भाग–३३
आज राजीव मुझे लेने के लिए आने वाला था। मैं उसका बेसब्री से इंतजार करने लगी कुछ देर में राजीव मुझे लेने के लिए आ गया।
उसे देख कर दिल को सुकून मिल रहा था इतनी खुशी हो रही थी मैं दौड़ कर उसके गले लग जाना चाहती थी लेकिन मैंने अपनी भावनाओं को काबू में किया और राजीव के सामने जाकर बैठ गई।
मम्मी राजीव के लिए नाश्ता और चाय लेकर आए, इतनी देर मैं राजीव के सामने बैठी रही, उसने मुझसे कोई बात नहीं कि वह अपने फोन में उलझा हुआ था और मैं उसे देख रही थी। पापा कुछ काम के लिए बाहर गए थे जब वह वापस आए तो मम्मी और पापा भी आमने-सामने बैठ गए । मामा मामी भी आ गए और कुछ देर राजीव से उन लोगों ने बातें की और फिर राजीव उठते हुए बोला "अब हमें चलना होगा, मुझे ऑफिस भी जाना है , गोवा जाने के लिए पैकिंग भी करना है"
"मैंने अपना बैग उठाकर मम्मी पापा और मामा मामी के पैर छुए । मम्मी की आंख में आज फिर आंसू थे । और मैं खुशी खुशी जा रही थी ।
मामा मामी ने राजीव को लिफाफा दिया और मम्मी पापा ने उसे कपड़े दिए । मुझे भी सभी ने शगुन दिया। और हम लोग वहां से घर की और निकले ।
रास्ते में राजीव ने कहा, ।"यार गोवा के लिए मैने कुछ भी पैकिंग नही की। समझ नही आ रहा क्या लूं , मेरे भी कपड़े तुम ही रख देना अपनी पसंद से। "
"ठीक है " मैने बस इतना ही कहा।
गोवा मेरे लिए राजीव के करीब आने के कुछ तरीकों में से एक था, मैं बहुत खुश थी मेरी इस ट्रिप के लिए ।
जल्दी हम लोग घर पहुंच गए ।
रोहिणी आंटी आज भी पूजा की थाली लिए खड़ी थी। उन्होंने दरवाजे पर ही रोक कर हमारी आरती उतारी।
फिर मुझे घर में आने को कहा।
मैं और राजीव साथ में अंदर घुसे।
मैने यहां भी सभी के पैर छुए और मीशा ने मुझे गले से लगा लिया ।
"जाओ बेटा तुम जल्दी से अपनी पैकिंग शुरू कर दो ।" अंकल ने कहा।
"जी" मैने बस इतना कहा ।और मैं कमरे में जाने लगी।
"किट्टू , तुम पैकिंग करो मैं ऑफिस जा रहा हूं " राजीव ने कहा
"ओके" मैने कहा और कमरे में गई ।
राजीव वहीं से अपनी ऑफिस के लिए निकल गया ।
मेरे कमरे में मीशा आई।
"और मेरे सर पर हाथ फेरकर बोली
"राजीव को इस ट्रिप पर अपने प्यार से भर देना , वो अपने सारे गम भूलकर तेरे साथ नई जिंदगी की शुरुआत करेगा । बस पहल तुझे करनी होगी। तेरे लिए कुछ लाई हूं, " कहते हुए उसने मेरे हाथो मे एक पैकेट दे दिया।
"इसमें क्या है मीशा?"
"खुद देख ले"
मैने पैकेट ओपन किया तो उसने एक शॉर्ट नाईटी थी वो भी बहुत ट्रांसपेरेंट"
"मीशा ये सब क्या है?"मैने शरमाते हुए कहा।
"जैसे तुझे पता ही नही?" वह शरारत भरी निगाहों से देखकर मुस्कुराई।
"लेकिन मीशा"
"लेकिन वेकिन कुछ नही , मेरी बात ध्यान से सुन, ये लड़के होते है ना इनका प्यार पाना बहुत आसान है। इन्हें इनका प्रिय भोजन खिला दो , और इन्हे बहुत प्यार दो। कहते है ना मर्द के दिल का रास्ता उसके पेट से गुजरता है।तुझे बस राजीव को शारीरिक रूप से अपना बनाना है फिर सब कुछ ठीक हो जायेगा । "
मीशा पहली बार इतना खुल कर मुझसे बात कर रही थी।
मैने मीशा से कुछ नही कहा , मैं उसका दिल नही तोड़ना चाहती थी। हालाकि मैं जानती थी ये वक्त इस सबके लिए सही नही है। लेकिन मैने वो नाइटी बैग में रखकर मुस्कुराकर मीशा से हां कहा।
वो मेरे गालों पर किस करके जाने लगी।
तभी रोहिणी आंटी नाश्ते से भरी थैली लेकर आई ।
"मम्मा ये लोग फ्लाइट में जा रहे है ये सब की वहां जरूरत नहीं है "
"हां बात तो सही है , " कहते हुए आंटी ने खुद अपने सिर पर चपत लगाई। हम सभी हंसने लगे ।
मैं उनके प्यार और अपने पन को देखकर खुद को दुनिया की सबसे खुश नसीब लड़की मानती थी।
सारी पैकिंग निपटने में शाम हो गई ।
राजीव घर आए। हमने साथ खाना खाया और हम एयरपोर्ट के लिए निकले।
क्या होगा आगे की कहानी में जानने के लिए इंतजार कीजिए अगले भाग का