Ye Ishq Bada Bedardi Hai - 4 in Hindi Fiction Stories by Vijay Sanga books and stories PDF | Ye Ishq Bada Bedardi Hai - 4

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Ye Ishq Bada Bedardi Hai - 4

पिछले भाग में आपने पढ़ा , वीर जब अपने चाचा चाची को हाईवे पर हुए एक्सीडेंट के बारे मे बताने जा रहा था तभी वहां पर उसकी बहन पूनम और उसके भाई आ जाते हैं। उनके वहां आने की वजह से वीर अपने चाचा के कान मे धीरे से कुछ कहता है।

वीर की बात सुनने के बाद उसके चाचाजी उसको अपने साथ घर के बाहर चलने का इशारा करते हैं। वीर भी बिना कुछ बोले अपने चाचा के पीछे पीछे घर के बाहर चल देता है।

अब आगे....

अपने चाचा के साथ घर के बाहर जाने के बाद वीर उनसे कहता है, “असल मे चाचाजी, बात ऐसी है की जब मे हाईवे से जा रहा था तब एक लड़की अचानक से गाड़ी के सामने आ गयी थी। मैंने ब्रेक मारा पर बारिश की वजह से ब्रेक पूरी तरह नहीं लगा पाया और वो गाड़ी से टकरा गयी। मैं उसके पास ये देखने के लिये गया की वो ठीक है या नहीं! पर जैसे ही मैं उसको चेक करने लगा वो अचानज से खड़ी हो गयी। इससे पहले की मैं उससे कुछ पूछ पता, वो लड़की बिना कुछ बोले वहां से भाग गई।”

वीर की पूरी बात सुनने के बाद उसके चाचा उससे कहते हैं, “तू चिंता मत कर, उस लड़की को कुछ नहीं हुआ होगा! अगर उसे कुछ हुआ होता तो वो वहां से ऐसे भागती नही।”

वीर के चाचा को पता था की वीर उस एक्सीडेंट की वजह से घबराया हुआ था, इसलिए वो उसे अच्छा महसूस करवाने के लिये ये सब बोल रहे थे।

अगली सुबह वीर और पूनम नाश्ता करने के बाद कॉलेज चले गये। कॉलेज पहुंच कर वीर अपनी बाइक पार्क करने के बाद अपनी क्लास की तरफ जा ही रहा था की तभी अचानक से एक लड़की उसके सामने से गुजरी।

उस लड़को को देख कर वीर को ऐसा लगा जैसे उसने उस लड़की को पहले भी कहीं देखा है! वो उस लड़की से कुछ बोलता उससे पहले ही वो लड़की तेजी से वहां से निकल गयी।

वीर ने फिर सोचा की ये सब शायद उसका वहम होगा, इसलिए उसने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

लंच टाइम मे वीर अपनी बहन पूनम के साथ कैंटीन मे बैठकर खाना खा रहा होता है की तभी एक लड़की उसके साइड की टेबल पर आकर बैठ जाती है।

जैसे ही वीर ने उस लड़की को देखा, उसे याद आ गया की उसने इस लड़की को कहां देखा था। ये लड़की और कोई नहीं बल्कि वही लड़की थी जो हायवे पर वीर की गाड़ी से टकरा गयी थी।

वीर अपनी जगह से उठता है और फिर उस लड़की के पास रखी कुर्सी पर जाकर बैठ जाता है। उस लड़की को समझ नहीं आता की अचानक से वीर उसके पास आकर क्यों बैठ गया था? पूनम भी अपने भाई को ये करता देख हैरानी से उसे देखने लगती है।

“Excuse me! आप कौन?” वो लड़की वीर को हैरानी भारी नजरों से देखते हुए कहती है।

“आप वही हो ना जो कल हाईवे पर एक कार से टकरा गयी थी। असल मे वो कार मैं ही चला रहा था। आप वहां से अचानक इतनी जल्दी मे चली गयीं इसलिए मैं आपसे कुछ पूछ ही नहीं पाया। आप ठीक तो हो ना, आपको कल कहीं चोट तो नहीं लगी ना?” वीर उस लड़की को देखते हुए पूछता है।

