पिछले भाग में आपने पढ़ा ,
कैंटीन मे जब वीर कुछ लड़कों को अपनी बहन के बारे मे उल्टी सीधी बात करते हुए सुनता है तो वो अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाता । वो उन लड़कों को बुरी तरह से मारने लगता है ।
वहीं मौजूद एक लड़का भागता हुआ प्रिंसिपल के पास जाता है और उन्हें सब कुछ बता देता है। प्रिंसिपल को ये जानकर बहुत गुस्सा आता है की उनके कॉलेज मे स्टूडेंट्स के बीच लड़ाई हो रही है । वो अपने कॉलेज मे लड़ाई झगड़ा बिल्कुल बर्दाश नही करते थे।
अब आगे ,
कुछ ही देर मे प्रिंसिपल सर भी कैंटीन मे पहुंच जाते हैं । उनके साथ वहां पर कॉलेज स्टूडेंट्स का प्रेसिडेंट शेखर भी आया हुआ था।
प्रिंसिपल सर को वीर और उन लड़कों को लड़ता देख गुस्सा आने लगता है । वो शेखर से लड़ाई रुकवाने के लिए कहते हैं ।
शेखर अपने साथ आये स्टूडेंट्स को लड़ाई रोकने का इशारा करता है । शेखर का इशारा मिलते ही वो सब वीर और उन लड़को की लड़ाई के बिच मे आकर उनकी लड़ाई रोक देते हैं ।
जैसे ही वीर और उन लड़कों की लड़ाई रूकती है, वीर अपनी बहन पूनम के पास जाता है और उसको उठाते हुए पूछता है , “पूनम तू ठीक तो है ना! तुझे कहीं चोट तो नहीं लगी ना?”
“मुझे कुछ नहीं हुआ भाई मै बिलकुल ठीक हूँ।” पूनम अपने भाई वीर से कहती है ।
तभी प्रिंसिपल सर शेखर से कुछ कहते हैं और फिर गुस्से मे वहां से चले जाते हैं।
वहीं शेखर ये सब देख कर समझ गया था की वहाँ पर क्या हुआ होगा ? वो वीर और पूनम के पास जाता है और उनसे कहता है की प्रिंसिपल सर ने उन दोनो को अपने ऑफिस मे बुलाया है।
इसके बाद शेखर उन लड़को की तरफ गुस्से मे घूरकर देखता है जो वीर से लड़ रहे थे। “तुम सब भी मेरे साथ अभी के अभी प्रिंसिपल सर के ऑफिस मे चलो।” शेखर गुस्से मे उन लड़कों से कहता है ।
प्रिंसिपल सर के ऑफिस मे पहुंचकर वीर प्रिंसिपल को सारी बात बता देता है । वीर की पूरी बात सुनने के बाद प्रिंसिपल उन सभी लड़कों को एक हफ्ते के लिये सस्पेंड कर देते हैं , और उनसे ये भी कहते हैं की अगले दिन वो अपने मम्मी पापा को अपने साथ लेकर आयें, वो उनके मम्मी पापा से बात करना चाहते थे ।
इसके बाद प्रिंसिपल सर वीर को समझाते हुए कहते हैं , “बेटा वीर...! मुझे अच्छे से पता है की तुम अपनी बहन की कितनी फ़िक्र करते हो। पर बेटा तुम अपने गुस्से को थोड़ा काबू करना सीखो। अगर ऐसा ही रहा तो तुम किसी दिन खुदको किसी बड़ी मुसीबत मे फंसा पाओगे। अगर दुबरा फिर कभी ऐसा हो तो सबसे पहले मुझे आकर बताना।” प्रिंसिपल सर वीर को समझाते हुए कहते हैं ।
“i am sorry sir, अगली बार मै इस बात का ध्यान रखूँगा।” वीर अपनी नजरे झुकाए प्रिंसिपल सर से माफ़ी मांगते हुए कहता है ।
“ठीक है अब तुम दोनों अपनी-अपनी क्लास में जाओ” प्रिंसिपल सर वीर और पूनम से कहते हैं ।
