Hak hai sirf mera - 3 in Hindi Fiction Stories by simran books and stories PDF | हक है सिर्फ मेरा - 3

The Author
Featured Books
Categories
Share

हक है सिर्फ मेरा - 3

अगली सुबह ;

आहुति जेसे ही अपने घर से बाहर जाने लगती है वैसे ही विश जी रोकते हुए : ए लड़की .... सुबह सुबह कहा जा रही है अब !

आहुति जेसे ही घर से बाहर कदम रखने लगती है तो उसे विष जी की आवाज सुनाई देती है अगले ही पल वो गुस्से से चिढ़ते हुए विष जी की तरफ देखती है : आपको पता है जैसा आपका नाम है ना वैसी ही आपकी जुबान है । मै जब भी कोई काम करने जाति हू और जो आप टोकती है ना पीछे से उस दिन सारे काम मेरे खराब होते है ।

विश जी गुस्से से : बस बहुत हुआ ! कल से देख रही हू मुझसे जुबान लड़ा रही है ।

मुझे चाय पीनी है चाय बनाकर दे।

आहुति ने इस वक्त लैवेंडर कलर का सूट पहना था । हल्का सा मेकअप । उसकी पलके गुस्से से विष जी को देख रही थी ।

लेकिन अगले ही पल वो अपने दुप्पटा को गले तक सही करते हुए : मेरा इंटरव्यू है चाय आप अपने बेटे से कहे अच्छे से बनाकर देंगे वो ।

और एक बाद दादी । मुझसे दूर रहिएगा ! मै जब जब आपकी शकल देखती हूं ना तो नफरत होती है मुझे आपसे !

आहुति इतना ही कहती है और गुस्से से वहा से चली जाती है ।

वो अपनी कार को स्टार्ट करती है और चुप चाप वहा से चली जाती है । लेकिन इस वक्त आहुति की आंखो में गुस्सा साफ साफ दिख रहा था । वो कार को हाई स्पीड पर चला रही थी । कि तभी एक दम से आहुति का फोन बजने लगता है । वो जेसे ही फोन को पैसेंजर सीट से उठाती है ।

तो अगले ही पल कॉल कट हो जाती है लेकिन आहुति जेसे ही सामने देखती है तो एक कार हाई स्पीड से आगे आ रही थी । आहुति आंखे एक दम से बड़ी हो जाती है ।

वो एक झटके से स्टेयरिंग व्हील को घुमा देती है इससे पहले वो दोनो कार आपस में टकराती । आहुति की कार सीधा साइड में पेड़ से टक्कर खाने ही वाली थी कि कार एक दम से रूक जाती है ।

आहुति गहरी सांसे ले रही थी । उसने अपने दिल पर हाथ रख लिया था जो तेजी से धड़क रहा था ।

वो धीरे से कार का डोर ओपन करती है और एक दम से बाहर निकल जाती है । लेकिन आहुति की नजर जैसे ही उस कार पर जाति है जो उससे टकराने वाली थी उसकी आंखे एक दम से बड़ी हो जाती है ।

क्योंकि ब्लैक कलर की कार अब किसी और कार से टकरा गई थी ।

आहुति खुद से अपना सिर झटकते हुए कहती है : शायद इस कार की किस्मत में ही लिखा था कि इसे टकराना है चाहे किसी से भी ।

अगले ही पल आहुति जल्दी से उस कार के पास जाती है ।

आहुति उस कार के पास जाते हुए : देखे तो सही ठीक है या नही वो इंसान ।

लेकिन इससे पहले आहुति पहुंच पाती वो कार एक झटके से स्टार्ट होती है और दूर चली गई थी ।

आहुति का चेहरा उस कार के मिरर में दिख रहा था लेकिन अगले ही पल वो गुस्से से : इंसान को इतनी भी क्या जल्दी होती है !!

भगवान ही जाने !

कुछ देर बाद ........

आहुति एक बड़े से विला के सामने खड़ी थी । वो कोई घर नही एक बड़ा सा विला लग रहा था । जो काफी खूबसूरत था ।

वो जेसे ही उस घर को देखती है तो सीधा अंदर चली जाती है । आहुति खुद से मुस्कुराते हुए कहती है : काश ऐसा घर मेरे पास भी होता !

कितना सुंदर है बाहर से !!

तो अंदर से कितना सुंदर होगा ।

तभी एक आवाज आती है : ऐसा घर तुम्हारा भी हो सकता है ! बस तुम्हे मेरा काम अच्छे से करना होगा ।

आहुति जेसे ही उस तरफ देखती है तो वहा पर एक औरत खड़ी थी । जिसने इस वक्त ब्लू कलर की साड़ी के साथ ब्लू कलर का ब्लाउज ; उनके बालो का बन बना हुआ था !

उनके चेहरे पर इस वक्त जूरियाँ थी गले में डायमंड का नेकलेस और वही बैंगल्स भी डाल रखी थी ।

आहुति आंखे छोटी करते हुए और अपने हाथो को पीछे करते हुए आगे जाती है और अगले ही पल चुटकी बजाते हुए कहती है : ये बात तो हम बाद में करेंगे पहले तो एक काम जरूरी है ! एक कॉन्ट्रैक्ट बनवाइए जिसमे लिखा हो आप मुझे दो से जायदा बार कॉल नहीं करेंगी ।

वो औरत गुस्से से : क्या बकवास कर रही हो ।

आहुति चिढ़ते हुए : आपको पता भी है आप कितना इरिटेट करती है फोन पे फोन ... मै सीरियसली एक दिन में पक गई mrs जानवी मेहता !

जानवी जी गुस्से से : देखो मुझे टेंशन हो रही थी इसीलिए फोन किया कि तुम कही बात से पीछे ना हट जाओ ।

आहुति जेसे ही ये सुनती है वैसे ही गहरी सांस लेते हुए : देखिए जानवी जी ... हम जो भी काम लेते है ये हम करते है और रही बात हमे सिर्फ नाटक ही तो करना है तो हम पीछे क्यों ही हटते ।

अगले ही पल जानवी जी बीच में टोकते हुए : नही आहुति ... तुम्हे नाटक तो करना है लेकिन .....

आहुति हैरानी से : लेकिन क्या .....

जानवी जी आहुति की आंखो में देखते हुए : तुम्हे नाटक के साथ साथ दूसरी पार्टी से हमारे कहे मुताबिक कुछ चीज़ें वापिस लेना है जो हमारी थी ।

आहुति बिना सोचे समझे हा में सिर हिला देती है : ठीक है वो मुझे फरक नही पड़ता बस आप मुझे मेरे पैसे टाइम से देते रहना !

जानवी जी हा में सिर हिला देती है और अगले ही पल धीरे से : तुम्हे मेरी बेटी की जगह लेनी है जो उस घर की होने वाली बहु है । और एक बात ; कल डिनर है तुम्हारे होने वाले ससुराल में तो कल शाम को यहां आना । मै तुम्हे सब समझाऊंगी । ठीक है ।

आहुति बस हा में सिर हिला देती है ।

आपकी बेटी का नाम क्या है ?

जानवी जी धीरे से : मै तुम्हे सारी इनफॉर्मेशन ईमेल कर रही हू । तो देख लेना !

और साथ में कॉन्ट्रैक्ट भी तो साइन कर देना ।

आहुति बस हा में सिर हिला देती है !!

क्या होगा अब आगे ? क्यों जानवी जी किसी और को अपनी बेटी का रोल प्ले करने के लिए बोल रही है ? क्या होगा आगे ? जानने के लिए पढ़ते रहिए hak hai sirf mera