उदय को जब पता चला कि राजवीर को होश तो आ गया है लेकिन उसकी याददाश्त वापस नहीं आयी है तो वो फिर से इस केस को लेकर निराश हो गया, राजवीर के होश में आने की खबर ने जो खुशी उसे दी थी और इस केस के सॉल्व होने की जो उम्मीद जगायी थी वो एक पल में फिर से नाउम्मीदी में बदल गयी थी |
इसके बाद राजवीर के होश में आने के अगले दिन राकेश सिंघानिया और प्रीती सिंघानिया के कहने पर डॉक्टरों ने राजवीर के सारे चेकअप करने के बाद उसे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया था, राजवीर काफी कमजोर हो गया था, उसे याद भले कुछ नहीं था लेकिन इतने महीनों बाद बोलने की वजह से वो लड़खड़ायी जुबान से बाते जरूर कर रहा था |
राजवीर के घर चले जाने के बाद इस केस को लेकर हद से जादा परेशान इंस्पेक्टर उदय सिर्फ राजवीर का मन टटोलने की नीयत से उसके घर जाने के अगले दिन उससे मिलने सिंघानिया हाउस आ गया था, उसने बड़े प्यार से राजवीर से सुहासी के बारे में कुछ सवाल भी किये लेकिन उसके हर सवाल का राजवीर के पास एक ही जवाब होता था "मुझे कुछ याद नहीं है इंस्पेक्टर बस मुझे एक ही नाम रह रहकर याद आ रहा है.. सुहासी!! बस बाकि मुझे खुद याद नहीं कि ये सुहासी कौन है!!"
कुछ देर राजवीर के पास बैठने के बाद भी जब उदय को किसी भी तरह की कोई भी जानकारी मिलने की उम्मीद दिखनी बंद हो गयी तो वो उसके कमरे से निकल कर बाहर आ गया, आज घर पर राकेश और प्रीती दोनों नहीं थे शायद छ: महीने से राजवीर की हालत की चिंता से परेशान वो दोनों रिलैक्स करने के लिये दिल्ली में ही कहीं गये थे,जब उदय ने इस केस की जांच शुरू करी थी तब सिंघानिया हाउस का एक नौकर था जिसने उदय को राजवीर के साथ हुये उस हादसे के बाद बहुत अच्छे तरीके से और समझदारी से सारी बातें बतायी थीं, उदय ने आज सिंघानिया हाउस से निकलते वक्त उसी नौकर को पास बुला कर कहा- देखो दोस्त तुम्हे जरा सा भी ये एहसास हो कि राजवीर पुरानी बातों में से कुछ याद कर रहा है या उससे मिलने कौन आ रहा है कौन नहीं सब पर नजर रखना, राजवीर को लेकर राकेश और प्रीती के बीच क्या बातें हो रही हैं या उससे मिलने कोई आता है तब क्या बातें होती हैं वो सब ध्यान रखना और जैसे ही तुम्हें कुछ भी डाउटफुल लगे वैसे ही तुम मुझे कॉल करके सारी बात बताओगे और ये लो कुछ पैसे ये रख लो बाकि तुम्हारा दिल खुश कर दूंगा जिस दिन तुमने कोई ठोस जानकारी दी उस दिन!!
अपनी बात कहते हुये उदय ने उस नौकर को पांच सौ के दो नोट पकड़ाये और अपने साथ गये सिपाही से कहकर वहां से अपनी पुलिस जीप आगे बढ़ा ली|
उदय के साथ सिंघानिया हाउस गया वो सिपाही गाड़ी आगे बढ़ाकर उससे बोला- साहब एक बात पूछूं??
उदय ने कहा- हां पूछो!!
सिपाही बोला- साहब राजवीर की याददाश्त वापस आ जायेगी तो सिंघानिया साहब खुद ही बता देंगे ये बात आप भी जानतें हैं तो फिर आपने उनके नौकर को पैसे देकर राजवीर पर नजर रखने के लिये क्यों कहा और वो भी हजार रुपय, वो दो तीन सौ में भी आपका काम करने के लिये मान जाता!!
सिपाही की बात सुनकर उदय हंसी का ठसका सा लेता हुआ उससे बोला- आज मौसम बड़ा रोमांटिक है, हैना!! अच्छा एक बात बताओ... दारू पियोगे??
अपने सीनियर के साथ शराब पीने के नाम पर वो सिपाही थोड़ा हिचकिचाता हुआ सा बोला- अम्म् साहब मौसम तो अच्छा है, बादल छाये हुये हैं हवा भी ठंडी चल रही है लेकिन आपके साथ... मैं कैसे!!
उस सिपाही की बात सुनकर उदय उसके कंधे पर हाथ मारता हुआ बोला- ओ कम ऑन... हम थाने में जूनियर सीनियर हैं और अब तो वैसे भी ड्यूटी आवर खत्म होने वाला है चलो दारू पीते हैं, आज मेरी तरफ से तुम्हे ट्रीट!!
इसके बाद उदय और वो सिपाही दोनों शराब पीने के लिये दिल्ली से थोड़ा बाहर एक ढाबे पर चले गये, वहां जाकर दो पैग पीने के बाद उस सिपाही ने उदय से कहा- साहब आपने बताया नहीं कि आपने सिंघानिया के नौकर को हजार रुपय क्यों दिये?
उदय सिगरेट जलाते हुये बोला- क्योंकि कोई बड़ी बात नहीं है कि राजवीर की याददाश्त गयी ही ना हो और ये भी कोई बड़ी बात नहीं है कि हम अपनी जो जांच सुहासी के इर्द गिर्द कर रहे हैं उसका मेन कलप्रिट खुद राजवीर हो और सबसे बड़ी बात ये कि हमने एक गलती कर दी और वो ये कि कल जब हमें पता चला कि राजवीर को होश आ गया है तो हम हॉस्पिटल तो गये लेकिन हमने डॉक्टर से बात करके ये पता लगाने की कोशिश नहीं करी कि उसे होश कितनी देर पहले आया, क्या पता राजवीर को होश काफी पहले आ गया हो और होश में आने के बाद उसने राकेश और प्रीती के पू़छने पर उन्हें कुछ बताया हो कि उसकी ये हालत क्यों हुयी और पुलिस कार्यवाही के डर से याददाश्त जाने का ये पूरा नाटक रचा गया हो और अगर ऐसा है तो राजवीर अपने घर में अपने मां बाप और नौकरों के सामने जरूर अपनी पिछली जिंदगी से जुड़ी कोई ना कोई बात तो करेगा ही करेगा और उसे तो ये पता नहीं है कि हमने उनके एक नौकर को अपना जासूस बनाकर उसके पीछे छोड़ा हुआ है और कोई बड़ी बात नहीं है कि मेरा ये तीर सही निशाने पर लग जाये क्योंकि अमीरों के नाटक अलग तरह के ही होते हैं!!
उदय की बात सुनकर वो सिपाही बोला- बात तो आपकी लाख टके की है साहब और अगर आपका शक सही हुआ तो ये भी हो सकता है कि राजवीर की याददाश्त का बहाना बनाकर सिंघानिया और उसकी बीवी उसका इलाज कराने के नाम पर विदेश भागने की कोशिश भी करें, हैना साहब??
सिगरेट पीते हुये उदय अपनी जगह से उठा और सिपाही से बोला- यही तो बात है मेरे दोस्त... ये केस किसी भी करवट मुड़ सकता है इसीलिये हर तरफ जाल बिछाना बहुत जरूरी है!!
क्रमशः