Koi Apna sa apne jaisa - 4 in Hindi Drama by Ashish Dalal books and stories PDF | कोई अपना सा अपने जैसा - 4

Featured Books
Categories
Share

कोई अपना सा अपने जैसा - 4

अचानक से अपने सामने अंश और मनन को खड़ा पाकर मिस शर्मा ने अपने हाथ में पकड़ रखी किताब से नजर हटाकर उन दोनों की तरफ देखा और बोली,

 “यस ?”

अंश अपनी बात कहने को पूरी तरह से तैयार था । वो बोला, “आप ही मिस नताशा शर्मा है न ?”

नताशा शर्मा ने अंश और मनन को घूरते हुए कहा, “हाँ, काम क्या है बोलो ?”

अंश कुछ कहने की हिम्मत करते हुए बोला,

“जी ...जी... मेम वो...”

नताशा शर्मा ने अंश की तरफ मुस्कुराकर कहा,

“क्या कहना है साफ साफ कहो।”

“आप ....आ... आप बहुत ही खूबसूरत है।”अचानक ही अंश के मुँह से निकल गया । उसके पीछे खड़ा मनन अब घबराने लगा ।

अंश की बात सुनकर मिस शर्मा ने हाथ में पकड़ रखी किताब टेबल पर रखकर अंश से कड़क शब्दों में पूछा,

 “अच्छा ! यही कहने को अन्दर आये हो ? और कुछ भी कहना है ?”

अंश ने कहा,

“जी मेम! वो....”

नताशा शर्मा ने ऊँची आवाज में कहा,

“हाँ... हाँ...खुलकर बोलो।”

अंश ने जवाब दिया,

“जी ! मैं आपसे प्यार करता हूँ । आई लव यू।”

और ये कहने के बाद उसने घबराहट के मारे आँखें बंद कर ली ।

मिस शर्मा का चेहरा अब गुस्से लाल हो गया और वो जोर से बोली, “नाम क्या है तुम्हारा ?”

अंश के मुँह से शब्द नहीं निकल रहे थे,

“जी...जी...!”

नताशा शर्मा irritate हो रही थी । वो बोली,

“जीजी ! ये कैसा नाम है ?”

तभी अंश ने हिम्मत जुटाकर अपना और मनन का परिचय दिया,

 “नहीं मेम ! मैं अंश और ये मनन।”

 “ओह ! तुम्हें भी कुछ कहना है मि. मनन ?” अंश का जवाब सुनकर मिस शर्मा ने अब मनन की तरफ देखा।

“मिस शर्मा को अपनी तरफ देखते हुए मनन सकपका गया और बोला,

“मुझे ?”

नताशा शर्मा ने कड़क आवाज में कहा, “हाँ तुम्हें । कहना हो तो कह दो ताकि एक साथ ही तुम दोनों को जवाब दूँ।”

मनन घबराहट के मारे अटकते हुए बोल रहा था, “नहीं मेम । दरअसल वो ....”

मिस शर्मा अब अपनी जगह से खड़ी हो गई और बोली, “जानती  हूँ । किसी सीनियर के कहने पर आए हो न ?”

उनकी बात सुनकर अंश और मनन दोनों एक दूसरे का मुँह ताकने लगे ।

“आई एम सॉरी मेम । गलती हो गई।” अंश ने बात बिगड़ते देख माफी माँगते हुए कहा ।

अंश को घबराते हुए देखकर मिस शर्मा ने उसे और ज्यादा डराते हुए कहा,

“अरे नहीं ! गलती तो मैं अब तक करती आ रही थी । पिछले पाँच साल से इस कॉलेज में हूँ । हर साल कोई न कोई उल्लू का पठ्ठा इस तरह की बदतमीजी करने आ पहुँचता है । मेरे प्रिंसिपल से शिकायत करने पर हर साल किसी न किसी को शोकॉज वोर्निग मिलती है पर वही सिलसिला हर साल चलता रहता है । इस बार कुछ अलग कर आज यह मामला हमेशा के लिए ही खत्म कर देते है।”

मनन मिस शर्मा की बात सुनकर बहुत ही ज्यादा डर गया और अपने दोनों हाथ जोड़कर बोला,

“सॉरी मेम ! गलती हो गई । आपकी तरफ देखेंगे तक नहीं अब से...”

मनन के साथ अब अंश भी गिड़गिड़ा रहा था,

 “प्लीज ! कम्प्लेन मत कीजियेगा।”

नताशा शर्मा ने और ज्यादा गुस्से से अंश और मनन से कहा, “बहुत हो गया। अब इस सिलसिले को यहीं रोकना होगा। मैं अभी प्रिंसिपल के पास जाकर तुम दोनों की कम्प्लेन करती हूँ ।”

नताशा शर्मा के बिगड़े हुए तेवर देखकर अंश उनको मनाने की कोशिश करते हुए कहने लगा,

“मेम, आज कॉलेज में हम दोनों का पहला दिन है । प्रिंसिपल तक बात पहुँच गई तो हमारा कैरियर बिगड़ जाएगा।”

“अच्छा!” नताशा शर्मा ने कड़वी सी मुस्कुराहट अपने चेहरे पर लाकर अंश को देखा।

तभी मनन बोला, “प्लीज मेम। आप जो कहेंगी हम वो सब करने को तैयार है पर प्लीज हमारी कम्प्लेन मत करो... प्लीज मेम प्लीज।”

क्या करेगी नताशा शर्मा ? अंश और मनन को ये शर्त कितनी भारी पड़ेगी ? जानने के लिए बने रहे कहानी के साथ लेकिन अपनी कमेन्ट के जरिए कुछ तो बताइए ...