Nakal ya Akal - 1 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 1

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नक़ल या अक्ल - 1

1
शर्त


शाम का समय है, सूरज डूबने के लिए तैयार प्रतीत हो रहा है, उत्तरप्रदेश के मालपुरा गॉंव में खेतों की मुँडेर पर किशन और सोमेश बैठे हैं । किशन तो आराम से ढलते सूरज की तरफ देख रहा है तो वही सोमेश पढ़ाई कर रहा है । हल्की रोशनी में किताब के अक्षर भी धुंधले होते नज़र आ रहें हैं, अब उसे किशन ने टोका,

क्या करेगा, इतनी पढ़ाई करके?

क्या मतलब की क्या करूँगा, अपने सपने पूरे करूँगा।

पढ़ने से सपने पूरे हो जाते हैं?

“हाँ और स्कूल में मास्टर भी यही कहते थें।“ अब उन्हें सामने से आता नन्हें दिखाई दिया, उसके हाथ में भी किताबें हैं । अब सूरज डूब चुका है, इसलिए सोमेश ने भी किताब बंद कर दीं। नन्हें यानी निहाल भी उनके साथ आकर मुँडेर पर बैठ गया । “क्यों किशन और सोमू तुमने कॉलेज के फॉर्म भरे दिए न ?” सोमू ने तो हाँ में सिर हिला दिया, मगर किशन ने कहा, "मैं अपने बाबा के खेतों में खेती करूँगा। मुझे आगे नहीं पढना ।“ दोनों ने फिर कुछ नहीं कहा “और सोमू कांस्टेबल बनने की तैयारी कैसी चल रही है?” “तैयारी तो ठीक है, मगर अभी बहुत पढ़ना है? “ “आप बताओ, आप तो सब इंस्पेक्टर बनने की तैयारी कर रहें हो ।“ “ हम्म !! भाई मेरी तो दौड़ रहीं है।

अब सामने से आती, मीना और सोनाली को देखकर निहाल बोला, “मीना भी कांस्टेबल बनने की तैयारी कर रही है, तेरा पेपर क्लियर हो जाए तो इसका बापू तुझे ख़ुशी ख़ुशी इसका हाथ थमा देगा” “और आप भी तो सोना से बहुत प्यार करते हो?” इतने में दोनों करीब आ गई और वो तीनो मुँडेर से उतर गए।

और नन्हें क्या हाल है ? तैयारी कैसी चल रही है ?” सोनाली के मुँह में मीठा पान है। मीना खेतों से एक गन्ना तोड़ने लगती है।

बस चल रही है, पेपर तो तुम भी देने वाली हो?

हाँ बिल्कुल, मगर मेरे लिए ऐसी कोई आफत नहीं है। क्लियर हो गया तो ठीक है, नहीं हुआ तो भी ठीक है।

हाँ, तुम्हें तो बस पति इंस्पेक्टर चाहिए।

मुझे भी और बापू को भी।

वैसे ज़मीदार का बेटा राजवीर भी जमकर तैयारी का रहा है।

तो ??? निहाल ने चिढ़कर कहा।

बस बता रहीं हूँ।

वैसे अगर इंस्पेक्टर बन जाओंगे तो क्या करोंगे?

देश की सेवा करूँगा। वह ज़ोर से हँसी। लोग पुलिस में देश की सेवा करने थोड़ी न जाते हैं।

पर मैं तो इसलिए ही जा रहा हूँ, पहले सब इंस्पेक्टर, फिर इंस्पेक्टर, बाद में कमिश्नर, मैं रुकने वाला नहीं हूँ।

“सपने तो तेरे बहुत बड़े हैं, उसने पान मुँह में निगलते हुए कहा।‘ तभी पास के गेंहू वाले खेत में शोर मचा तो सब वहीं भागते हुए गए, वहाँ पर भीड़ जमा है, नन्हें के चचेरे भाई मनोज को एक साँप ने काट लिया है। अब जल्दी से एक ओझा को बुलाया गया और कुछ देर के उपचार के बाद ज़हर उतर गया। तभी वही खड़े गॉंव के काका ने कहा, “कोई गॉंव का छोरा डॉक्टर भी बन जाता, सब पुलिस में जाने के लिए लगे पड़े हैं।“ तभी दस साल की गीतू बोली, “ काका मैं डॉक्टर बनूँगी।“ सभी ज़ोर से हँसने लगे तो काका ने उसे गोद में उठाते हुए कहा, “छोरी को कम न समझो, यह बन भी जाएगी।“ अब धीरे धीरे भीड़ वहां से हटने लगी और सोमू मनोज को लेकर वहाँ से चला गया।

