Pagal - 34 in Hindi Love Stories by Kamini Trivedi books and stories PDF | पागल - भाग 34

Featured Books
Categories
Share

पागल - भाग 34

भाग–३४
एयरपोर्ट की सारी प्रोसेस के बाद हम लोग प्लेन का वेट करने लगे । कुछ देर में प्लेन भी आ चुका था । हम लोग उसमे चढ़े ।
मैं एक खूबसूरत सफर और खूबसूरत जिंदगी की कामना लिए अपने आप में मुस्कुराए जा रही थी। कुछ ही घंटों में फ्लाइट गोवा एयरपोर्ट पर थी ।
हम लोगों को होटल की ही टैक्सी लेने आई थी हम लोग उसमे बैठकर होटल गए ।
बहुत खूबसूरत सा माहौल था गोवा के आबोहवा में, गोवा की जमीन पर उतर कर ऐसा महसूस हुआ जैसे किसी और दुनिया में ही हो हम लोग। बहुत शांत और खूबसूरत जगह, सारी चिंताएं अपने आप ही खत्म हो जाती है ऐसी जगहों पर जाकर ।
आप भी गोवा जरूर जाइएगा। आप में से बहुत तो गए भी होंगे और महसूस कर पा रहे होंगे में क्या कहना चाहती हूं ।
कुछ देर वेटिंग रूम में बैठने के बाद हमने होटल के रूम में चेक इन किया।

होटल रूम बहुत बड़ा तो नही था लेकिन बहुत सलीके से सजाया हुआ था जरूरत का सभी सामान मौजद था । एक अलमारी, TV, हालाकि हनीमून पर TV तो कोई देखता नही होगा 😂, मगर ये TV मेरे और राजीव के लिए जरूरी थी हमारे बहुत काम आने वाली थी जब तक हम कमरे में होते। एक बड़ा फ्लावर वास था और बालकनी से सीधा एक बीच का नजारा । लहरों की आवाज दिल को सुकून दे रही थी।

"सॉरी, किट्टू , अंकल को मैं मना नही कर सका और तुम्हे यहां लेकर आना पड़ा। मैं होटल स्टाफ को बोलकर एक एक्स्ट्रा बेडिंग मंगवा देता हूं" राजीव ने मेरे पास आकर कहा ।
"राजीव रहने दो, कुछ ही दिन की बात है एडजस्ट कर लेंगे । होटल स्टाफ से बेडिंग मांगना सही नही रहेगा ।"
"आर यू श्योर?"
"येस, आई एम श्योर"
"ओके, आज कहीं घूमने जाना चाहती हो?"
"अगर तुम ले जाओ तो जरूर" मैने खुशी जताते हुए कहा ।
"तो चल" उसने कहा ।
बाहर जाकर हमने होटल में पूछा कि क्या हमें बाइक मिल सकती है? उन्होंने बताया कि 2 किलोमीटर आगे जाकर एक रेंटेड बाइक्स की शॉप है । सड़क पर कुछ देर पैदल चलने के बाद हमें ऐसा एक छोटा सा शॉप दिखा जहां बाइक्स रेंट पर दे रहे थे ।
सभी बाइक्स के चार्जेस पूछने के बाद ,राजीव ने एक पल्सर बुक की।
कुछ ही मिनटों में एक पल्सर उसने हमें दे दी। अब मैं राजीव के साथ गोवा की सड़कों पर घूम रही थी। ये पहली बार था जब मैं राजीव के पीछे बैठी थी। सामान्यतः मैं अपनी एक्टिवा पर और वो अपनी बाइक पर होता था।

"कुछ खाए क्या भूख बहुत लगी है" मैने कहा ।
"मैं भी यही सोच रहा था। "
हमने देखा खाने पीने की बहुत सी शॉप्स है पर ज्यादातर नॉनवेज, मैने राजीव से कहा , कुछ पी कर काम चला लेंगे।
हम दोनों ने कॉफी पी और हम वापिस होटल आ गए । राजीव के साथ बिताए वो पल दिल को बहुत सुकून दे गए । बहुत मजा आया मुझे आज की इस राइड में ।

शाम हो चली थी । अब हमें होटल जाना था।
होटल पहुंच कर मैं तैयार होने के लिए नहाने गई। बाथरूम से जब निकली तो बाहर का नजारा देख कर मेरे पसीने छूट गए । मुझे तो जैसे कोई जमीन में गड्ढा करके गाढ़ दे इतनी शर्म आ रही थी।
राजीव बैग खोलकर सारे कपड़े बिखेर के बैठा था और उसके हाथ मैं वो नाइटी थी और वो उसे बड़े ध्यान से देख रहा था ।
मैने जल्दी से वो नाइटी उससे खींच कर बैग में रखी।
"ये क्या है किट्टू"
"वो, वो, मैं, वो , "
"तुम ये ,,, तुम क्या ? मतलब , क्या तुम मेंटली उसके लिए तैयार हो?" राजीव ने हिचकिचाते हुए पूछा ।वो बहुत टेंशन में था।
"नहीं राजीव तुम ऑफिस गए थे तब मीशा कमरे में आई थी ये मुझे उसी ने दी , मै उसका दिल नही तोड़ना चाहती थी तो बैग में रख ली ।" मैने नज़रे झुकाए हुए कहा ।
"ओह, थैंक गॉड, यार मैं सच में उसके लिए तैयार नहीं था और अगर मुझे पता चलता की तुम्हारा इस तरह का मन है और मैं तुम्हे वो खुशी ना दे पाऊंगा तो शायद खुद को माफ नही कर पाता "
"नही राजीव रिलैक्स रहो और तैयार हो जाओ खाने जाना है देर हो रही मैं कपड़े अलमारी में जमा देती हूं ।" कहते हुए मैंने कपड़ों को अलमारी में सेट करना शुरू कर दिया ।

राजीव अपना टॉवल लेकर बाथरूम में चला गया ।
मैने हंसते हुए अपने सिर पर मारा , और नाइटी को बैग में ही छुपा दिया । लेकिन उम्मीद फिर खतम हो गई की उसके साथ मेरा कुछ हो पाएगा ।बहरहाल राजीव बाथरूम से बाहर निकला तो मुझे देख कर चौंक गया ।

"क्या हुआ था राजीव को जो वो मुझे देख कर चौंक गया । क्या मैं इस ट्रिप में राजीव का दिल जीत पाऊंगी?" जानने के लिए पढ़ना जारी रखे।