Shatranj ki Bisaat - 5 in Hindi Thriller by शिखा श्रीवास्तव books and stories PDF | शतरंज की बिसात - भाग 5

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शतरंज की बिसात - भाग 5

फिर उन्होंने अपनी कुर्सी से उठते हुए इंस्पेक्टर रघु से कहा "मैं संजय के साथ मिस्टर साहिल के बंगले पर जा रहा हूँ। तुम मिस्टर साहिल के दफ्तर जाकर निशा के बारे में पूछताछ करो और दफ़्तर के फोन के रिकार्ड्स भी निकलवा लो और हाँ किसी साइबर एक्सपर्ट की मदद से मिस्टर साहिल के ईमेल्स और सोशल मीडिया एकाउंट भी खंगालो। कहीं ना कहीं तो निशा ने उनसे संपर्क किया ही होगा।"

"ठीक है सर। मैं अभी जाता हूँ। जय हिंद।"

"जय हिंद।"

जब तक इंस्पेक्टर अजय साहिल के बंगले पर पहुँचे तब तक संजय भी जानवरों के डॉक्टर के साथ वहाँ आ चुका था।

जब लाल बाबू उन सबको लेकर रॉबी के पास पहुँचे तब सुस्त पड़ा हुआ रॉबि एक बार फिर लाल बाबू की तरफ झपटा।

लाल बाबू सहमकर पीछे हट गए।

डॉक्टर ने रॉबि की जाँच करनी शुरू की और फिर उसका ब्लड-सैम्पल भी ले लिया।

"सर कुत्ते के शरीर में वैसे तो कोई समस्या नहीं नज़र आ रही है।
हो सकता है इसे अनहोनी का अहसास हो गया हो इसलिए इसका व्यवहार कुछ बदल गया।
बाकी मैं इसके खून की जाँच करके भी देख लेता हूँ।"

"ठीक है डॉक्टर।"

संजय ने भी अब रॉबि की जाँच शुरू की। उसे उम्मीद थी कि शायद उसे रॉबि के शरीर पर कोई अजनबी निशान तो जरूर मिलेगा।

इस दौरान इंस्पेक्टर अजय ने घर के बाकी सभी नौकरों को बारी-बारी से वहाँ बुलाया लेकिन ये देखकर उन्हें आश्चर्य हुआ कि रॉबी किसी के भी आने पर अशांत नहीं हुआ सिवा लाल बाबू के।

कुछ सोचते हुए इंस्पेक्टर अजय एक बार फिर साहिल और अनिका के बेडरूम में पहुँचे।
वहाँ पहुँचकर उन्होंने कमरे की अलमारी खोली तो उन्हें सामने ही दो-तीन फोटो अल्बम्स और कुछ सीडीज रखी हुई मिली।

इंस्पेक्टर अजय ने ये सारा सामान निकालकर एक सरसरी नज़र अलमारी पर डाली और फिर उसे बन्द करके उन्होंने वापस कमरे में ताला लगा दिया।

संजय को सारी रिपोर्ट तैयार करके थाने में मिलने के लिए कहकर इंस्पेक्टर अजय ने अपनी जीप थाने जाने वाली सड़क पर मोड़ दी।

उनके थाने पहुँचने तक इंस्पेक्टर रघु भी साहिल के दफ्तर से सभी लोगों के बयान लेकर आ चुके थे।

"हाँ तो इंस्पेक्टर रघु, कोई काम की जानकारी मिली?"

"नहीं सर। दफ़्तर में कभी किसी ने निशा को आते-जाते हुए नहीं देखा और ना ही उनके अनुसार मिस्टर साहिल की किसी से कोई कारोबारी दुश्मनी है।"

"हम्म और फोन-कॉल और ईमेल वगैरह का क्या हुआ?"

"सर फोन रिकार्ड्स के साथ-साथ बाकी ईमेल वगैरह की जानकारी भी एक घण्टे में हमें साइबर एक्सपर्ट से मिल जाएगी।"

अब तक कांस्टेबल विवेक भी सीसीटीवी फुटेज लेकर आ चुका था।

दफ़्तर के फुटेज में उन्हें कुछ भी अलग नहीं मिला। वही रोज आने वाले कर्मचारी आए और गये।

अब वो सब ध्यान से साहिल और अनिका के बंगले की सीसीटीवी फुटेज देख रहे थे।

लेकिन उनके बंगले में भी उनके और नौकरों के अलावा बस एक-दो बार अशोक आता-जाता हुआ नज़र आया।

थककर इंस्पेक्टर अजय ने कंप्यूटर बन्द किया ही था कि सहसा उनके ज़हन में कुछ कौंधा।

उन्होंने एक बार फिर से फुटेज चलाया और सबको ध्यान से देखने के लिए कहा।

जिस चीज की तरफ इंस्पेक्टर अजय ने उन सबका ध्यान खींचा उसे देखकर उन सबके चेहरे पर हैरानी के भाव नज़र आने लगे।

"इसे पकड़ो और तुरंत यहाँ लेकर आओ।" इंस्पेक्टर अजय ने जोश भरी आवाज़ में कहा।

"लेकिन सर पहले हमें किसी ठोस सबूत की जरूरत होगी। सिर्फ संदेह के आधार पर हम इसे कब तक थाने में बन्द करके रख सकते हैं?" इंस्पेक्टर रघु की बात से सभी सहमत थे।

"जब अपराधी नज़र आ गया है तो अपराध भी साबित कर देंगे।
तुम सब भी शांत दिमाग से इस समस्या का हल सोचो, सारी कड़ियों को जोड़कर देखो और मैं भी सोचता हूँ कि आखिर उसने हमारे लिए कौन सा सुराग छोड़ा है।"

