Pagal - 35 in Hindi Love Stories by Kamini Trivedi books and stories PDF | पागल - भाग 35

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पागल - भाग 35

भाग–३५
राजीव बाथरूम से बाहर निकला तो मुझे देख कर हतप्रभ सा खड़ा रह गया ।

कुछ देर वह इसी तरह खड़ा रहा ,और मुस्कुराने लगा ।
"क्या देख रहे हो ?"मैने उसे ऐसे देखते हुए पूछा ।
"तू इतनी सुंदर भी दिख सकती है? पहले तो कभी नहीं लगी" राजीव ने कहा।
"ये कॉम्प्लीमेंट है मजाक उड़ा रहे हो?"मैने कमर पर हाथ रखकर गुस्से वाला मुंह बनाते हुए कहा ।
राजीव हंसने लगा और मैं मुस्कुरा दी।
मैने एक खूबसूरत रेड वेस्टर्न गाउन पहना था।खुले बाल रखे थे और हल्का मेक अप किया था।
राजीव की कही बात से दिल खुशी से नाचने लगा। मैं इस बात से खुश थी कि उसने मुझे नोटिस किया। मीशा की शादी में भी ने तैयार हुई थी मगर उसने तब मुझ पर ध्यान भी नही दिया था।
हम लोगों ने खाना खाया। राजीव थोड़ा टहलने के लिए बीच पर जाना चाहता था लेकिन मैं थक गई थी तो मैंने उसे अकेले जाने को कहा , वो चला गया।
मैने मिहिर और मीशा को वीडियो कांफ्रेंस में लिया ।
"हाई, कैसा लग रहा है हनीमून पर?" मीशा ने चहकते हुए पूछा।
"बहुत अच्छा "मैने शरमाते हुए कहा।मैं लगातार मुस्कुरा रही थी
"खुश लग रही है" मिहिर ने कहा।
"हां राजीव ने आज मुझे कहा कि मैं खूबसूरत लग रही हूं" ये बताते हुए मैं बहुत ज्यादा खुश थी।
"ओए होए, " दोनो एक साथ बोले।
बाहर किसी के आने की आहट पाकर मैंने कहा ।
"अच्छा लगता है राजीव आ गया मैं बाद में तुमसे बात करती हूं " मैने फोन काट दिया और कपड़े बदलने के लिए बाथरूम में चली गई ।
राजीव और मैं गोवा में बहुत घूमे फिरे, बहुत एंजॉय किया। वापसी में होटल वालों ने राजीव को एक बीयर बॉटल गिफ्ट की ।
हम अब घर वापिस आ चुके थे ।
राजीव कुछ परेशान लग रहा था लेकिन उसने मुझे कुछ बताया नहीं ।मैने भी पूछना जरूरी नहीं समझा।
मीशा अपने ससुराल जाने वाली थी। उसे लेने उसके ससुर और सास आए थे । क्योंकि जीजाजी किसी काम में व्यस्त थे। मीशा को बिदा किया गया। वह मुझसे कहकर गई " मुझे पूरा विश्वास है तू राजीव को अपना बना कर छोड़ेगी । "
उसकी इस बात ने मेरे अंदर आत्मविश्वास भर दिया। मैने मुस्कुराकर उसे गले से लगाया।मीशा के जाने से घर सुना हो गया था।
दिन गुजरने लगे ।वैसे तो बहुत सामान्य सी जिंदगी थी ।वही जॉब, घर के काम वगेरह। मैं राजीव का बहुत खयाल रखती उससे बेहद मुहब्बत जताती । लेकिन वह उसे मेरी अच्छाई समझता , मेरी दोस्ती वाला प्यार समझता । कभी किसी वजह से मेरा उसके करीब जाना होता भी तो वो खुद को मुझसे दूर कर लेता ।

इस दौरान मेरे और उसके दोस्ती के रिश्ते में भी काफी फर्क आ चुका था । हम एक दूसरे से मस्ती नही कर पाते थे । और बातें भी अब कम होने लगी थी। जिम्मेदारियां बढ़ रही थी। मैं कब लड़की से औरत की तरह बन गई पता ही नही चला। घर के काम काज और जॉब का टेंशन ,
कही न कहीं राजीव को पाने की चाह में दिल हार मानने लग गया था लेकिन मैं फिर से उसे जोश से भर देती ।

