Hak hai sirf mera - 4 in Hindi Fiction Stories by simran books and stories PDF | हक है सिर्फ मेरा - 4

The Author
Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

Categories
Share

हक है सिर्फ मेरा - 4

आहुति बिना सोचे समझे हा में सिर हिला देती है : ठीक है वो मुझे फरक नही पड़ता बस आप मुझे मेरे पैसे टाइम से देते रहना !

जानवी जी हा में सिर हिला देती है और अगले ही पल धीरे से : तुम्हे मेरी बेटी की जगह लेनी है जो उस घर की होने वाली बहु है । और एक बात ; कल डिनर है तुम्हारे होने वाले ससुराल में तो कल शाम को यहां आना । मै तुम्हे सब समझाऊंगी । ठीक है ।

आहुति बस हा में सिर हिला देती है ।

आपकी बेटी का नाम क्या है ?

जानवी जी धीरे से : मै तुम्हे सारी इनफॉर्मेशन ईमेल कर रही हू । तो देख लेना !

और साथ में कॉन्ट्रैक्ट भी तो साइन कर देना ।

आहुति बस हा में सिर हिला देती है !!

अब आगे ......

आहुति जेसे ही जाने वाली होती है तभी एक पीछे से एक गहरी आवाज आती है : एक बात याद रखना आहुति ! विघ्न बहुत तेज है हो सके तो अपनी आइडेंटिटी छुपा कर रखना ! अगर उसे पता चला तो वो हमारे साथ साथ तुम्हे भी बरबाद कर देगा !

वो जेसे ही ये सुनती है तो अपने बालो को अपने हाथो से पीछे करती है और अपनी आंखे छोटी करते हुए कहती है : फिलहाल Mr सात्विक मेहता ... अभी तक ऐसा कोई पैदा नहीं हुआ है जो आहुति को बरबाद कर सके ।

आहुति वो चिंगारी है जिसके आहुति देने से आग की लपटे बढ़ जाती है ।

ये और कोई नही सात्विक मेहता है । जानवी जी के पति ! उनके भी चेहरे पर इस वक्त झुरियां आ चुकी थी । इस वक्त उन्होंने ब्लैक कलर का थ्री पीस सूट पहना था ।

गले में टाई! पैरो में ब्लैक शूज !

सात्विक जी मुस्कुराते हुए : i like your confidence!

आहुति बस थोड़ा सा मुस्कुरा देती है और जेसे ही अपने कदम जाने के लिए बढ़ाती है वैसे ही सात्विक जी आहुति को रोकते हुए : आहुति ....

आहुति जेसे ही अपना नाम सुनती है तो एक दम से वही रूक जाती है और एक दम से पीछे मुड़ कर देखती है ।

सात्विक जी आगे कहते हुए : चाय पीकर जाओ साथ में हम ये बात भी आज ही कर लेते है कि क्यों तुम ये नाटक कर रही हो ! मेरी बेटी की जगह क्यों ले रही हो !

आहुति ना में सिर हिला देती है और धीरे से : i am sorry अंकल लेकिन हमें वजह जानने के कोई जरूरत नहीं है ! हमारा ये काम है ! और अगर आप चाहते है तो ईमेल में भेज दीजिएगा !

अगले ही पल वो अपनी वॉच में टाइम देखते हुए कहती है : अभी हमे एक और जरूरी काम के लिए जाना है

सात्विक जी बस हा में सिर हिला देते है और वही आहुति एक सेकंड भी बिना वेस्ट किए वहा से चली जाती है ।

वही सात्विक जी धीरे से जानवी जी की तरफ देखते हुए कहते है : कहा से ढूंढी ये लड़की ! शकल से मासूम लेकिन दिमाग से चालक ! कोई भी इससे खेल नहीं सकता !

जानवी जी मुस्कुराते हुए कहती है : बच कर रहिएगा आप ! अगर इसे कुछ भनक भी लग गई ना तो आपका काम करना तो दूर की बात है ये फोन भी उठा लेगी ये भी नही पता । और गुस्से से बहुत तेज है ।

सात्विक जी धीरे से : काश आज हमारी बेटी .....…..

