The Six Sense - 13 in Hindi Thriller by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | द सिक्स्थ सेंस... - 13

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द सिक्स्थ सेंस... - 13

मौसम जो थोड़ी देर पहले तक सुहावना लग रहा था.. अब खराब होता जा रहा था, काले घने बादलों ने दिल्ली और आसपास के शहरों के पूरे आसमान को अपने आगोश मेें ले लिया था, ठंडी हवायें जो अभी तक हर किसी को सुखद एहसास करा रही थीं अब वो तेज तेज चलकर आंधी जैसा महसूस करा रही थीं और इन बादलों और तेज हवाओं के बीच हर थोड़ी थोड़ी देर में आसमानी बिजली की चमक आने वाले किसी तूफान का आभास करा के लोगों के दिलों में एक अजीब सा डर पैदा कर रही थी, इंस्पेक्टर उदय ढाबे में शराब पीने के बाद अपने ड्राइवर के साथ दिल्ली पंहुचा ही था कि तभी उसकी पुलिस जीप में लगे वायरलेस पर मैसेज आया "मौसम विभाग ने दिल्ली समेत आसपास के इलाकों में भारी बारिश की संभावना के चलते रेड अलर्ट जारी किया है सभी पुलिस वालों को ये आदेश दिया जाता है कि वो जल्द से जल्द अपने अपने थानों में रिपोर्ट करें और अपने थाने के अंतर्गत आने वाले इलाकों की परिस्थितियों पर नजर बनाये रखें, हर नागरिक की सुरक्षा पुलिस बल की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है, जय हिंद!!"

वायरलेस पर ये मैसेज आने के बाद इंस्पेक्टर उदय ने अपने साथ आये हवलदार से कहा- लो भई ले लिया मजा मौसम का..!! चलो अब वापस काम पर चलते हैं, हम पुलिस वालों की किस्मत में आराम होता ही नहीं है |

उस हवलदार जिसका नाम अमित था उसने उदय से कहा- साहब मेरा तो ठीक है पर आपकी शायद जादा हो गयी है ऐसे में थाने चलना शायद ठीक नहीं रहेगा!!

उदय ने नशे में कहा- हां यार बात तो तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो चलो एक काम करते हैं हमारे द्वारका थाने के पास जो गुड़गांव हाइवे है ना, वहां जो महिपालपुर का पुलिस चेक पोस्ट है जो मेरे अंडर आता है तुम वहां चलो, थाने में बैठकर वैसे भी कौन सी हम कोई सुरक्षा कर पायेंगे किसी की, वहां रहेंगे तो शायद कुछ कर भी पायें|

उदय के कहने पर अमित ने पुलिस जीप को गुड़गांव हाइवे पर गुड़गांव से ठीक पहले बने महिपालपुर चेकपोस्ट की तरफ बढ़ा दिया|

जैसे जैसे समय गुजर रहा था बादलों की गड़गड़ाहट और तेज होती जा रही थी, हवायें तेज चलते चलते तूफान में बदल रही थीं, हर कोई जैसे जल्दी से जल्दी घर पंहुचना चाहता था |

जहां एक तरफ उदय ने महिपालपुर चेकपोस्ट पर पंहुच कर ट्रैफिक और किसी नुक्सान के होने की आशंका के चलते मोर्चा संभाल लिया था वहीं दूसरी तरफ बारिश प्रचंड रूप से तेज हो गयी थी, आसमानी बिजली की चमक और बादलों की गड़गड़ाहट बेहद डरावनी होती जा रही थी, जैसे जैसे रात अंधेरे के आगोश में जा रही थी वैसे वैसे सबके दिलों में घबराहट बढ़ रही थी ऐसा लग रहा था मानो आज कोई अनहोनी होकर ही रहेगी!!

जहां एक ओर तूफानी बारिश की वजह से हर तरफ एक अजीब से डर का माहौल था और हद से जादा अफरा तफरी मची हुयी थी वहीं दूसरी तरफ द्वारका सेक्टर-10 के अपने घर में बने अपने कमरे में अपने बिस्तर पर लेटा राजवीर दवाइयों के असर की वजह से गहरी नींद में सो रहा था, बाहर तूफान से मचे हंगामे से वो जैसे पूरी तरह से बेखबर था कि तभी सोते सोते उसे ऐसा लगा जैसे कोई उसे आवाज लगा रहा हो "राजवीर... राजवीर, उठो राजवीर... उठो राजवीर, देखो इतने तूफान में भी मैं तुमसे मिलने आयी हूं!!"

इस आवाज के आते ही राजवीर गहरी नींद से बाहर आने लगा था, नींद खुलने के बाद की गफलत में जब उसने बोझिल नजरों से देखने की कोशिश करी तो उसे ऐसा लगा जैसे कोई लड़की उसके सामने खड़ी उस लगातार आवाज लगा रही हो "राजवीर उठो राजवीर, बड़ी मुश्किल से मुझे तुम्हारे घर का पता चला है इसलिये मैं बिना देर और बिना तूफान की परवाह किये तुमसे मिलने चली आयी!!"

राजवीर जब नींद से पूरी तरह से बाहर आया तब उसकी समझ में आया कि बारिश में भीगी एक लड़की उसके सामने खड़ी है और उससे पूछ रही है "कैसे हो राजवीर, कितनी चिंता हो गयी थी मुझे, जैसे ही मुझे पता चला था तुम्हारी इस हालत के बारे में वैसे ही मैं सब कुछ छोड़कर अमेरिका से सीधे इंडिया चली आयी और तभी से मैं तुम्हे हर जगह ढूंढ रही हूं और आज जैसे ही मुझे तुम्हारे घर का पता चला वैसे ही मैं बारिश में भीगती हुयी यहां चली आयी, बहुत ढूंढा है तुम्हे तब जाकर आज मिले हो तुम!!"

पूरी तरह से नींद से जागने के बाद राजवीर झटके से अपने बिस्तर से उठा और उस लड़की को देखकर हद से जादा हैरान होकर बोला---- स.. सुहासी!! त.. तुम सुहासी हो ना!!

वो लड़की बोली- हां... मैं सुहासी हूं, तुम्हारी सुहासी!!

क्रमशः