Tera Mera ye Rishta - 4 in Hindi Adventure Stories by Saloni Agarwal books and stories PDF | तेरा मेरा ये रिश्ता - 4

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तेरा मेरा ये रिश्ता - 4

रिया के सिंघानिया मैंशन से चले जाने के बाद,

श्रेया भी रिया के साथ ही बाहर चली जाती है क्योंकि सब ने सोचा होता है कि जब तक सब तैयार होंगे तब तक श्रेया, रिया को बाहर ही रोक के रखेगी।

पर आज रिया, श्रेया की एक भी बात सुनने को तैयार नहीं थी और भला कैसे हो जाती उस की इकलौती दोस्त उस का जन्मदिन जो भूल गई थी तो बस इसलिए वो उस की कोई बात नही मान रही होती हैं।

श्रेया अपने मन में कहती हैं, "क्या यार यश भाई ने कहा फसा दिया मुझे, और यह लडकी तो मेरी एक सुनने को तैयार नही है पर मैं उस को घर भी तो जाने नही दे सकती हु न जब तक घर से किसी का कॉल नही आ जाता तब तक तो बिलकुल भी नहीं और अभी तो पूरे दो घंटे है, क्या करु मै कुछ समझ नही आ रहा हैं?"

फिर श्रेया को एक आइडिया आता है और वो मूवी के दो टिकट लेकर आती हैं और रिया से कहती हैं, "चल ना मूवी देखने चलते हैं, बहुत समय से हम दोनो ने कोई मूवी भी नही देखी है ना।"

श्रेया की बात सुन, रिया उस से कहती हैं, "मैने कहा न मुझे कही नही जाना है, मेरा आज किसी भी जगह पर मन नहीं लग रहा है, तुझे समझ क्यो नही आ रहा हैं, मै सिर्फ बड़ी मां के कहने पर ही आई हु बस !"

श्रेया अपने मन में कहती हैं, "यार अगर आज तेरा जन्मदिन नही होता न तो मै कभी भी तुझे परेशान नही करती मेरी जान, पर क्या करू मेरे पास और कोई रास्ता ही नही छोड़ा है तेरे भाई ने।"

फिर श्रेया, रिया को Black Male करते हुए कहती है, "क्या यार मैं तो तेरी इकलौती दोस्त हू ना, मेरी इतनी सी भी बात नही मानेगी और तू ही तो कब से कह रही थी तुझे कॉमेडी मूवी देखनी है तो देख मेरे पास दो कॉमेडी मूवी के टिकट है, प्लीज़ चल ना यार !"

श्रेया के ऐसे कहने पर, रिया उस से कहती हैं, "यार, चल ठीक है चल ले, नही तो पूरे महीने मुझे सुनाती रहेगी।"

रिया की बात सुन के, श्रेया कहती हैं, "अब चल भी नहीं मूवी निकल जायेगी और फिर मजा नही आयेगा !"

श्रेया की बात सुन, रिया कहती है, "हां मेरी मां, चल तो रही हो !"

फिर दोनो मूवी देखने के लिए मूवी हॉल मे चले जाते हैं और वहा पर दोनो से उन के फोन Silent करवा दिए गए होते हैं। फिर दोनो अपनी सीट पर बैठ कर कॉमेडी मूवी देखने में बिजी हो जाती हैं।

करीब दो घंटे बाद,

सिंघानिया मैंशन में यश बार बार श्रेया को कॉल कर रहा होता है पर उस का फोन Silent होने की वजह से उस को तो कुछ पता ही नही होता है।

यश को ऐसे परेशान देख, सिद्धार्थ वहा आकर उस से पूछता है, "क्या हुआ तू इतना परेशान क्यों है ?"

अपने सिद्धार्थ भाई की बात सुन, यश कहता है, "देखो ना भाई, ये श्रेया मेरा कॉल ही नही उठा रही है, अब मै कैसे कहूं कि अब रिया को लेकर घर आ जाए ?"

