The Six Sense - 7 in Hindi Thriller by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | द सिक्स्थ सेंस... - 7

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द सिक्स्थ सेंस... - 7

सुहासी का मोबाइल नंबर "Not working" देखकर उदय ने सोचा कि हो सकता है जॉब ज्वाइन करने के बाद सुहासी ने अपना नंबर बदल दिया हो इसलिये उसने जब अमेरिका में स्थित भारतीय दूतावास की रिपोर्ट के आधार पर उस कंपनी में संपर्क करने की कोशिश करी जिसका नाम रिपोर्ट में लिखा था तो कंपनी वालों ने अपने एंप्लॉयज की पर्सनल इन्फॉर्मेशन शेयर ना करने की बात कहते हुये इस जांच में सहयोग करने से मना कर दिया लेकिन इंस्पेक्टर उदय के पास उस कंपनी के जरिये सुहासी तक पंहुचने के अलावा और कोई चारा नहीं रह गया था इसलिये उसने अपनी कोशिश जारी रखी और उस कंपनी के मना कर देने के कुछ दिन बाद इस केस से जुड़े सारे डॉक्युमेंट्स और अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास से आयी रिपोर्ट की कॉपी स्कैन करके उस कंपनी को मेल कर दी, जब इंस्पेक्टर उदय की ये मेल कंपनी की एक एचआर ने देखी तब इस जांच में सहयोग करने के लिये वो लोग तैयार हुये और सुहासी की जो जानकारी उन्होंने दी उसमें उन्होंने बताया कि "सुहासी वर्धन नाम की एक लड़की नेे कैंपस सेलेक्शन के जरिये हमारी कंपनी में एचआर के पद पर ज्वाइन तो किया था लेकिन कंपनी ज्वाइन करने के दो महीने बाद ही उसने बिना किसी इंफॉर्मेशन के ऑफिस आना बंद कर दिया था, ना तो उसने कोई नोटिस दिया ना ही उसने ऑफिस का सिम ही वापस किया और चूंकि वो प्रोबेशन पीरियड में थी और हमारी कंपनी की पॉलिसी है कि शुरुवाती 6 महीने तक हम चेक से सेलरी देते हैं इसलिये सुहासी वर्धन को भी चेक से ही सेलरी मिलनी थी पर वो अपनी दूसरी सेलरी का चेक भी लेने नहीं आयी, इसके अलावा हमारे पास सुहासी वर्धन की कोई इंफॉर्मेशन नहीं है..!! "

उस कंपनी की इस रिपोर्ट के बाद इंस्पेक्टर उदय को अब ये केस ठंडे बस्ते में जाता दिखने लगा था, अब उदय को अमेरिका के भारतीय दूतावास से आयी रिपोर्ट में लिखे सुहासी के मुंबई वाले घर के एड्रेस के आधार पर उसके घर जाकर उसके पैरेंट्स से मिलना ही अब एक और आखरी रास्ता नजर आ रहा था, हर जगह से मिल रही निराशा ने उदय को बेचैन करना शुरू कर दिया था क्योंकि इस केस का सॉल्व ना होना उसकी काबीलियत पर भी कहीं ना कहीं सवालिया निशान उठा सकता था और वो ये बात अच्छे से महसूस कर रहा था क्योंकि ये केस कोई आम केस नहीं बल्कि इतने रसूखदार आदमी राकेश सिंघानिया के बेटे का था और इस केस के लिये स्पेशली इंस्पेक्टर उदय को चार्ज सौंपा गया था, उसके पिछले केसों को सॉल्व करने की काबिलियत के आधार पर...!!

इंस्पेक्टर उदय को जब सुहासी की कंपनी से भी निराशा ही हाथ लगी तो आखरी कोशिश के तौर पर बिना देर किये पांच पुलिस वालों की एक टीम बनाकर वो निकल गया... मुंबई, सुहासी के घर के लिये..!! इस उम्मीद पर कि शायद सुहासी के मां बाप या भाई बहन से बात करके ही उसे सुहासी के बारे में कुछ पता चल जाये या शायद उसे सुहासी खुद वहां मिल जाये या फिर उसके घरवालों से बात करके उसे सुहासी के बारे में कुछ तो पता चले..!!

मुंबई के वरसोवा में स्थित सिद्धिविनायक अपार्टमेंट के उस फ्लैट में जब इंस्पेक्टर उदय अपनी टीम के साथ पंहुचा जहां का एड्रेस अमेरिका से आयी भारतीय दूतावास की रिपोर्ट में लिखा था तो वहां भी उसे ताला लगा मिला, उसने जब उस फ्लैट के अगल बगल के फ्लैट में रहने वाले सुहासी के पड़ोसियों से पूछताछ करी तो पता चला कि करीब तीन महीने पहले मिस्टर वर्धन और उनकी वाइफ दिल्ली जाने का कहकर यहां से गये थे लेकिन उसके बाद से ना तो वो वापस आये और ना ही उनकी कोई इन्फॉर्मेशन आयी और जब से वो लोग यहां से गये हैं तब से उन दोनों का ही फोन स्विच ऑफ आ रहा है...!!

सुहासी और उसके परिवार के बारे में ये जानकारी मिलते ही इंस्पेक्टर उदय के पैरों के नीचे से तो जैसे जमीन ही खिसक गयी थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि इस केस में हुआ क्या है.. राजवीर की ये हालत किसने करी? सुहासी आखिर है कहां? सुहासी का परिवार दिल्ली से वापस क्यों नहीं लौटा और सुहासी के साथ राजवीर का क्या रिश्ता है??

आखिर ये मामला है क्या??

क्रमशः