Laga Chunari me Daag - 28 in Hindi Women Focused by Saroj Verma books and stories PDF | लागा चुनरी में दाग़--भाग(२८)

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लागा चुनरी में दाग़--भाग(२८)

फिर डाक्टर सतीश राय ने दीवान साहब की मोटर के नजदीक जाकर भागीरथ जी की जाँच की और वे धनुष से बोले....
"लगता है इनका ब्लड प्रेशर बढ़ गया तभी इनके साथ ऐसा हुआ,फौरन ही इन्हें भीतर लेकर चलते हैं"
और डाक्टर सतीश राय ने फौरन ही स्ट्रेचर मँगाया फिर भागीरथ जी को अस्पताल के भीतर ले जाया गया,इसके बाद कुछ देर के इलाज के परिणामस्वरूप अब भागीरथ जी ठीक थे,इसी बीच घर के नौकरों ने तेजपाल जी के दफ्तर फोन करके ये कह दिया था कि बड़े मालिक की बहुत ज्यादा तबियत खराब हो गई थी और उन्हें अस्पताल ले जाया गया है,तेजपाल जी अपने पिता की तबियत का सुनकर फौरन सारा काम काज छोड़कर अस्पताल की ओर भागे और जब वे अस्पताल पहुँचे तो तब तक भागीरथ जी को होश आ चुका था,जब उन्होंने भागीरथ जी को सही सलामत देखा तो उनकी जान में जान आई,फिर उन्होंने भागीरथ जी से पूछा....
"बाबूजी! आपको जब पता है कि टेन्शन लेने से आपका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है तो फिर क्यों आप इतना टेन्शन लेते हैं"
और जैसे ही तेजपाल जी ने भागीरथ जी से इतना कहा तो भागीरथ जी किसी छोटे बच्चे की भाँति फफक फफककर रोते हुए कहने लगे....
"बेटा! वो हमें छोड़कर चली गई",
"कौन चली गई बाबूजी!",तेजपाल जी ने आश्चर्य से पूछा...
"और कौन..... हमारी बेटी प्रत्यन्चा",भागीरथ जी बोले....
"लेकिन क्यों चली गई वो आपको छोड़कर?",तेजपाल जी ने पूछा...
"क्योंकि उसने आउट हाउस में चोरी की थी" धनुष रुखेपन से बोला....
तब भागीरथ जी उदास होकर तेजपाल जी से बोले.....
"हमने उस पर इतना भरोसा किया और उसने हमारा भरोसा तोड़ दिया"
भागीरथ जी ऐसा कहकर फिर से फफक पड़े,तब तेजपाल जी उनसे बोले....
"ऐसा हो ही नहीं सकता,वो लड़की ऐसा कुछ भी नहीं कर सकती,वो चोर नहीं हो सकती,मैंने उसकी आँखों में देखा है कि वो कितनी ईमानदार है",तेजपाल जी बोले....
"ये आप इतने यकीन के साथ कैंसे कह सकते हैं"?,धनुष ने अपने पिता तेजपाल जी से पूछा...
"क्योंकि? मैं व्यापार के सिलसिले में रोज सैंकड़ों लोगों से मिलता हूँ,मुझे इन्सानों को पहचानना अच्छी तरह से आता है ,तभी इतना बड़ा कारोबार सम्भाल रहा हूँ,",तेजपाल जी बोले....
"लेकिन उसके कमरे से चोरी का सामान बरामद हुआ है और ये सब ने अपनी आँखों से देखा है",धनुष बोला....
"उसके कमरे की तलाशी किसने ली,पुलिस ने या तूने",तेजपाल जी ने पूछा....
"मैं और दादाजी गए थे उसके कमरे की तलाशी लेने",धनुष बोला...
"इसका मतलब है कि तूने ही बाबूजी से प्रत्यन्चा के कमरे की तलाशी लेने को कहा होगा",तेजपाल जी बोले...
"जिस पर चोरी करने का शक़ होगा,उसी के कमरे की ही तो तलाशी ली जाऐगी",धनुष बोला....
"मतलब घर के इतने सारे नौकरों को छोड़कर तुझे प्रत्यन्चा पर ही शक़ था" तेजपाल जी बोले....
"वो ही आउट हाउस में सफाई करने जाती थी,उसके अलावा वहाँ और कोई नहीं जाता था",धनुष बोला...
"तूने उसे ही क्यों इजाजत दी आउट हाउस में जाने की,किसी और नौकर को वहाँ जाने की इजाजत क्यों नहीं दी",तेजपाल जी ने धनुष से पूछा...
"बस ऐसे ही",धनुष बोला...
"अब मैं बताता हूँ कि तू उसे आउट हाउस में क्यों जाने देता था",तेजपाल जी बोले...
"मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा कि आप क्या कहना चाहते हैं",धनुष बोला....
तब तेजपाल जी गुस्से में बोले....
"मैं समझाता हूँ ना कि तू उसे आउट हाउस में क्यों जाने देता था,वो इसलिए कि तू उस पर चोरी का झूठा इल्जाम लगाकर घर से निकाल सके"
