Ardhangini - 8 in Hindi Love Stories by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 8

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 8

अगले दिन सुबह सुबह चाय और नाश्ता लेकर सरोज और नरेश.. राजेश के छोटे भाई सुनील के साथ हॉस्पिटल आ गये थे, सुबह करीब साढ़े 6 बज रहे थे और हॉस्पिटल पंहुचते ही अपने पति जगदीश प्रसाद को देखने की बौखलाहट मे सरोज तेज तेज कदमों से चलकर सीधे उनके प्राइवेट वॉर्ड मे पंहुच गयीं चूंकि डॉक्टर साहब रात मे काफी देर से आये थे इसलिये घर मे किसी को पता नही चल पाया था कि डॉक्टर ने जगदीश प्रसाद की तबियत को लेकर कोई ऐसी वैसी बात नहीं कही है इसलिये सरोज और नरेश दोनो को ही जल्दी थी कि कैसे भी करके जगदीश प्रसाद का कुशल मंगल जान सकें इसीलिये तेज तेज कदमो से चलकर सरोज और नरेश के साथ सुनील... तीनो सीधे उनके प्राइवेट वॉर्ड मे पंहुच गये, वहां जाकर उन्होने देखा कि जगदीश प्रसाद बहुत धीमी आवाज मे मैत्री और राजेश से कुछ बात कर रहे हैं चूंकि पैरालिसिस का अटैक पड़ना शुरू हो चुका था इसलिये जगदीश प्रसाद की जीभ पर उसने अपना असर डाल दिया था जिस वजह से उनकी बोली अभी साफ नही थी, अपने कमरे में हड़बड़ायी हुयी सी आयीं सरोज को देखकर जगदीश प्रसाद मुस्कुराये और हाथो से ही इशारा कर दिया कि अब सब ठीक है..!!

जहां एक तरफ सरोज पूरी रात जगदीश प्रसाद की तबियत को लेकर परेशान रहीं और ना जाने क्या क्या सोच कर आंखो मे आंसू लिये जैसे तैसे उन्होंने पूरी रात गुजारी वहीं दूसरी तरफ अभी जगदीश प्रसाद को ऐसे मुस्कुराते देखकर उन्हे ऐसा लगा मानो उन्हे दुनिया की सारी खुशियां मिल गयी हों, सरोज को इमोशनल होते देख जगदीश प्रसाद ने उन्हे हाथों से इशारा किया और अपने पास बुलाया, जब सरोज उनके पास गयीं तो उन्होंने सरोज को अपना कान पास लाने के लिये इशारा किया, जब सरोज झुक कर अपना कान जगदीश प्रसाद के पास ले गयीं तो उन्होने बड़ी धीमी आवाज मे सरोज के कान मे कहा- म्म्म्.. मैत्री... मान गयी!!

जगदीश प्रसाद के मुंह से ये बात सुनकर सरोज एकदम से चौंक के सीधी हुयीं और ऐसे मुस्कुराईं जैसे उनके दिल से एक बहुत बड़ा दुख उतर गया हो...!! मुस्कुराते हुये उन्होने मैत्री की तरफ देखा और थोड़ा सा उठकर बगल ही बैठी मैत्री के सिर पर प्यार से हाथ फेरकर उसके माथे को चूम लिया और इमोशनल होकर वो मैत्री से बोलीं- तू चिंता मत कर गुड़िया इस बार हम कोई जल्दबाजी नही करेंगे, हम फिर से तेरे चेहरे की मुस्कुराहट वापस लायेंगे तू बहुत रो चुकी मेरी बच्ची, अब हम तुझे नही रोने देंगे...!!

चूंकि मैत्री ने ये दूसरी शादी की बात अपने पापा जगदीश प्रसाद की तबियत की वजह से स्वीकार की थी तो वो अपनी मम्मी सरोज की प्यार से की गयी इस बात को सुनकर बेमन से मुस्कुराई और उनको गले से लगा लिया...

अपने भइया जगदीश प्रसाद, अपनी भाभी सरोज और मैत्री को ऐसे एक दूसरे से बात करते और खुशी से एक दूसरे को गले लगाते देख कर मैत्री के चाचा नरेश ने कहा- अरे भई क्या बात चल रही है जरा हमे भी तो बताओ कोई...!!

नरेश के ये सवाल करने पर राजेश मजाकिया अंदाज मे बोला- पापा जी बहुत ही बड़ी खुशखबरी है जिसे सुनकर आप उछल जायेंगे और यहां वॉर्ड मे इतनी जगह तो है नही तो आपके चोट लग सकती है इसलिये आप पहले बैठ जाइये... (सुनील की तरफ देख के राजेश उसी मजाकिया अंदाज मे बोला) सुनील तू पापा जी को पकड़ ले खुशखबरी इतनी बड़ी है कि उसे सुनकर पापा जी उछल पड़ेंगे..!!

राजेश के इस मजाकिया लहजे मे की गयी बात के बाद नरेश बोले- अरे हां हां लो बैठ गया पर बेटा खुशखबरी तो बता दे..!!

