Nakal ya Akal - 3 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 3

The Author
Featured Books
  • नियती - भाग 33

    भाग 33इकडे मायरा अश्रू गाळत... डाव्या हातात ओढणी घेऊन डोळे प...

  • वाटमार्गी

    वाटमार्गी       शिदु देवधराच्या तांबोळातल्या कलमाना आगप फूट...

  • परीवर्तन

    परिवर्तन राजा चंडप्रताप नखशिखांत रक्‍ताने भरत्ला होता. शत्रू...

  • स्कायलॅब पडली

    स्कायलॅब पडली                           त्यावर्षी ११ जुनला श...

  • नियती - भाग 32

    भाग 32दोन्ही हातांनी त्यांनी धवल ला बदडायला सुरुवात केली.......

Categories
Share

नक़ल या अक्ल - 3

3

कौन झूलेगा?? 

 

 

बस वाले के ब्रेक लगाते ही चारों बस से उतर गए। सोमेश तो धीरे धीरे गॉंव  की तरफ  बढ़ने लगा, मगर निहाल  वही  रुककर सोनाली  और रिमझिम से बात करने लगा,  सोना ने उसकी तरफ देखते हुए कहा कि “क्यों, उस दिन की मार  से तुम्हारा  पेट नहीं भरा!!”

 

नहीं यार !! मैं किसी से लड़ाई करने में विश्वास नहीं रखता,  हाँ कोई मारे तो मैं जवाब लेने से भी पीछे नहीं हटता।

 

फिर ऐसा क्यों कह रहे हों ? रिमझिम  ने पूछा।

 

आज मेले में आऊँगी तो देख लेना।

 

उसने दोनों को एक  नज़र देखा और वहाँ से चला गया।

 

रिमझिम  ने सोना को कहा,  “निहाल तुझे  पसंद करता है ।“ मुझे तो सभी पसंद करते हैं उसने इतराते हुए ज़वाब  दिया।

 

निहाल और सोमेश अब साथ चलने लगे तो सोनाली और रिमझिम भी अपने रास्ते निकल गई।

 

सोनाली घर पहुँची तो उसने देखा कि उसके पिता गिरधर सिंह चारपाई पर बैठकर हुक्का पी रहें हैं,  उसका भाई गोपाल  गोशाला से गाय का दूध लेकर आया है,  उसकी बड़ी बहन है,  जो मायके रहने आई हुई हैं,  वह रसोई में खाना बना रही है। पाँच साल पहले दिमाग में बुख़ार चढ़ने के कारण उसकी माँ सावित्री की मौत  हो गई थीं। वह घर में  सबसे छोटी  है,  उसके  भाई गोपाल ने दसवीं तक पढ़ाई की हुई है। उसके बाप और भाई डेरी का काम देखते हैं। दो दो गोशाला है,  मुर्गियाँ,  भेड़े  और बकरियाँ भी पाली  हुई है। अपनी  ज़मीन किराए पर खेती करने के लिए दे रखी। बड़ी बहन निर्मला कानपूर  ब्याही हुई है। पिछले साल ही उसका ब्याह  हुआ है। उसने भी मुश्किल से दसवीं पास की है। 

 

अब वह सीधा अपने कमरे में चली गई। वह भी पुलिस  के पेपर की तैयारी कर रही हैं,  बापू  उसके लिए कोई अफसर दामाद  ही चाहते हैं। वह छोटी और पढ़ाई में  होशियार  होने के कारण  बापू की लाडली है,  उसकी घर में सुनी भी जाती है और मानी भी जाती है। वह अपने कमरे में जाकर निहाल  की बात सोचने लग गई, ‘निहाल दिखने में तो ठीक ठीक है,  पढ़ाई में भी होशियार है, अगर वह  पुलिस में लग जाता है तो पूरे गॉंव में उसका कितना रुबाब हो जायेगा और अगर कल को उसकी और मेरी  शादी हो गई तो मैं भी थानेदारनी हो जाऊँगी। फिर वह उसमें और राजवीर में तुलना करने लग गई। दिल तो यही चाह रहा है कि राजवीर पुलिस बने,  मगर दिमाग कह रहा  है कि  निहाल बनेगा, पर कोई इससे क्या फर्क पड़ता है चाहे कोई भी बने।  मुझे तो दोनों ही पसंद करते हैं इसलिए अंत में चुनना तो मुझे ही है, यह कहते हुए वह हँसने लग गई और फिर उसने कूलर चलाकर उसके सामने आराम से पसर गई।

 

 

निहाल नदी के किनारे पेड़ के नीचे बैठा,  आम खा रहा है। उसके पास कबूतर मंडरा रहें हैं। वह उनके सामने भी आम का गूदा डाल देता है,  वही बायीं  तरफ उसकी किताबें  रखी  हुई हैं,  उसने देखा कि नंदन हाथ में किताबें उठाए उसके पास  चला आ रहा है। “यार !! यह सवाल समझा  दें,” “अभी मैं आराम कर रहा हूँ,  आधे घंटे रुक सकता है तो रुक जा।“ अब नंदन ने भी उसकी बात मानते  हुए  आम खाने शुरू कर दिए।

 

आज मेले में जायेगा ?

