Amanush - 19 in Hindi Detective stories by Saroj Verma books and stories PDF | अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(१९)

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(१९)

और तभी सतरुपा के दिमाग़ में सिंघानिया के सवाल का जवाब आ गया और वो उससे बोली...
"ड्राइवर साहब हल्के होने गए हैं,कह रहे थे उन्हें कोई बिमारी है,इसलिए वो ज्यादा देर खुद को रोक नहीं सकते,नहीं तो उनको बहुत दिक्कत हो जाएगी",
"ये कैसा ड्राइवर है,अगर इसे इतनी ही दिक्कत है तो घर में क्यों नहीं बैठता,बड़ा आया कैब चलाने वाला",सिंघानिया गुस्से से बोला...
फोन स्पीकर पर था इसलिए सभी सिंघानिया की बातें मज़े लेकर सुन रहे थे,तभी सतरूपा ने सिंघानिया से कहा....
"लीजिए! ड्राइवर साहब हलके होकर आ गए,उनसे बात कर लीजिए",
"खबरदार! देविका! जो तुमने उस ड्राइवर के हाथ में अपना फोन दिया,उसने अभी हाथ भी नहीं धुले होगें,तुम्हारा इतना महँगा फोन गंदा हो जाएगा",सिंघानिया बोला....
"हाँ! शायद आप ठीक कह रहे हैं,ड्राइवर साहब ने कार स्टार्ट कर दी है,अब मैं फोन रखूँ",देविका बनी सतरुपा बोली...
"हाँ! ठीक है! पहुँचकर फोन कर देना कि सही सलामत घर पहुँच गई हो",सिंघानिया बोला...
"जी! गुडनाइट!",
और ऐसा कहकर देविका बनी सतरुपा ने फोन रख दिया,सतरुपा के फोन रखने के बाद बाइक वाला हवलदार जो करन को साथ लेकर आया था,वो अपने रास्ते चला गया और इधर करन कैब में आकर इन्सपेक्टर साहब के बगल में बैठ गया,इन्सपेक्टर धरमवीर ने कैब स्टार्ट की और चल पड़े,तभी चलते चलते इन्सपेक्टर धरमवीर ने सतरुपा से कहा....
"तुम भी ना गजब हो सतरुपा! तुम्हें इसके अलावा और कोई बहाना नहीं मिला था",
"मुझे तो जल्दी जल्दी में यही सूझा",सतरुपा भोलेपन से बोली...
"अरे! शुकर करो,इसे जल्दी में कोई बहाना सूझ गया,नहीं तो अभी हम सभी फँसने वाले थे",करन बोला....
"बहाना भी क्या ग़जब सोचा कि ड्राइवर साहब हल्के होने गए हैं",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले....
और फिर दोनों ठहाका लगाकर हँस पड़े तो सतरुपा का चेहरा उतर गया,सतरुपा का चेहरा देखकर करन बोला...
"अब तुम्हें क्या हुआ नकली देविका जी!"
"एक तो मैं वैसे भी हर पल दहशत में जी रही हूँ और ऊपर से आप लोग मेरा मज़ाक बना रहे हैं", सतरुपा बोली....
"अब नहीं बनाऐगें तुम्हारा मज़ाक,तुम डरो मत सतरुपा!",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले....
"सच में इन्सपेक्टर साहब! वो विला मेरे लिए किसी कैद़खाने से कम नहीं है",सतरुपा बोली....
"मैं तुम्हारी बात समझता हूँ सतरुपा!",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले....
तब करन बोला....
"हाँ! मैं तो तुम्हें यहाँ ये बताने आया था कि तुम्हें ये तीन माइक्रोफोन कहाँ कहाँ फिट करने हैं",
"अब ये कौन सी नई आफत है",सतरुपा ने पूछा...
"आफत नहीं है,तुम्हारी भलाई के लिए है ये",करन बोला....
"इनका काम क्या है",सतरुपा ने पूछा..
"इनकी मदद से हम सिंघानिया के घर में होने वाली बातें सुन सकते हैं,मैं तो कैमरे ला देता लेकिन तुम उन्हें हैण्डिल नहीं कर पाओगी",करन बोला...
"इन्हें कहाँ लगाना होगा",सतरुपा ने पूछा...
"एक सिंघानिया के स्टडी रूम में,क्योंकि तुम कह रही थी कि वो अपना ज्यादातर वक्त वहीं बिताता है,दूसरा रोहन के कमरे में और तीसरा शैलजा के कमरे में",करन बोला....
"कहीं आप मुझे चूहा समझकर उन बिल्ला बिल्ली के गले में घण्टी तो नहीं बँधवाना चाहते",सतरुपा बोली...
"हाँ! यही समझ लो",करन बोला....
"मतलब अब तो मेरी मौत पक्की",सतरुपा बोली...
"नहीं! ऐसा कुछ नहीं होगा सतरुपा! बस तुम्हें थोड़ी सी सावधानी बरतनी पड़ेगी",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले...
"आप लोग कहते हैं तो ठीक है,ये भी कर लेती हूँ",सतरुपा बोली...
