मजबूत तरीके से टीन लगवायी है उसे कोई नुक्सान नही हुआ होगा" काफी देर तक तेज आंधी और भीषण बारिश होती रही, बादलो की गड़गड़ाहट के बीच बहुत मुश्किल से जतिन की रात गुजर रही थी, काफी देर तक भीषण हलचल मचाने के बाद आंधी और बारिश बंद हो गयी लेकिन दुकान की चिंता मे जतिन को रात भर ठीक से नींद नही आयी, रात भर चले तूफान की वजह से दुकान की चिंता के चलते जतिन के लिये बड़ी मुश्किल से सवेरा हुआ था, सुबह होते ही वो अपने बिस्तर से उठा और अपनी टीन की दुकान की तरफ जाने लगा, जब वो अपनी दुकान पर पंहुचा तो अपना सिर पकड़ के वहीं बैठ गया, जतिन ने वहां जाकर जो नजारा देखा उसे देखकर उसके आंसू निकल आये, जतिन ने देखा कि उसकी टीन की दुकान की छत वाली टीन रात के तूफान मे कहीं उड़ गयी है और उसकी सीमेंट की बोरियो मे बुरी तरह पानी भर गया है और गीली सीमेंट की बोरियां कूड़े के ढेर के बराबर होती हैं ये बात जतिन अच्छे से जानता था, आंखो मे आंसू लिये अपने हाथो से अपना सिर पकड़कर सड़क किनारे बैठा जतिन एकटक अपनी उजड़ी हुयी दुकान की तरफ बस देखे जा रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे वो शून्य हो चुका हो, जतिन का दिमाग जैसे कुछ सोच ही नही पा रहा था कि अब इसके आगे क्या!!! कि तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा, जतिन ने सिर उठाकर देखा तो उसके पापा उसके बगल मे खड़े थे, जतिन की आंखो मे आंसू और इस तरह से उसे हारा हुआ देखकर जतिन के पापा विजय सक्सेना ने कहा- कोई बात नही बेटा बिज़नेस मे नफा नुक्सान तो होता रहता है, चल उठ घर चल....

जतिन को सुबह सुबह इस तरह से परेशान होकर अपनी दुकान की तरफ भागते देख उसके पापा विजय सक्सेना भी उसके पीछे पीछे उसकी दुकान तक आ गये थे और जतिन को दुकान की हालत देखकर सड़क पर बैठते हुये उन्होने दूर से ही देख लिया था इसके बाद उन्होने जतिन को उसकी दोनो बांहे पकड़ कर उठाया और घर की तरफ चल दिये, विजय जब उसे ऐसे पकड़ कर घर ला रहे थे तो घर के पास पंहुच कर उन्होने देखा कि जतिन की मम्मी बबिता और ज्योति दोनो परेशान चेहरा लिये हुये दरवाजे पर ही खड़ी उनका इंतजार कर रही थीं, उन्होने जब जतिन का उतरा हुआ चेहरा और झुका हुआ सिर देखा तो वो समझ गयीं कि कुछ गलत हुआ है, कल जो जतिन इतना खुश था उसे इस तरह उदास देखकर वो दोनों भी खिसियाने लगीं और इसके बाद बबिता ने आगे बढ़कर जतिन का चेहरा अपनी दोनो हथेलियो से पकड़कर जब ऊपर उठाया तो उन्होने देखा कि जतिन की आंखो मे आंसू हैं, उसके आंसू देखकर दुखी होते हुये उन्होने जतिन से कहा- क्या हुआ बेटा ऐसे क्यों रो रहा है...?

जतिन की मम्मी बबिता की ये बात सुनकर उसके पापा विजय बोले- दुकान मे पानी भर गया है, सारा सीमेंट खराब हो गया है इसलिये परेशान है..

अपने पापा की ये बात सुनकर कि दुकान मे नुक्सान हो गया है पास ही खड़ी अपने भइया की लाडली ज्योति भी रोने लगी और जतिन का हाथ पकड़ कर बोली- भइया अंदर चलिये आप बिल्कुल परेशान मत हो...

अपने भइया का हाथ पकड़ कर उसे अंदर ले जाने के बाद ज्योति ने जतिन को सोफे पर बैठा दिया और भाग के उसके लिये पानी ले आयी, जतिन को पानी का गिलास देते हुये ज्योति ने कहा- भइया आप पानी पी लीजिये और भइया आप बिल्कुल भी चिंता मत करिये, मेरा ग्रेजुएशन होने वाला है मै कहीं जॉब कर लूंगी लेकिन आपको मेरी कसम आप ऐसे दुखी मत हो प्लीज भइया...

ज्योति की बात सुनकर उसकी मम्मी बबिता ने कहा- हां बेटा मै भी मोहल्ले के बच्चो को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दूंगी, हम सब मिलके सब ठीक कर लेंगे पर तू ऐसे उदास मत हो, तू ही तो हम सबकी ताकत है अगर तू ही ऐसे टूट गया तो हम सबका क्या होगा...

अपनी मम्मी और बहन ज्योति की ऐसी बाते सुनकर जतिन मन ही मन बहुत विचलित सा हो गया, विचलित मन से अपनी भौंहे सिकोड़ते हुये उसने ज्योति के सिर पर प्यार से हाथ रखा और मन ही मन जैसे ये द्रढ़ निश्चय करने लगा कि "नही मै हार नही मान सकता, मेरे रहते मेरी छोटी बहन को नौकरी करनी पड़े ऐसा मै कभी नही होने दूंगा और मेरी मम्मी ट्यूशन पढ़ायें घर चलाने के लिये ये भी मै नही होने दूंगा, नही मुझे जीतना ही होगा इसके अलावा मेरे पास और कोई विकल्प नही, ये मेरा अपने आप से संकल्प है कि मै किसी भी कीमत पर पीछे नही हटूंगा"

सच ही तो है कि जतिन जैसा जिम्मेदार लड़का जो सिर्फ अपने परिवार की खुशियों के लिये ही जीता है वो अपनी लाडली बहन को पैसों की दिक्कत की वजह से नौकरी कैसे करने दे सकता है!!

क्रमश: