Bhootiya Express Unlimited kahaaniya - 37 in Hindi Horror Stories by Jaydeep Jhomte books and stories PDF | भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 37

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 37

Ep ३७बेताल की चट्टान ३

“और यदि पालकी चली गई तो?” राज ने जल्दी से कहा।

"तो फिर!" भावर्ष ने थोड़ी देर तक आसमान की ओर देखा और आगे बोला।

"तो मैं तुम्हें दो हजार रुपये दूँगा! सहमत हो?"

भवर्षा ने दांव लगाने के लिए हाथ बढ़ाया, कुछ देर तक राज सोचता रहा! अगर हमने कभी भूत नहीं देखा तो क्या उसका अस्तित्व भी है? लोग कहते हैं! क्या आप इसे देखेंगे? नहीं! फिर भी भावर्ष के पाँच सौ रुपये हम पर बकाया थे - हम हारे तो हारे।

"ठीक है!" राज ने भवर्ष के हाथ पर अपना हाथ रख दिया।


ऊँचे आकाश में रात के कीड़ों की चहचहाहट गूँज रही थी - मानो अँधेरे में इन रात के कीड़ों का कोई दल जमा हो गया हो, सड़क के किनारे स्टैंड पर कार खड़ी करके दोनों ने मोबाइल टॉर्च चालू की और कब्रिस्तान की ओर चल दिए।

चारों ओर बड़े-बड़े पेड़ और झाड़ियाँ थीं। - नीचे सुनहरी घास थी जो धूप से सूख गई थी, वे दोनों उस घास को रौंदते हुए कब्रिस्तान की ओर चल रहे थे, नीचे घास से कुछ सांप रेंग रहे थे, अपने शरीर को मोड़ रहे थे और उन दोनों की दिशा में भाग रहे थे .

लेकिन वहाँ उस बेज़ुबान जानवर की कम और इन दोनों की ज़्यादा थी। श्मशान पहुंचते ही दोनों ने भावर्ष राज पर दृष्टि डाली। आगे जंग लगे चार लोहे थे। जिस पर शव रखा जाता है - चिता की लकड़ी

जलाया जा रहा है कोई इस जगह को पवित्र मानता था! यह वह स्थान क्यों है जहां से मनुष्य की आत्मा को शांति मिलती है-आगे की गति मिलती है लेकिन कुछ लोग इस स्थान को अपवित्र मानते हैं। वे यहाँ घूमते हैं - वे अपने बिस्तरों पर बैठते हैं! यह कब्रिस्तान काले और नीले गिरे हुए पेड़ों की आकृतियों के बीच स्थित है, सुनहरी घास चार बेड़ियों के नीचे लिपटी हुई है।

"बाघ राज आल स्मशान!" भवर्षा के इस वाक्य पर राज ने एक बार घड़ी की तरफ देखा। बारह बजने में बारह मिनट थे।

"संतुष्टि! भूत-प्रेत इस दुनिया में नहीं होते प्रिये! तुमने सृष्टि की जो कहानियाँ पढ़ीं वे सब झूठी थीं!" राज निराश हो गया, उसने अपनी पेंट की जेब में हाथ डाला, 500 के दो नोट निकाले...पैसे निकालते समय उसके हाथ से अनजाने में मोबाइल का बटन दब गया..अचानक स्क्रीन डिस्प्ले ऑन/ऑन हो गया। ध्यान उधर गया वर्तमान स्क्रीन...उस स्क्रीन पर समय था।
ग्यारह बजकर अट्ठावन मिनट.

"चलो भुगतान करते हैं" भावर्ष ने हाथ बढ़ाया।

"रुको! अभी बारह भी नहीं बजे हैं! मेरी घड़ी सामने है।"

"क्या!" भवार्ष ने जब इसे स्क्रीन पर देखा तो वह भी हैरान रह गए. क्योंकि मोबाइल में अभी बारह नहीं बजे थे.

"ठीक है, चलो दो मिनट रुकें! अगर तुम चाहो तो मुझे वह पैसे दे दो!"

भावर्ष ने खोये हुए ढंग से हाथ बढ़ाया। राज ने दोनों नोट अपने हाथ पर रख लिये। दोनों ने अपने फोन निकाले और टाइम देखने लगे.

स्क्रीन पर ग्यारह बजने में उनसठ मिनट दिख रहे थे.

दोनों की नजरें फोन की स्क्रीन पर टिकी थीं कि तभी बारह बज गए और उनसठ मिनट बदल गए और दो शून्य हो गए।

और बारह बजे घंटे।

"ज़ाल? बारह बज गये हैं! चलें?" भावर्ष ने झट से कहा।

“अरे भाई दो मिनट रुको!” उनके इस वाक्य पर

भावर्ष ने कंधे हिलाये और हँसने लगा, हँसने लगा और बोला।

"अरे, तुम अब भी क्यों नहीं मानते कि भूत-प्रेत के अलावा कुछ नहीं होता!" यह शब्द भवार्ष के मुंह से निकलते ही..