यश की बात सुन, सिद्धार्थ कहता है, "तुम दोनो के साथ रह कर वो भी पागल ही हो गई हैं।"

सिद्धार्थ की बात सुन, यश कहता है, "क्या भाई आप भी, अब आप ही उस को कॉल करो क्योंकि आप का कॉल तो देखते ही उठा लेती हैं।"

यश की बात सुन, सिद्धार्थ कहता है, "ठीक है रुक, करता हु उस को कॉल।"

फिर सिद्धार्थ, श्रेया को कॉल करने लगता हैं, तब तक श्रेया और रिया मूवी हॉल से बाहर आ गए होते हैं। श्रेया, रिया से कह ही रही होती हैं, "यार ये दो घंटे कितनी जल्दी बीत गए न पता ही नही चला।"

श्रेया की बात सुन, रिया उस से कहती है, "हां यार, पर जो भी हो मजा बहुत आया ना।"

रिया की बात सुन, श्रेया हां कह ही रही होती हैं कि उस का फोन वाइब्रेट करने लगता हैं तो वो रिया से कहता है, "यार अब कौन पागल हो रहा हैं, इन लोगो को चैन भी नही होता है कि इंसान कुछ पल अपनों के साथ भी बीता ले।"

पर जब वो अपने फोन पर सिद्धार्थ का नाम देखती है तो उस के मुंह से कुछ आवाज ही नहीं निकल रही होती हैं। जिस पर रिया उस से पूछती हैं, "क्या हुआ बोल ना किस पागल का फोन है और तू इतनी शॉक क्यों हो गई हैं?"

रिया की बात सुन, श्रेया के मुंह से तो शब्द ही नहीं निकल रहे होते हैं पर फिर भी वो कोशिश करती है और कहती हैं, "सी...सी वो आगे बोल ही नहीं पाती हैं और फोन कट जाता हैं।

श्रेया को ऐसे देख, रिया घबरा जाती है और उस से कहती हैं, "कौन है वो इंसान जिस की वजह से मेरी दोस्त की ये हालत हो गई हैं, एक बार मुझे मिल जाए वो, मै उस का मुंह ही तोड़ दूंगी।"

फिर रिया, श्रेया के हाथो से उस का फोन ले लेती है और देखने लगती हैं उस ने फोन का लॉक खोल कर कॉल डिटेल देख ही थी होती हैं क्योंकि दोनो दोस्तो को एक दूसरे के फोन का पासवर्ड पता होता है...पर जब रिया सिद्धार्थ का नाम देखती हैं तो उस की आंखे बड़ी हो जाती हैं और वो कहती है, "सी...सिद्धार्थ भाई।"

घर में सिद्धार्थ का गुस्सा, अंश की तरह ही होने की वजह से यश और रिया, अमृत से ज्यादा अंश और सिद्धार्थ से डरते हैं क्योंकि इन दोनो का गुस्सा किसी से संभालता ही नही है।

फिर रिया, श्रेया से कहती हैं, "यार, सिद्धार्थ भाई तुझे क्यू कॉल कर रहे हैं।"

रिया की बात सुनके, श्रेया कहती हैं, "यार, मुझे क्या पता तेरे भाई, मुझे क्यो कॉल कर रहे हैं ?"

रिया और श्रेया दोनों एक दूसरे से बात कर ही रहे होते है कि तभी श्रेया का फोन दुबारा से बजने लगता हैं और वो दोनो जब देखती हैं तो दोनो मे से किसी मे भी सिद्धार्थ का कॉल उठाने की हिम्मत नही होती हैं।

फिर रिया, श्रेया को उस का फोन पकड़ाते हुए कहती हैं, "ले पकड़ अपना फोन और जल्दी से उठा ले नही तो दोनो को बहुत ज्यादा डाट पड़ेगी क्योंकि ये सिद्धार्थ भाई का दूसरा कॉल आ रहा हैं।"

रिया की बात सुन, श्रेया घबराते हुए कहती हैं, "मै... मै कैसे उठा सकती हूं ?"

