6
पेपर
निहाल के घरवाले उसका इंतज़ार कर रहें है, अब उन्होंने उसे फोन भी लगाया पर उसने नहीं उठाया तो उन्हें उसकी चिंता होने लगी I सरला ने अपन पति लक्ष्मण प्रसाद को कहा कि वह निहाल के बारे में पता करें, अब उन्होंने उसके भाई किशोर को भेजा, वह पूरे गॉंव में घूमता हुआ उसे ढूंढने लगा, फिर सोमेश और किशन से पूछने के बाद, वह नंदन के घर गया तो उसने भी मना करते हुए कहा, “हम सब तो साथ निकले थें और वह गली के मोड़ तक निहाल के साथ थाI यह सुनकर तो किशोर और परेशान हो गया, उसे ऐसे देखकर, नंदन भी उसके साथ निहाल को खोजने निकल पड़ा I
एक घंटे की तफ़्तीश के बाद, जब वह नहर की तरफ गए तो उन्हें निहाल वहाँ पड़ा मिला, उसकी साँसे अब भी हल्की-हल्की चल रही है I दोनों उसकी और लपके, निहाल तू ठीक तो है? अब नंदन ने जल्दी से अपने भाई को फ़ोन किया तो वह ट्रेक्टर लेकर आ गयाI किशोर ने भी घर फ़ोन करकर घरवालों को अस्तपताल पहुँचने ले लिए कहा I जिले के यशोधरा अस्पताल में उसे एडमिट करवाया गया I करीब आधे घंटे की मेडिकल जाँच के बाद, डॉक्टर ने उन्हें निहाल की हालत के बारे में बताया,
देखिए, वैसे कोई खतरे की बात नहीं है, मगर शरीर पर कुछ चोट लगने के साथ-साथ दाए पैर की हड्डी टूट गई है इसलिए .......
उसकी माँ ने बिलखते हुए बीच में बोल पड़ी, “हे भगवान!, यह क्या हो गया? लक्ष्मण प्रसाद ने उसे दिलासा दिया, पहले डॉक्टर साहब की पूरी बात तो सुन लें I
अब डॉक्टर ने दोबारा बोलन शुरू किया, “तीन महीने का प्लास्टर लगेगा बाकी दवाई और खानपान का ध्यान रखना I”
डॉक्टर!! इसे घर कब ले जा सकते हैं I दो घंटे बाद ले जाए I लक्ष्मण प्रसाद ने उन्हें हाथ जोड़कर धन्यवाद कहाI अब नंदन के ही ट्रेक्टर में उसे घर लाया गयाI रात तो उसके घर में किसी ने भी खाना नहीं खाया और सुबह होते ही वे सब नन्हें को घेरकर बैठ गए I “यह किसने किया? तूने किसी से लड़ाई की ? कल तू मेले में गया था, वहाँ कुछ हुआ था, क्या?
बापू आपने तो सवालों की झड़ी लगा दी I उसने अपने प्लास्टर लगे पैर को देखते हुए कहा I
तो फिर बताता क्यों नहीं?
मुझे खुद नहीं पता, उन्होंने मुँह ढका हुआ था, पीछे से आए और मुझे पकड़कर ले गए और नहर के पास ले जाकर मारने लगें I
अब अम्मा ने उसकी बलाएँ लेते हुए कहा, “ पता नहीं मेरे बेटे को किसकी नज़र लग गई I” “ बापू! हमें यह मसला पंचायत में उठाना चाहिए, अगर गॉंव का ही कोई है तो उसे सबक तो मिलना चाहिएI लक्ष्मण प्रासद को उसकी बात जँच गई I निहाल ने तो उन्हें मना भी किया, मगर वे नहीं माने और दोनों बाप बेटा, पंचायत में गुहार लगाने चल पड़े I
माखनलाल के साथ चार पंच और बैठे हैं और गॉंव के लगभग सभी छोटे-बड़े किसान और जमींदार गिरधारी चौधरी भी बैठा है I पंचो ने उनकी बात ध्यान से सुनी और कहा, “ भाई लक्ष्मण प्रसाद, अगर तुझे किसी पर कोई संदेह हो तो बता,
गॉंव के छोरा छोरी से तो ऐसी उम्मीद नहीं है, मगर आपसे विनती है कि गॉंव में भी अब नुक्कड़ और गली गली में कैमरा होना चाहिए I