“Sorry पर आप क्या बात कर रहें हैं, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा ! आपने कहा की कल आपकी गाड़ी से मेरा एक्सीडेंट हो गया था ! मुझे कहीं से भी देख कर ऐसा लगा रहा है की मेरा कल एक्सीडेंट हुआ होगा? मुझे लगता है आपको कोई गलत फैमी हो गयी है। आप कहीं और जाकर बैठो, और मुझे शान्ति से अपना खाना खाने दो।” वो लड़की वीर से कहती है।

वीर को पूरा यकीन था की ये वही लकड़ी थी जो कल उसकी गाड़ी से टकारा गयी थी। पर वो उस बात से इंकार क्यों कर रही थी, वो वीर को समझ नही आ रहा था।

वीर ने फिर सोचा की छोड़ो यार, अगर उस लड़की को उस बात से फर्क नहीं पड़ता तो फिर वो उस बारे में क्यों टेंशन ले।

जैसे ही वीर वापस आकर पूनम के पास बैठा तो पूनम ने उसको शक भारी नजरों से देखते हुए पूछा, “भाई...! कौन है वो लड़की! और तू उसको कैसे जानता है? क्या वो तुम्हारी क्लास मेट है?” पूनम ने धनाधान एक के बाद एक सवाल वीर से ऐसे पूछा लिया जैसे किसी ने एक साथ कई तीर छोड़ दिये हो।

“अरे यार ऐसी कोई बात नहीं है। मुझे बस ऐसा लगा जैसे मैं उस लड़की से पहले भी कहीं मिल चूका हूँ। बस यही जानने के लिये मै उसके पास गया था। पर उससे बात करके पता चल गया की ये बस मेरी गलत फैमी थी।” वीर अपनी बहन पूनम को समझाते हुए कहता है।

वीर ने अपनी बहन को बता तो दिया था, लेकिन पूनम को अभी भी वीर पर शक हो रहा था। उसने उससे पहले कभी ऐसा होता हुआ नहीं देखा था जब वीर ने किसी लड़की से आगे होकर बात की हो!

थोड़ी देर बाद लंच टाइम ख़त्म हो जाता है और पूनम और वीर अपनी अपनी क्लास मे चले जाते हैं। कॉलेज की छुट्टी के बाद वीर और पूनम घर के लिये निकल जाते हैं। पूनम को घर पर छोड़ने के बाद वीर बिना खाना खाये गेराज पर जाने के लिये निकल गया।

इधर रेवती ने वीर के चाचा को फ़ोन करके बोल दिया की वीर बिना खाना खाये ही गेराज चला गया है, इसलिए वो उसे वहां पर कुछ खिला दें।

जैसे ही वीर गेराज पर पंहुचा तो उसके चाचा ने उसको देखते हुए पूछा, “बेटा वीर ...! तेरी चाची बता रही थी की तूने घर पर खाना नहीं खाया? एक काम कर, पास की दूकान से समोसे और कचोरी लेकर आजा। खाली पेट काम मे ध्यान नहीं लगता है। इसलिए अगली बार इस बात का ध्यान रखना, गेराज आने से पहले खाना जरूर खा लेना।” वीर के चाचा उसको समझाते हुए कहते हैं।

“जी चाचाजी...। मैं अगली बार इस बात का ध्यान रखूँगा।” वीर ने अपने चाचा से कहा और फिर पास की दूकान पर समोसा और कचोरी लेने के लिये चला गया।

वीर समोसा और कचोरी लेकर वापस आया और अपने चाचा के सामने एक प्लेट पर रख दिया। “चलिये चाहजी, समोसा कचौरी कहा लो।” वीर मुस्कुराते हुए अपने चाचा से कहता है।

“अरे तू कहा ले, मैंने अभी थोड़ी देर पहले ही खाना खाया था। आज तेरी चाची ने टिफिन मे आलू के पराठे और टमाटर की चटनी भेजी थी। मुझे तो ये समझ नहीं आ रहा की तूने आलू के पराठे और चटनी कैसे छोड़ दिया?” वीर के चाचा वीर को देखते हुए कहते हैं।

असल मे घर पर सबको अच्छे से पता था की आलू के पराठे और टमाटर की चटनी वीर को कितनी ज्यादा पसंद थी !

