Pyaar Huaa Chupke Se - 14 in Hindi Fiction Stories by Kavita Verma books and stories PDF | प्यार हुआ चुपके से - भाग 14

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प्यार हुआ चुपके से - भाग 14

रति ज़मीन पर पड़ी अपनी बुक्स उठा रही थी और शिव वहीं खड़ा एकटक उसे निहार रहा था। गौरी ने भी सारे नोट्स उठाए और रति के पास आकर बोली- अच्छा हुआ तू खुद ही आ गई, मैं तेरे ही घर आ रही थी।

रति हल्के से मुस्कुरा दी पर फिर उसकी नज़र शिव की नज़रों से टकराई और उसने अपनी नज़रे झुका ली। तभी गौरी उसकी बांह छूकर बोली- रति, ये शिव है। मेरे बचपन का दोस्त,

"जानती हूं। इनकी तस्वीर देखी है मैंने तेरे रूम में,"- रति, शिव की ओर देखकर बोली। गौरी के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कुराहट आ गई और उसने शिव की ओर देखा- शिव ये रति है... मेरी सहेली,

"हैलो"- शिव अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाकर बोला पर रति ने उससे हाथ नही मिलाया बल्कि हाथ जोड़कर बोली- नमस्ते,

शिव ने अपना हाथ पीछे कर लिया। तभी रति गौरी से बोली- गौरी तुझे नोट्स चाहिए थे ना, वही देने आई हूं। प्लीज़ इन्हें अच्छे से स्टडी कर लेना।

"थैंक्यू यार, मैं भी यही लेने आ रही थी। मुझे एग्ज़ाम की बहुत टेंशन हो रही है.... दिल धक-धक कर रहा है मेरा.... पता नही क्या होगा मेरा एग्ज़ाम में?"

गौरी की बातें सुनकर रति मुस्कुराकर बोली- कुछ नही होगा। बस इन्हें अच्छे से स्टडी कर लेना। फिर भी अगर कुछ समझ ना आए तो कल कॉलेज में मुझे बता देना, मैं सब समझा दूंगी तुझे।

गौरी ने तुरंत उसे गले लगा लिया तो रति उसकी ओर देखकर बोली- मैं चलती हूं। बस तुझे ये नोट्स देने आई थी।

"अरे पर इतनी जल्दी क्या है तुझे जाने की? अभी तो आई है,थोड़ी देर बैठते है।

रति ने अपनी बुक्स में से एक बुक निकाली और उसे देते हुए बोली- नही गौरी, इस वक्त नही बैठ सकती मैं। मुझे कुछ बच्चों को ट्यूशन देने जाना है। कल कॉलेज में मिलते है। प्लीज़ तू ये नोट्स अच्छे से पढ़ लेना। मैं चलती हूं।

"जी नहीं, चाय बन रही है। आप चाय पीकर जाएगी, चलिए"- गौरी इतना कहकर उसे पकड़कर अपने साथ ले जाने लगी तो रति उसे रोककर बोली- नही गौरी प्लीज़, आज नही..... आज मैं थोड़ा जल्दी में हूं....फिर कभी फुर्सत से आऊंगी।

गौरी बच्चों की तरह मुंह बनाने लगी और फिर बोली- ठीक है, पर तुझे याद है ना? कल मेरा जन्मदिन है और तुझे कल शाम मेरी बर्थ डे पार्टी में आना है?

"अच्छे से याद है, ज़रूर आऊंगी पर इस वक्त तो जाने दे"

गौरी ने सिर हिला दिया। रति ने मुस्कुराते हुए उसे गले लगाया और फिर वहां से चली गई। शिव और गौरी दोनों उसे जाते देख रहे थे। तभी गौरी,शिव की बांह पकड़कर बोली- चलो... वर्ना चाय ठंडी हो जायेगी।

दोनों अंदर आकर बैठे। गौरी ने चाय का कप शिव की ओर बढ़ा दिया तो शिव ने कप लेकर पूछा- तुम्हारी इस सहेली को मैंने पहले तो कभी नही देखा?