श्रेया फिर से रिया से बात को टालते हुए कहती है, "और वैसे भी तो सिद्धार्थ तेरे भाई है तो तुझे उठाना चाहिए उन का कॉल, मै क्यों उठाने लगी भला !"

श्रेया की बात सुन, रिया उस से कहती है, "हां माना सिद्धार्थ भाई मेरे भाई है पर वो कॉल तो तुझे कर रहे हैं ना तो तुझे ही उन का कॉल उठाना पड़ेगा।"

रिया की बात सुन, श्रेया कहती है, "मै कैसे? नही... मै नही कर सकती हूं?"

तभी श्रेया के कॉल पर फिर से सिद्धार्थ का कॉल आने लगता हैं और श्रेया के हाथो से तो उस का फोन ही छूट जाता हैं। जिसे रिया उठाते हुए श्रेया से कहती हैं, "ये ले जल्दी से फोन उठा ले नही तो हमे सिद्धार्थ भाई के गुस्से से कोई नही बचा सकता है।"

रिया की बात सुन, श्रेया डरते डरते फोन उठा ही लेटी है पर रिया के कहने पर फोन को स्पीकर पर रख देती हैं और कुछ कहने ही वाली होती हैं कि उस से पहले ही सिद्धार्थ गुस्से से बोलने लगता हैं, "कहा ध्यान रहता है तुम्हरा, वैसे तो पूरा टाइम फोन पर ही चिपकी रहती हो और आज एक फोन नही उठाया जा रहा तुम से ?

सिद्धार्थ का गुस्सा देख, श्रेया से तो कुछ बोलना ही नही बन रहा होता है और रिया अपने मन में सोच रही होती हैं,"सिद्धार्थ भाई का गुस्सा देख के तो लगता हैं आज मेरी दोस्त को बहुत बुरी डाट पड़ने वाली है।"

सिद्धार्थ को जब श्रेया से कोई जवाब नही मिलता है तो वो फिर से कहता है, "अब कुछ बोलोगी भी या ऐसी ही चुप रहने का इरादा है।"

सिद्धार्थ की बात सुन, श्रेया हकलाते हुए कहती हैं, "वो... वो हा...हम मु... मूवी....श्रेया आगे बोलने ही वाली होती हैं कि सिद्धार्थ बीच मे ही बोलने लगता हैं," अब तुम हकला क्यू रही हो और कहना क्या चाहती हो तुम ?"

सिद्धार्थ की बात सुन श्रेया से कुछ भी बोलना नहीं बनता है तभी सिद्धार्थ दुबारा कहता है, "और सुनो जल्दी रिया को लेकर घर आ जाओ।"

सिद्धार्थ की बात सुन, श्रेया बोलने ही वाली होती हैं कि सिद्धार्थ कॉल कट कर देता हैं और श्रेया फोन को देखती ही रह जाती है।

श्रेया को देख, रिया उस से कहती हैं, "क्या यार, मेरे से तो इतना लड़ती रहती है और भाई के सामने तेरे मुंह से एक शब्द नही निकलता है !"

रिया की बात सुन, श्रेया अपना मुंह बनाते हुए उस से कहती हैं, "तूने देखा नही तेरे भाई ने मुझे बोलने का मौका कहा दिया।"

श्रेया की बात सुन, रिया, श्रेया का मजाक बनाते हुए कहती हैं, "क्या यार, ऐसे तो मै कभी तेरी और सिद्धार्थ भाई की शादी देख ही नहीं पाऊंगी और हसने लगती हैं।"

रिया की बात सुनने के बाद, श्रेया कहती हैं, "ये क्या बोल रही है तू?"