"ये सरासर गलत है",धनुष चीखा...
"यही सच है धनुष! तू उस लड़की से ईर्ष्या करता है,तुझे ये बात खाएँ जाती है कि बाबूजी तुझसे ज्यादा उस लड़की से प्यार करने लगे हैं,इसलिए तूने उस लड़की के खिलाफ़ ऐसी घटिया चाल चली",तेजपाल जी बोले...
"ये सच नहीं है",धनुष चीखा...
"यही सच है",तेजपाल जी बोले...
"आप इतने यकीन के साथ कैंसे कह सकते हैं कि मैं ने ही उसे घर से निकालने के लिए ये सब किया है", धनुष बोला....
"क्योंकि! तू उस दिन जब मुझे सीढ़ियों पर मिला था तो उस दिन मैंने तुझे प्रत्यन्चा के कमरे से बाहर निकलते हुए देख लिया था,इसलिए मैंने तुझसे सवाल भी किया था कि तू उधर क्या करने गया था,लेकिन तब तू साफ मुकर गया कि तुझे चाय पीनी है तभी तू प्रत्यन्चा को ढूढ़ रहा है,दरअसल बात ये है कि तू प्रत्यन्चा के कमरे में वो सामान छुपाने गया था ताकि तू उस पर चोरी का इल्जाम लगा सकें",तेजपाल जी बोले...
"आप मुझ पर यानि अपने बेटे पर ऐसा इल्जाम लगा रहे हैं",धनुष गुस्से से बोला....
"हाँ! क्योंकि मैं तेरी रग रग से वाकिफ़ हूँ मेरे लाल! तूने ही ये घटिया प्लान बनाकर प्रत्यन्चा को इस घर से निकाला है",तेजपाल जी बोले....
तभी भागीरथ से बोले....
"हे! भगवान! ये हमसे ये क्या अनर्थ हो गया,हमने अपनी बुद्धि क्यों नहीं लगाई,जरा भी नहीं सोचा कि वो लड़की ऐसा कुछ भी नहीं कर सकती,हमने एक पल भी देर ना लगाई उसे घर से निकालने में,भगवान हमें कभी माँफ नहीं करेगा,ना जाने वो बच्ची गुस्से में कहाँ चली गई,ना जाने कहाँ होगी वो,किस हाल में होगी वो", भागीरथ जी दुखी होकर बोले....
"दीवान साहब! आपके लिए इतना तनाव लेना ,आपकी सेहद के लिए अच्छा नहीं है,आपकी तबियत बिगड़ सकती है",डाक्टर सतीश राय बोले....
"लेकिन डाक्टर साहब हम क्या करें,हम खुद को तब तक शान्त नहीं कर सकते,जब तक कि वो बच्ची हमें माँफ ना कर दें ,हमने उसके साथ ठीक नहीं किया",भागीरथ जी बोले...
"बाबूजी! आप बिलकुल भी चिन्ता ना करें,मैं प्रत्यन्चा को कहीं से भी ढूढ़कर लाऊँगा",तेजपाल जी बोले....
"हाँ! बेटा! उसे कहीं से भी ढूढ़कर ले आ,हम जब तक उसे अपनी इन आँखों से सही सलामत नहीं देख लेते, तब तक हमें चैन नहीं मिलेगा",भागीरथ जी बोले....
"बाबूजी! मैं उसे ढूढ़कर लाता हूँ,तब तक आप मेरा यहीं इन्तजार कीजिए",
और ऐसा कहकर जैसे ही तेजपाल जी जाने लगे तो डाक्टर सतीश राय उनसे बोले...
"जरा ठहरिए दीवान साहब! मैं भी आपके साथ चलूँगा"
इसके बाद तेजपाल दीवान और डाक्टर सतीश राय प्रत्यन्चा को ढूढ़ने निकल पड़े....
लेकिन बहुत ढूढ़ने पर भी उन दोनों को प्रत्यन्चा कहीं भी नहीं मिली,हताश होकर दोनों ही अस्पताल लौट आएँ,तब प्रत्यन्चा के ना मिलने पर भागीरथ जी ने तेजपाल जी से कहा....
"बेटा! प्रत्यन्चा की गुमशुदगी की पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दो"
"लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं होगा बाबूजी! लड़की जात है,कहीं कोई ऊँच नीच हो गई तो",तेजपाल जी बोले....
तब भागीरथ जी गुस्से में आकर धनुष से बोले....
"देख रहा है ना तेरी करतूतों का नतीजा,बेचारी बच्ची ना जाने कहाँ होगी",
और फिर तेजपाल जी गुस्से में आकर धनुष से बोले....
"तेरी वजह से अगर बाबूजी को कुछ हो गया ना तो मैं तुझे कभी माँफ नहीं करूँगा,अगर अपनी भलाई चाहता है तो तू घर तभी लौटना जब तू प्रत्यन्चा को लाकर हम सबके सामने हाजिर कर देगा"
अपनी पिता की बात सुनकर धनुष उन्हें गुस्से से घूरने लगा तो भागीरथ जी गुस्सा होकर धनुष से बोले....
"अब खड़ा खड़ा मुँह क्या देख रहा है,जा यहाँ से और प्रत्यन्चा को साथ लेकर ही लौटना समझा!"
फिर भागीरथ जी की बात सुनकर धनुष प्रत्यन्चा को ढूढ़ने निकल पड़ा....

क्रमशः....
सरोज वर्मा....