"कैसे देखते? तुम खुद पांच साल बाद इंडिया लौटे हो। रति से मेरी मुलाकात कॉलेज में हुई थी। हम दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते है और बहुत अच्छे दोस्त भी है।"- गौरी ने जवाब दिया। शिव चाय की चुसकी लेते हुए रति के बारे में सोचने लगा।

"वैसे तुम्हें एक बात बताऊं? मेरी तरह रति,शक्ति की भी बहुत अच्छी दोस्त है या फिर मुझे ये कहना चाहिए कि वो मुझसे भी ज़्यादा अच्छी दोस्त शक्ति की है,"- गौरी के इतना कहते ही शिव सोच में पड़ गया पर गौरी मुस्कुरा दी। शिव ने अपनी चाय ख़त्म की और फिर उठकर बोला- अच्छा अब मैं निकलता हूं गौरी। शक्ति ओमी और टीना तीनों ही नही जानते है कि मैं घर आ गया हूं। सबके घर पहुंचने से पहले मुझे घर पहुंचना है।

गौरी ने आगे बढ़कर उसे गले लगाया और बोली- प्लीज़ कल टाइम पर पार्टी में पहुंच जाना। वर्ना मैं केक नही काटूंगी। समझे?

"ओके बाबा आ जाऊंगा अब जाऊं?"- शिव ने पूछा गौरी ने आहिस्ता से अपना सिर हिला दिया तो शिव तेज़ी से वहां से चला गया। वो अपनी बाईक से कुछ दूर ही चला था कि तभी उसे रति टेंपो को रोकती हुई नज़र आई। वो अपनी बाईक रोककर उसे देखने लगा। एक के बाद एक टेंपो आ तो रही थी पर सारी भरी हुई थी और एक भी रति के लिए रुक नही रही थी। ये देखकर शिव ने फिर से अपनी बाईक स्टार्ट की और रति के पास आकर रोकी।

शिव को सामने देखकर वो झेंप गई और अपने आसपास खड़े लोगों को देखने लगी जो उसी की तरह टेंपो का वेट कर रहे थे और शिव के उसके पास बाईक रोकते ही उसे घूरने लगे थे। तभी शिव बोला- अगर आपको कोई एतराज़ ना हो, तो मैं आपको आपके घर छोड़ देता हूं।

रति झेंपते हुए बोली- नही मैं खुद चली जाऊंगी। घर ज़्यादा दूर नही है मेरा,

"अच्छा, इसलिए शायद आप यहां खड़ी टेंपो का वेट कर रही हैं?"- शिव ने पूछा। रति ने कोई जवाब नही दिया। वो बस नज़रे घुमाकर अपने आसपास देखने लगी क्योंकि वहां खड़े लोग उसे ऐसे देख रहे थे। जैसे वो शिव से बात करके कोई बहुत बड़ा गुनाह कर रही हो।

लोगों की नज़रें देखकर वो शिव की ओर बढ़ी और फिर नज़रे झुकाकर आहिस्ता से बोली- प्लीज़ आप जाइए। लोग हमें ही घूर रहे है....मैं खुद चली जाऊंगी।

उसके इतना कहते ही शिव ने उसके आसपास खड़े लोगों की ओर देखा और फिर सिर हिलाकर अपनी बाइक आगे बढ़ा दी। उसके जाते ही रति ने अपनी आँखें बंद करके सुकून की सांस ली पर शिव ने कुछ दूर जाकर पलटकर फिर से उसकी ओर देखा और फिर पास से जा रही ऑटो को रोकने लगा।

उसके रोकते ही ऑटो वाला तुरंत रुक गया। तभी शिव ने अपनी पॉकेट से अपना वॉयलेट निकाला और उस ऑटो वाले को सौ का नोट देकर बोला- वो जो सड़क के किनारे सफेद रंग का सूट पहने लड़की खड़ी है ना। उसके पास जाओ और उसे जहां जाना है। वहां छोड़ देना और वो जितने भी पैसे दे.... चुपचाप ले लेना। कोई बहस मत करना उससे।

"ऑटो वाले ने पलटकर देखा और पूछा- वही लड़की ना, जिसके हाथों में किताबें है?

"हां वही"- शिव के इतना कहते ही ऑटो वाले ने अपनी ऑटो आगे बढ़ा दी। शिव वही खड़ा उसे जाते देख रहा था। ऑटो वाले ने रति के पास आकर अपनी ऑटो रोकी और पूछा- कहां जाना है आपको?