श्रेया की बात सुन, रिया उस से कहती हैं, "क्यो तुझे क्या लगा तू मेरे ही भाई को पसंद करेगी और मुझे पता भी नही चलेगा।"

और फिर रिया, श्रेया को परेशान करते हुए कहती हैं, "क्यो मैने सही कहा न मेरी होने वाली प्यारी श्रेया भाभी जी !"

रिया की बात सुन, श्रेया उस के पीछे भागते हुए कहती हैं, "रुक रिया की बच्ची, तुझे तो मै छोडूंगी नही।"

श्रेया की बात सुन, रिया उस से कहती हैं, "पहले पकड़ तो ले और फिर भागने लगती है।"

रिया के ऐसे भागने पर श्रेया उस को रोकने के लिए बोलती हैं, "रुक जा यार, हमे घर भी तो जाना है नही तो तेरे भैया मुझे छोड़ेंगे नहीं।"

पर रिया, श्रेया की बात सुन उस से मजाक करते हुए कहती हैं, "मै तो चाहती ही हु कि सिद्धार्थ भाई तुझे कभी छोड़े ही नही।"

रिया की बात सुन, श्रेया गुस्से से उसको कहती हैं, "बेशरम लड़की, भगवान करे तुझे भी ऐसे ही परेशान करने वाला नसीब हो तब तुझे पता चलेगा क्या हाल होता है।"

श्रेया की बात सुन, रिया उस से कहती हैं, "अरे देखा जायेगा और वैसे भी तब तक तो मै बुआ बन ही जाऊंगी और मेरा नंबर तो शादी के लिए सबसे Last में लगेगा न।"

रिया के ऐसे कहते ही, श्रेया गुस्से से कहती हैं, "अब मै रोज भगवान जी से प्रार्थना करूंगी कि तेरी शादी अंश भाई से पहले ही हो जाए और वो भी जल्द से जल्द।"

श्रेया की बात सुन, रिया उस से कहती हैं, "यार तू मेरी दोस्त हैं या दुश्मन, प्लीज यार ऐसा मत करना मै नही करूंगी इतनी जल्दी शादी !"और ये बोलते ही रोने लगती है।

श्रेया फिर टाइम देखती हैं तो बहुत ज्यादा लेट हो चुका था तो श्रेया, रिया से कहती हैं, "अरे यार बहुत लेट हो चुका है, जल्दी चल नही तो आज तेरा भाई मेरी जान ही ले लेगा।"

फिर रिया अपनी घड़ी में देखती हैं तो सच में वो दोनो को बहुत ज्यादा ही लेट हो चुका होता है तो दोनो जल्दी से घर के लिए निकल जाती है।

सिंगनिया मैंशन,

अब रिया और श्रेया सिंघानिया मैंशन में आ चुकी होती हैं। रिया अंदर जा ही रही होती हैं कि वो देखती हैं श्रेया तो अंदर आ ही नही रही है, उस को लग रहा होता है कि श्रेया, सिद्धार्थ भाई के गुस्से से डर रही हैं इसलिए ही अंदर नही आ रही है।

फिर रिया, श्रेया के पास जाकर उस का मन बहलाने के लिए कहती हैं, "क्या हुआ चल ना या यही खड़े रहने का इरादा है तेरा ? और रही बात सिद्धार्थ भाई की तो मे हु न भाई को कोई भी बहना बना देंगे और वैसे भी दादी मां है ना उस के आगे तो अंश भाई तक की नही चलती है तो ये सिद्धार्थ भाई क्या चीज है।" और फिर हसने लगती हैं।

रिया की बात सुन, श्रेया अपने मन में सोचती हैं, "सच में यार तू कितनी अच्छी है, मै बहुत लकी हु कि तू मेरी दोस्त हैं, वैसे तो मै तेरे भाई से रोज ही डरती हूं पर आज तेरा जन्मदिन है तो आज तो तुझे अंदर अकेले ही जाना पड़ेगा मेरी जान।"

जब रिया, श्रेया को कुछ सोचते हुए देखती हैं तो उस से कहती हैं, "अरे तू फिर सिद्धार्थ भाई के ख्यालों में चली गई, क्या यार इन सब चीजों के लिए पूरी रात पड़ी है बस अभी तो तू मेरे साथ घर के अंदर चल।"

रिया की बात सुन, श्रेया उस से कहती हैं, "बस कर यार, कितना मजाक बनाएगी मेरा, और पहले तू अंदर जा फिर बाद मे मै जाऊंगी क्योंकि मुझे तेरे सिद्धार्थ भाई के हाथो से मरना नहीं है !"