शेखर अभी भी प्रिंसिपल सर के ऑफिस में ही खड़ा था। “ शेखर तुम students के प्रेसिडेंट हो , students के बीच ऐसे लड़ाई झगड़े ना हो इस बात का ध्यान रखने की जिम्मेदारी तुम पर है। अब से इस बात का ध्यान रहे, आगे से ऐसा कुछ नहीं होना चाहिये।” प्रिंसिपल सर शेखर को समझाते हुए कहते हैं
“ जी ठीक है सर, मैं आगे से इस बात का ध्यान रखूंगा की कॉलेज में दुबारा ऐसा कुछ ना हो।” शेखर प्रिंसिपल सर से कहता है । इसके बाद प्रिंसिपल सर शेखर को भी अपनी क्लास में जाने के लिए बोल देते हैं ।
शेखर प्रिंसिपल सर के ऑफिस से बाहर आने के बाद वीर के बारे मे सोचने लगता है । वो अच्छे से जानता था कि आगे भी ऐसा होता रहेगा । क्योंकि उसे पता था, वीर अपनी बहन की कितनी फिक्र करता था। वीर कभी ये बर्दाश्त नहीं कर सकता था कि उसकी बहन के बारे में कोई कुछ गलत बोले या उसके साथ कुछ गलत हो।
कॉलेज के बाद पूनम और वीर जब घर पहुंचे तो पूनम की मां वीर की सूजी पड़ी आंख और उसका मुंह देखकर हैरानी से पूछती है, “ये तुझे क्या हुआ वीर ! फिर तूने किसी से लड़ाई झगड़ा किया?”
“अरे चाची.... कोई मेरी बहन के बारे में गलत बोले तो मैं कैसे बर्दाश्त कर सकता हूं ? आज कुछ लड़के पूनम के बारे मे गलत बात कर रहे थे इसलिए मैंने उन लोगों को मारा ।” वीर अपनी चाची को पूरी बात बता देता है।
वीर की चाची रेवती अच्छे से जानती थी कि वीर अपने भाई बहन की कितनी चिंता करता है। वो कभी ये बर्दाश नही कर सकता था की उन लोगों को कुछ भी हो।
वो सब बात कर ही रहे थे कि तभी सुमित और निहाल भी वहां पर आ जाते हैं। “ अरे वीर भईया! ये आपकी आंख और मुंह का डिज़ाइन किसने बदल दिया?” सुमित वीर की सूजी पड़ी आंख और मुंह देख कर हंसते हुए पूछता है ।
सुमित की बात सुनकर निहाल, पूनम और उसकी मां को भी हंसी आ जाती है ।
“तुझे ये डिजाइन नजर आ रहा है! रूक जा मैं तुझे भी ऐसा डिजाइन बना कर देता हूं।” वीर के इतना कहते ही सुमित इधर उधर भागने लगता है ।
“अरे भैया मुझे नहीं बनवाना ऐसा डिजाइन, ये तो आप पर ही अच्छा लग रहा है।” सुमित भागते-भागते अपने भईया वीर से कहता है और फिर भागता हुआ अपने कमरे में जाकर कमरे का दरवाजा बंद कर लेता है।
“बच गया नहीं तो मैं तुझे भी मेरे जैसा डिजाइन बना कर देता।” वीर कमरे के बाहर खड़े होकर सुमित से कहता है।
वीर अपने भाई बहन से बहुत प्यार करता था। वह चारों भाई-बहन आपस में इसी तरह मस्ती किया करते थे ।
वीर वहां से जाने को ही होता है की तभी पूनम भी वहां पर आ जाती है। “क्या हुआ भाई ! सुमित तेरे हाथ नहीं लगा ना!” पूनम हंसते हुए वीर से पूछती है ।
इसके बाद पूनम अपने भाई वीर और सुमित से कहती है की उसकी मम्मी सबको खाना खाने के लिए बुला रही है । पूनम की बात सुनकर जैसे ही सुमित अपने कमरे का दरवाजा खोलता है , वीर और पूनम उसको पकड़ लेते हैं ।
“अब कहां जायेगा बच्चू ?” वीर अपने छोटे भाई सुमित से हंसते हुए कहता है ।