"नेहरू नगर जाना है, कितने पैसे लोगे?"- रति ने पूछा तो ऑटो वाला फट से बोला- बैठ जाइए बहन जी। मेरा घर उसी तरफ है मैं वही जा रहा हूं। आप जितने चाहो दे देना।

रति के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। वो तुरंत ऑटो में बैठने लगी। तभी उसके पास खड़ी एक बूढ़ी औरत बोली- भईया, मुझे भी वही जाना है। बहुत देर से टेंपो के लिए खड़ी हूं। मुझे भी ले चलो।

"बैठ जाइए माताजी"- ऑटो वाला बोला। रति ने उस औरत को सहारा देकर ऑटो में बैठाया तो उस बूढ़ी औरत ने बहुत प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा। दूर से ये सब देख रहे शिव के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कुराहट आ गई और वो वहां से चला गया। कुछ ही देर में वो अपने घर पहुंचा और तेज़ी से अपने कमरे की ओर बढ़ने लगा पर तभी उसे अपनी बहन टीना की आवाज़ सुनाई दी।

उसकी आवाज़ सुनते ही शिव दौड़कर उसके रूम में जाकर छिप गया। टीना की उम्र यही कोई पंद्रह साल होगी। वो घर आते ही चीखी- मम्मी भूख लगी है। प्लीज़ कुछ खाने को दीजिए। तभी डाइनिंग टेबल पर खाना लगा रहा घनश्याम बोला- डिनर रेडी है बिटिया,

"थैंक्यू काका मैं बस अभी चेंज करके आती हूं"- इतना कहकर टीना दौड़ती हुई अपने कमरे में आईं। उसने अपने कपड़े निकालने के लिए अलमारी खोली ही थी कि तभी उसकी नज़र अपने बेड पर लेटे शिव पर पड़ी जो उसे देखकर मुस्कुरा रहा था। वो खुशी के मारे बहुत ज़ोर से चीख पड़ी और बेड पर चढ़कर शिव से आ लिपटी।

"ओ माय गॉड, आय एम सो हैप्पी टू सी यू भईया"- टीना खुशी से चहकते हुए बोली। शिव उसे अपनी बांहों में भरकर बोला- मैं भी अपनी छोटी सी प्रिंसेस को देखकर बहुत खुश हूं।

"आप मेरे लिए लंदन से क्या लाए है"- टीना ने तुरंत पूछा। शिव मुंह बनाकर बोला- मुझे पता था। तेरा सबसे पहला सवाल यही होगा पर आय एम सॉरी टीना... मैं जल्दबाजी में तेरे लिए कुछ नही ला पाया।

ये सुनकर टीना बेड पर ही खड़ी हो गई और अपने दोनों हाथ कमर पर रखकर बोली- ये तो हो नही सकता। मेरे शिव भईया अपनी एकलौती बहन के लिए कोई गिफ्ट ना लाए ये तो इंपोसिबल है। अब सीधे-सीधे बताइए कि आप मेरे लिए क्या लाए है?

शिव बेड से उठा और बोला- अपनी आलमारी खोल... तेरे गिफ्ट्स मिल जाएंगे।

टीना ने तुरंत अलमारी की ओर देखा और फिर अलमारी की ओर दौड़ पड़ी। उसने जैसे ही अपनी अलमारी खोली तो ढेर सारे सॉफ्ट टॉयस उसमें से फर्श पर आ गिरे। उन्हें देखते ही खुशी से टीना का मुंह खुल गया। उसने सारे टॉयस उठाकर देखे और फिर दौड़कर शिव के गले लगकर बोली- थैंक्यू भईया,

"योर वेलकम माय डियर सिस्टर,जल्दी से चेंज करके आ...खाना खाते है। मुझे बहुत भूख लगी है।"- शिव इतना कहकर वहां से चला गया। टीना ने उसके जाते ही सारे टॉयस अपनी बांहों में भर लिए। शिव आकर डाइनिंग टेबल पर बैठा, जहां उसकी फैमिली बैठी हुईं थी।

"ओमी नही आया अब तक"- उसने पूछा तो उसकी मां उसकी प्लेट में चावल डालते हुए बोली- कहकर गया था कि आने में देर हो जायेगी उसे... तू खाना खा ठंडा हो रहा है।

शिव चुपचाप खाना खाने लगा तभी अधिराज बोले- शिव, तुम्हारी और शक्ति दोनों की स्टडी कंप्लीट हो चुकी है इसलिए मैं चाह रहा था कि तुम दोनों अब हमारा बिज़नेस ज्वॉइन कर लो।

