Wo Ankahi Bate - 24 in Hindi Love Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 24

Featured Books
  • हीर... - 28

    जब किसी का इंतज़ार बड़ी बेसब्री से किया जाता है ना तब.. अचान...

  • नाम मे क्या रखा है

    मैं, सविता वर्मा, अब तक अपनी जिंदगी के साठ सावन देख चुकी थी।...

  • साथिया - 95

    "आओ मेरे साथ हम बैठकर बात करते है।" अबीर ने माही से कहा और स...

  • You Are My Choice - 20

    श्रेया का घरजय किचन प्लेटफार्म पे बैठ के सेब खा रहा था। "श्र...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 10

    शाम की लालिमा ख़त्म हो कर अब अंधेरा छाने लगा था। परिंदे चहचह...

Categories
Share

वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 24

चांदनी को मैंने अपने गोद में सुला दिया और फिर उसके बालों को सहलाने लगा।
यश ने कहा वाह क्या प्यार है पापा।।
कोई टिप्पणी नहीं कुछ नहीं और ना ही किसी के खोने का ग़म।।
प्यार का दूसरा नाम समर्पण, त्याग और बलिदान ही तो होता है मैं इस तरीके से सोचता हूं।
कौन क्या सोचता है मुझे उससे कोई दिक्कत नहीं है पर मैं क्या सोचता हूं।
यश ने तुरंत ही कहा कि पापा फिर मैं कहां से आया?
बिमल ने कहा अरे जहां से सब आते हैं।।
यश थोड़ा सा आश्चर्य हुआ पर फिर बोला कि फिर क्या हुआ?
बिमल ने कहा फिर क्या था।
हमारा ट्रेन कार्ड गोदाम तक गया और फिर वहां से हमने एक कार बुक किया। फिर हमलोग एक मार्केट में ही होटल बुक किया और फिर वहां पहुंच कर एक रूम बुक किया।
चांदनी काफी थक गई थी तो हम लोग बैठ कर एक, एक चाय पीने लगे और मैंने चांदनी को बचपन की सारी शरारतें सुनाने लगा।।
और फिर चांदनी ने भी अपने स्कूल की कुछ बातें बताई।
फिर शाम को एक अच्छी नींद लेने के बाद दोनों तैयार हो कर निकल गए।
पहले कुछ देर पैदल चलने लगें और फिर चांदनी के लिए कुछ रंग बिरंगी दुपट्टे और फिर एक सुंदर सा बैंग खरीदा।
फिर चांदनी ने कहा कि गोल गप्पा खाएंगी तो हम लोग दोनों गोल गप्पा खाएं।
फिर इसी तरह होटल वापस आ गए।
हल्की सी बर्फीली हवाएं चलने लगी थी और फिर हम दोनों एक दूसरे के साथ सो गए।।
फिर इसी तरह एक हफ्ते कैसे बीत
गए।
चांदनी को हंसी मज़ाक करने में अच्छा समय बीत गया और फिर हम दोनों स्टेशन पर पहुंच गए। कुछ देर बाद ही ट्रेन आ गई और फिर हम दोनों बैठ गए।
कल सुबह तक दिल्ली पहुंच गए।
दिल्ली स्टेशन पर भीड़ लगी थी और फिर उसी भीड़ में चांदनी की तबीयत खराब हो गई और फिर बिमल भी घबरा कर सीधे अस्पताल में भर्ती करवा दिया।
बिमल ने नर्स को कहा कि भगवान ऐसा किसी के साथ न करें।।
नर्स ने कहा यह सब दवा बदल दिया है डाक्टर ने।।
बिमल नीचे से दुकान पर जाकर सारी दवाई लेकर आ गए।
बिमल को मम्मी का फोन आने लगा पर बिमल चाह कर भी नहीं उठाया और फिर जब घर वापस पहुंच गए तो फोन करके बताया कि स्टेशन पर भीड़ लगी थी तो फोन सुना नहीं।
यहां पर सब ठीक है मम्मी आप सब कैसे हो?
मम्मी ने कहा हां ठीक है।।
फिर इसी तरह एक हफ्ते तक चांदनी अस्पताल में रही और फिर वापस आ गई। बिमल समय, समय पर चांदनी को दवाई और जूस सब कुछ देने लगें।
चांदनी एक दिन थक कर रोने लगी और फिर बोली कि कहां मुझे आपकी देखभाल करनी चाहिए। और कहा आप सब काम छोड़कर मेरी सेवा में लगे हुए हैं।।
बिमल ने कहा अरे बाबा अब क्या बोल रही हो आखिर हम दोनों अलग है क्या अगर मेरी तबियत खराब हो जाती तो क्या तुम मुझे छोड़ देती नहीं ना?
फिर मैं ऐसा कैसे कर सकता हूं देखो डाक्टर ने कहा कि तुम खुश रहा करो।
चांदनी ने कहा हां शायद मैंने कुछ अच्छा किया होगा तभी आपके जैसे जीवन साथी मिला और मैं जीना चाहती हुं आपके साथ, आपके बच्चे की मां बनना चाहती हुं।।
बिमल ने कहा हां, ठीक है इसका मतलब अब तुम मुझसे प्यार करती हो?
चांदनी ने कहा हां बिना प्यार किए कोई रह सकता है क्या?
बिमल ने कहा हां देखा हो गया ना।।
फिर इसी तरह देखते, देखते एक साल गुजर गए।
इस बीच चांदनी की आंखों की रोशनी में कुछ कमी दिखाई देने लगी थी क्योंकि वही वो हाथ की कढ़ाई का काम करने लगी थी।
बिमल ने कहा हजार बार मना किया पर तुम मेरा कहना नहीं माना।।
चांदनी ने कहा क्या करूं सारा टाइम घर पर!
कौन है मेरे पास कोई खेलने वाली या वाला?
बिमल ने कहा ओह ठीक है मेरी जान!
इतने दिनों से मैं तो दवा खा भी रही हुं पर कन्सीव नहीं कर पाई।
बिमल जब आफिस से आएं तो देखा कि चांदनी कुछ गुमसुम सी हो गई थी तो पुछा उसने वहीं बताया और फिर मैंने कहा सब ठीक हो जाएगा।
पर क्या सच में चांदनी मां नहीं बन सकती है ।।

क्रमशः