पायल तेज़ी से दौड़ती हुई संजीव के पास पहुँची। उसका हताश-निराश चेहरा देखकर पायल की घबराहट बढ़ती जा रही थी।
उसने टीटी महोदय की तरफ आशंका भरी नजरों से देखते हुए उनसे पूछा "सर, आपने मेरे पति को इस तरह क्यों पकड़ रखा है? सर ये बहुत सीधे हैं, आपको कोई गलतफहमी हुई होगी। ये कोई अपराध कर ही नहीं सकते हैं मेरा भरोसा कीजिये।"
"मैडम मैंने ये कब कहा कि आपके पति ने कोई अपराध किया है? मैंने तो इन्हें इसलिए पकड़ रखा है ताकि दोबारा आवेश में आकर ये कोई गलत कदम ना उठा लें।" टीटी महोदय की बातों ने पायल को एक बार फिर से असमंजस में डाल दिया था।
वो संजीव से सवाल करने ही जा रही थी कि उसे ख्याल आया यहाँ प्लेटफार्म पर संजीव अकेला था, अमारा उसके साथ नहीं थी।
"अमारा... अमारा कहाँ है संजीव? मेरी बेटी कहाँ है? पहले इस सवाल का जवाब दो मुझे, तब मैं कुछ और पूछूँगी तुमसे।" पायल की रुँधी हुई आवाज़ से जैसे संजीव को बिजली का एक जोरदार झटका लगा।
थरथराती और काँपती हुई आवाज़ में पायल से नज़रें चुराते हुए संजीव ने कहा "हमारी अमारा कहीं चली गई है पायल। मुझे नहीं पता ये कैसे हुआ लेकिन वो मेरी नज़रों के सामने ही गायब...।"
"तुम पागल हो गए हो क्या संजीव? क्या बक रहे हो? अमारा सिर्फ दस साल की है और मेरी बच्ची ने मुझसे वादा किया था कि घर से बाहर वो कोई शैतानी नहीं करेगी। वो मुझसे झूठा वादा नहीं करती है संजीव जानते हो ना तुम। फिर वो कैसे अकेले कहीं जा सकती है वो भी बीच रास्ते में ट्रेन से उतरकर।
सच बताओ कहाँ है अमारा?"
"मैं सच कह रहा हूँ पायल, अमारा गायब हो गई है और मैं नहीं जानता कि कहाँ और कैसे?"
"शायद तुम्हारी आँख लग गई होगी संजीव और वो वाशरूम की तरफ जाते हुए दूसरे डिब्बे में भटक गई होगी।
तुमने उसे ढूँढ़ा क्यों नहीं? यहाँ क्यों चले आये तुम?"
"वो ट्रेन के किसी डिब्बे में नहीं थी पायल। तुम्हें क्या लगता है मैंने उसे ढूँढ़ा नहीं होगा? मैं तो उसके पीछे कूदकर जंगल मे भी जा रहा था लेकिन वहाँ मौजूद सारे लोगों ने मुझे चलती ट्रेन से कूदने नहीं दिया।"
"क्या? जंगल? अमारा जंगल में है? कैसे? तुम क्या बोल रहे हो संजीव? मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
तुम और तुम्हारी बेटी, तुम दोनों मेरे साथ प्रैंक कर रहे हो ना ताकि मैं डर जाऊँ, घबरा जाऊँ और अमारा को सैनिक स्कूल नहीं जाना पड़े।
यही बात है ना। देखो मैं मानती हूँ कि मैं थोड़ी ज्यादा महत्वकांक्षी हूँ लेकिन इसमें अमारा की भलाई ही है ना।
फिर भी... फिर भी अगर उसे वहाँ नहीं जाना है तो मैं अब उसे नहीं भेजूँगी लेकिन उसे मेरे सामने लेकर आओ संजीव। मेरा दिल बैठा जा रहा है।
अमारा... अमारा सामने आओ बेटा। बस करो अब। मम्मा मर जाएगी बेटा तुम्हारे बिना। अमारा...।"
अँधेरी गुफा में अचानक अमारा को महसूस हुआ जैसे उसकी मम्मा दर्द से चीखती हुई उसे पुकार रही है, लेकिन आस-पास अंधेरे के सिवा उसे कुछ भी नज़र नहीं आया।
"मम्मा... तुम बुला रही हो ना अपनी अमारा को। लेकिन मैं कैसे आऊँ मम्मा। आकर मुझे ले जाओ यहाँ से मम्मा।