इसके बाद करन ने सतरुपा को माइक्रोफोन फिट करने का तरीका बता दिया और वो सब समझ भी गई, उसने वो माइक्रोफोन अपने पर्स में डाल लिए,कुछ वक्त के बाद सतरुपा को इन्सपेक्टर धरमवीर और करन ने सिंघानिया के विला तक पहुँचा दिया और तब उस वक्त सतरूपा ने सोचा कि यही मौका है अभी दिव्यजीत सिंघानिया घर पर नहीं है,वो उसके स्टडी रुम में आसानी से माइक्रोफोन छुपा सकती है और यही सोचकर वो सिंघानिया के स्टडी रुम पहुँचकर माइक्रोफोन छुपाने के लिए एक मुनासिब जगह ढूढ़ने लगी और उसे वहाँ वो मुनासिब जगह मिल भी गई,वो उस जगह पर वो माइक्रोफोन फिट करके वापस अपने कमरे में आकर सो गई.....
सुबह हो चुकी थी,सतरुपा जाग भी चुकी थी,लेकिन अभी तक दिव्यजीत सिंघानिया घर ना लौटा था,उसे बड़ा अजीब लग रहा था कि सिंघानिया अब तक घर क्यों नहीं लौटा,कुछ देर के बाद सिंघानिया की कार विला के सामने आकर रुकी,उस समय सतरुपा लाँन में ही टहल रही थी,सिंघानिया कार से उतरकर घर के भीतर आया तो उसके पीछे पीछे देविका बनी सतरुपा भी आ गई और उससे बोली....
"आप! रात को घर नहीं लौटे?"
"हाँ! प्रकाश मेहरा जी ने रोक लिया था,बोले तुम तो पार्टी इन्ज्वॉय ही नहीं कर पाए,बस खाना बनाते ही रह गए,चलो अब हम पार्टी इन्ज्वॉय करते हैं,मैं उनकी बात टाल नहीं सका,हमारे उनके साथ अच्छे टर्म्स हैं इसलिए रुक गया था",सिंघानिया बोला....
"ओह...तो ये बात है,मैं तो रात को बहुत थक चुकी थी,इसलिए पार्टी से आते ही सो गई,सुबह जागी तो सोचा आप स्टडी रुम में होगें,लेकिन आप वहाँ पर नहीं थे",देविका बनी सतरुपा बोली...
"मुझे मिस किया तुमने",सिंघानिया ने पूछा....
सिंघानिया के सवाल पर देविका शरमा गई लेकिन बोली कुछ नहीं,तब सिंघानिया ने उससे पूछा...
"उस पागल कैब ड्राइवर ने ज्यादा परेशान तो नहीं किया तुम्हें",
"अरे! नहीं! वो तो बात भी नहीं कर रहा था,चुपचाप कैब चलाता रहा बेचारा",देविका बनी सतरूपा बोली....
"ठीक है! मैं अब स्टडी रुम जा रहा हूँ, नहा धोकर आराम करूँगा,बहुत थक गया हूँ,मुझे कोई भी डिस्टर्ब ना करें,अगर तुम्हें कहीं जाना है तो ड्राइवर तुम्हें छोड़ आएगा",
और इतना कहकर सिंघानिया स्टडी रुम की ओर चला गया,इधर सतरूपा ने नहा धोकर नाश्ता किया,अपने फोन को घर पर छोड़ा और ड्राइवर से बोली कि मुझे माँल जाना है,जरा छोड़ आओ,फिर ड्राइवर उसे माँल छोड़ आया,इसके बाद सतरुपा वहाँ से इन्सपेक्टर धरमवीर के घर आ गई और उनसे बोली...
"कल रात सिंघानिया घर ही नहीं लौटा",
तब इन्सपेक्टर धरमवीर बोले....
"वो हरामखोर घर कैंसे आएगा,वो तो उस रघुवीर के साथ कल रात अपने फार्म हाउस गया था,जब मैं और करन तुम्हें छोड़कर वापस आ रहे थे तो मैंने उसकी कार देखी थी,उस कार को सिंघानिया ड्राइव कर रहा था और उसके बगल में रघुवीर बैठा था,फिर हमने उस कार का पीछा किया तो उसकी कार उसके फार्म हाउस पर जाकर रुकी,तब हमारा माथा ठनका,लेकिन हम दोनों कुछ नहीं कर सके,फार्म हाउस का मेन गेट बंद था और बाउण्ड्री के चारों ओर उसने करंट डाल रखा है",
"ओह....इसका मतलब वो मुझसे झूठ बोल रहा था",सतरुपा बोली...
"हाँ! बहुत बड़ा घोटाला चल रहा उस फार्म हाउस में,लेकिन क्या ये पता नहीं",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले....
"अब मेरा क्या होगा?",सतरुपा बोली...
"तुम घबराओ नहीं,मैं जल्द ही कुछ करता हूँ और ये तो पक्का यकीन हो गया है कि हो ना हो उसने ही देविका का खून किया है",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले....
"लेकिन फिर उसने मुझे देविका मानने से इनकार क्यों नहीं किया",सतरुपा ने पूछा...
"अपना जुर्म छुपाने के लिए",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले...
"इसका मतलब उसे अच्छी तरह पता है कि मैं देविका नहीं हूँ,तब भी वो मेरे सामने नाटक कर रहा है", सतरुपा बोली...
"हाँ! अब तुम्हें ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है,वो बहुत शातिर है,कल रात किचन में भी उसके साथ रघुवीर था,करन ने दोनों को आपस में बातें करते हुए सुना था",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले....
"अच्छा! तो मैं अब जाती हूँ,क्योंकि चार बजे तक मुझे माँल पहुँचना होगा,ड्राइवर से मैंने माँल में चार बजे कार लाने को कहा था",सतरुपा बोली....
"ठीक है,अब तुम जाओ और ज्यादा परेशान मत होना",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले....
इसके बाद सतरुपा टैक्सी से माँल के लिए रवाना हो गई....

क्रमशः....
सरोज वर्मा....