मीशा की गोदभराई की रस्म का वक्त भी आ गया। हम सभी को जाना था लेकिन राजीव की तबीयत खराब हो गई थी। उसने मुझसे कहा" कीर्ति तुम तो अंकल आंटी के साथ चली जाओ"
"नहीं राजीव यहां तुम्हारे साथ भी किसी का होना जरूरी है तुम्हारा खयाल कौन रखेगा?"
मैं राजीव के पास ही रुकी । रात भर जागकर उसका खयाल रखा , अगले दिन राजीव ने देखा मैं उसका हाथ पकड़ कर जमीन पर ही बिस्तर के सहारे लेट गई थी।

"किट्टू" उसने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा।
मैं उठी और उसके लिए चाय नाश्ता लेने चली गई। राजीव देर तक मेरी हरकतों को देख रहा था । आज उसे बुखार नही था । उसने महसूस किया की उसके बुखार में मैं एक पल के लिए भी आराम नही कर पाई । वह उठा और मेरे पीछे रसोई में आया। उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा । मैं पलटी। तो वह मुझे बहुत प्यार से देख रहा था। शायद इतने समय पहली बार वो मुझे इस तरह देख रहा था ।मेरे दिल की धड़कने धड़कना भूल रही थी।
"तुम यहां क्यों आए राजीव ? मैं तुम्हारे लिए नाश्ता लेकर आ ही रही थी" मैने खुद को संभालते हुए कहा ।
राजीव ने मेरे बालों की लट को कान के पीछे किया । उस वजह से मेरे दिल की धड़कने बढ़ने लगी। मैने अपनी पलके झुका ली, उसने मुझे बाजुओं से पकड़ा और मुझे बाहर ले जाने लगा ।
मैं समझ नही पा रही थी वो करना क्या चाहता है । दिल तेजी से धड़क रहा था। उसने मुझे डाइनिंग टेबल की चेयर पर बिठाया।
"राजीव मैं,,," मैने कुछ कहने को मुंह खोला ही था की उसने चुप रहने का इशारा किया । और कहा "चुपचाप यहां बैठी रहो"
मुझे वहां बिठाकर वह रसोई में चाय और नाश्ता बनाने लगा और कुछ ही देर में लेकर बाहर आ गया ।
"राजीव मैं कर रही थी ना, तुम आराम करो"
"मैं देख रहा हूं कि तुमने भी कल से बिलकुल आराम नही किया है, मैं अब ठीक हूं , तुम आज आराम कर लो । मैं खाना बाहर से ऑर्डर कर लेता हूं "
शादी के बाद ये पहली बार था जब राजीव ने मेरी इस तरह केयर की हो। ये दोस्ती वाली केयर नही थी। मुझे लगा शायद राजीव का दिल पिघलने लगा है। उम्मीद की एक किरण दिखाई दी।
तभी डाइनिंग टेबल पर पड़े मेरे फोन में रिंग बजी ।राजीव ने स्क्रीन की और देखा "मिहिर" का नाम देख कर वह वहां से उठकर दूर खड़ा हो गया। मैंने फोन उठा लिया ।
और साइड में जाकर बात करने लगी । जब मैं वापिस आई तब तक राजीव कमरे में जा चुका था।
मैने भी थोड़ी देर आराम किया और फिर घर के काम करने लगी खाना बाहर से आया हमने साथ खाया । शाम के समय घर के बाहर एक गाड़ी आकर रूकी।
जिसमे अंकल आंटी और मीशा थे। मैने आंटी के बताए अनुसार सारी तैयार कर ली थी और मीशा का स्वागत किया।

राजीव फिर अपने कामों में व्यस्त हो गए और मैं घर , जॉब और मीशा में । लेकिन जब भी मौका मिलता में राजीव के करीब जाने की कोशिश जरूर करती ।

क्या राजीव को मुझसे प्यार होने लगा है? या फिर वो बस मेरी गलत फेमी थी।