"शक्ति का तो मुझे नही पता पापा पर मैं परसों से ही ऑफिस ज्वॉइन कर रहा हूं। कल तो गौरी का जन्मदिन है इसलिए अंकल ने मुझे उसकी बर्थडे पार्टी अरेंज करने की ज़िम्मेदारी दी है"- शिव के इतना कहते ही अधिराज, किरण और तुलसी तीनों के चेहरे खिल गए पर पायल ये सुनकर खुश नही हुई।

अधिराज मुस्कुराते हुए बोले- मैं कल ही तुम्हारा कैबिन रेडी करवा देता हूं और गौरी के बर्थ डे पार्टी में ही अपने बेटे के बिज़नेस ज्वॉइन करने का अनाउंसमेंट भी कर देता हूं। बता देता हूं सबको कि अधिराज कपूर का बेटा, शिव कपूर कंस्ट्रक्शन की फील्ड में उतरने जा रहा है।

"गौरी की बर्थ डे पार्टी में क्यों? हम खुद एक शानदार पार्टी देकर सबको बताएगे कि हमारे शिव हमारा खानदानी बिज़नेस संभालने जा रहे है और अधिराज, हम तो कहते है कि उसी पार्टी में, शिव और गौरी की मंगनी भी कर देते है"- तुलसी के इतना कहते ही शिव की चम्मच उसके मुंह में ही रह गई और उसकी आँखें बड़ी-बड़ी हो गई।

उसने तुरंत अपनी मां की ओर देखा। उसका चेहरा देखकर किरण तुलसी से तुरंत बोली- मां, पहले शिव से तो पूछ लीजिए कि वो गौरी से शादी करना भी चाहता है या नही। हो सकता है उसकी पसन्द कोई और हो।

"नही..... शिव की शादी गौरी से ही होगी"- तभी अधिराज उसे टोकते हुए बोले। शिव ने तुरंत उनकी ओर देखा तो वो फिर से बोले- अरूण और मेरी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने का फ़ैसला, मैं सालों पहले कर चुका था। गौरी ही इस घर में शिव की दुल्हन बनकर आयेगी इसलिए बेहतर होगा कि हम इस बारे में दोबारा बात ना करे। शक्ति के लिए कोई अच्छी लड़की मिलते ही पहले उसकी शादी होगी और उसके ठीक छः महीने बाद शिव और गौरी की"- अधिराज इतना कहकर फिर से खाना खाने लगे।

शिव अपनी मां की ओर देखकर मुंह बनाने लगा। किरण ने उसे फिलहाल चुप रहने का इशारा किया। वो चाहकर भी कुछ नही कर सका और चुपचाप खाना खाने लगा। डिनर के बाद।वो अपने घर के लॉन में लगे झूले के पास खड़ा। अपने पापा के फैसले के बारे में सोच रहा था।

तभी उसकी नज़र किरण पर पड़ी जो उसके ही पास चली आ रही थी। शिव तेज़ी से उनके पास आया और बोला - मां प्लीज़ पापा को समझाइए। मैं गौरी से शादी नही करना चाहता। मैंने कभी उसे उस नज़र से नही देखा। मेरे लिए वो बचपन से सिर्फ मेरी दोस्त ही रही है। इससे ज़्यादा मैनें कभी कुछ नही सोचा उसके बारे में,

"पर शिव, सोचने में बुराई ही क्या है? अच्छी लड़की है वो। पढ़ी-लिखी होने के साथ-साथ खूबसूरत भी है। हमारे परिवार में घुली- मिली हुई है। वो इस घर के लिए एक बहुत अच्छी बहू और तेरे लिए एक बहुत अच्छी पत्नि साबित होगी बेटा"- अपनी मां के इतना कहते ही शिव ने उन्हेें पकड़कर वही झूले पर बैठाया और उनके पैरों के पास बैठकर बोला- आप मेरी बात समझ नही रही हो मां... गौरी बहुत अच्छी लड़की है और वो एक अच्छी पत्नी,एक अच्छी बहू भी साबित होगी पर वो मेरी पसंद नही है।

