Pagal - 36 in Hindi Love Stories by Kamini Trivedi books and stories PDF | पागल - भाग 36

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पागल - भाग 36

भाग–३६

मीशा ऑपरेशन थियेटर में थी। रोहिणी आंटी चिंता में । मैं उन्हे दिलासा दे रही थी। राजीव जीजाजी के पास खड़ा उनकी हिम्मत बांध रहा था । सम्राट अंकल हॉस्पिटल के वहां रखे गणेश जी की मूर्ति के सामने खड़े थे उनकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे और वो एकटक उनकी मूर्ति को देख रहे थे।
दरअसल मीशा सीढ़ियों से गिर गई थी । उसे 9 वा महीना चल रहा था। जीजू यही आए हुए थे।
जल्दी ही उसे हॉस्पिटल लाया गया ।
"कंग्रेचूलेशंस , आपके घर लक्ष्मी आई है" एक नर्स ने बाहर आकर कहा।
डॉक्टर भी बाहर आए ।
"डॉक्टर , ?" मैने बस इतना कहा डॉक्टर समझ गए मैं क्या जानना चाहती हूं
"जी मां और बच्ची दोनों बिल्कुल स्वस्थ है। बच्ची का वजन 3.2 किलो है । मीशा जी अभी बेहोश है लेकिन जल्द ही उन्हे भी होश आ जायेगा। "डॉक्टर ने कहा ।
हम सभी खुश थे।
मीशा ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया था।नर्स ने उसे मेरी गोद में लाकर रख दिया । यह देखकर मेरी आंखे छलक आई । कितनी प्यारी सी गुलाबी सी नाजुक सी बच्ची। राजीव मेरे करीब आए , मैने उन्हे ये बच्ची दी। वो भी बहुत खुश थे । बच्ची इतनी नाजुक थी कि उन्हें उसे उठाने में डर लग रहा था। राजीव ने उसे ले जाकर जीजू को दिया । बारी बारी से बच्ची को सबने लिया ।
सम्राट अंकल मेरे करीब आकर मेरे सिर पर हाथ रखकर बोले ।
"तुम लोग कब खुशखबरी दे रहे हो?शादी को 6 महीने हो चुके है।"
ये बात सुनकर राजीव मेरी और और मैं राजीव की और देखने लगे । सम्राट अंकल ने हम दोनों को एक दूसरे को देखते हुए देखा और उनकी अनुभवी निगाहें हमारे रिश्ते के पीछे छुपे सच को भांप गई।
"बधाई हो सम्राट जी" ये जीजू के पापा की आवाज थी वो लोग एडमिट होने की खबर सुनते ही वहां से निकल गए थे और जस्ट हॉस्पिटल पहुंचे थे।
सम्राट अंकल ने उन्हे गले से लगाकर बधाई दी।
राजीव ने मुझसे नज़रे हटा ली।और सभी के लिए चाय लेने बाहर चला गया।
मैं एक बेंच पर बैठ कर अंकल की कही बात सोच रही थी।
सम्राट अंकल का ध्यान मुझ पर था।
लेकिन वो बातों में व्यस्त थे।
रोहिणी आंटी ने सबके खाने की व्यवस्था के लिए मुझे घर जाने को कहा ।
मैने वैसा ही किया । मैं बिना राजीव को बताए घर आ गई। राजीव हॉस्पिटल पहुंच कर मुझे ढूंढ रहे थे । मुझे ना पाकर थोड़ा बेचैन हुए तो सम्राट अंकल ने उन्हे बताया कि मैं घर जा चुकी हूं राजीव भी घर पर आए ।
"मुझे बिना बताए आ गई ?"शिकायती लहजे में राजीव ने कहा ।लेकिन मैने कोई जवाब नही दिया।

"किट्टू?" राजीव ने पास आकर मुझे अपनी तरफ खींचा तो मेरी लाल आंखे देख कर पूछने लगा
"क्या हुआ किट्टू?किसी ने कुछ कहा तुमसे?"
मैं दौड़कर रोते हुए कमरे में चली गई ।वो मेरे पीछे आया और पूछा
"क्या हुआ किट्टू ?कुछ बताओगी?"
"राजीव मुझे बच्चा चाहिए"
"कीर्ति, ये क्या हो गया है तुम्हे?तुम जानती हो ना,,"
मैं राजीव की बात को बीच में रोकते हुए उस को किस करने लगी ।
उसने मुझे खुद से दूर किया।
"राजीव प्लीज , मैं वादा करती हूं तुम्हारी जिंदगी से दूर हो जाऊंगी । मैं तुम्हे उस बच्चे और मेरी जिम्मेदारी नहीं दूंगी । कॉन्ट्रैक्ट पेपर पर साइन है मेरे । मैं अपना इरादा नहीं बदलूंगी । पर मुझे मेरे जीने का सहारा तो दे दो। "
"किट्टू पागल हो गई है तू?" राजीव चीख पड़ा ।
मैने फिर उसे बाहों में भर कर किस करना शुरू कर दिया ।
राजीव ने मेरे बालों को खींचकर मुझे दूर करना चाहा लेकिन मैं पता नही क्यों इतना परेशान हो चुकी थी शायद मैं थक गई थी उस उम्मीद से कि मैं राजीव को पा सकूंगी इसलिए मैं उसके बच्चे को लेकर उससे दूर हो जाऊं ऐसा खयाल मेरे दिल में आया ।

मैं राजीव को बेतहाशा किस करने लगी। राजीव भी कुछ देर में बहक गया । उसकी पकड़ मेरे बालों से ढीली हो गई।

क्या आज राजीव और मेरी दूरियां मिट जायेगी? या हो जायेंगे हम हमेशा के लिए दूर ?