अब राजवीर भी अपने दोस्तों रघु और हरिहर के साथ आ पहुँचा, वह वहाँ खड़ी सोनाली को देखकर मुस्कुराया तो वह भी मुस्कुरा दी। “क्यों नन्हे? सुना है, इंस्पेक्टर का पेपर देने वाला है। “बिल्कुल देने वाला है। इसके तो बड़े बड़े सपने है,” अच्छा!! छोटे से नन्हें के बड़े बड़े सपने ।“ राजवीर ने सोनाली की बात सुनकर मज़ाक उड़ाया। सब हँसने लग गए तो किशन ने नन्हें के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, “चलो, चलते है, यहाँ से। वह भी जाने को हुआ तो राजवीर ने फिर तंज किया, “इसकी इतनी औकात नहीं है कि मुझे कुछ कह सकें, “ “ऐ! औकात की तो बात मत करियो!!” किशन चिल्लाया तो रघु ने उसे पीछे धकेलते हुए कहा, “वरना क्या कर लेगा।“ अब किशन ने भी उसे धक्का मार दिया। हरिहर बोला, “तेरी तो!!!!” उसने भी उसे जोर से लात मारी। अब राजवीर बीच में आ गया तो फिर नन्हें को भी आना पड़ा और लड़ाई शुरू हो गई।

सोनाली और मीना दूर खड़ी इस लड़ाई के मज़े ले रहीं हैं। सोनाली दोनों को उकसाते हुए बोली, “शाबाश राजवीर और मार!! नन्हें छोडियो मत !!” दोनों एक दूसरे को ज़मीन पर लिटाकर मारने लगे, मीना बोली, “शर्त लगाती है कि राजवीर पटखनी देगा,” “बावली! मुझे तुझसे शर्त नहीं लगानी,” अब सोना ज़ोर से बोली, “जो इस लड़ाई में जीतेगा, वो कल के मेले में मेरे साथ सबसे बड़े झूले पर बैठेगा।“ यह सुनकर दो सेकंड के लिए दोनों कुछ देर रुके, मगर फिर सोना ने सीटी मारी और दोनों लड़ने लगे।


कभी निहाल एक पटखनी मारता तो कभी राजवीर लात मारता, इस तरह दोनों एक दूसरे पर हावी होने लगते, उनकी इस आपा धापी का मज़ा सोनाली और मीना तो ले रहें है, तभी गॉंव की कुछ अन्य छोरियाँ आ गई और वो भी मज़े से यह तमाशा देखने लगी।


अब किशन रघु और हरिया की लड़ाई भी दोनों के चक्कर में रुक गई। तभी सोमू भागता हुआ आया, “ यार !! यह क्या हो रहा है? “ अब किशन ने सोना की शर्त बताई तो यह मीना पर चिल्लाने लगा, “तुम्हारी सहेली का दिमाग ठीक है,” “मेरी का तो ठीक है, इस निहाल को ज़्यादा हीरो बनने की पड़ी थीं।“ राजवीर इसलिए लड़ रहा है क्योंकि वह निहाल से जलता था, क्योंकि उसके पूरे जिले में पहले बारहवीं और फिर कॉलेज में भी ज्यादा नंबर आये थे, राजवीर तो बस पास ही हुआ था, मगर निहाल नहीं चाहता था कि किसी भी हाल में सोनाली इस राजवीर के साथ झूले पर बैठे, अब निहाल ने उसे पटखनी दे दीं और किशन ने गिनती शुरू कर दी।

पसीने से लथपथ निहाल ने ज़मीन पर थूंक फेंकी और सोनाली को घूरने लगा, तभी रघु जोर से बोला, “सरपंच!!” यह सुनकर निहाल ने दूसरी तरफ देखा तो राजवीर ने उसे ज़ोर से घूँसा मारा और वह ज़मीन पर गिर गया और फिर से मार कुटाई का खेल शुरू हो गया, इस बार निहाल निढाल होकर ज़मीन पर गिरा है और राजवीर के दोस्त हरिया और रघु गिनती कर रहें हैं ।