"तो फिर क्या है तेरी पसंद?"- किरण ने मुस्कुराते हुए पूछा। उनके इतना पूछते ही शिव की आंखों के सामने रति का चेहरा नज़र आने लगा और वो उसके बारे में सोचते हुए बोला- एक ऐसी लड़की, जिसमें खूबसूरती के साथ-साथ सादगी भी हो। वो जब नज़र उठाकर देखे तो सीधे दिल में उतर जाए और दिल से... बस यही एक आवाज़ आए कि बस, यही है वो।

एक ऐसी लड़की मां, जो लाखों रुपए का दहेज लेकर भले मेरे घर ना आए पर दिल की दौलत से मालामाल हो और अच्छे संस्कारों के साथ मेरे घर आए। मेरे सारे रिश्तों को दिल से अपना ले। आपकी बहू नही बेटी बन जाए...ओमी और टीना की भाभी नही, बल्कि दोस्त बनकर उन्हें समझे। मुझे आपके जैसा लाइफ पार्टनर चाहिए मां।

किरण के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। वो शिव के चेहरे को छूकर बोली- शिव,गौरी की मां बचपन में ही उसे छोड़कर चली गई थी पर फिर भी उसके पापा ने उसे बहुत अच्छी परवरिश दी है। वो जींस और मिनी ड्रेस पहनती है। इसका ये मतलब बिल्कुल नही है बेटा कि वो संस्कारी नही है।

"मैं भी ये नही कह रहा हूं मां। मैं जानता हूं कि गौरी बहुत समझदार और संस्कारी है। मैं तो बस ये कह रहा हूं कि गौरी वो लड़की नही है। जिसके साथ मैं अपनी सारी ज़िंदगी बिता सकूं। आप प्लीज़ पापा को समझाइए। यू मेरी मर्जी के खिलाफ मेरी शादी गौरी से ना करवाए। ऐसा करने से ना वो खुश रह सकेगी और ना ही मैं,

"शिव,क्या तुझे कोई और लड़की पसंद है?"- तभी किरण ने पूछा। उनका सवाल सुनकर शिव को एक बार फिर से रति का ख्याल आ गया और वो कुछ बोल नहीं सका। उसका चेहरा देखकर किरन ने पूछा- तूने जवाब नही दिया शिव? क्या कोई है,जिसने मेरे बेटे का दिल चुरा लिया है? और इसलिए उसे कोई दूसरी लड़की नही भा रही है?

शिव मुस्कुराते हुए बोला- फिलहाल तो ऐसा कुछ नही है मां पर जब कभी ऐसा होगा। मैं सबसे पहले आपको ही आकर बताऊंगा, प्रॉमिस,

किरन के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कुराहट आ गई और वो शिव के सिर पर हाथ फेरकर बोली- ठीक है। मैं कोशिश करूंगी तेरे पापा और दादी से बात करने की। शिव ने सुकुन की सांस ली।

"भईया"- तभी ओमी ज़ोर से चीखा। शिव ने उसकी आवाज़ सुनते ही पलटकर देखा तो कंधे पर बैग टांगे उसका छोटा भाई, ओमी उसके सामने खड़ा था। वो भी देखने में शिव की तरह ही लग रहा था पर उम्र में शिव से पांच साल छोटा था। ओमी ने तुरंत अपना बैग नीचे पटका और भागकर शिव के गले लग गया।

"आप तो एक हफ्ते बाद आने वाले थे ना, तो फिर आज कैसे आ गए? और अगर इंडिया आ ही रहे थे तो आपने मुझे क्यों नही बताया? मेरे सारे प्लान पर पानी फेर दिया आपने"- ओमी के इतना कहते ही शिव ने उसके गले में हाथ डाला और आगे बढ़ते हुए पूछा- क्या प्लान बनाया था तुमने?

ओमी मुंह बनाकर बोला- कुछ नही भईया, बस ये सोचा था कि जब आप इंडिया आओगे तो मैं अपने सारे दोस्तों के साथ मिलकर बैंड-बाजा लेकर एयरपोर्ट आऊँगा और आपका ग्रैंड वेलकम करूंगा।

"ग्रैंड वेलकम तो तेरी मां करेगी तेरा.... बहुत नाराज़ है तुझसे,...तेरा खाना गर्म कर देती हूं। जल्दी से आजा"- किरन घर के अंदर जाते हुए बोली

ओमी ने बच्चों की तरह मुंह बनाया तो शिव उसे पकड़कर घर के अंदर ले जाने लगा।

लेखिका
कविता वर्मा