मम्मा...।"
गुफा से सैकड़ों मिल दूर स्टेशन के प्लेटफार्म पर अपनी बेटी को तलाशती हुई पायल को भी ऐसा लगा जैसे अभी-अभी अमारा ने रोते-रोते उसे पुकारा हो।
टीटी महोदय जो अभी तक ख़ामोश खड़े संजीव और पायल की बात सुन रहे थे अब उन्होंने पायल की तरफ अपने मोबाइल की एक ऑडियो फ़ाइल जो उन्हें संजीव के ट्रेन में मौजूद टीटी महोदय से मिली थी और अमारा की गुमशुदगी से संबंधित रिपोर्ट जो रेलवे थाने में दर्ज की गई थी उसकी एक कॉपी बढ़ाई।
रिपोर्ट पढ़ती और ऑडियो फ़ाइल में रिकॉर्ड किये हुए चश्मदीदों के गवाहों को सुनती हुई पायल को ऐसा लगा जैसे उसके पैरों के नीचे से धरती खिसक रही है और ऊपर आसमान फटकर उसके सर पर गिरा जा रहा है।
"देखिये मैडम मुझे पता है ये आपके और आपके पति के लिए बहुत ही मुश्किल घड़ी है। फिर भी आप दोनों स्वयं को संभालिये। पुलिस आपकी बेटी को जरूर तलाश कर लेगी।" टीटी महोदय ने पायल को सांत्वना देते हुए कहा तो पायल ने बस खामोशी से अपने हाथ जोड़ लिए और धीमे शब्दों में संजीव से कहा "घर चलो।"
प्लेटफार्म से बाहर की तरफ बढ़ते हुए उन दोनों के कदमों को देखकर ऐसा महसूस हो रहा था मानों वो पत्थर की बेजान मूर्ति हों जिन्हें किसी तरह घसीटते हुए आगे की तरफ ले जाया जा रहा हो।
घर पहुँचने के बाद पायल गुमसुम सी अमारा के कमरे की तरफ बढ़ गई।
कमरे की एक-एक चीज से उसे अमारा की आवाज़ आती हुई महसूस हो रही थी।
बिस्तर पर एक सफेद रंग के टेडीबियर को देखकर सहसा पायल के कानों में अमारा की आवाज़ गूँजी "ओहो मम्मा अगर मैं भूल जाऊँ तो तुम इस टेडी को अलमारी में रख दिया करो ना वरना ये गंदा और खराब हो जाएगा।"
"मैं अभी रख देती हूँ बेटा। अभी रख देती हूँ।" बड़बड़ाती हुई पायल ने टेडीबियर उठाकर उसे रखने के लिए जैसे ही अलमारी खोली उसके पैरों के पास एक फ़ाइल आकर गिरी।
पायल ने उस फ़ाइल को उठाया और अलमारी बंद करके बिस्तर पर बैठते हुए फ़ाइल के कवर को खोलने लगी।
उस फ़ाइल के अंदर मात्र दो कागज के टुकड़े रखे हुए थे।
पहले टुकड़े को उठाकर पायल ने देखा तो उस पर एक मंत्र लिखा हुआ था और फिर जैसे ही उसने दूसरे टुकड़े पर लिखे हुए शब्द 'ग्यारहवां साल... खतरा... जंगल से दूर...' पढ़े उसकी आँखों के सामने नौ वर्ष पूर्व की घटनाएँ नृत्य करने लगीं।
पायल और संजीव के विवाह की दसवीं वर्षगांठ थी। इतने वर्षों के बाद भी माँ ना बन पाने पर रिश्तेदारों के उलाहनों से व्यथित पायल को खुश करने के उद्देश्य से संजीव उसे लेकर लांग ड्राइव पर निकल गया था।
शाम के वक्त वापस लौटते हुए सहसा हाइवे के किनारे बने हुए जंगल के पास झटके से उनकी गाड़ी रुक गई।
संजीव उतरकर देखने लगा कि अचानक अच्छी-भली गाड़ी को क्या हो गया, लेकिन काफी माथापच्ची करने के बावजूद उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।
देर होती देखकर पायल भी गाड़ी से नीचे उतर आई।
"क्या हुआ संजीव? आज हम घर पहुँचेंगे या यहीं जंगल में शेर-चीते के साथ पिकनिक मनाएंगे।"
संजीव कुछ कहता उससे पहले ही उनके कानों में किसी बच्ची के रोने की आवाज़ आई।
क्रमशः