Bhayanak Yatra - 33 in Hindi Horror Stories by नंदी books and stories PDF | भयानक यात्रा - 33 - पुलिस का बुलावा।

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भयानक यात्रा - 33 - पुलिस का बुलावा।

हमने पिछले भाग में ये देखा की!!!!!
हितेश बेहोश जगपति को उठाता है फिर वो जगपति वहां से उठकर गाड़ी में बैठ जाता है , हितेश जगपति को कुछ पूछने की कोशिश करता है लेकिन जगपति तभी कोई जवाब नही देता है । गाड़ी को जंगल की मोड़ने के बाद जगपति हितेश और विवान को बताता है की ये जो भी हुआ है वो काली शक्तियों को पाने के लिए हुआ था । जो किसी तांत्रिक ने किया है , और इसे आत्मबंधना विधि कहते है । इसमें तांत्रिक चिल को बुलाने के लिए बजार से पालतू जानवरों को मार कर उसके भोजन की व्यवस्था करता है , विधि के दौरान वो कोई एक चिल पकड़ कर उसकी बलि चढ़ते है । वो चिल का हृदय का उपयोग आत्माओं को बंधित करने के लिए करते है लेकिन अगर उसमे असफल रहते है तो वो विधि का उल्टा असर तांत्रिक पे होता है । फिर हितेश को याद आता है की वहां से गगनचर का शव तो गायब था , मतलब तांत्रिक उसके शव को विधि के लिए ले गया होगा । लेकिन उसके मन में ये खयाल आता है और वो जगाती को पूछ लेता ही की ये विधि की रसम जगपति को कैसे पता है ? और जगपति ने बंधन को कैसे काटा।
ये सुनकर जगपति हड़बड़ा जाता है ।

अब आगे ..
*******************************
जगपति को जब हितेश पूछता है की उसको ये विधि की रसम के बारे में कैसे पता है तब जगपति का मन विचलित हो जाता है और वो हड़बड़ाने लगता है । शायद वो कबसे यही सवाल से भाग रहा होता है ।लेकिन अब हितेश के पूछने पर उसके हृदय में गबराहट हो जाती है ।

सवाल पूछने के बाद एक बुत की तरह हितेश और विवान जगपति की तरफ देख रहे होते है , लेकिन जगपति उनसे अब नजरे चुराने की कोशिश कर रहा होता है । जैसे उसको ये सवाल का जवाब पता है लेकिन वो अभी देना नही चाहता ।

लेकिन अब हितेश जैसी जगपति की बात का जवाब चाहता हो वैसे चलती हुई गाड़ी में पीछे की सीट से आगे की तरफ आ जाता है और बड़ी सी आवाज में कहता है – जगपति चाचा , आप हमसे जो भी कुछ छुपा रहे जो वो हमे बताइए , हमे जान ना है की आप ने उस तांत्रिक के बंधन को कैसे तोड़ा ? आप ये रसम को कैसे अच्छे से जानते है ?
इस बात का जवाब देना ना चाहते हुए भी जगपति ने अपना मुंह खोला – भाई साहब , ये बात एक दुर्घटना से कम नहीं हैं , और हमारी जिंदगी का काला सच है । शायद ये सच हमे आज भी परेशान कर रहा है । जिसके कारण हमारे परिवार का वंश अभी भी रुका हुआ है ।

जगपति की ये बात सुनकर हितेश को जैसे कुछ समझ नही आया इसलिए उसने जगपति को कहा – चाचा , आप सीधा सीधा कहिए , ऐसी गोल गोल बातों से हमे कुछ समझ नही आयेगा ।

तभी जगपति अपने गले को साफ करते हुए बोला – भाई साहब , कुछ सालों पहले हमारे बाऊजी के भी बाऊजी यानी हमारे दादा जयशंकर जी ने यहां पर घर की परेशानियों को मिटाने के लिए तांत्रिक बुलाया था ।
लेकिन विधि या तंत्रविद्या के पहले तांत्रिक ने दादा जी को कोई भी प्रकार की ऐसी बातों से अवगत नही करवाया जिसके कारण हमको नुकसान हो जाए । इस चीज के कारण जैसे ही बलि चढ़ाने का समय आया तब दादा जी को तांत्रिक ने बताया की अब आत्माओं को वो चीज चाहिए जो तुम सबकी जान बचा सकती है ।

तब दादा जी ने सोचा कि ज्यादा से ज्यादा क्या मांग लेंगे ? तो उन्होंने वहां तांत्रिक की बातो में आकर हां कर दिया । लेकिन उनके ये बात नही पता थी की ऐसा करने से हमेशा के लिए उनके लिए नाशवंत साबित होगा ।

