Shatranj ki Bisaat - 6 in Hindi Thriller by शिखा श्रीवास्तव books and stories PDF | शतरंज की बिसात - भाग 6

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शतरंज की बिसात - भाग 6

"क्या मैं उसका नाम जान सकता हूँ?"

"अभी नहीं। अच्छा रॉबी की जाँच में कुछ मिला?"

"नहीं सर। सारे निशान घर के लोगों के ही हैं।" संजय की आवाज़ में कुछ निराशा थी।

"अच्छा और उस डॉक्टर से पूछो जरा खून की रिपोर्ट लेकर वो कब आ रहा है?"

"जी सर, अभी पूछता हूँ।"

अपने फोन पर डॉक्टर से बात करने के बाद संजय ने कहा "सर बस आधे घण्टे में रिपोर्ट थाने पहुँच जाएगी।"

"ठीक है तो मैं चलता हूँ। कुछ और महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स भी अभी आने बाकी हैं।"

"जी सर।"

जब इंस्पेक्टर अजय थाने पहुँचे तब साहिल के दफ्तर के फोन रिकार्ड्स के साथ-साथ उसके ईमेल और सोशल मीडिया एकाउंट्स की डिटेल भी उनकी मेज़ पर आ चुकी थी।

जैसा की उन्हें उम्मीद थी फोन रिकार्ड्स में उन्हें कुछ भी नहीं मिला लेकिन साहिल के मेल-इनबॉक्स में उन्हें निशा की भेजी हुई सारी ईमेल मिल गई।

इनमें से एक ईमेल में निशा की तस्वीर भी थी।

उनके दिमाग में अब कुछ-कुछ कहानी स्पष्ट होने लगी थी।

अब अगला कदम उन्हें बहुत सोच-समझकर उठाना था ताकि इस सारी साज़िश के पीछे जिसका हाथ था वो किसी भी तरह से बच ना सके।

"बस हमें सामने वाले की एक गलती का इंतज़ार करना है सर।" इंस्पेक्टर रघु ने कहा तो इंस्पेक्टर अजय ने हाँ में सर हिलाया।

अब वो एक बार खुद मिसेज अनिका से मिलने के लिए बेचैन हो रहे थे ताकि उन बातों को जान सकें जो अभी तक उन्हें समझ में नहीं आ रही थी।

वो अपनी कुर्सी से उठे ही थे कि रॉबी की जाँच करने वाले डॉक्टर वहाँ पहुँच गए।

"आइये डॉक्टर साहब। आपको रॉबी के खून में कुछ मिला?"

"जी सर। रॉबि के खून में एक बहुत ही खतरनाक ज़हर के अंश मिले हैं लेकिन मामूली। इससे उसकी जान को कोई खतरा नहीं है।"

"अगर ये ज़हर वाकई खतरनाक है तो रॉबी को इससे कोई खतरा क्यों नहीं है?"

"एक तो सर कुत्तों के खून में इंसानों के खून से ज्यादा प्रतिरोधक क्षमता होती है और दूसरी बात की इसकी बहुत ही कम मात्रा उसके शरीर में है।"

"हम्म तो इंसानों पर ये जहर कैसे काम करता है?"

"इंसान के खून में जब ये घुलता है तब उसके असर से इंसान को दिल का दौरा पड़ता है और साथ ही पाँच-छह घण्टे के बाद इस ज़हर की उपस्थिति शरीर से खत्म हो जाती है।"

"पता था मुझे की ऐसा ही कुछ होगा।"

"ठीक है। आपका धन्यवाद डॉक्टर। आप इंस्पेक्टर रघु को अपना बयान दर्ज करवा दीजिए।"

"जी सर।"

इंस्पेक्टर अजय जब मिसेज अनिका से मिलने अस्पताल पहुँचे तब अपने बिस्तर पर लेटी हुई वो खामोशी से रो रही थीं।

"आपको डिस्टर्ब करने के लिए माफ़ी चाहूंगा मिसेज अनिका लेकिन मेरा आपसे बात करना जरूरी है।" इंस्पेक्टर अजय ने कमरे के अंदर आते हुए कहा तो अनिका ने अपने आँसू पोंछे और उठकर बैठने की कोशिश करने लगी।

"आप आराम से लेटी रहिए।"

"जी सर। पूछिए क्या पूछना है आपको?"

"सबसे पहले तो मुझे ये बताइए कि जब साहिल और निशा की शादी होने वाली थी और आप प्रकाश से शादी करने वाली थी तब अचानक ये उलटफेर कैसे हो गया?"

