Shatranj ki Bisaat - 2 in Hindi Thriller by शिखा श्रीवास्तव books and stories PDF | शतरंज की बिसात - भाग 2

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शतरंज की बिसात - भाग 2

"हम्म फिर क्या हुआ?"

"मैंने कई बार कमरे का दरवाजा खटखटाया लेकिन ना दरवाजा खुला और ना किसी तरह की आहट सुनाई दी।

फिर मैंने उन दोनों के मोबाइल पर फोन किया लेकिन घँटी बजती रही और कोई जवाब नहीं मिला।

तब मैंने घबराकर कमरे का दरवाजा तोड़ा और फिर बिस्तर पर उनकी स्थिति देखकर ही समझ गया कि कुछ अनहोनी हो चुकी है।

फिर मैंने पुलिस को ख़बर करना ही ठीक समझा।"

"ये बिल्कुल ठीक किया तुमने। अच्छा एक बात बताओ इतने बड़े बँगले में कोई सिक्योरिटी गार्ड नहीं है?"

"नहीं साहब। दरअसल हमारे साहब को फिजूलखर्ची से बहुत दिक्कत थी। उनका कहना था कि जब हर वक्त घर में पाँच लोग मौजूद रहते हैं और मुख्य दरवाजे पर सीसीटीवी भी लगा ही हुआ है तब गार्ड के पीछे पैसे बर्बाद करने की क्या जरूरत है?

आगे-पीछे दोनों तरफ के प्रवेश-द्वार पर उन्होंने काँच के टुकड़ों और कांटेदार झाड़ियों वगैरह से सुरक्षा का पूरा प्रबंध करवा रखा था।"

"वो चार लोग कौन हैं जो हर वक्त घर में मौजूद रहते हैं?"

"मेरे अलावा ये तीन नौकर और साहब का पालतू कुत्ता रॉबी।"

"अच्छा। वो कुत्ता कहाँ है? दिखा नहीं हमें।"

"अरे हाँ साहब जी हम भी सुबह से ऐसे उलझ गए कि रॉबी का ध्यान ही नहीं आया।
उसका कमरा साहब जी के कमरे के ठीक बगल में ही है।"

"चलो दिखाओ मुझे।" इंस्पेक्टर अजय आगे बढ़ते हुए बोले।

लाल बाबू के पीछे-पीछे जब वो सब रॉबी के कमरे में पहुँचे तब उन्होंने देखा कि वो जंजीर में बंधा हुआ बेसुध सा अपने बिस्तर पर पड़ा हुआ था।

लाल बाबू ने उसे हल्का सा हिलाया तो वो तेज़ी से अपने पैने-नुकीले दांत बाहर निकालकर उस पर झपटा।

लेकिन उसकी छोटी जंजीर और लाल बाबू की फुर्ती ने उसे इस अकस्मात हमले से बचा लिया।

"साहब हमारे रॉबी को कल से ही कुछ हो गया है तभी साहब जी को पहली बार इसे जंजीर से बांधना पड़ा था और आज पहली बार वो हम पर इस तरह झपटा है।"

"मतलब? क्या हुआ था कल? पूरी बात बताओ मुझे।"

"साहब कल मेमसाहब की इस घर में आखिरी रात थी। आज सुबह वो यहाँ से हमेशा के लिए जाने वाली थी।

हमारे साहब जी शतरंज के बहुत शौकीन थे। इसलिए डिनर के बाद हर रात वो दोनों नियम से शतरंज खेलते थे।

उस रात भी मेमसाहब ने उनसे कहा कि वो उनके साथ शतरंज खेलना चाहती हैं।

साहब जी के कहने पर मैं तुरंत अलमारी से उनकी चेसबोर्ड निकालकर ले आया।

जब साहब जी और मेमसाहब खेल रहे थे तब रॉबी बार-बार आकर साहब जी पर भौंक रहा था और उनके हाथ पर झपट रहा था।

इस वजह से साहब जी ने गुस्से में रॉबी को जंजीर से बाँध दिया और फिर खेलने बैठ गए।"

"उसके बाद क्या हुआ?"

"पता नहीं साहब जी क्योंकि हम सोने चले गए थे।"

"अच्छा कोई बाहरी व्यक्ति भी कल घर में आया था क्या?"