श्रेया की बात सुन, रिया उस से कहती हैं, "क्या यार कितनी डरपोक है तू ?"

रिया की बात सुन, श्रेया उस से कहती हैं, "अच्छा बेटा, मै डरपोक हू तो तू क्या है फिर जो अपने भाई का कॉल देख के ही डर के मारे मुझे फोन पकड़ा दिया था।"

श्रेया की बात सुन, रिया वहा से भाग कर घर के अन्दर जाने लगती हैं और वही से श्रेया को कहती हैं, "मै तो चली और तू भी अंदर ही जाना, बाहर मत रहना बीमार पढ़ जायेगी समझ मे आया ना तुझे।"

रिया की बात सुनने के बाद, श्रेया उस से कहती हैं, "हां मेरी मां अब तो जा।"

श्रेया की बात सुन, रिया सिंघानिया मैंशन में अंदर जाने लगती है पर आज सिंघानिया मैंशन में सारी लाइट्स बंद होती हैं जिस कारण रिया को कुछ दिखाई नहीं देता हैं तो वो अपने फोन की Flash Light ऑन कर देती है।

साथ में रिया सब के नाम पुकार रही होती हैं, मां, पापा, बड़ी मां आप कहा हो और दादी मां आज हमारे घर की लाइट को क्या हो गया है और आप सब कहा है....क्या आप सब को मेरी आवाज आ रही है तो प्लीज कोई तो रिप्लाई दो...!

उस के ऐसे कहने से घर मे Dim Light ऑन हो जाती हैं पर फिर भी रिया को आज डर लग रहा होता है क्योंकि अभी भी चारो तरफ अंधेरा छाया हुआ होता है जिस से पूरा घर किसी भूतिया बगले की तरह लग रहा होता है। फिर रिया थोड़े और अंदर चली जाती है तो अपने आप से ही कहती हैं, "क्या सच में ये मेरा ही घर है क्योंकि आज से पहले तो ऐसा कभी कुछ हुआ ही नहीं था?"

रिया घर के अंदर जा ही रही होती हैं कि उस की नजर किसी चीज पर पड़ती है तो उस की चीख पूरे सिंघानिया मैंशन में गूंज जाती हैं, क्योंकि उस ने अपने सामने सिर कटी मुंडी देखी होती हैं जो दिखने में बिलकुल असल ही लग रही होती हैं जिस कारण रिया उस को देखने के बाद बेहोश ही हो जाती है और वही जमीन पर गिर जाती है।

रिया की चीख से समीर जल्दी से सारी लाइट्स ऑन कर देता है और भाग कर उस के पास आ जाता हैं और उस से कहता है," रिया...रिया आंखे खोलो, रिया आंखे खोलो, कुछ तो बोलो रिया !"

सिंघानिया मैंशन में इस वक्त अंश के दादा जी, दादी जी, मां, पापा, चाची, चाचा जी, सिद्धार्थ, समीर, अमृत और यश होते है और अंश, राजीव अभी तक ऑफिस से नही आए होते हैं पर अवनी अभी तक अपनी दोस्त के घर से नही आई होती है।

और वैसे भी सिंघानिया मेंशन में ही सब का Birthday, Aniversary या कुछ भी परिवार के लोगो के साथ ही मनाया जाता हैं क्योंकि अंश के बिज़नेस में बहुत दुश्मन हो गए थे इसी कारण जब तक बहुत जरूरी नहीं होता है तब तक किसी को बुलाया नही जाता हैं यहां तक रिश्तेदारों को भी नही।

