Aahan Prem ka - 2 in Hindi Poems by Choudhary SAchin Rosha books and stories PDF | आह्वान प्रेम का - 2

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आह्वान प्रेम का - 2




आह्वान प्रेम का



1. बड़े शातिर हो तुम, जो
यूं जा रहे हो मुझे इश्क की लत लगाकर
पर क्या जताना चाहते हो,
अपना ख्याल रखना अब मुझे यह कहकर
कि फिक्र करते हो मेरे लिए
मेरी फिक्र की तुम फिक्र ना करो
तेरी याद और मेरी तन्हाई काफी है मेरे लिए
Rosha





2. दर्द कितना इस दर्द–ए–दिल में
जानना चाहते हो
तो आओ, बैठो कभी
हमारी भी महफिल में
Rosha










3. हर दिन की तरह ही मैं तुझे आज भी याद करता हूं
वह इश्क तेरा, यह इश्क मेरा
है इश्क क्या इस पर कुछ बात करता हूं
बड़ी कशमकश के बाद हिम्मत हुई है कुछ कहने की,
तो आज तेरे जन्मदिन से शुरुआत करता हूं।
ना इश्क़ तू है ना इश्क़ मैं हूं
इश्क़ तो वह अहसास है, जिसे मैं तेरे नाम भर में महसूस करता हूं।
Rosha






4. तेरा हंसना भी कबूल,तेरा रोना भी कबूल
तेरा गुस्सा भी कबूल, तेरा सताना भी कबूल
कबूल तेरा मुझमें सिमट जाना,
मेरी सांसों का थम जाना भी कबूल
Rosha




5. कभी उनके ख़्वाबों में, रोज़ो में, रिवाज़ों में
बस मैं ही था
आज अपना हुआ उनके अपनों में,
कभी सबमें ख़ास, मैं ही था
माशूका को गर दिखे झलक वालिद की, किसी आशिक में
तो उससे खुशनसीब कौन ही होगा
आज क्या हूं उनकी नज़रों में, पता नहीं पर
कभी वो खुशनसीब मैं ही था।
Rosha



6. सताते रहो यूं ही मुझे
मैं बस यूं ही मिल रहा हूं
सूख गए थे, जो ज़ख्म मेरे
मैं फिर से उन्हें हरे कर रहा हूं।
Rosha





7. मत पूछो हाल मेरे दर्द–ऐ–दिल का
जो मुस्कुरा देते है दर्द में भी
उनसे कहीं आगे
निकल चुका हूं मैं कई दिन का।
Rosha




8. जो बातों का सिलसिला खामोशी से शुरू हुआ
वह चांद के छिप जाने पर ही रुका
मैंने अपने दुख बांटे,
उसने अपनी खुशियां बांटी।
यह उसी का रहम–ओ–करम है कि
खाली नहीं हूं,किसी गहरे विचार में हूं
मैं फिर से चांद के उग जाने के इंतजार में हूं.....
Rosha




9. तेरा सुरूर कुछ इस कदर छाया हुआ है
जैसे कोई अनाड़ी नशे में नहाया हुआ है
इन कमसिन अदाओं से न सताओ ज़ालिमा
यह माशूम तो पहले से ही,
दर्द–ए –दिल का सताया हुआ है।
Rosha


10. ना जाने कैसी ये तेरे इश्क की
खुमारी छाई है
मुझे पता है तू रोज़ जहां रहता है
वहा अब तू नहीं है
फिर भी न जाने क्यों मैने
उसी ओर नजरे घुमाई है
मेरे दिल और दिमाग के बीच ये कैसी मची
तबाही है
दिल कहता इश्क कर
दिमाग कहता कर तौबा
अभी से तेरी रातों की नींदे उड़ाई है
सोच आगे क्या होगा
क्योंकि अभी तो सिर्फ नज़रे मिलाई है
दूर रह सचिन इस इश्क से क्योंकि
इस इश्क की बहुत गहरी खाई है
Rosha



11. ठिठुर उठता हूं आज भी
मैं देखकर उसकी एक झलक को
आंखो से आंसू अनायास ही टपक पड़ता है
होकर शरीर शिथिल दिल ज़ोरो धड़कता है
गर भूलना भी चाहूं मैं उसको
भूल नहीं पाता
क्योंकि भरकर बूंदे इश्क़ की
मेरी रूह पर ,सिर्फ वोही तो बरसता है।
Rosha