Shatranj ki Bisaat - 4 in Hindi Thriller by शिखा श्रीवास्तव books and stories PDF | शतरंज की बिसात - भाग 4

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

Categories
Share

शतरंज की बिसात - भाग 4

काफी देर तक आँखें बंद किये रहने के बाद इंस्पेक्टर अजय अपने केबिन से बाहर आए तो उन्होंने देखा शाम ढ़लने लगी थी।

कुछ सोचकर उन्होंने एक बार फिर कांस्टेबल विवेक का नंबर डायल किया।

"जय हिंद सर।"

"जय हिंद। कहाँ हो तुम?"

"बस थाने ही आ रहा हूँ सर।"

"एक काम करो मिस्टर साहिल के कमरे की जो तस्वीरें तुमने खींची थी उन्हें प्रिंट करवा कर कल सुबह मेरे पास लेकर आओ।"

थाने में मौजूद अन्य कांस्टेबल्स को रात की ड्यूटी सौंपकर इंस्पेक्टर अजय अपने घर के लिए निकल गए।

अगले दिन सुबह ही सुबह जब वो थाने पहुँचे तब सबसे पहले कांस्टेबल राखी ने उन्हें बताया कि मिसेज अनिका को होश आ गया था और डॉक्टरों के अनुसार अब वो अपना बयान दे सकती थी।

ये सुनते ही उन्होंने इंस्पेक्टर रघु को तुरंत मिसेज अनिका का बयान लेने रवाना कर दिया जो साहिल और अनिका के कॉल रिकार्ड्स और साहिल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ उनका इंतज़ार कर रहे थे।

कांस्टेबल विवेक भी सारी तस्वीरों के प्रिंट के साथ बेचैनी से चहलकदमी करते हुए उन्हीं की राह देख रहा था।

सबसे पहले इंस्पेक्टर अजय ने पोस्टमार्टम की रिपोर्ट पढ़नी शुरू की।
इस रिपोर्ट के अनुसार मिस्टर साहिल की मौत हृदयाघात से हुई थी लेकिन इस हृदयाघात की वजह नहीं पता चल पाई थी।

अब उन्होंने विवेक की लाई हुई तस्वीरों का पैकेट उठाया और एक-एक तस्वीर को ध्यान से देखने के बाद उन्होंने एक तस्वीर किनारे रखा।

अभी वो साहिल और अनिका के कॉल रिकार्ड्स पर नज़र दौड़ाने ही जा रहे थे कि तभी फोरेंसिक विभाग से डॉक्टर संजय वहाँ पहुँचे।

"तो संजय, तुम्हारी क्या रिपोर्ट है?"

"सर, मिस्टर साहिल के हाथ पर हमें कुत्ते के नोचने के मामूली निशान मिले हैं और उनकी कलाईयों पर ऐसे निशान हैं जैसे किसी ने उन्हें ज़ोर से पकड़ा हो लेकिन अफ़सोस वहाँ किसी की ऊँगलियों के निशान नहीं मिले।

और मिसेज अनिका के गले पर जो निशान थे वो मिस्टर साहिल की ऊँगलियों से मिलते हैं।
इसका मतलब ये है कि उन्होंने अपनी पत्नी की जान लेने की कोशिश की।"

"पहले उन्होंने अपनी पत्नी को मारने की कोशिश की और फिर जब देखा कि उनके हाथ में बस इतनी ताकत है कि अपनी पत्नी को बेहोश ही कर पाए तो इसी सदमे में उन्हें दिल का दौरा पड़ गया।
है ना?" अपनी बात पर खुद ही इंस्पेक्टर अजय हँस पड़े।

सब लोग उन्हें हैरानी से हँसते हुए देख रहे थे। इससे पहले की कोई कुछ प्रतिक्रिया देता इंस्पेक्टर अजय एक बार फिर गम्भीर होकर संजय से मुखातिब हुए।

"अच्छा वहाँ कमरे से तुमने कौन-कौन सी चीजें उठाई थी जाँच के लिए? उनमें कोई सुराग मिला क्या?"

"मैंने बस साइड टेबल से पानी के ग्लास-जग लिए थे और वो शतरंज की बिख़रे हुए मोहरे और बोर्ड।
बाकी कमरे में से लेने लायक कुछ नहीं था।

वहाँ जितने भी ऊँगलियों वगैरह के निशान मिले हैं वो या तो मिस्टर साहिल और मिसेज अनिका के हैं या फिर उनके नौकरों के।
किसी बाहरी व्यक्ति का कोई निशान मुझे नहीं मिला।"

"हम्म एक बात तो तय है कि मिस्टर साहिल की मौत संयोग नहीं है, इसके पीछे किसी का हाथ जरूर है। बस हमें उस तक पहुँचना है। चाहे वो कितनी भी होशियारी क्यों ना दिखा ले लेकिन हमसे नहीं बच सकता है।"

"जी सर बिल्कुल। अब मैं चलता हूँ।"

"ठीक है।"

इंस्पेक्टर अजय ने अब कॉल रिकार्ड्स का पेपर अपने सामने रखा।

अभी उन्होंने उस पर अपना ध्यान लगाया ही था कि तभी संजय एक बार फिर उनके केबिन में आया।

"सर मैं एक बार मिस्टर साहिल के कुत्ते रॉबी को देखना चाहता हूँ।"

"क्यों?"