समीर, बार बार रिया को उठाने की कोशिश कर रहा होता है पर वो उठ ही नही रही होती हैं जिस कारण समीर बहुत ज्यादा परेशान हो जाता हैं फिर अंश के दादा जी कहती हैं, "समीर, तुम रिया को उस के कमरे में लेकर जाओ।"

अंश के दादा जी की बात सुन, समीर कहता है, "ठीक है, दादा जी।"

फिर समीर, रिया को अपनी गोद में उठा कर उस के कमरे तक ले जाता हैं और उस के कमरे में उस को उस के बेड पर लिटा देता हैं फिर उस के हाथ पैर रगड़ने लगता हैं पर जब उस को लगता हैं रिया को होश ही नहीं आ रहा है तो समीर, रिया के कमरे से बाहर आता है और कहता है, "सिद्धार्थ, जल्दी से डॉक्टर को बुला, रिया को तो होश ही नहीं आ रहा है।"

समीर ने जब ये बोला होता है तब अंश और राजीव सिंघानिया मेंशन मे अंदर आ चुके होते है और अवनी उन दोनो के पीछे ही आ रही होती हैं। अंश जैसे ही समीर के मुंह से रिया के बारे में सुनता है तो घबरा जाता हैं और अपनी भारी आवाज में उस से पूछता है, "क्या हुआ है मेरी नन्नी सी जान को ?" और फिर आगे कहता है, "वो ठीक तो हैं ना, समीर, मै तुझे कुछ पूछ रहा हु बोल रिया ठीक तो हैं ना !"

अंश की बात सुन, अमृत उस से कहता है, "यार, रिया को होश नही आ रहा हैं और नही ही वो कोई रिस्पॉन्स कर रही है। मैने सिद्धार्थ से कह दिया है वो डॉक्टर को बुलाता ही होगा, तू शांत हो जा।"

अंश अमृत की बात सुनते ही रिया के कमरे की तरफ बढ़ जाता हैं साथ में यश का बहुत ज्यादा बुरा हाल हो रहा होता है क्योंकि उस को अच्छे से पता है कि अंश, रिया के लिए कितना Projective है, वो रिया के लिए कुछ भी कर सकता है।

और रिया की ऐसी हालात देख आज अंश का गुस्सा सातवें आसमान पर होता है जिस कारण यश थर थर काप रहा होता है क्योंकि पूरे सिंघानिया परिवार को पता है कि अंश का गुस्सा बहुत ज्यादा खतरनाक है, उस के गुस्से के सामने तो खुद अंश के दादा जी भी कर नही कर पाते हैं।

सिद्धार्थ ने अब तक डॉक्टर को बुला लिया होता है और डॉक्टर, रिया के कमरे में उस को Check कर रही होती हैं और रिया के कमरे के बाहर अंश, समीर, अंश की मां, चाची और दादी खड़ी होती है और बाकी सभी सिंघानिया परिवार के लोग हॉल में खड़े होते है।

जैसे ही एक Female डॉक्टर रिया के कमरे से बाहर आती हैं तो अंश और समीर दोनो एक साथ ही पूछते हैं, "रिया अब कैसी है ?"

तो वो Female डॉक्टर कहती हैं, "आप दोनो को ज्यादा परेशान होने की जरूरत नही है अब पैसेंट बिलकुल ठीक है और मैने उन को Injection लगा दिया है कुछ देर बाद उन को होश आ जायेगा।"

Femele डॉक्टर की बात सुन, समीर उन से कहता है, "तो डॉक्टर, रिया बेहोश क्यो हो गई थी ?"