"नहीं साहब जी कल कोई नहीं आया था।"

"ठीक है। तुम सब शहर छोड़कर कहीं नहीं जाओगे अभी। हमें कभी भी तुम सबकी जरूरत पड़ सकती है।" इंस्पेक्टर अजय ने लाल बाबू को हिदायत दी और फिर इंस्पेक्टर रघु को घर के बाकी नौकरों के बयान नोट करके पुलिस थाने आने का आदेश दिया।

इसके साथ ही उन्होंने बेडरूम को सील करके लॉक कर दिया और एक कांस्टेबल की ड्यूटी घर के दरवाजे पर लगा दी।

इंस्पेक्टर अजय के पीछे-पीछे मिस्टर अशोक भी बाहर निकले तो बातों-बातों में उनसे इंस्पेक्टर अजय ने पूछा "आप तो मिस्टर साहिल और उनकी पत्नी के करीबी दोस्त हैं ना। आपको तो पता होगा मिसेज अनिका घर छोड़कर क्यों जा रही थी?"

"जी...जी सर।" मिस्टर अशोक कुछ घबराये हुए स्वर में बोले।

"तो बताइए फिर।"

"दरअसल साहिल का किसी और से अफेयर चल रहा था और अब वो अनिका को तलाक देकर उससे शादी करना चाहता था लेकिन अनिका इसके लिए तैयार नहीं थी। वो साहिल को तलाक नहीं देना चाहती थी।

जब साहिल ने उसे अपनी जायदाद में से पचास प्रतिशत देने की बात कही तब वो तलाक के लिए मान गई। हालांकि अभी उनका तलाक हुआ नहीं था लेकिन फिर भी आज वो यहाँ से जाने वाली थी।"

"ओहह। लेकिन अब मिस्टर साहिल की मौत के बाद तो वो पूरे सौ प्रतिशत की मालकिन बन गईं।
अच्छा आप उस महिला को जानते हैं जिनसे आपके मित्र दूसरी शादी करने वाले थे?"

"जी नहीं सर। बस एक बार मैंने उसका नाम सुना था निशा। बाकी उसके विषय में मुझे और कुछ नहीं पता है।"

"ठीक है मिस्टर अशोक। अगर जरूरत पड़ी तो आपको भी इस केस की जाँच में सहयोग देना पड़ेगा।"

"जी सर जरूर।" मिस्टर अशोक लंबे-लंबे डग भरते हुए अपने बंगले की तरफ बढ़ गए।

इंस्पेक्टर अजय ने एक बार बंगले के आगे-पीछे दोनों ओर के बगीचे, दीवारों और प्रवेश द्वार का निरीक्षण किया और फिर अपनी गाड़ी में बैठकर पुलिस थाने के लिए निकल गए।

थोड़ी देर के बाद जब इंस्पेक्टर रघु भी थाने पहुँचे तब इंस्पेक्टर अजय ने उनसे बाकी नौकरों के बयान के विषय में पूछा।

लेकिन बाकी नौकरों ने भी यही बताया था कि सिवा रॉबी के व्यवहार के घर में कोई भी अजीब बात नहीं हुई थी।
ना बाहर से कोई आया था और ना ही मिसेज अनिका उस दिन कहीं गई थी।
मिस्टर साहिल भी अपने दफ़्तर से अपने रोजाना वाले वक्त पर ही वापस लौटे थे।

"ठीक है पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने दो और फिर मिसेज अनिका भी होश में आ जाए तब शायद कुछ पता चले कि माजरा क्या है।"

"जी सर।" इंस्पेक्टर रघु ने जवाब दिया।

"अच्छा तब तक एक काम करो। इन दोनों के कॉल रिकार्ड्स की भी जाँच करवा लो। हो सकता है हमें उसमें कोई काम की चीज मिल जाए।

आज मिसेज अनिका पचास प्रतिशत लेकर घर से जाने वाली थी और आज ही अचानक मिस्टर साहिल इस दुनिया से उन्हें सौ प्रतिशत सौंपकर चले गए। ये बात पता नहीं क्यों मुझे सामान्य नहीं लग रही है।
मुझे तो इसमें से किसी गम्भीर साजिश की बू आ रही है।"

"जी सर मुझे भी कुछ ऐसा ही लग रहा है। मैं अभी कॉल रिकार्ड्स निकलवाता हूँ।"

इंस्पेक्टर रघु के जाने के बाद इंस्पेक्टर अजय ने कांस्टेबल विवेक का नम्बर डायल किया।

"पोस्टमार्टम की रिपोर्ट हमें कब तक मिलेगी?"

"कल शाम तक सर।"

"ठीक है। थाने पहुँचो तुम।"

"जी सर। जय हिंद सर।"

"जय हिंद।"
क्रमशः