राजेश ने खुश होते हुये कहा - पापा जी फिर से एक बार हमारे ताऊ जी के घर मे खुशियां आयेंगी, फिर से मेरी बहन मुस्कुरायेगी!! पापा जी हम सब मिलके उसकी शादी करायेंगे क्योंकि मैत्री शादी के लिये मान गयी है..!!

राजेश की ये बात सुनकर नरेश सच मेे खुशी के मारे एकदम से उछल पड़े और ताली बजाते हुये बोले- अर्रेर्रे वाह!! ये तो बहुत बड़ी खुशखबरी है.... (ये खबर सुनने के बाद एकदम से खुश हुये नरेश पास ही खड़ी मैत्री के पास गये और प्यार से उसके सिर पर आशीर्वाद स्वरूप अपना हाथ फेरते हुये बोले) हमेशा खुश रहे मेरी गुड़िया, भगवान तेरे जीवन मे वो सारी खुशियां भर दें जिनकी तू हकदार है, बेटा मुझे पूरा विश्वास है कि अब सब ठीक हो जायेगा...!!

ऐसा कहते कहते नरेश बहुत भावुक हो गये इतने भावुक कि उनकी आंखो मे आंसू आ गये, अपने आंसू पोंछते हुये उन्होने अपने कुर्ते की जेब से अपना पर्स निकाला और उसमे से एक हजार रुपय निकाल कर सुनील को देते हुये बोले- बेटा सुनील.. ये ले पैसे आज बहुत खुशी का मौका है और खुशी के मौके पर सबका मुंह मीठा होना चाहिये... ये सारे पैसे खर्च कर देना जितनी भी मिठाई आये सब ले आना....!!

अपने पापा नरेश की बात सुनकर सुनील ने कहा - पर पापा इतनी सुबह तो कोई मिठाई की दुकान भी नही खुली होगी...

नरेश बोले- वो तू जान कहां से लानी है कैसे लानी है लेकिन आज तो मै मिठाई खा के रहूंगा..!!

नरेश की ये बात सुनकर राजेश ने हंसते हुये कहा- मम्मी को पता चल गया ना कि आपने मिठाई खायी है तो फिर सोच लीजिये!! आप जानते है क्या होगा और आपके साथ साथ हमारी भी क्लास लग जायेगी और मम्मी यही कहेंगी कि "तुम दोनों ने इन्हे मीठा खाने कैसे दिया अपने सामने...!!"

राजेश की ये बात सुनकर उसी मजाकिया लहजे मे नरेश ने कहा- चालीस साल से तो डांट खा ही रहा हूं एक दिन और खा लूंगा... (अपनी आंख मिचकाते हुये नरेश बोले) सह लेंगे एक दिन और.. लेकिन आज तो मैं मिठाई खाउंगा ही खाउंगा...!!

नरेश के इस मजाकिया अंदाज मे अपनी बात बोलने के बाद उनकी बात सुनकर सब लोग हंसने लगे, मैत्री के एक निर्णय ने कुछ ही घंटो मे सारा माहौल पलट के रख दिया था, सब खुश थे और हों भी क्यो ना.. जाने कितने समय के बाद जगदीश प्रसाद के घर मे फिर से एक बार खुशियां आने वाली थीं और इसी खुशनुमा माहौल के बीच नरेश ने अपनी पत्नी सुनीता को जब ये बात फोन करके बतायी तो वो भी बहुत खुश हुयीं, मैत्री उनके लिये बेटी जैसी नही बल्कि बेटी ही थी और उसके जीवन मे फिर से आने वाली खुशियो की बात सुनकर सुनीता भी भावुक हो गयीं और अपने पति नरेश से मिली इतनी बड़ी खुशखबरी को सुनने के बाद भावुक हुयीं सुनीता ने जो कहा उसे सुनकर नरेश बुरी तरह चौंक गये, सुनीता ने कहा- सुनिये जी आपकी प्यारी बेटी से जुड़ी इतनी बड़ी खुशखबरी मिली है आज तो मिठाई तो मंगा ही चुके होगे आप अच्छे से जानती हूं आपको...

नरेश को बिल्कुल भी अंदाजा नही था कि सुनीता उनसे ये बात पूछ लेंगी, सुनीता की ये बात सुनकर नरेश सकपका से गये और सकपकाये से बोले- अरे.. न.. नही भई, तुम मुझपे फालतू मे शक कर रही हो, म.. मैने नही मंगाई मिठाई...!!

अपने पति नरेश की सकपकाई आवाज मे मिठाई के लिये मना करने की बात सुनकर सुनीता ने भी खुश होते हुये कहा- जाइये खा लीजिये लेकिन सिर्फ एक पीस, आज के लिये आपको छूट है लेकिन अगले एक हफ्ते लौकी और करेले की सब्जी खानी पड़ेगी, तैयार रहियेगा...!!

ऐसा कहकर सुनीता हंसने लगीं और उधर फोन के दूसरी तरफ नरेश भी हंसने लगे इसके बाद सुनीता ने अपनी दोनो बहुओं नेहा और सुरभि को जब ये बात बतायी तो उन दोनो ने भी बड़े ही हर्ष के साथ और खुले दिल से मैत्री की दूसरी शादी की खुशखबरी को स्वीकार कर लिया....

क्रमशः