समीर की बात सुन, वो Female डॉक्टर कहती हैं, "शायद से पेसेंट ने अचानक से कुछ ऐसा देख लिया है जिसे देखने के बाद उन को एक बड़ा सा झटका लगा है बस इसी वजह से वो बेहोश हो गई होंगी।"

Female डॉक्टर की बात सुन, अंश सिद्धार्थ से कहता है, "जाओ डॉक्टर को सिंघानिया मेंशन से बाहर तक छोड़ आओ।"

अंश की बात सुन, सिद्धार्थ कहता है, "ठीक है भाई।"

डॉक्टर के चले जाने के बाद,

अब अंश रिया के कमरे से बाहर आता है और यश से गुस्से से पूछता है, "क्या Planing की थी तुम ने जो रिया बेहोश हो गई है, बताओ मुझे?"

अंश की बात सुन यश घबरा जाता हैं और उसके मुंह से तो कुछ निकल ही नही रहा होता है तभी अमृत कहता है," यार, तू बात बात पर यश को बीच में क्यो ले आता है, और रही बात Planing की तो वो सब ने मिलकर ही की थी तो इस सब में सिर्फ यश कैसे जिमेदार हो सकता है।"

अमृत की बात सुन, अंश उस से कहता है, "तो पूछो इस से क्या मै झूठ बोल रहा हूं।"

अंश के ऐसे कहने पर, अंश के चाचा जी अपने बेटे से पूछते हैं, "बोल क्या अंश जो कह रहा है वो सब सच है, क्या तूने कुछ और भी Planning की थी, रिया को डराने के लिए ?"

अंश के गुस्से के सामने वैसे ही यश से कुछ बोला नहीं जा रहा होता है ऊपर से उस के पापा का गुस्सा उस को और डरा रहा होता है।

अब सिद्धार्थ, यश से पूछता है, " तुझसे कुछ पूछ रहे हैं ना कि अंश भाई ने जो कहा है वो सही है कि नही!"

और सिद्धार्थ, ये सब इतने गुस्से से पूछता है कि यश थर थर कापने लगता हैं और उस के मुंह से निकलता है, "हां, वो...वो।"

यश इस के आगे बोल पाता उस से पहले ही एक चटाक सी आवाज आती हैं क्योंकि सिद्धार्थ ने यश को एक जोर से चाटा मार दिया होता है, और ये चाटा यश के गाल पर छाप जाता हैं और वो नीचे झुक जाता हैं।

अब यश के रोने की आवाज़ आ रही होती हैं और उस की बड़ी मां उस के पास आकर सिद्धार्थ से कहती हैं, "सिद्धार्थ, ये क्या बातामीजी है तुम अपने छोटे भाई के साथ ऐसा व्यवहार कैसे कर सकते हो?"

अपनी बड़ी मां की बात सुन, सिद्धार्थ कहता है, "और ये अपनी छोटी बहन के साथ ये सब कर सकता है तो मै अपने छोटे भाई के साथ क्यो नहीं कर सकता हूं बड़ी मां !"

सिद्धार्थ की बात सुन, दादी मां कहती हैं, "तुम जानते तो तो रिया और यश मे ज्यादा अंतर नही है इसलिए ये दोनो एक दूसरे को परेशान करते रहते है और भाई, बहन मे लड़ाई झगडे होते ही रहते हैं। और अभी दोनो बच्चे ही तो हैं।"

दादी मां की बात सुन, अंश कहता है, "दादी मां, जब यश को पता था कि उस को Horror Theme से डर लगता हैं तो ये सब करने की क्या ज़रूरत पढ़ गई थी, चलो वो तो अभी B.A First Year मे आई है और ये B.Com Final Year मे आ चुका है तो आप को ये कहा से बच्चा नजर आ रहा हैं, बताए मुझे?"