“चाचाजी...! मुझे खुद नहीं पता की आज मैंने खाना क्यों नहीं खाया। जब मैं घर पंहुचा तो मुझे पेट भरा भरा सा लगा, इसलिए मैं कुछ खाए बिना सीधा यहाँ आ गया।” वीर अपने चाचाजी से कहता है।

“चल ठीक है, अब फटाफट समोसा कचौरी कहा ले फिर मेरा हांथ बटाना। आज हमे इस गाड़ी को सही करके कस्टमर को देना है।” वीर के चाचा एक गाड़ी की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं।

नाश्ता करने के बाद वीर और उसके चाचा गाड़ी सही करने मे लगे हुए थे तभी पूनम वहां आ जाती है। “पापा...!” पूनम रोते हुए डगमगाती हुई आवाज मे अपने पापा को देख कर करोड़ हुए कहती है।

जब उसके पापा और वीर ने उसे रोते हुए देखा तो वो उसके पास आए और फिर पूनम के पापा ने उससे पूछा, “क्या हुआ बेटा! तू रो क्यों रही है?”

“पापा जब मैं अपनी डांस क्लास के लिए जा रही थी तब कुछ लड़कों ने मुझे रास्ते मे रोक कर मेरे साथ बत्तमिजी की।” पूनम ने अपने पापा और वीर को देख कर रोते हुए कहा।

जैसे ही वीर ने पूनम के मुंह से ये सुना, उसने अपनी बाइक स्टार्ट की और फिर पूनम को देखते हुए कहा, “चल तू अभी के अभी मुझे वहां पर लेकर चल जहां पर उन लकड़ों ने तुझसे बत्मीजी की थी।”

वीर के इतना कहने के बाद पूनम उसकी बाइक पर बैठी ही थी की तभी वीर के चाचा वीर को रोकते हुए कहते हैं, “बेटा वीर तू शांत हो जा और ठंडे दिमाग से काम ले। हम एक काम करते हैं, पुलिस स्टेशन चलते हैं और इस बात की रिपोर्ट लिखवा देते हैं।”

“चाचाजी...! अगर आपको पुलिस स्टेशन जाना है तो आप जाओ। उन लोगों ने मेरी बहन के साथ बत्तमिजी की है। मै उन लोगों को ऐसे नही छोडूंगा। मै उन लोगों को ऐसा सबक सिखाऊंगा की वो जिंदगी में कभी किसी लड़की के साथ बत्तमीजी करने की सोचेंगे भी नही।” वीर गुस्से मे अपने चाचा से कहता है

वीर को ऐसे गुस्से मे देख कर उसके चाचा समझ गए की वो अब उनकी बात नही सुनेगा। क्योंकि जब उसके भाइयों या उसकी बहन पर बात आती है तब उसको रोक पाना किसी के बस मे नही होता था।

इससे पहले की वीर के चाचा उसको आगे कुछ बोलते, उसने बाइक आगे बढ़ा दी और वहां से पूनम को लेकर निकल गया।

क्या होगा जब वीर अपनी बहन पूनम के साथ वहां पहुंचेगा जहां पूनम के साथ कुछ लड़कों ने बत्तमिजी की थी ? क्या वीर का अपनी बहन के साथ अकेला वहां जाना सही है ?

सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिए , “ ये इश्क बड़ा बेदर्दी है ”