बात तो तेरी सही है, मैं जिला अधिकारी से इस बारे में बात करूँगा पर अब इस मसले का कोई हल तो निकालना पड़ेगा I
तभी नंदन ने कहा, “ मुझे राजवीर और उसके दोस्तों पर संदेह है I” यह सुनकर सभी उसका मुँह ताकने लगा I राजवीर उसे देखकर चिल्लाया, “औए !! नंदू क्या बकवास कर रहा है, मैं मेले से सीधे अपने घर ही गया था I” “ मेरा छोरा ऐसी हिमाकत नहीं कर सकता और वो सही कह रहा है, वह घर में ही था,” गिरधारी भी चिल्लाया I “इस तरह दोषारोपण करने से मसले का हल नहीं होगा I अभी फिलहाल बात यही खत्म करते हैं, अगर कुछ लगेगा तो आगे फिर बैठक करेंगे I” माखनलाल की बात सुनकर सब उठकर जाने लगे तो वही राजवीर और गिरधारी निहाल के बापू, भाई और नंदन को घूरने लगे तभी लक्ष्मण प्रसाद ने हाथ जोड़कर उनके सामने से निकलने लगा I
निहाल ने नंदन को डाटा कि बिना सबूत के पंचायत में कुछ भी कहना ठीक नहीं है I किशोर ने गुस्से में मुठ्ठी भींचते हुए कहा, “मुझे भी इन सबके पीछे राजवीर ही लगता है I” “ ऐसा है, निहाल ठीक कह रहा है, हमें नहीं पता कि यह किसने किया है, इसलिए बेकार के इल्ज़ाम लगाना सही नहीं है, चलो, किशोर खेतो में भी चलना है I” अब वह बापू की बात सुनकर उनके साथ जाने लगाI
दिन बीतने लगे, निहाल का घर से निकलना बंद हो गया, इसलिए वह घर पर ही पढ़ने लगा I उसके दोस्त वहीं उससे मिलने आ जाते I तक़रीबन पूरा गॉंव ही उसका हालचाल पूछ गया है I उसकी माँ सरला डॉक्टर की बात मानते हुए उसे सुबह शाम दूध, पनीर, अंडा और अन्य पोष्टिक खाना खिलाकर मजबूत बनाने में लगी हुई है I
एक दिन शाम के समय सोना और रिमझिम नदी के किनारे बैठे गन्ने खा रहें हैं I तभी राजवीर अपने दोस्तों के साथ वहाँ आया तो रिमझिम ने मुँह बना लिया I वह चिढ़ते हुए बोला,
क्यों री रिमझिम, कोई मरा हुआ चूहा देख लिया क्या !!!
हाँ तुझे जो देख लिया, तभी सोना बोल पड़ी, “राज तुमने निहाल को मारा था?”
तेरा दिमाग ठीक है, सोना I मैं उस रात अपने घर में था, अपनी बहन दमयंती के साथ केरम खेल रहा था I वह चिल्लाया I
“लेकिन जिसने भी यह काम किया, बहुत बढ़िया किया I’ रघु की यह बात सुनकर रिमझिम ने पत्थर उसकी तरफ फेंका और सोना का हाथ पकड़कर बोली, “चल सोना, अब यहाँ नहीं रुकेंगे I
यार !! सबको उस नन्हे से हमदर्दी हो रही है I
“होने दें, मन तो मेरा बहुत था कि मेले की हरकत के बाद, उसकी खूब पिटाई करो I मगर यह काम किसी और ने कर दिया” राजवीर ने एक कंकड़ नदी में फेंकते हुए कहा I अब वे सब नदी में नहाने के लिए कूद गए, इस बात से अनजान की सोमेश ने उसकी यह बात सुन ली है I
रविवार का दिन है, नंदन उसके घर भागता हुआ आया, “क्या हुआ भाई? ऐसे हाँफ क्यों रहा है?” निहाल सरकार ने पेपर की तारीख़ की घोषणा कर दी, अगले महीने की छह तारीख को पेपर है I “क्या!! इतनी जल्दी?” जब उसने हाँ में सिर हिलाया तो उसने अपने टूटे हुए पैर की तरफ देखा तो उसका मुँह लटक गया और उसकी निराशा को उसके पास खड़ी उसकी बहन काजल और भाई किशोर ने भी भाँप लियाI “मुझे नहीं लगता, भाई इस हालत में पेपर दे पाएँगे” काजल धीरे से बुदबुदाई I