 

बिल्कुल जाऊँगा।

 

अब उसने कल की बात छेड़ते हुए कहा,  “ज़रूर तूने कुछ सोचा  हुआ है, तेरा दिमाग तो लोमड़ी से  भी तेज़ चलता है।“ निहाल हँसा। निहाल ने उसे कुछ सवाल समझाएँ और फिर दोनों अपने घर की ओर निकल पड़े। दोपहर बाद निहाल सोकर उठा तो देखा कि घड़ी में छह बजे हैं,  वह जल्दी से तैयार होकर मेले की तरफ  जाने को हुआ तो बापू ने उससे कुछ बही खाते का काम पकड़ा दिया।  न चाहते हुए भी उस काम में उसका एक घंटा लग गया।

जब वह मेले  में  पहुंचा तो सोमेश, किशन और नंदन  ने उसे घेर लिया । “भैया! सभी आ गए है,  वह  देखो! सोनाली अपनी सहेलियों के साथ  घूम रही है।“ वह मुस्कुराया और उन सबको साथ लेकर घूमने लगा,  घूमते हुए उससे राजवीर और उसकी मंडली टकरा गई। गॉंव में साल भर त्योहार या ऋतुओं के अनुरूप मेले  लगते रहते हैं । यह गर्मी में आई बुद्ध पूर्णिमा पर लगने वाला मेला है। मेले में  व्यापारी और दूसरे गॉंव के लोग भी शिरकत करते हैं। मेले के लिए पैसा ग्रामीण कोष से आता है, जिसकी करता धर्ता पंचायत है। अब तो जिला अधिकारी भी इस मेले में  मुख्य अतिथि के रूप में बुलाये जाते हैं या फिर गॉंव का कोई लड़का या लड़की जो तरक्की कर गया हो,  उसे भी बुलाया जाता है। पिछले साल  कमल को बुलाया गया था,  वह इंजीनियर बनकर कोटा में रह रहा है।

 

“क्यों  नन्हें  मियाँ, मुझे सोना के साथ झूला झूलते देखने आए हो।“ उसने कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप वहाँ से खिसक गया। सोनाली अब हाथी की सवारी करने लगी तो नन्हें भी जल्दी से उसमे बैठ गया। गुलाबी रंग की झालेदार लंबी स्कर्ट और नील रंग के टॉप के साथ एक स्ट्रॉल में वह बेहद खूबसूरत लग रहीं  है। “आज अच्छी लग रही हो,”  काश !! मैं तुम्हारे लिए भी यह बात कह सकती।“ वह हँसी। तभी रिमझिम बोल पड़ी,  “अरे ! निहाल भी किसी से कम थोड़ी  न है।“ “थँक्स रिमझिम !! एक तुम ही हो जिसको मेरी कदर है,”  सोनाली ने मुँह बना लिया,  तभी हाथी के पैर में कुछ चुभा तो उसका बैलेंस ख़राब हुआ और सभी सवारियाँ  नीचे गिरते हुए चिल्लाने लगी। अब सोनाली  जमीन पर गिरती इससे पहले ही कोई उसके नीचे आ गया और उसे चोट लगने से बच गई। उसने देखा  तो निहाल  है,  वह उठी, उसने निहाल को धन्यवाद कहा और रिमझिम का हाथ पकड़कर वहां से चली गई।

 

 

यार लगी तो नहीं?  नंदन की आवाज़ है।

 

लग तो बहुत  पहले ही गई  थी। उसने अपने दिल पर हाथ रखते हुए ज़वाब दिया।

 

अब अँधेरा हो गया और मेले की रौनक में चार चाँद लग गए। सभी ख़ुशी से  मेले का आनंद ले रहें हैं। अब राजवीर  सोनाली के पास  आकर बोला,  “याद  है न उस बड़े वाले झूले  में  मेरे साथ बैठना है।“ बिल्कुल  याद है,  उसने थोड़ी दूर खड़े निहाल को देखकर कहा। “भाई भाभी  तो राजवीर के साथ बैठने जा रही  है।“ निहाल ने देखा तो उसकी त्योरियाँ चढ़ गई।  मगर फिर सामान्य होकर  बोला,  “देखता जा, क्या होता है।“