ढोल पीटने की आवाज वातावरण में गूँज उठी।

''धम!'' आवाज आते ही भवर्ष की आंखें फैल गईं। शरीर अकड़ गया..हाथ-पैर भींच गए, फिर आवाज आई।
"धम्म, धम्म, धम्म, धम्म!" एक के बाद एक ढोल बजने की आवाजें आने लगीं, हर आवाज के साथ वातावरण में ठंडक बढ़ने लगी।

ऐसा लगने लगा कि कोई हमें अँधेरे से छिपकर देख रहा है, मन पर डर का हथौड़ा चलने लगा।

राज ने भवर्षा का हाथ थाम लिया और पास की एक झाड़ी में छुप गया और बैठ कर सामने का नजारा देखने लगा, तभी बमुश्किल सौ मीटर दूर अंधेरे से एक भूत मशालें लेकर नाचता हुआ आ रहा था - अँधेरे में एक मृत व्यक्ति की लाश वेताला की पालकी इन दोनों की ओर ऐसे आ रही थी मानो पालकी में बैठा भूत रो रहा हो और हँस रहा हो! कोई चिल्लाया और चिल्लाया, तुरंत एक बेवकूफ की तरह हँसने लगा, झबरा, बिना धुले, लंबे बाल अपना सिर घुमाते हुए आगे आ रहे थे।

"अब क्या करें राज? वे सब हमारी ओर आ रहे हैं! मानो...मानो...उन्होंने हमें देख लिया हो!"

भावर्ष ने अपना पक्ष रखा.

"पहिला! इस दुनिया में भूत हैं! और जो कहानियाँ मैं पढ़ रहा हूँ वे नकली नहीं हैं!"

"हाँ पिताजी! मुझे क्षमा करें, अब मैं इस मुसीबत से कैसे निकल सकता हूँ?"

इसे ढूंढो!" भवर्ष ने जल्दी से कहा। मागुन अजीब तरह से चिल्ला रहा था

विवलट भुतावल आगे बढ़ रहे थे - वे किसी भी क्षण यहां पहुंच सकते थे।

क्रमश :













सदर कथा काल्पनिक आहे !

कथेत भुत ,प्रेत अमानविय शक्तिंचे उल्लेख आहे .

कथेत अंधश्रद्धा आहे परंतू लेखक तिला खतपाणी घालत नाही ... गरज असल्याने तिच वापर केल गेल आहे कृपया भयरसिकांनी कथा आन्ंद मिळाव ह्या उद्दीष्टाने वाचावी .


महत्वाच संदेश- सदर कथेत उच्चार केलेल्या गावाच नाव आणि तिथली परिस्थिती हे सर्वकाही काल्पनिक असून .. वाचकांनी ही कथा ,त्यात असलेले पात्र, मृत व्यक्ति, एकंदरीत सर्वच्या सर्वच परिस्थिती काल्पनिक नजरेने पाहावी- आणी फक्त मनोरंजन व्हावा ह्या हेतूने कथा वाचावीत अशी माझी प्रत्येक वाचका प्रती नम्र विनंती आहे. 🙏


ह्या कथेत लेखकाने गरज असल्याने भूत,प्रेत,पिशाच्च ,हडळ,डाकिनी ,याक्षिणी अशी भुत आनी अंधश्रद्धा दाखवली आहे - पन, लेखकाचा ह्या कथेवाटे समाजात अंधश्रद्धा पसरवण्याचा मुळीच हेतू नाही. हे वाचकांनी समजुन घ्या - जर कोणीही लेखकाला पर्सनल मेसेज करून आक्षेपार्ह शिवी गाळ करणारे मेसेज आणि वाईट ,हिंसक वागणूक दिली- तर कायद्यानूसार त्या वाचकावर कठोर कारवाई करून त्यावर कडक, एक्शन घेतली जाईल! सदर कथेत शुद्धलेखनाच्या चुका असू शकतात, कारण लेखक नवा आहे नवखा आहे , तर कृपया करून त्या लेखकास समजून घ्या ! तो पुढे जाऊन नक्कीच चांगल्या पद्धतीने लिहायला शिकेल ............ कथेत आढ्ळणा-या चुका लेखकास निदर्शनास आणून द्या..जेणेकरुन तो

लेखक चुका सुधारण्याचा प्रयत्न करिल.....

आनी नव्या जोशाने लिहिल..!

