A Perfect Murder - 8 in Hindi Crime Stories by astha singhal books and stories PDF | ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 8

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 8

भाग 8

“मेरी सोच बहुत सुधरी हुई है प्रीत! तुम सिर्फ मेरी हो। जब मैं हूँ तुम्हारी ज़िंदगी में तो किसी और को‌ रिझाने की क्या ज़रूरत है?” अमोल ने प्रीति को कस कर बाहों में भरते हुए कहा।

“मैं मानती हूँ अमोल कि मैंने डांस लोगों को और लड़कों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए किया था। उस समय मेरी सोच ये थी कि मुझे भी एक बॉयफ्रेंड चाहिए। पर आज मैं ऐसा नहीं सोचती। आज मैं अपने डांस को प्रोफेशन बनाना चाहती हूँ।”

प्रीति के ऐसा कहते ही अमोल गुस्से से आग-बबूला हो उठा। उसने एक हाथ प्रीति के बालों को पकड़ा और दूसरे हाथ से उसके चेहरे को, और उसे खींच कर अपने होंठों के बिल्कुल करीब लाते हुए बोला, “प्रीत! मेरी गर्लफ्रेंड किसी और के सामने नाचे, ये मुझे गवारा नहीं है। अब तुम्हें चुनना है, मेरी बेपनाह मोहब्बत या तुम्हारा छिछोरा नाच-गाना।”

प्रीति की आँखों में आँसू थे। वो अमोल को खोना नहीं चाहती थी। बहुत मुश्किल से उसके जीवन में प्यार आया था। ऐसा प्यार जो उसे उसके रंग-रूप को लेकर टोकता नहीं था। जिसको उसके शरीर के काले होने से कोई ऐतराज़ नहीं था। जिसके साथ उसकी हर इच्छा की पूर्ति हो रही थी। अंततः उसने अपने शौक, अपने नृत्य से ऊपर अपने प्यार को चुना।

प्रीति ने अपने होंठों को अमोल के होंठों पर रख ये जता दिया कि उसने किसे चुना है।

“ओह! प्रीत! कुछ पल के लिए तो मैं घबरा गया था। कहीं तुम मुझसे ऊपर अपने नाच को ना चुन लो।” अमोल ने उसके चेहरे को हर तरफ से चूमते हुए कहा।

“अमोल, तुमने मुझे ज़िन्दगी का हर सुख दे दिया है। जिस प्यार, अपनेपन के लिए मैं तरस रही थी वो मुझे तुमसे मिला है। तुम्हें कैसे छोड़ कर जा सकती हूंँ स्वीटहार्ट!”

ये कह वो दोनों एक दूसरे को बेइंतहा चूमने लगे। एक-दूसरे में खो गए।

ये सब सुनने के बाद विक्रम हँस पड़ा।

“कविता, तुमने उनकी पूरी रास-लीला देखी, माई गॉड!”

“चुप करो विक्रम! मैं वापस आ गई थी वहाँ से। और वैसे भी खुले में कोई कितनी हद तक जाएगा? तुम भी ना!”

“अच्छा इससे तुम साबित क्या करना चाहती हो?” विक्रम ने कंघी करते हुए पूछा।

“प्रीति की तरह, नीलम को भी डांस का बहुत शौक था। पर अमोल के व्यवहार के कारण वो भी उसे आगे बढ़ा नहीं पाई।”

“तो! इससे क्या साबित होता है?” विक्रम ने आश्चर्य से पूछा।

“विक्रम इससे कुछ बातें हैं जो साफ होनी ज़रूरी हैं। एक ये कि अमोल का नेचर ऐसा है कि उसकी गर्लफ्रेंड हो या बीवी, वो बर्दाश्त नहीं कर सकता कि कोई और आदमी उससे बात भी कर ले। अमोल, एक शक्की मिजाज का व्यक्ति है।” कविता कुछ सोचते हुए बोली।

“और दूसरा?” विक्रम ने उसे आगे बोलने को कहा।

“विक्रम, प्रीति का मैं समझ सकती हूँ कि उसने बचपन से अपने साथ भेदभाव देखा, घर पर सब ने उसे दबा कर रखा, वो स्कूल में दोस्ती और अटेंशन लेने के लिए तरसती रही, इसलिए जब अमोल उसकी ज़िन्दगी में आया तो उसने अपने हुनर और शौक का गला घोंट दिया, पर नीलम? वो एक पढ़ी-लिखी, खूबसूरत महिला है। उसकी क्या मजबूरी थी जो उसे अमोल की इच्छा के अनुसार चलना पड़ा?”

“हो सकता है उसने ऐसा इसलिए किया हो क्योंकि वो अमोल से प्यार करती है।” विक्रम ने कंधे उचकाते हुए कहा।

“ये क्या बात हुई? अब प्यार तो मैं भी तुमसे बहुत करती हूँ। पर इसका ये मतलब तो बिल्कुल नहीं है ना कि मैं तुम्हारी हर बात मान लूँ। और फिर…नीलम कोई सीधी-सादी महिला नहीं थी।”

“क्या मतलब? चक्कर थे उसके क्या?” विक्रम ने चौंकते हुए कहा।

“नहीं! मेरा मतलब है कि नीलम नये फैशन‌ के कपड़े, जेवर पहनना पसंद करती थी। ये मुझे उस एल्बम को देखकर मालूम चला। उसका घर देखा था तुमने! सलीके से सजा हुआ। बेहद खूबसूरत घर था वो। इसका मतलब, शी लव्ज एवरीथिंग ब्यूटीफुल! उसे खूबसूरती पसंद थी। खूबसूरती और सादगी में बहुत फर्क होता है। इसलिए मेरा ध्यान बार-बार इस बात पर जा रहा है कि नीलम ने अमोल से शादी क्यों की?”

“मतलब नीलम अमोल के साथ खुश नहीं थी? ऐसा कहना चाहती हो तुम? वो खुद ही कहीं चली गई?” विक्रम जूते पहनते हुए बोला।

“शायद! पर आस-पास के लोगों से बात करके तो ऐसा नहीं लगता। सबके हिसाब से वो दोनों एक हैप्पी कपल थे। पर कुछ तो है, जो दिख नहीं रहा। तुमने प्रीति की जानकारी निकाली?”

“हाँ, कुछ महीने पहले अमोल ने प्रीति से चार-पांच बार बात की थी। फिर उसके बाद कोई कॉन्टेक्ट नहीं हुआ।” विक्रम ने जानकारी दी।

“हम्मम…विक्रम एक प्लान है! शायद‌ काम कर जाए।” कविता ने विक्रम को अपना प्लान सुनाया।

“ओहो! स्मार्ट पति की स्मार्ट पत्नी! ठीक है, अंजाम देते हैं इसे। चलो वरना सर का फोन आ जाएगा।”

इंस्पेक्टर विक्रम राठोर और कविता राठोर निकल पड़े पार्टी के लिए।



क्रमशः
आस्था सिंघल