Hak hai Sirf Mera - 2 in Hindi Fiction Stories by simran books and stories PDF | हक है सिर्फ मेरा - 2

The Author
Featured Books
  • शून्य से शून्य तक - भाग 40

    40== कुछ दिनों बाद दीनानाथ ने देखा कि आशी ऑफ़िस जाकर...

  • दो दिल एक मंजिल

    1. बाल कहानी - गलतीसूर्या नामक बालक अपने माता - पिता के साथ...

  • You Are My Choice - 35

    "सर..."  राखी ने रॉनित को रोका। "ही इस माई ब्रदर।""ओह।" रॉनि...

  • सनातन - 3

    ...मैं दिखने में प्रौढ़ और वेशभूषा से पंडित किस्म का आदमी हूँ...

  • My Passionate Hubby - 5

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन...

Categories
Share

हक है सिर्फ मेरा - 2

तभी दूसरी तरफ से एक औरत की आवाज आती है : क्या तुम मेरी एक बार बात सुनोगी ! तुम्हे कल एयरपोर्ट नही जाना है सीधा मेरे घर आना है । वो विघ्न वार्ष्णेय ने मना कर दिया है तुम्हे एयरपोर्ट से लाने से ।

तुम कल सुबह ही आ जाना । हम कुछ जरूरी बाते करेंगे यहां।

वो औरत इतना ही कहती है और झट से फोन को कट कर देती है ।

वही आहुति गुस्से से ; क्या ड्रामा लगा रखा है । दिमाग ही खराब कर दिया है सुबह से ।

अब आगे !

कुछ देर बाद .....

आहुति एक छोटे से घर के सामने आकर अपनी कार रोक देती है और अगले ही पल कार से निकल कर उस घर के अंदर चली जाती है ।

वो अपने आप से कहते हुए : सारा दिन क्लाइंट दिमाग खराब करते है अब घर में भी शांति नहीं मिलेगी । बाहर तक शोर आ रहा है ।

तो वही घर से गुस्से से भरी चिल्लाते हुए आवाज आ रही थी : तुम्हारी बीवी के जाने के बाद देख लो ये लड़की हमारे काबू में नहीं रह गई है ! पता नही क्या क्या करती होगी ! पूरे दिन घर से बाहर रहती है । अब खुद ही देख लो इतनी रात हो गई है लेकिन मजाल है ये लड़की घर आ जाए । मै तो शुरू से ही कहती हु कि शादी करवा दो इसकी।

लेकिन मेरी कोई सुनता ही कहा है ।

तभी एक आदमी की भी आवाज आती है वो भी गुस्से से ; अम्मा सारा दिन आप घर पर रहती है । आप नजर नही रख सकती क्या उस पर ।

आहुति ये सब सुन ही रही थी वो धीरे से अपने लंबे लंबे कदमों से घर के अंदर जाति है और धीरे से कहते हुए : हां दादी क्यों नही ! आप मुझ पर नजर क्यों नही रख लेती ! आखिर मै इस घर की बेटी थोड़े ना हु ? जो मुझ पर नजर ना रखी जाए ।

वो औरत और कोई नही आहुति की दादी ( विश रॉय) थी । उनका फेयर कलर पर झुरियां थी । उनकी स्किन भी ढीली हो चुकी थी । सिर पर सफेद बाल । कानों में सोने के छोटे इयरिंग्स। उनके कान भी लटक रहे थे ।

उन्होंने ने इस वक्त लाइट व्हाइट कलर की साड़ी पहनी थी जिसमे ब्लू कलर के छोटे छोटे फूल थे ।

विश जी गुस्से से आहुति को देखते हुए : तो क्या करू ? सुबह से अपनी दोस्त के घर गई हो ? ह बोलो !

तभी जो आदमी आहुति को गुस्से से घूर रहा था वो भी आहुति पर चिल्लाते हुए कहते है : और ये कार किसकी है ! नंबर दो उस दोस्त का जो रोज तुम्हे इस कार की देखभाल करने के लिए दे देता है ।

ये और कोई नही आहुति के पापा ( दक्ष रॉय) थे । दक्ष जी इस वक्त 60 साल के हो चुके थे । उनके सिर पर भी व्हाइट बाल आने शुरू हो गए थे

आहुति एक दम से रूक जाती है और धीरे से अपने फोन में एक नंबर मिला कर देती है । उसके माथे की लकीरें एक साथ आ गई थी । उसका दिल तेजी से धड़क रहा था ।

अगले ही पल कॉल उठा ली जाती है !