महत्वपूर्ण संदेश- सदर कथा उरार केलेलिया गावच नाव और तिथि पृष्टिति हे सर्वकाही काल्पनिक आसुन .. वाचकन्नी असले ही कथा, त्यात् ‍ यत् ले पात्र, मृत व्यक्ति, एकेंद्रित ‍ सर्वच सर्वाच पृष्टि ‍ काल्पनिक नजरें पाहावी- और वास्तविक मनोरंजन व्हावा हया हेतुने कथा वाचावित आशी माझी हर वाचका प्रति। नम्र विनन्ति आहे। 🙏

ह्या कथेत लेखक· गैर असल्याने भूत,प्रेत,पिशाच,हडळ,डाकिनी,यक्षिणी अशी भुत अनी अंधश्रद्धा देखावली एहे - पन,लेखक हया कथेवते समाजात् अंधश्रद्धा पसरव्याचा मुळीच हेतु नहीं। वाचकन्नी समजुन घ्या - एक जर कोनिही राइटरला पर्सनल मेसेज करून अक्सेरह शिवी गाळ कर्नारे मेसेज एनी वेट, हिंसक वागानुक डेली-टार कायद्यानुसार त्या वाचकवर हार्ड कारवाई करुन तयावर कडक, एक्शन घेतली जेल! सड कथेत शुद्धलेखनाच्या ने अस्सु शक्तात का भुगतान किया, क्योंकि लेखक नवा अहे नवाखा आहे , तर कृपया करून त्यास लेखक समजून ग्या ! तो पुढे जाऊं नक्की चांगल्या पद्धतिने लिहायला शिकेल ............ कथेत आध्लाना-या भुगतान लेखक निदर्शनास अनून द्या..जेनेकरुन तो

लेखक ने सुधार का प्रयास किया...

आनी नव्या जोशाने लिहिल..!



कथा सुर...


कथा सुरु...नेकस्ट एपिसोड.. दर एकदिवसाआड एक भाग पोस्ट होइल.

.धन्यवाद


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सदर कथा काल्पनिक आहे !

कथेत भुत ,प्रेत अमानविय शक्तिंचे उल्लेख आहे .

कथेत अंधश्रद्धा आहे परंतू लेखक तिला खतपाणी घालत नाही ... गरज असल्याने तिच वापर केल गेल आहे कृपया भयरसिकांनी कथा आन्ंद मिळाव ह्या उद्दीष्टाने वाचावी .


धन्यवाद





कथा सुरु ...


महत्वपूर्ण संदेश- कहानी में वर्णित गांव का नाम और वहां की स्थिति सब काल्पनिक है।


कहानियाँ केवल मनोरंजन के लिए ही पढ़ी जानी चाहिए


इस कहानी में लेखक ने भूत-प्रेत और अंधविश्वास को आवश्यकता के कारण दर्शाया है - लेखक का इस कहानी के माध्यम से समाज में अंधविश्वास फैलाने का कोई इरादा नहीं है। यदि कोई व्यक्ति व्यक्तिगत संदेशों के माध्यम से लेखक को आपत्तिजनक संदेश और व्यवहार भेजता है तो कानून के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी!


कहानी में वर्तनी की गलतियाँ हो सकती हैं, इसलिए कृपया लेखक को समझें!


लेखक गलतियों को सुधारने का प्रयास कर रहा है..




धन्यवाद..

यह कहानी काल्पनिक है!

कहानी में भूत-प्रेत और अमानवीय शक्तियों का जिक्र है।

कहानी में अंधविश्वास है लेकिन लेखक इसमें कुछ नहीं जोड़ता... इसका इस्तेमाल इसलिए किया गया है क्योंकि यह जरूरी है।


महत्वपूर्ण संदेश- कहानी में वर्णित गांव का नाम और वहां की स्थिति सब काल्पनिक है। विनम्र निवेदन। 🙏


इस कहानी में लेखक ने आवश्यकता के कारण भूत-प्रेत, लाश, पिशाच, पिशाच, डाकिनी, यक्षिणी जैसे भूत-प्रेत और अंधविश्वासों को दर्शाया है - लेकिन इस कहानी के माध्यम से समाज में अंधविश्वास फैलाने का लेखक का कोई इरादा नहीं है। पाठक इसे समझें - यदि कोई लेखक को आपत्तिजनक अपमानजनक संदेश और बुरे, हिंसक व्यवहार वाले व्यक्तिगत संदेश भेजता है - तो उस पाठक के खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी! इस कहानी में वर्तनी की गलतियाँ हो सकती हैं, क्योंकि लेखक नया है, इसलिए कृपया लेखक को समझें! वह आगे चलकर निश्चित रूप से बेहतर लिखना सीखेगा..........कहानी में गलतियों को लेखक को बताएं..ताकि वह

लेखक त्रुटियों को सुधारने का प्रयास करेगा...

और नये जोश से लिखेंगे..!

कहानी जारी है...अगला एपिसोड..हर एक दिन एक एपिसोड पोस्ट किया जाएगा।

।धन्यवाद


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यह कहानी काल्पनिक है!

कहानी में भूत-प्रेत और अमानवीय शक्तियों का जिक्र है।

कहानी में अंधविश्वास है लेकिन लेखक इसमें कुछ नहीं जोड़ता... इसका इस्तेमाल इसलिए किया गया है क्योंकि यह जरूरी है।


कथा