एक खूबसूरत घने जंगल का इंसाफ पसंद राजा बब्बर शेर था। वह जंगल के छोटे बड़े सभी जानवरों की समस्याओं का समाधान बड़े ही आसानी से कर दिया करता था। राजा बब्बर शेर का परम मित्र एक चूहा था। राजा बब्बर शेर के आंगन में एक खजूर का पेड़ था। उसके नीचे एक पहाड़ी पत्थरों का चबूतरा बना हुआ था। उस चबूतरे के पास ही उसके मित्र चूहे का बिल था। राजा बब्बर शेर सभी छोटे बड़े जानवरों की समस्या का समाधान उस पहाड़ी पत्थरों के चबूतरे पर बैठ कर करता था। जब राजा बब्बर शेर सभी जानवरों की समस्याओं का समाधान करता था। तो वह चूहा चबूतरे से नीचे लटकी हुई बब्बर शेर की पूछ के आखिरी सिरे में छुप कर बैठ जाता था। और बब्बर शेर के इंसाफ करने फैसला लेने के तरीकों पर उछल उछल कर तालियां बजाता था। जानवरों की समस्याओं का समाधान करने के बाद बब्बर शेर अपनी बुद्धि पर बहुत गर्व महसूस करता था। और चूहे मित्र के साथ उछल कूद कर के अपनी खुशी बांटता था। आज तक राजा बब्बर शेर के सामने ऐसी समस्या नहीं आई थी, जिसका वह हल ना कर सका हो। इस वजह से जंगल के सब जानवर राजा बब्बर शेर को चतुर बुद्धिमान शक्तिशाली मानकर उसका बहुत सम्मान करते थे। एक समय बब्बर शेर का चूहा मित्र अपने चूहों मित्रों के साथ दो-चार दिन के लिए दूसरे जंगल घूमने चला जाता है। चूहे मित्र के जाने के बाद एक दिन राजा बब्बर शेर दो हाथियों के झगड़े की समस्या का समाधान कर रहा था। उसी समय एक गिलहरी आती है, जिसका बच्चा रोते रोते चुप होने का नाम ही नहीं ले रहा था। गिलहरी हाथ जोड़ कर कहती है "राजा बब्बर शेर आज तक कोई भी ऐसी समस्या नहीं हुई, जिसका हल आपके पास नहीं है। मेरे बच्चे की एक छोटी सी समस्या है, इसको भी हल कर दो। राजा बब्बर शेर अपनी मूछों में ताव देकर बड़े रोव से और भारी आवाज में कहता है "इस बच्चे की क्या समस्या जल्दी बताओ"गिलहरी समस्या सुनाती है। एक दिन मैं और मेरा यह बच्चा घूमते फिरते जंगल के बाहर सड़क के किनारे पहुंच गए थे। वहां कुछ मनुष्यों ने इसे रोटी खिला दी। उस दिन से यह जिद कर रहा है, कि बस एक बार वही रोटी खानी है। उसके बाद में यह जिद छोड़ दूंगा। वहां बैठे कुछ जानवरों ने तो रोटी का नाम आज तक नहीं सुना था। राजा बब्बर शेर ने भी रोटी का नाम आज तक नहीं सुना था। कुछ जानवर हंसने लगते हैं। कि सिर्फ रोटीखाने की तो जिद कर रहा है। यह तो राजा बब्बर शेर के लिए बहुत ही छोटी सी समस्या है, वह कहीं से भी इसको रोटी लाकर खिला देंगे। फिर गिलहरी कहती है "रोटी सिर्फ मनुष्य के पास ही मिल सकती है। और हमारे घने जंगल में मनुष्य सालों तक दिखाई नहीं देते। मनुष्यों के शहरों और गांवों मैं उनके घर की रसोई से रोटी लाने का मतलब है अपनी जान की दावत देना। गिलहरी की सारी बात सुनने के बाद, राजा बब्बर शेर गिलहरी से कुछ समय मांग कर अपनी सभा को स्थगित कर देता है।फिर सारे जानवर हंस-हंसकर बच्चे को चुप कराते हैं। और कहते हैं "कि कल राजा बब्बर शेर तुझे पेट भरकर रोटी खिला देंगे। राजाबब्बर शेर बुद्धिमान और चतुर था। उसे पता था, की मनुष्य के घर की रसोई से रोटी लाना असंभव है। आज तक उसके सामने कोई भी ऐसी समस्या नहीं आई थी। जिसका उसने हल ना किया ह और उसे जंगल में मान सम्मान इज्जत ना मिली हो। पर यह ऐसी समस्या थी, कि उसके जीवन भर का मान सम्मान खत्म हो जाता। इस कारण वह जंगल छोड़कर रातों-रात भागने की योजना बना लेता है। उसे रातों-रात भागते भागते सुबह हो जाती है। अचानक उसे पीछे से कोई रुकने की आवाज देता है। शेर पीछे मुड़कर देखता है। तो उसका चूहा मित्र था। चूहा मित्र शेर की हालत देख कर समझ जाता है, कि मेरा शेर मित्र किसी बड़ी समस्या में है। और पहले शेर को पानी पीकर आराम करने के बाद, अपनी समस्या सुनाने के लिए कहता है।राजा बब्बर शेर से गिलहरी के बच्चे की समस्या सुनने के बाद चूहा मित्र अपना पेट पकड़ पकड़ कर तेज तेज हंसने लगता है। राजा बब्बर शेर अपने चूहे मित्र की तरफ बड़ी हैरानी से देखता है। फिर चूहा मित्र कहता है "यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है। मैं अपने मित्र का मान सम्मान बचाने के लिए अपनी जान पर भी खेल सकता हूं। चूहा मित्र राजा बब्बर शेर को एक जगह बिठाकर कुछ ही समय बाद गांव के एक घर की रसोई से रोटी लाकर बब्बर शेर के हाथ में पकड़ा देता है। राजाबब्बर शेर प्रसन्न होकर कहता "आज मुझे मित्रता का अर्थ समझ में आ गया, सच्चा मित्र वह होता है, जो अपने मित्र के सुख-दुख मैं उसका साथ दें।"फिर राजा बब्बर शेर चूहे मित्र को अपनी पीठ पर बिठाकर अपने जंगल की तरफ चल देता है।
कहानी का संदेश;
मित्रता का अर्थजो संकट के समय आपका साथ दे।जब आपको अपने मित्र की सबसे ज्यादा जरूरत हो वह आपको समय दे। और हर समय आपके लिए समर्पित रहे। और आप जब किसी समय गलत रास्ते पर जाए तो वह आप का विरोध करें।