“अरे भैया, मुझे छोड़ दो मैं तो बस मजाक कर रहा था।” सुमित अपने भईया वीर से कहता है और उससे छूटने की कोशिश करने लगता है ।
“अरे तो मैं भी तो तेरे साथ मजाक ही कर रहा हूं।” वीर के इतना कहते ही वो और पूनम सुमित को गुदगुदी करने लगते हैं ।
“ अरे वीर भैया, अरे दीदी छोड़ दो मुझे।” कहते हुए सुमित उन दोनों से अपने आप को छुड़ाने के लिए छटपटाने लगता है। तभी वहां पर निहाल निहाल आ जाता है ।
“अरे पूनम दीदी, कब से चाची आप तीनों को खाना खाने के लिए बुला रही है। अगर आप तीनों अभी के अभी खाना खाने के लिए नहीं आए तो फिर खाना भूल जाना, उसके बाद रात में ही खाना मिलेगा।” निहाल उन तीनो से कहता है ।
जैसे ही तीनों ने निहाल की यह बात सुनी, तीनों खाना खाने के लिए दौड़ पड़े। तभी निहाल ने उन्हें पीछे से कहता है, “अरे मैं भी तुम तीनों के साथ मजाक कर रहा था।” इतना कहकर वीर उन तीनों पर हंसने लगा।
जैसे ही तीनों ने निहाल के मुंह से यह सुना, उन तीनों ने निहाल को पकड़ा और जमीन पर लेटा कर उसे गुदगुदी करने लगे।
कुछ देर तक यूं ही मस्ती करने के बाद चारों ने जाकर खाना खाया। खाना खाने के बाद निहाल और सुमित अपनी कोचिंग क्लास चले गये। वहीं पूनम भी अपने डांस क्लास के लिए निकल गई। वीर भी मोटर गैराज जाने के लिए निकल गया था ।
वीर के चाचा का मोटर गैरेज था । उसके चाचा का मोटर गैरेज अपने परफेक्ट काम के लिए जाना जाता था। इसी वजह से बहुत से अमीर लोगों की गाड़ियां भी उनके वहां सर्विसिंग और रिपेयरिंग के लिए आया करती थी।
वीर कॉलेज से आने के बाद अपने चाचा के गैरेज में जाकर गाड़ियों का काम सीखता और साथ में उनका हाथ भी बटाया करता था।
एक दिन ऐसे ही वीर कॉलेज से आने के बाद अपने चाचा के पास गेरेज पर गया तो उसके चाचा ने उसे कहा कि एक कस्टमर की गाड़ी ठीक हो गई है और उसे उसे गाड़ी को जल्द से जल्द कस्टमर के वहां पहुंच कर आना होगा। क्योंकि कस्टमर को कहीं बिजनेस के काम से जाना था इसलिए उन्हें अर्जेंटली उनकी गाड़ी चाहिए थी।
वीर अपने चाचा से बात कर ही रहा होता है की तभी उसके चाचा के पास कस्टमर का फोन आता है । वो अभी तक अपनी गाड़ी ना पहुंचाएं जाने की वजह से उसके चाचा को गुस्से मे चिल्लाने लगते हैं । वीर वहीं खड़ा था इसलिए वो भी उनकी बात सुन लेता है ।
वीर से ये बात बर्दाश नही होती और वो उसके चाचा से फोन ले लेता है । वीर कुछ बोलने ही वाला होता है की तभी वो कस्टमर फोन काट देता है ।
वीर को बहुत ज्यादा गुस्सा आने लगता है । वो मन ही मन सोचने लगता है की अगर कस्टमर उसके सामने होता तो वो उसका मुंह तोड़ देता ।
वीर का गुस्सा देख कर क्या उसके चाचा उसको गाड़ी पहुंचाने के लिए जाने देंगे ? और यदि वीर कस्टमर के पास गाड़ी पहुंचाने गया तो क्या वो अपने चाचा की इतनी बेज्जती सुनने के बाद खुदको शांत रख पायेगा ?
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