अंश की बात सुन, उस के पापा बोलते हैं, "बेटा, बच्चो मै तो हसी मजाक चलता रहता है और शायद इसलिए ही यश ने ये सब कर दिया होगा और तुम तो जानते ही हो जब यश का Birthday था तो रिया ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी, इसलिए अब इस बात को ज्यादा न बढ़ाओ।"

अंश अपने पापा की बात सुन, उन से तो कुछ नही कहता है पर यश को घूर के देख रहा होता है और उस से कहता है, "अब तुम कल से ही ऑफिस में Intership कर रहे हो और जब तक तुम्हारी Intership पूरी नही हो जाती तब तक तुम अपने मन से ऑफिस छोड़ नही सकते हो।"

अंश की बात सुन कर, उस की चाची बोलती है, "हां, ये ठीक रहेगा, वैसे भी कुछ टाइम बाद तो इस को भी ऑफिस ज्वाइन करना ही था तो अभी से ही कर लेगा तो ठीक हो जायेगा और कहते हैं ना एक तीर से दो निशाने जिस का मतलब है सजा की सजा भी मिल जायेगी और साथ में आफिस का काम भी सीख लेगा।"

अपनी मां की बात सुन ने के बाद, यश अपनी मां से कहता है, "क्या सच में आप मेरी सगी मां ही हो न ?"

यश की बात सुन, उस की मां उस को घूर के देखती हैं और गुस्से से कहती हैं, "यश, तुम्हरा दिमाग तो खराब नही हो गया है ना, क्या बोले जा रहे हो तुम ?"

अपनी मां की बात सुन, यश कहता है, "अगर आप मेरी सगी मां है तो सौतेली मां जैसा व्यवहार क्यों कर रही हो ?"

यश की बात सुन, उस की मां गुस्से से उस को मरने के लिए आगे बढ़ती है तो उस के पापा बीच में आ जाते हैं और कहते हैं, "क्या करने जा रही हो तुम, पहले ही तुम्हारे बड़े बेटे ने इस को एक मार ही दिया, अब तुम भी यही करने जा रही हो?"

अपने पति की बात सुन, शिवानी जी कहती हैं, "आप ने सुना नही ये मुझे सौतेली मां बोल रहा हैं और मै इस को एक दो चाटे भी ना लगाऊं।"

शिवानी जी की बात सुन, सिद्धार्थ आगे बढ़ने को होता है, तभी समीर कहता है, "सिद्धार्थ, तू पीछे रह।"

और फिर समीर, यश की तरफ देख के कहता है, "लगता हैं सिद्धार्थ के एक चाटे ने तेरे दिमाग का स्क्रो डीला कर दिया है, नही तो तूने आज से पहले तो कभी ऐसा नहीं कहा है और तुझे ऐसा क्यों लग रहा है तेरी सगी मां, तेरे साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार कर रही है?"

समीर की बात सुन, यश कहता है, "अगर ऐसा नहीं है तो मेरी मां मेरी जगह, अंश भाई की बात का सपोर्ट क्यो कर रही है और मुझ जैसी नन्नी सी जान को क्यो ऑफिस के कामों में फसा रही है।"

यश की बात सुन सब अपना माथा पीट लेते हैं और फिर दादी मां कहती हैं, "सही मे ये लड़का मुझे किसी दिन हार्ट अटैक दिलाकर रहेगा, भला इतनी सी बात का भी कोई इतना बड़ा चढ़ा कर बोलता है।"

दादी मां की बात सुन, उन के छोटे बेटे, यश से कहते हैं, "बेटा जी, अगर समीर बीच में न बोलता ना तो तुम्हारी ये सगी मां और भाई तुम्हे जिंदा ही गाड़ देते।"

अपने पापा की बात सुन, यश अपना मुंह बना लेता है पर कुछ कहने की हिम्मत नही करता है क्योंकि उस के द्वारा बोला गया एक भी शब्द उस को इस दुनिया से उठाने के लिए काफी है।

अब आगे क्या होने वाला है ?? अब क्या करेंगे सिद्धार्थ और उस की मां, यश के साथ ?? अब कौन बचाएगा यश को अंश के गुस्से से ?? और अब क्या होगा आगे जानने के लिए इंतजार करे अगले भाग का...।