Mahila Purusho me takraav kyo ? - 86 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 86

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 86

अभय और बदली चाय पी रहे हैं , अभय ने कहा बदली ! तुम वर्दी मे अच्छी लग रही हो । बस अपनी फिटनेस ऐसे ही रखना । थैंक्स जीजू मै ध्यान रखूंगी..अब आप बताओ इस केस मे आपकी क्या मदद करूं । आप पूरी रिपोर्ट तैयार कर ले । अभी तो डेड बॉडी को उसके घर वालो को हैंडओवर करना है । यूनिट ने जवान के घर सूचना कर दी होगी । जवान का अंतिम संस्कार पूरी जांच होने के बाद ही करवाना पड़ेगा ।
बदली ने कहा जीजू आप अभी एकबार घर हो आइए..शाम को 4:00 बजे आप आजाइएगा । अभय ने कहा नही बदली मुझे शाम तक पूरे केस की रिपोर्ट सीओ को देनी है । मै आपके साथ ही रहुंगा । एकबार घर जाकर आजाता हूँ ...बदली ने कहा ठीक है जीजू ... जीजू मुझे मेघा के नाम से लोग जानते है ..सोचा बतादूं ..अभय मुस्कुराकर उसकी आंखों मे झांककर..ओके मेडम, मुझे आपका असली नाम का पता चल गया ..लेकिन मै तो बदली ही कहुंगा ...बदली भी मुस्कुराकर अपनी केन उठा लेती है और कहती है चलिए मै आपको घर छुड़वा देती हूँ .. दोनो ऑफिस से बाहर आजाते है ..
अभय अपने घर पर लगभग 10 बजे पहुंच जाता है । वह घर मे एक साथ अपने माता पिता व अपनी पत्नी केतकी को देखता है , उनके चेहरों पर चिन्ता की लकीरे साफ झलक रही है । अभय की मा के हाथ पर गर्म पट्टी बंधी है .. अभय अपनी मा को संबोधित करते हुए कहता है ..मा डॉक्टर को दिखाकर आगयी ? डॉक्टर ने क्या कहा ? अभय की आवाज सुन सभी अभय की ओर देखने लगे ..अभय की मा बोली ..आगया बेटा ! मा के आखों मे आंसू आजाते हैं रूंधे गले से कहती है ..अरे बेटा तू यह बता पुलिस वालो ने तुझे क्यों बुलाया था ? अभय ने अपने हाथ से सान्त्वना देते हुए कहा ..मा पुलिस की कोई इंक्वायरी थी .. मेरी यूनिट के बंदे की डेड बॉडी मिली थी .. इसलिए गया था और मुझे फिर से जाना है । यह सब सुनकर सबके जान मे जान आई ..अभय की मा बड़बड़ाकर..मौहल्ले वालो ने टेन्शन मे डाल दिया था, कैसे सारी लोग लगाई मेरे बारणे आगई मेरे छोरे का तमासा बना दिया... छोरा कीं मत बोलियो मन्ने ..अब बताती हूँ नासपीट्याने.. अभय की मा कस्तुरी गुस्साई हुई दहलीज पर आगयी..जोर जोर से चिल्लाने लगी .. ए ओंकारिया की बहू.. ए बजरंगिया की बहू ..मेरा बेटा सही सलामत आगया है आवो थे सब देखल्यो .. आजाओ बाहर निकलो.. देखलो इसे .. ककस्तुरी की दहाड़ सुन अपने घरों से झांककर देखते है पर बाहर कोई नही आरहा सब अंदर ही दुबके हैं ..वे सब जानते है कस्तुरी जब गुस्से मे होती है तो किसी का भी लिहाज नही करती .. वह कुछ भी मुंह से बोल सकती है .. उनमे कोई बाहर नही आता ..
अभय ने अपनी मा की बांह पकड़ी और घरके अंदर खींचकर ले गया ..मा क्यों बखेड़ा खड़ा करती हो ..उनकी समझ ही छोटी है ..

थोड़ी देर बाद कस्तुरी का गुस्सा शांत हो जाता है । अभय केतकी से कहता है ..मुझे वापस जाना है ..तुम मेरा भोजन बना दो ..मै भोजन करके निकलूंगा ...
अभय भोजन करके पुलिस स्टेशन पहुंच जाता है । बदली ऑफिस मे अभय का ही इंतजार कर रही थी .. अभय ने पूछा मेडम पोस्टमार्टम रिपोर्ट आगयी क्या ..बदली ने कहा अभी नही आयी है .. शाम को शायद आ पायेगी ..अभय ने कहा ओके .. रेल्वे पुलिस को बदली फोन लगाती है ..और कहती है सर .. वह बोगी जिसमे डेड बॉडी मिली थी वह कहां है ? उधर से जबाब मिलता है .. वह दिल्ली मे है उसे सील कर रखा है .. आपकी जांच होगयी है तो बताये बोगी को सर्विस के लिए भेज दे । अभय ने कहा नही अभी बोगी की जांच के लिए हम आरहे हैं । फोन कट कर बदली कहती जीजू ..क्या उसकी जांच जरूरी है । अभय ने कहा मै खुद अपने तरीके से जांच करना चाहता हूँ ...अभय ने दिल्ली एमसीओ को फोन किया और जांच के लिए एक टीम तैयार रखने को कहा ..
शाम करीब 5 बजे पोस्टमार्टम रिपोर्ट आगयी.. रिपोर्ट मे मौत का कारण ड्रग बताया ..सिर की चोट से मौत नही हो सकती ..क्योंकि चोट ज्यादा गहरी नही थी ।
अभय और बदली दोनो दिल्ली के लिए रवाना हो जाते है ... बोगी की बारीकी से जांच होती है .. बोगी मे कोई टकराने का निशान नही था न वहा कोई ओजार ही मिला .. सिर्फ रक्त बहा हुआ था ।
रात के 9 बजे अभय और बदली वापस रवाना होगये .. अभय खुद ड्राइव कर रहा था ..बदली कार मे आगे की सीट पर बैठी थी । बदली भी सिविल ड्रेस मे ही थी ... बदली का मुखमंडल चमक रहा था , वह अपने पूर्ण यौवनकाल मे थी..उसके यौवन से सुदृढ पयोधर उसके श्वास निश्वास से अभय को असहज कर रहे थे .. अभय ने एकाएक कार को रोक दिया ...