तो वही दूसरी तरफ से आवाज आती है : हा आहुति बोलो ....

कॉल पर एक लड़की थी तभी दक्ष जी प्यार से बात करते हुए : बेटा तुमने अपनी कार आहुति को क्यों दी है !

दक्ष जी जेसे ही ये पूछते है तो अगले ही पल वो लड़की थोड़ा रुक कर जवाब देती है : अंकल वो आज रात को ही मै बाहर जा रही हू तो मेने आहुति को कहा था कि जब... तक मै वापिस नही आ जाती वो कार संभाल ले!

अंकल मै आपको थोड़ी देर कॉल करती हु मम्मा बुला रहे है ।

वो लड़की जल्दी से फोन कट कर देती है ।

ये और कोई नही आहुति की दोस्त रूही थी ।

तभी आहुति गुस्से से अपना फोन खींच लेती है और एक गहरी सांस लेते हुए : आप लोगों को मुझ पर विश्वास तो है नही ! एक काम क्यों नहीं करते मुझे मार क्यों नहीं देते ..

रुकिए आप दोनो रोज की चिक चिक से मै परेशान हो गई हू । आज मैं खुद को खतम ही कर लेती हू ।

आहुति जेसे ही बोलती है तो किचन से जाकर मिट्टी का तेल ले आती है और अपने ऊपर छिड़कने लगती है ।

वही दक्ष जी और विष जी हैरानी से देख रहे थे । कोई भी आगे नहीं बोल रहा था ।

आहुति गुस्से से बॉटल को साइड में फेंकती है और जेसे ही माचिस को आग लगने वाली होती है दक्ष जी गुस्से से : बस अपनी नौटंकी बंद करो और ऊपर कमरे में जाओ ।

तो वही आहुति चिढ़ते हुए : मरने दो आप मुझे .। कम से कम ऊपर जाकर मम्मा से ये तो कहूंगी की उनका पति उनके पीछे से उनकी बेटी को ही नही संभाल पाया ।

वो माचिस को साइड में फेंकती है और गुस्से से विष जी को उंगली दिखाते हुए : अगर आप मेरा तांडव नहीं देखना चाहती है ना तो सुधर जाइए आप । वर्ण खुद को सच में आग लगा लूंगी । और एक बात मेरी शादी कब होगी और कब नही होगी । ये मै खुद देख लूंगी । आप मां बेटे को मेरी जिंदगी में दखल देने की जरूरत नहीं है ।

आहुति इतना ही बोलती है और गुस्से से अपने कमरे में चली जाती है ।

आहुति का घर जायदा बड़ा नही था । बस एक छोटा सा घर था । तो वही दक्ष जी एक छोटी सी प्राइवेट नौकरी करते थे ।

आहुति जेसे ही रूम में जाती है तो विष जी गुस्से से दक्ष जी को देखते हुए : देखा तूने केसे बात करती है मुझसे ! आज तक इस घर में किसी की हिम्मत नही होती थी । लेकिन ये लड़की ...




वो इतना ही कहती है और वहा से चली जाती है । वही दक्ष जी को कुछ ठीक नहीं लग रहा था । लेकिन वो भी बस गुस्से से अपने कमरे में चले जाते है ।

आहुति वाशरूम से शावर लेकर आती है । तो उसके फोन पर कॉल आने लगती है

। वो टॉवल को बेड पर फैंकते हुए फोन को अपने हाथ में लेती है और कॉल पिक करते हुए : थैंक्स यार । बचा लिया आज तूने ।

तो वही रूही : यार तेरी कार है तू सब को बता क्यों नही देती ।

आहुति अपने सिर को अपनी उंगलियों से दबाते हुए : यार क्या बताऊं । अगर इनको पता चला ना तो मेरी जान निकाल देंगे । आज तो मरने की धमकी भी दे आई हु ।

रूही भी धीरे से : हा.. चल गुड नाईट ...

आहुति बस हा में सिर हिला देती है और फोन को कट कर देती है

क्या होगा अब आगे ? क्यों करती है आहुति अपने ही पापा और दादी से ऐसे बात ? क्या होगा जब ये सच सामने आएगा की आहुति

नाटक करती है दूसरो की गर्लफ्रेंड बनने का ? जानने के लिए पढ़ते रहिए hak hai sirf mera