"क्योंकि लाल बाबू ने कहा था ना की शतरंज के दौरान रॉबी बार-बार मिस्टर साहिल को परेशान कर रहा था।"

"हम्म एक काम करो। किसी जानवर के डॉक्टर को भी बुलाओ क्योंकि लाल बाबू के अनुसार रॉबी का व्यवहार भी कुछ बदला हुआ सा है। मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ।"

"ठीक है सर। मैं एक घण्टे में आपको मिस्टर साहिल के बंगले पर मिलता हूँ।"

"ठीक है।"

अब इंस्पेक्टर अजय ने फिर से कॉल रिकार्ड्स को अपने सामने रखा।
वो बहुत ध्यान से सारे नम्बर्स देख रहे थे लेकिन उन्हें एक भी ऐसा नंबर नहीं मिला जिसके सामने निशा का नाम लिखा हो।

अनिका और अजित के अलावा साहिल के फोन पर सिर्फ उसके बिजनेस संबंधित कॉल ही नज़र आ रहे थे और अनिका के रिकार्ड्स में भी वो कोई संदिग्ध नम्बर नहीं तलाश पाए थे।

वहीं खड़े कांस्टेबल विवेक ने कहा "सर ये भी तो हो सकता है कि निशा मिस्टर साहिल के दफ्तर में उनसे मिलती हो या वहाँ उन्हें फोन करती हो, या फिर मिस्टर साहिल के पास एक और फोन हो।"

"अगर एक और फोन होता तो कमरे में ही मिलता ना। लेकिन वहाँ तो बस एक ही फोन मिला हमें।

हाँ लेकिन हम दफ़्तर के फोन की जाँच जरूर कर सकते हैं और वहाँ भी सबसे पूछताछ कर सकते हैं।
इसके साथ-साथ दफ़्तर और घर दोनों जगह की सीसीटीवी की पिछले दो दिनों की फुटेज भी निकलवाओ।
पूछताछ के लिए मैं इंस्पेक्टर रघु को दफ़्तर भेजता हूँ।"

"ठीक है सर। मैं फुटेज लेकर जितनी जल्दी हो सके वापस आता हूँ।
जय हिंद।"

"जय हिंद।"

कांस्टेबल विवेक के जाने के थोड़ी ही देर बाद इंस्पेक्टर रघु अनिका का बयान लेकर थाने पहुँच चुके थे।

इंस्पेक्टर अजय को अनिका के बयान की कॉपी देते हुए इंस्पेक्टर रघु ने कहा "सर मिसेज अनिका ने बताया कि शतरंज खेलने के दौरान ही उन्हें महसूस हुआ कि उनका सर भारी लग रहा है औऱ वो जाकर बिस्तर पर लेट गई।
लेकिन उन्हें ये बिल्कुल याद नहीं है की साहिल ने या किसी और ने उनका गला दबाने की भी कोशिश की थी।

उनका कहना है कि चाहे जो हो जाए लेकिन उनके पति उन पर जानलेवा हमला नहीं कर सकते थे।"

"अजित भी यही कह रहा था। अब सीधी बात है कि किसी ने पहले ही मिसेज अनिका को बेहोशी की दवा या इंजेक्शन कुछ दिया जिससे वो गहरी बेहोशी में पहुँच जाए ताकि उन्हें कुछ भी पता ना चल सके कि कमरे में क्या हुआ, किसने उन पर और मिस्टर साहिल पर हमला किया।"

"लेकिन सर मिसेज अनिका के शरीर में डॉक्टर्स को ऐसी कोई दवा नहीं मिली और फिर उनके गले पर निशान तो मिस्टर साहिल के हाथों के हैं।"

"ये कातिल का बुना हुआ जाल है रघु। तुमने ऐसी दवाओं के बारे में नहीं सुना है क्या जिनका कुछ घँटों के बाद शरीर में कोई निशान नहीं मिलता है।"

"हम्म आप सच बोल रहे हैं सर। पक्का ऐसी ही किसी दवा का इस्तेमाल किया गया होगा।"

"चाहे दवा का सुराग मिले ना मिले कातिल का सुराग तो हम ढूँढ ही लेंगे।" इंस्पेक्टर अजय ने अपनी निगाहें साहिल और अनिका के बेडरूम की तस्वीरों पर स्थिर करते हुए कहा।
क्रमशः