वो ये बोल ही रहे थे कि जानवी जी बीच में टोकते हुए ; आप क्यू बार बार याद करते है ।

सात्विक जी की आंखो में आंसू आ गए थे तो वही जानवी जी धीरे से : चलिए नाश्ता करते है वैसे भी हमारा मूड बहुत अच्छा है !!

सात्विक जेसे ही जानवी जी की बात सुनते है वैसे ही मुस्कुराते हुए : क्यों नही !!

आखिर आप खुश क्यों नहीं होंगी !

वही दूसरी और !

आहुति इस वक्त एक मॉल के बाहर खड़ी थी और गुस्से से एक लड़की को घूर रही थी जिसने इस वक्त व्हाइट कलर की जींस और ब्लैक कलर का टॉप पहना था ।

जिसके बाल कंधे तक आ रहे थे ।

वो लड़की आहुति को हग करते हुए : यार गुस्सा मत हो , थोड़ी सी तो लेट हुई हू

आहुति उस लड़की को खुद से दूर करते हुए : यार रूही तुझे पता है ना अगर मै टाइम से घर नही पहुंची तो दादी मेरा जीना हराम कर देंगी !

रूही हस्ते हुए : यार कुछ नही हो सकता तेरी दादी का ! मुझे तो लगता है तेरी दादी तेरी शादी जल्दी करवा कर रहेंगी।

आहुति : नही यार ,मुझे नही करनी और अगले ही पल वो रूही का हाथ पकड़ते हुए : चल शोपिंग करे ! जल्दी करते है क्योंकि मुझे एक ड्रेस देखनी है जो एक डिनर के लिए भी बेस्ट हो !

रूही जल्दी से हा में सिर हिला देती है । और अगले ही पल आहुति के साथ चलने लगती है। वो जेसे ही एक शॉप में जाती है । उसके चेहरे पर चमक आ जाती है । क्योंकि डमी पर एक ब्लैक कलर की ड्रेस खड़ी थी। जो काफी एलिगेंट लग रही थी ।

रूही आहुति से कहते हुए : यार ये ड्रेस बेस्ट है ! तेरे डिनर के लिए क्यों!

आहुति भी हा में सिर हिला देती है तभी सेल्समैन जो पास में था वो धीरे से : तो क्या मैम मै इसे पैक कर दू.

आहुति : हा आप कर दीजिए !

लेकिन तभी एक रौबदार आवाज आती है : इस ड्रेस को अब हम लेंगे !

आहुति जेसे ही पीछे मुड़ कर देखती है तो वहा पर एक लड़का खड़ा था । जो काफी हैंडसम था । उसने इस वक्त डार्क ग्रे कलर का थ्री पीस सूट पहना था ।

उसका फेयर कलर , मस्कुलर बॉडी , चेहरे पर हल्की से बीयर्ड।

तभी वो लड़का सेल्समैन से कहते हुए : सुना नही तुमने मेने क्या कहा ये ड्रेस पैक करो ये mr वार्ष्णेय की होने वाली वाइफ के लिए है !

आहुति उस लड़के को गुस्से से देखते हुए : लगते तो आप एलिगेंट है , अच्छे खासे हैंडसैम है , फिर भी आपको तमीज नहीं है अगर कोई लड़की पहले ले चुकी है , तो उस पर आपका हक नही रहता है ।

वो लड़का गुस्से से : क्या मतलब है तुम्हारा की ये सब मै हु नहीं !

आहुति अपने हाथो को बांधते हुए : मुझे नही पता ये ड्रेस अब मेरी है !

वही वो लड़का सेल्समैन को इशारा करता है , सेल्समैन जेसे ही इशारा पाता है तो वही ड्रेस डमी से उतार कर पैक करने लगता है और उस लड़के के हवाले कर देता है ।

आहुति गुस्से से : देख लिया मेने इस शॉप में कितनी कस्टमर की सुनी जाती है । चलो रूही चले (

वही आहुति जाते हुए उस लड़के से : याद रखना जिंदगी में नजर मत आना ! जान से मार दूंगी !

वही वो लड़का गुस्से से : shut up ...

लेकिन आहुति वहा से चली गई थी

क्या होगा अब आगे ? जानने के लिए पढ़ते रहिए hak hai sirf mera