Hak hai sirf mera - 5 in Hindi Fiction Stories by simran books and stories PDF | हक है सिर्फ मेरा - 5

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हक है सिर्फ मेरा - 5

आहुति जेसे ही पीछे मुड़ कर देखती है तो वहा पर एक लड़का खड़ा था । जो काफी हैंडसम था । उसने इस वक्त डार्क ग्रे कलर का थ्री पीस सूट पहना था ।

उसका फेयर कलर , मस्कुलर बॉडी , चेहरे पर हल्की से बीयर्ड।

तभी वो लड़का सेल्समैन से कहते हुए : सुना नही तुमने मेने क्या कहा ये ड्रेस पैक करो ये mr वार्ष्णेय की होने वाली वाइफ के लिए है !

आहुति उस लड़के को गुस्से से देखते हुए : लगते तो आप एलिगेंट है , अच्छे खासे हैंडसैम है , फिर भी आपको तमीज नहीं है अगर कोई लड़की पहले ले चुकी है , तो उस पर आपका हक नही रहता है ।

वो लड़का गुस्से से : क्या मतलब है तुम्हारा की ये सब मै हु नहीं !

आहुति अपने हाथो को बांधते हुए : मुझे नही पता ये ड्रेस अब मेरी है !

वही वो लड़का सेल्समैन को इशारा करता है , सेल्समैन जेसे ही इशारा पाता है तो वही ड्रेस डमी से उतार कर पैक करने लगता है और उस लड़के के हवाले कर देता है ।




आहुति गुस्से से : देख लिया मेने इस शॉप में कितनी कस्टमर की सुनी जाती है । चलो रूही चले (

वही आहुति जाते हुए उस लड़के से : याद रखना जिंदगी में नजर मत आना ! जान से मार दूंगी !

वही वो लड़का गुस्से से : shut up ...




लेकिन आहुति वहा से चली गई थी ।

अब आगे !

आहुति जेसे ही उस स्टोर से वापिस आती है गुस्से से : कितना बदतमीज इंसान था ! लेनी थी ड्रेस तो आराम से भी ले सकता था !




रूही आहुति को देखते हुए : चल छोड़ ना यार ! ये लोगों की आदत होती है अमीरी का रोब झाड़ने की और वैसे भी ऐसे लोग बहुत आते जाते है ।




एक काम करते है जल्दी से ड्रेस ले लेते है फिर मैचिंग ज्वैलरी भी देख लेंगे और उसके बाद हील्स भी !

आहुति हा में सिर हिला देती है और सोचते हुए : लेकिन अब ले कहा से ! क्योंकि मुझे नही पता सामने वाले इंसान केसे है !

तो एक होने वाली बहु के लिए नाटक करना है तो कुछ वेस्टर्न तो नही देख सकते यार ! कुछ संस्कारी बहु टाइप देखना पड़ेगा !




अच्छा हुआ वो इंसान ही ले गया !




तभी आहुति को एक शॉप के बाहर ब्लैक कलर की ड्रेस दिखाई देती है जो अनारकली सूट में थी ! उसके ऊपर काफी अच्छे से वर्क किया हुआ था !

रूही जैसे ही देखती है आहुति की नजर कही पर रुकी है तो वो धीरे से आहुति के कान में कहते हुए : यार ये ड्रेस काफी अच्छी लग रही है ! यही ले लेते है !

आहुति भी जल्दी से हा में सिर हिला देती है और वो दोनो अगले ही पल एक शॉप में चली जाती है




उन दोनो ने जल्दी उस ड्रेस को ले लिया था । वो जेसे ही ड्रेस लेकर मैचिंग के इयरिंग्स देखने लगती है ।




रूही और आहुति ये काम भी जल्दी से करती है और वहा से निकल जाती है ।

उन दोनो ने शॉपिंग कर ही ली थी की आहुति जेसे ही मॉल से जाने लगती है तो किसी से टकरा जाती है ।

जिससे सारा सामान आहुति का नीचे गिर जाता है । लेकिन आहुति जिससे टकराई थी । वो और कोइ नही विघ्न था । वो आहुति को इग्नोर करते हुए आगे जाने लगता है तभी आहुति गुस्से से : कमाल के इंसान हो ! ठीक है शॉपिंग बैग्स उठाने में मदद नहीं कर सकते तो कम से कम एक सॉरी तो बोल ही सकते !

विघ्न इस वक्त फोन पर किसी से बात कर रहा था वो जेसे ही आहुति की बात सुनता है तो उसकी आंखे एक दम से छोटी हो जाती है । उसकी काली गहरी आंखे आहुति को ऊपर से नीचे स्कैन करती है ।

आज विघ्न ने भी डार्क ग्रे कलर का सूट पहना था । और अगले ही पल आहुति की आंखो में देखते हुए अपनी गहरी ठंडी आवाज में कहता है : mind your language "

आहुति जेसे ही ये सुनती है उसका गुस्सा हाई हो जाता है वो एक दम विघ्न की बाजू कसके पकड़ कर खींचती है। और गुस्से से उसकी आंखो में देखते हुए। : ओह हेलो mind your language से क्या मतलब है तुम्हारा ; मैनें तुम्हे कोई गाली दी ! नही ना फिर !




और अगले मिनट में चुटकी बजाते हुए : अगली बार अपने शब्दो को सोच कर। बोलना की क्या। बोल रहे हो समझे ! !

वहा का माहौल एक दम से गरम होने लग गया था । वही रूही को कुछ ठीक नहीं लग रहा था !

वो आहुति को खींचते हुए जिसने अभी तक विघ्न की बाजू को कसकर पकड़ा हुआ था : यार चलो ना ! ये अमीर लोग होते ही ऐसे है !




आहुति गुस्से से विघ्न की बाजू को छोड़ते हुए ; याद रखना अगली बार नजर नही आना जिंदगी में ! तुम जेसे 36 का रोज घमंड उतारती हु!

आहुति इस वक्त बहुत गुस्से में थी वही विघ्न बस आहुति को गुस्से से घूर रहा था ।

आहुति सिर्फ विघ्न के कंधे तक ही आ रही थी । वही विघ्न गुस्से से आहुति की कलाई को पकड़ता है और अगले ही पल मोड़ते हुए और दांत पीसते हुए कहता है : stay away from me !




वही वो अगले ही पल आहुति का हाथ गुस्से से झटकते हुए : दूर रहना मुझसे !




वो इतना ही बोलता है और गुस्से से अपने ब्लेजर को सही करते हुए चला जाता है।

वही रूही आहुति की कलाई पकड़ती है और उस पर धीरे धीरे हाथ फेरते : जाहिल इंसान था यार देखो तो एक मिनट ही पकड़ी थी ! कलाई केसे लाल हो गई है यार !

तुमसे कितनी बार कहा है किसी अमीर आदमी से पंगे मत लिया कर ! किसी दिन बुरा फस जाओगी आहुति ! और तुम भूल जाती हो क्या अगर तुम्हारी दादी और पापा को भनक भी लग गई ना तो तुम्हारा जीना हराम कर देंगे यार!

आहुति चिढ़ते हुए : बस कर यार ! तुझे दिख नही रहा है क्या मै गुस्से में हू! मन तो कर रहा है इस आदमी के पीछे जाकर इसकी जान ले लू । अच्छा खासा हैंडसम है लेकिन मुंह में कड़वी जुबान और नाक पर गुस्सा!




क्या होगा अब आगे !? क्या होगा जब विघ्न और आहुति डिनर पर मिलें

गे ! क्या करेगी आहुति तब ! जानने के लिए पढ़ते रहिए hak hai sirf mera !!