"जी सर।" इंस्पेक्टर रघु और कांस्टेबल विवेक ने उनके केबिन से बाहर जाते हुए कहा।

इंस्पेक्टर अजय ने अब साहिल और अनिका के फोटो अल्बम्स को खंगालना शुरू किया।
इसमें ज्यादातर तस्वीरें या तो साहिल और अनिका की थी या फिर साहिल की कई अलग-अलग लोगों के साथ शतरंज खेलते वक्त की तस्वीरें थी।

इन अल्बम्स के बाद जब उन्होंने उन सीडीज को देखना शुरू किया जो उन्हें अलमारी में मिली थी तो उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि उन सारी सीडीज में बस साहिल के शतरंज खेलते हुए वीडियोज थे।

उन वीडियोज को देखते हुए सहसा इंस्पेक्टर अजय चौंके और उन्होंने साहिल और अनिका के बेडरूम की वो तस्वीर निकाली जो घटना के ठीक बाद कांस्टेबल विवेक ने खींची थी।

इस तस्वीर को देखते ही इंस्पेक्टर अजय ने संजय का नम्बर डायल कर दिया।

"तुम इस वक्त कहाँ हो संजय?"

"अपने लैब में सर। रॉबि के शरीर से लिये गये निशानों की जाँच कर रहा हूँ।"

"ठीक है। मैं अभी तुम्हारे पास आ रहा हूँ।"

"जी सर।"

इंस्पेक्टर अजय ने इंस्पेक्टर रघु से कहा कि वो बंगले पर मौजूद कांस्टेबल को विशेष निर्देश दे दे और फिर कांस्टेबल विवेक को साथ लेकर वो संजय के लैब की तरफ बढ़ गए।

लैब में पहुँचकर इंस्पेक्टर अजय ने संजय से शतरंज के उन मोहरों को दिखाने के लिए कहा जो वो बंगले से जाँच के लिए लेकर आया था।

जब संजय उन मोहरों को लेकर आया तब इंस्पेक्टर अजय ने कहा "पता है साहिल की मौत कैसे हुई?"

"कैसे?" संजय और विवेक दोनों ने आश्चर्य से पूछा।

"शतरंज के इन मोहरों से।"

"लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है सर? मैंने इनकी जाँच की है और ये पूरी तरह क्लीन हैं।"

"वो इसलिए संजय क्योंकि इसके आधे मोहरे असली हैं ही नहीं।"

"मतलब?"

"मतलब ये देखो साहिल जो दीवानगी की हद तक शतरंज के खेल से प्यार करता था उसने अपने और अनिका के लिए ये विशेष बोर्ड और मोहरें बनवाए थे।
साहिल के सफेद मोहरों को गौर से देखो उस पर उसका नाम लिखा हुआ है और साथ ही उसने काले मोहरों पर अनिका का नाम लिखवा रखा था।
ये देखो तस्वीरें और सीडी की फुटेज में दिख जाएगा और अब तुम अपने साथ लाए हुए काले मोहरों को देखो।

ये देखने में तो अनिका के मोहरों की तरह ही है लेकिन इन पर अनिका का नाम नहीं है।"

संजय और विवेक ने मोहरों को उठाकर देखा तो पाया इंस्पेक्टर अजय की बात सही थी।

"अगर हम सारी वीडियोज और तस्वीरें देखें तो पता चलता है कि साहिल हमेशा ही सफेद मोहरों से खेलता था। साथ ही साथ साहिल और अनिका दोनों को ही खेल के दौरान मोहरों को अपने मुँह से पकड़ने की बीमारी थी औऱ साहिल कभी भी सामने वाले खिलाड़ी के मोहरों को हाथ से नहीं छूता था।
सामने वाले खिलाड़ी को ही अपने पिटे हुए मोहरों को बोर्ड से हटाना पड़ता था।
इसलिए कातिल ने जहर को शरीर तक पहुँचाने के लिए इन मोहरों का सहारा लिया।"

"इसका मतलब तो ये है कि कातिल ने जाल अनिका के लिए बिछाया था लेकिन गलती या संयोग जो भी कह लें मारे गए बेचारे मिस्टर साहिल।" कांस्टेबल विवेक ने कहा तो इंस्पेक्टर अजय ने उसकी बात से सहमति जताई।

"और इतनी बारीक योजना वही बना सकता है जो इन सबको, इनकी हरकतों को बहुत करीब से जानता हो।
कातिल ने प्लानिंग अच्छी की थी लेकिन करीब से जानने के बावजूद मोहरों पर लिखे गए नाम की तरफ उसका ध्यान नहीं गया। और अब हम इसे ही उसके खिलाफ हथियार बनाएंगे।" संजय ने उत्साह में कहा तो इंस्पेक्टर अजय ने उसकी बात से सहमति जताई।

"लेकिन सर अभी भी हमारे पास मोहरों के बदले जाने के संबंध में कोई सबूत नहीं है कि ऐसा किसने और कब किया? और अगर ज़हर काले मोहरों में था तो वो अनिका की जगह साहिल के शरीर में कैसे पहुँचा?" कांस्टेबल विवेक ने चिंतित स्वर में कहा तो इंस्पेक्टर अजय ने कहा "सब कुछ अगर आसानी से ही मिल जाएगा तो हमारे काम का मज़ा खराब नहीं हो जाएगा?
जाओ और इसी वक्त से उस शख्स का चौबीसों घण्टे पीछा करो कि वो कहाँ आता है, कहाँ जाता है, किससे मिलता है।"

"जी सर।"

कांस्टेबल विवेक के जाने के बाद संजय ने कहा "मतलब आप जानते हैं कि इसके पीछे किसका हाथ है?"

"शायद हाँ।" इंस्पेक्टर अजय ने एक लंबी साँस लेते हुए कहा।
क्रमशः