विधि के बाद तांत्रिक ने बोला सबकी जान बचाने हेतु आत्मा को आपके वंश के १३ बच्चो की बलि चाहिए । जब आपके घर में १३ बच्चे मां के पेट में रहेंगे जरूर लेकिन जब उसका पैदा होने का समय आएगा तब वो मरे हुए पैदा होंगे । ये सुनकर दादा जी चौंक गए लेकिन तभी तांत्रिक ने कहा की अगर बीच में विधि को पूरा नहीं किया गया अब , तो अभी पूरे वंश का नाश हो जायेगा । वो तांत्रिक ने हमारे बच्चों का सौदा बुरी आत्मा के साथ किया ।
दादाजी को ये बात ज्यादा ही अखर गई , और उनकी मृत्यु हुई तब में लगभग डेढ़ साल का था । मेरे बाद कोई भी बच्चा इस घर में आया नही है , हमारी माई के पेट में ८ बच्चे मर चुके है और मेरी बीवी के पेट में ४ । लेकिन अब सुशीला की उमर हो चुकी है । उसकी तबियत ठीक नहीं रहती है । तांत्रिक के कहे अनुसार १२ बच्चे तो हमने गवां दिए है , लेकिन अब सिर्फ १ बच्चा है जो हमारे वंश में अपनी आहुति देगा । ये हमारे बुरे कर्मो का नतीजा है की हमने हमारी सुरक्षा हेतु हमारे बच्चों का गला घोंट दिया है ।

ये सुनकर हितेश बोला – लेकिन चाचा , अगर अब आपके घर में बच्चे नही होंगे तो भी तो आपका वंश समाप्त हो जायेगा ना ?

जगपति ने कहा – हां , ऐसा ही कुछ समझो ।
मतलब आपके वहां पर भी पहले आत्मबंधना विधि हुई है और जिसके कारण सब आप परेशानी भुगत रहे है ।– विवान बोला ।

जी भाई साहब – जगपति ने कहा ।
तो फिर आप उसका बंधन कैसे तोड़ दिया जो तांत्रिक ने बना के रखा हुआ था ? – हितेश ने पूछा ।

दादा जी के मृत्यु पश्चात २१ दिन बाद हमारे यहां एक साधु आए थे , उन्होंने हमे बताया था की अगर किसी तांत्रिक के बंधन को तोड़ना है तो उनका उपाय शाबर मंत्र के द्वारा ही हो सकता है ।
हमारे ऊपर की गई तांत्रिक विद्या को कम करने हेतु हमको वो साधु ने ये मंत्र दिया था ।
""ॐ पीर बजरंगी, राम-लखन के संगी, जहां-जहां जाय, विजय के डंके बजाय, दुहाई माता अंजनी की आन।""
ये मंत्र से भले ही हमारे घर में बच्चे नही हुए है लेकिन परेशानियां खतम।हो चुकी है , ये मंत्र से बंधन से मुक्ति जल्दी मिल जाती है ।
लेकिन ये बात हमारे बाऊजी ने बड़े हल्के में ले थी जिसके कारण वो इस मंत्र को नही पढ़ते थे। लेकिन जब उनको समझ आया तब तक हमारी शादी जो चुकी थी । इसलिए उसका जप हम करते है ।
और आज सुबह भी हम महामृत्युंजय मंत्र के साथ हम इसी मंत्र का जाप कर रहे थे जिसके कारण मारे हुए जीवों के आत्मा को शांति मिले और उनको यहां बंधन से भी मुक्ति मिल जाए । और जो आसमान में पंछियां उड़ गए तब हम समझ गए की वहां शवों के अलावा पेड़ो पर रह रहे जीवों को भी बंदी बनाया गया था ।
उसी कारण बंधन से मुक्त होने पर वो सब मेरे ऊपर अपनी उड़ान भरके गए थे ।

ये सुनकर हितेश को जैसे लगा की , इतना बड़ा दुख होने के बावजूद भी जगपति के मुख पर हमेशा सरलता के भाव होते है । वो एक टक बस उसको देखता रहा ।

गाड़ी कबसे धीरे धीरे जंगल की तरफ बढ़ रही थी लेकिन खराब रास्तों के कारण उनको वहां पर कोई सुराग का कोई इंसान नही दिख रहा था । चारों तरफ बड़े बड़े पैड और अंधेरे के अलावा कुछ भी उनको महेसुस नही हो रहा था । वहां रोशनी इतनी कम थी की उनके थोड़ी दूर की चीज भी उनको सही से नही दिखाई दे रही थी ।
ये देखकर हितेश जगपति के और करीब खिसक गया ।

दूसरी और सतीश की आंखे खुल रही थी और वो बेहोशी में से बाहर आ रहा था । उसके आंखे खुलते ही उसने उठना चाहा लेकिन कमजोरी के कारण वो उठ ना सका । खोली में बैठे जूली की नजर सतीश के ऊपर जाती है , वो जल्दी से सतीश के पास पहुंच जाती है ।