इंस्पेक्टर अजय के सवाल को सुनकर अनिका ने अपनी ऑंखें बन्द कर लीं मानों बन्द आँखों से वो गुज़रे हुए कल को साक्षात देख रही हो।

"अचानक ये उलटफेर इसलिए हुआ सर की निशा के पापा ने उसे बताया की साहिल के पापा को व्यापार में बहुत बड़ा घाटा हुआ है और अब वो लगभग सड़क पर आ चुके हैं।

ये सुनकर निशा के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। वो साहिल से प्यार करती थी लेकिन उसे अपने ऐशोआराम ज्यादा प्यारे थे जिन्हें वो नहीं खो सकती थी।

इसलिए उसने साहिल से शादी करने से मना कर दिया जबकि वो उस वक्त साहिल के बच्चे की माँ भी बनने वाली थी।

साहिल ने उसे बहुत समझाया कि वो जल्दी ही सब कुछ पहले की तरह हासिल कर लेगा और निशा के साथ-साथ अपने बच्चे को भी किसी तरह की कमी नहीं होने देगा लेकिन निशा नहीं मानी।
उसने साफ शब्दों में कह दिया कि वो इस बच्चे को भी इस दुनिया में नहीं आने देगी।

उसे भरोसा ही नहीं था कि मुश्किल से कॉलेज में पास होने वाला लड़का डूबे हुए व्यापार को दोबारा खड़ा कर सकता है।

दूसरी तरफ मुझे भी ये जानकर झटका लगा की प्रकाश मुझसे सिर्फ प्यार का दिखावा कर रहा था ताकि वो अपनी सच्चाई दुनिया से छुपाकर रख सके की दरअसल उसे लड़कियों में कोई रुचि ही नहीं है।

उसे लगा कि मैं अनाथ हूँ, बेबस हूँ, कोई मेरे आगे-पीछे नहीं है तो शादी के बाद मैं उसे छोड़कर जाऊँगी कहाँ?

लेकिन जब मुझे ये बात पता चल गई तो मैंने ठान लिया कि चाहे जो हो जाए मैं उससे शादी नहीं करूँगी लेकिन मैंने उसे ये बात बताई नहीं थी।

ग्रुप में अगर कोई मेरा सबसे अच्छा दोस्त था तो वो था साहिल। अपनी परेशानी के बावजूद उसने मेरी परेशानी भाँप ली।
जब मैंने उसे सारी बात बताई तब अचानक ही उसने मेरे आगे शादी का प्रस्ताव रख दिया जिसे मैंने मान लिया क्योंकि मैं जानती थी साहिल और उसके परिवार जैसे लोग मुझे कहीं नहीं मिलने वाले हैं।
पैसों से ही रिश्ते को तौलना मैंने कभी नहीं सीखा था।

मंदिर में सादगी से हमने शादी कर ली और साहिल के माँ-पापा ने हमारे लिए एक छोटा सा रिसेप्शन रखा जिसमें हमारे दोस्त भी पहुँचे।

प्रकाश ने जब रिसेप्शन में मुझ पर उसे धोखा देने का इल्जाम लगाया तब साहिल ने कहा कि अगर वो चुप नहीं हुआ तो वो सबको प्रकाश की सच्चाई बता देगा।

इसके बाद प्रकाश ने वहीं निशा को प्रोपोज करते हुए कहा कि उसके पास निशा के पापा से भी ज्यादा दौलत है और वो साहिल की तरह कभी गरीब नहीं होगा लेकिन निशा उसे थप्पड़ मारकर वहाँ से चली गई।

इसके कुछ दिन बाद ही हमें पता चला कि प्रकाश ने आत्महत्या कर ली और निशा भी शहर छोड़कर जा चुकी थी।

फिर हम अपनी ज़िंदगी में रम गए। साहिल की मेहनत रंग लाई और उसने जल्दी ही अपनी कंपनी को पहले से भी ज्यादा मजबूत स्थिति में पहुँचा दिया।

लगभग एक साल पहले माँ-पापा की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई और परिवार के नाम पर बस हम दोनों ही रह गए।

अचानक फिर एक महीने पहले साहिल ने मुझे बताया कि निशा लौट आई है और अब वो चाहती है कि साहिल मुझे तलाक देकर उससे शादी कर ले क्योंकी उसके पास साहिल की बेटी सही सलामत थी।
उसने कहा कि अगर साहिल ने शादी के लिए हाँ नहीं की तो वो सारी दुनिया में उसे बदनाम कर देगी और साहिल के व्यापार के साथ-साथ उसकी सारी प्रतिष्ठा भी मिट्टी में मिला देगी।

साहिल ने स्पष्ट रूप से कहा कि वो तो पहले भी निशा से शादी करने और बच्चे की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार था लेकिन तब वही उसे छोड़कर चली गई थी और अब वो अपनी बेटी को अपनाने के लिए तैयार था लेकिन मुझे तलाक देना उसे मंजूर नहीं था।

लेकिन निशा उसकी कोई बात सुनने-समझने के लिए तैयार नहीं थी। उसे हर हाल में साहिल और उसकी दौलत चाहिए थी।

तब मैंने ही साहिल को समझाया कि हमारे पास कोई रास्ता नहीं है जिससे हम निशा को गलत साबित कर सकें इसलिए अगर माँ-पापा का नाम बदनाम होने से बचाना है तो हमें तलाक लेना ही होगा।

फिर साहिल ने ये तय किया कि वो अपनी पचास प्रतिशत संपत्ति मुझे दे देगा लेकिन निशा को इससे भी आपत्ति थी। वो चाहती थी कि मुझे महीने के बस कुछेक हज़ार गुजारे-भत्ते के नाम पर मिले।
इसके लिए भी वो लगातार साहिल को धमका रही थी। लेकिन इस बार जब साहिल ने उससे स्पष्ट रुप से कह दिया कि वो उसकी बात नहीं मानेगा तब निशा ने ये बात खत्म कर दी।

लेकिन इससे पहले की हमारा तलाक होता...।"
आगे के शब्द अनिका के आँसुओं में डूब गए।
क्रमशः