adornment or struggle in Hindi Moral Stories by Rakesh Rakesh books and stories PDF | श्रृंगार या संघर्ष

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श्रृंगार या संघर्ष

“क्यों डांट रहे थे तेरे बड़े भैया।” वृंदा पूछती है?
“यह मेरे भाई नहीं मेरे चाचा है, कह रहे थे कल आदित्य भैया की बारात में महिलाएं लड़कियां नहीं जाएंगी।” अनुपम बताती है
“देखने में तो यंग लग रहे हैं, लेकिन इनके विचार 70, 80 साल के बुजुर्गों जैसे हैं, इनके बीवी बच्चे तो इनसे बहुत दुखी रहते होंगे।” वृंदा ने कहा
“मम्मी पापा की एक्सीडेंट में डेथ होने के बाद इन्होंने ही हम दोनों भाई बहन को पाल-पोसकर बड़ा किया है, हमारी परवरिश में कोई कमी ना रह जाए इसलिए इन्होंने शादी भी नहीं की है, यह आदित्य भैया से 15 वर्ष और मुझसे आयु में 17 वर्ष बड़े हैं।” अनुपमा बताती है
“यह क्या काम करते हैं।” वृंदा पूछती है? “रवि चाचा क्रिकेट अकादमी में कोच है, वह रणजी टॉफी भी खेल चुके हैं।” अनुपमा बताती है
“तभी तो इनकी फिटनेस इतनी अच्छी है।” वृंदा कहती है

अनुपमा के चाचा रवि को दूर से देखने के बाद वृंदा की उनसे एक बार बात करने की बहुत इच्छा होती है, इसलिए जब वह शाम को अनुपमा के घर उसके भाई की शादी के महिला संगीत में पहुंचती है, तो सबसे पहले अनुपमा के घर पहुंच कर उसके चाचा रवि को चारों तरफ ढूंढती है और रवि जब अचानक उसके सामने आज जाता है तो उसके मुख से एक भी शब्द नहीं निकल पाता है।

वृंदा यह खुद नहीं समझ पा रही थी कि मैं अपने से कम से कम आयु में 15, 16 वर्ष बड़े युवक की तरफ आकर्षित क्यों होती जा रही हूं और उसे अपनी खूबसूरती श्रृंगार से अपनी तरफ आकर्षित कैसे करूं क्योंकि रवि ने हमेशा जीवन में श्रृंगार से ज्यादा संघर्ष को महत्व दिया है।

वृंदा खूबसूरत होने के साथ-साथ अच्छी नृत्यांगना भी थी, इसलिए वह शादी के महिला संगीत में एक गाने पर नृत्य करती है और किसी भी तरह से रवि को अपना नृत्य दिखाने के लिए अनुपमा पर दबाव डालती है।

अनुपमा बड़ी मुश्किल से उसकी यह ख्वाहिश पूरी कर पाती है, लेकिन जब रवि वृंदा का नृत्य देखने के बाद उसकी तारीफ किए बिना वहां से चुपचाप चला जाता है, तो पढ़ी-लिखी डांस स्कूल चलने वाली वृंदा समझ जाती है कि रवि कोमल दिल का नहीं बल्कि कठोर दिल का युवक है, लेकिन उसकी यह सोच गलत थी क्योंकि रवि को जीवन में पहली बार श्रृंगार रस का महत्व समझ आया था।

वह वृंदा के नृत्य के साथ-साथ उसकी खूबसूरती श्रृंगार यानी कि सजने संवरने पर मोहित हो गया था, रवि को समझ आ गया था कि जीवन में संघर्ष के साथ अगर स्त्री पुरुष श्रृंगार को भी महत्व दे तो जीवन का संघर्ष आसान हो जाता है, क्योंकि श्रृंगार स्वयं को तो आनंद खुशी देता ही है, बल्कि आपको देखने वालों को भी आपको देखकर अच्छा महसूस होता है, क्योंकि भूत चुड़ैल को देखना कोई भी पसंद नहीं करता है, इसलिए तभी तो श्रृंगार रस को रसराज रसपति कहा गया है।

इसलिए रवि सुबह उठकर अनुपमा से कहता है “आज शाम को आदित्य की बारात में महिलाएं लड़कियां भी जाएगी और सब खूबसूरत दिखे इसलिए खूब सज संवारकर श्रृंगार करके जाएंगी।” और पुरुषों लड़कों से भी कहता है “सब खूब सज संवारकर श्रृंगार करके शाम को बारात में जाना।

जब रवि दूल्हे से ज्यादा श्रृंगार करके खूबसूरत यंग दिखाई देता है तो वृंदा रवि को देखकर उसे आई लव यू कहे बिना अपने को रोक नहीं पाती है।

वृंदा से शादी करने के बाद रवि के जीवन में संघर्ष तो रहता है लेकिन वह संघर्ष पहले जितना उसे कड़ा और कठिन नहीं लगता है।