सतीश के शरीर पे बाहर निकले फफोले अब थोड़े शांत हो गए थे , और सतीश का चेहरा भी पहले से काफी खिला हुआ दिख रहा था । ये देखकर जूली के मन में खुशी के भाव आ गए थे ।
तभी सुशीला सतीश को होश में आते देख सतीश के लिए पानी का ग्लास लेकर आई और उसने वहां बैठी जूली को वो ग्लास दिया ।
जूली ने पानी सतीश को पिलाते पूछा – अब कैसा लग रहा है सतीश ?
सतीश पानी पीने के बाद पूछता है – क्या हुआ था जूली मुझे ?
जूली ने तुरंत अपना सिर नीचे की तरफ जुकाकर बोला – जब कल तुम दवाई ले रहे थे जो नीचे गिर गई थी । वहां से मेने तुमको दवाई उठाकर दी थी , लेकिन उसमे मेरी गलती के कारण एक दवाई की टिकी छूट गई थी ।
वो दवाई न लेने के कारण तुम्हारा हाल खराब हो गया था ।
हितेश ने हमे बताया था की तुम्हारे पैरों के फफोले में कोई प्रवाही चला गया था , जिसके कारण ये दवाई आलोकनाथ जी ने दी थी ।

हितेश का नाम सुनकर सतीश ने त्वरित पूछा – हां , लेकिन हितेश कहां है ? कहीं दिख नहीं रहा है ?

फिर जूली ने रात को हुई सारी बात सतीश को कह सुनाई । ये सुनकर हितेश चिंतित नजर आने लगा लेकिन जूली ने बताया की अब कोई चिंता की बात नही है ।

तभी डिंपल ने कहा – जगपति चाचा , विवान और हितेश वहां क्या हुआ था वही देखने गए है । वो जल्दी वापस आते ही होंगे ।

उसी समय खोली का दरवाजा कोई खटखटाता है ।
दस्तक की आवाज सुनकर सुशीला खोली के दरवाजे पे जाती है और दरवाजा खोलती है ।
जैसे ही वो दरवाजा खोलती है उसके सामने कोई पुलिस के कपड़े पहने हुआ बदन से काला और गोल मटोल इंसान खड़ा हुआ देखती है । उसके साथ और दो पुलिस वाले भी बाहर की तरफ खड़े होते है ।
वो और कोई नही इंस्पेक्टर महिपाल होता है और उसके साथ दो पुलिस कॉन्स्टेबल आए हुए होते है । वहां पर दूर पुलिस की जीप पड़ी हुई होती है ।

बाहर की तरफ पुलिस वाले को देखकर डिंपल और जूली भी बाहर आ गए । दोनो महिपाल को देखकर पहचान गए , और उनके सिर पे चिंता की लकीर आ गई ।

तभी महिपाल ने डिंपल से कहा – क्या हम हितेश से बात कर सकते है ?
ये कहकर उसने खोली के अंदर नजर डाली । लेकिन उसको वहां सतीश के अलावा कोई दिखा नहीं ।

तभी डिंपल ने कहा – हितेश तो जगपति चाचा के साथ कहीं गया है वो लोग शायद शाम तक आ जायेंगे !
फिर उसने सामने से महिपाल को पूछा – क्या बात है बताइए ना , कोई जानकारी मिली है क्या बर्मन के बारे में ?
अभी सुबह में हमको एक लड़के को लाश मिली है जो हमने जंगल से बरामत की है , और आपके कहे अनुसार वो लड़का बर्मन जैसा दिख रहा है । बस पुष्टि करना बाकी है की वो बर्मन ही है की नही ! – महिपाल ने बड़े ही रौबदार आवाज में धीरे से कहा ।

ये सुनकर तो जूली और डिंपल की हालत जैसे ढीली हो गई और उनके पैरो तले ज़मीन खिसक गई । एक अनहोनी होने का डर उनके मुंह पे सताने लगा ।

लेकिन अभी बर्मन होने की वो सिर्फ संभावना है , क्यू की मिली हुई लाश का सिर किसी भारी चीज से कुचल दिया गया है । और उसके बदन से कपड़ों को भी हटा दिया गया है । निर्वस्त्र लाश को जंगल में सुनसान जगह पर लावारिश छोड़ा गया था । जब लाश के सड़ने की बू आने लगी तब हमे गांव के सिपाही ने सूचना दी थी , शायद दो दिन पहले वहां ये लाश को फेंका गया है । – महिपाल ने धीरे धीरे बोला ।
उसने फिर से कहा की अगर आप लोग पुष्टि कर देते हो तो भी हमे राहत रहेगी , हमारा और आपका दोनो का केस जल्दी से खतम हो जाएगा ।

ये सुनकर डिंपल ने सोचा ऐसे अकेले पुलिस स्टेशन जाना सही रहेगा या नहीं ! क्या हितेश को बिना बताए ऐसे जाना सही रहेगा या नहीं ?
ये सोचकर डिंपल ने एक बार सुशीला के सामने देखा फिर बोला – ठीक है हम चलते है , लेकिन हमे जाना कहां है ?

पुरानी सरकारी अस्पताल । – महिपाल ने कहा ।

क्या जंगल में मिली लाश बर्मन की होगी ? जगपति और क्या बतायेगा हितेश को ? जगपति को और कोई सुराग मिल पाएगा क्या ?
जान ने के लिए पढ़ते रहिए हमारी कहानी भयानक यात्रा ।