Shyambabu And SeX - 5 in Hindi Drama by Swati books and stories PDF | Shyambabu And SeX - 5

The Author
Featured Books
Categories
Share

Shyambabu And SeX - 5

5

भाग गई

 

अम्मा लगतार दरवाजा बजाती जा रहीं हैं। मगर वह माधुरी को ही देखे जा रहा है। “अरे !!! खोलता है या पुलिस को बुलाओ ।“ अब उसे होश आया,  उसने देखा कि वह सिरहाने को कसकर पकड़कर लेटा हुआ है और कमरे में दूर-दूर तक माधुरी का नमो निशान नहीं है। फिर उसने घड़ी देखी,  सुबह के सात  बजे हैं। इसका मतलब मैं,  सपना देख रहा था। अब वह मन मसोसता हुआ उठा और दरवाजा खोलने लगा। दरवाजा खुलते ही वह चिल्ला पड़ी,

 

क्या !!  कुम्भकरण की तरह सोया हुआ था, माधुरी के पापा आए हैं।

 

पर क्यों ??? वह हैरान है।

 

नीचे चलकर खुद ही उनके मुँह से उसकी करतूते सुन लें।

 

उसने अपना चश्मा पहना और  नीचे उतरकर आया,  उन्हें देखते ही उसने उनको नमस्ते की। उन्होंने भी सिर हिला दिया।

 

बताए अंकल !!! इतनी सुबह सब ठीक तो है??

 

कहाँ बेटा,  हमारी तो ज़िन्दगी भर की पूँजी उड़ गई।

 

क्या मतलब ???

 

माधुरी मनीष के साथ भाग गयी।

 

क्या !!! हैरानी से उसका मुँह खुला रह गया ।

 

पड़ोस का सोनू बात रहा था कि कल रात को वो आख़िरी बार तुम्हारी गाड़ी में बैठते हुए देखे गई थीं।

 

जी !!! अंकल जी !! लेकिन मैंने उसे सिर्फ महावीर  चौंक तक  छोड़ा था,  फिर वो.........  मनीष के.........  साथ बैठकर निकल गई। उसकी जबान लड़खड़ा रही है।

 

अब दमयंती बोल पड़ी,  “गिरधर तुमने भी बड़ी छूट दे रखी थीं, अपनी लड़की को। हमने लड़के को कसकर बांधा हुआ है और तुम लड़की को नहीं संभाल सकें।“ अब उसने अम्मा को ऐसे देखा कि वह  थोड़ा सकपका गई।

 

“हाँ,  माजी गलती तो हमारी है।“ अब वह उठकर जाने को हुआ तो उसने श्याम के कंधे पर हाथ रखा  अब श्याम ने भी उन्हें हमदर्दी से देखा,  “अंकल कोई ज़रूरत हो तो बताए।"

 

उनके जाते ही उसने ट्रैक सूट पहना और घर से निकल गया। वह स्टेडियम में पागलों की तरह दौड़ लगा रहा है। तभी उसे किसी ने पीछे से आवाज़ दीं।  “श्याम सुन !!!” उसने अपनी चढ़ती साँस को काबू किया और वहीं पास रखें, बेंच पर बैठ गया। तभी उसका बचपन का दोस्त बलबीर उर्फ़ बबलू उसके पास आकर बैठ गया।

 

 “मैं तो मोटा हो गया हूँ,  मेरा तो समझ में आता है पर तू क्यों पागलो की तरह भाग रहा है।

"सोच रहा था,  भागते-भागते इस दुनिया से ही निकल जाओ।“ “जब टाइम आएगा, तब निकल भी जायेगा।“ “अभी तो ऐश कर,” उसने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। “वही तो नहीं कर पा रहा।“ उसने उसे कल की बात बताई। वह ज़ोर से हँसा, “ धीरे हँस।“ उसने टोका।  “वो चाँदनी उस पुलिस वाले की खबरी निकली जिसका बेटा तेरी क्लॉस में पढ़ता है।“ “हम्म !!!” उसने सिर हिलाया लेकिन तूने माधुरी को पैसे क्यों दिए, उसका चक्कर तो कबसे उस गेराज वाले मनीष के साथ था ।“ मुझे क्या पता था, वो डायन निकलेगी। सपने मुझे दिखाए और साकार किसी और के साथ किये।“ “देख !!! श्याम, अब वह बिल्कुल हौले से बोला, “तेरे साथ कोई गड़बड़ नहीं है, तूने मेडिकल चेकअप भी तो करवाए थें,  बस तेरे दिमाग में केमिकल लौचा है,  मुझसे नहीं होगा,  मुझे नहीं आता और पता नहीं, क्या-क्या बकवास भर रखी है,  अपने इस भेजे में तूने।“ उसने उसके सिर पर हाथ मारा।

 

नहीं यार !!! कुछ तो है। मुझे लगता है, मैं नॉर्मल नहीं हूँ।

 

तुझे सिर्फ एक करंट की ज़रूरत है और कुछ नहीं।

 

अब उसने मुँह नीचे कर लिया।

 

मैं तो कहता हूँ कि शादी कर लें, अम्मा भी खुश और तू भी खुश।

 

उनका तो नाम मत लियो, यह किया धरा उनके और उनके पति का है। मेरा बाप !!!एक बेटी की शादी कर कर्जा, मेरे सिर पर डालकर चला गया। फिर अम्मा ने एक धुन  लगा दी, पढ़ना है, पढ़ना है। कुछ बनकर कर्जा उतारो। तेरी जवान बहन है, उसकी शादी करनी है, अगर हम  बेघर हो गए तो क्या होगा? दुनिया ऐसी, वैसी है,  डरा डराकर डरपोक ही बना  दिया।“

 

पर तू प्रोफेसर बन गया यार !!! तेरी बहन की शादी हो गई,  घर छुड़वा लिया और क्या चाहिए।

 

तुझे भी पता है  और क्या चाहिए ??

 

तभी उनके पास आती गायत्री को देखकर, वे दोनों चुप हो गए।