THE STORY OF SCARY DREAM COMES TRUE in Hindi Horror Stories by HARSH PAL books and stories PDF | THE STORY OF SCARY DREAM COMES TRUE

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THE STORY OF SCARY DREAM COMES TRUE






नेहा मेरा नाम है और मैं पिछले कई वर्षों से इस पागल खाने में पड़ी पड़ी सड़ रही हूं मैं इस दुनिया की सबसे अभागी लड़की हूं और अभागिन इसलिए क्योंकि मैंने अपने हाथों से अपने परम पूज्य माता-पिता की हत्या कर दी परंतु इसमें मेरी कोई गलती नहीं थी यह सब एक मायाजाल था मेरी उम्र 11 वर्ष की है और 2 साल हो गए मुझे इस पागल खाने में पड़े पड़े यहां की दाग धब्बे और सीलन भरी दीवारें मुझे अभी भी उस मंजर को याद दिलाती है और मेरे शरीर में कप कपि छूट जाती है गर्मी का मौसम था उस समय मेरी उम्र 8 वर्ष की थी और चार-पांच दिन बाद मेरा जन्मदिन था मैं 9 वर्ष की होने वाली थी मैं बहुत खुश थी और सोच रही थी कि इस बार मम्मी पापा मुझे क्या सरप्राइस देंगे मैं बहुत उत्साहित थी परंतु मुझे लगा कि इस बार मम्मी पापा मेरे जन्मदिन को लेकर कोई इंटरेस्ट नहीं दिख रहे है मैं जब भी उनसे इस बारे में बात करती वे टाल देते थे दिन तो इन सब में बीत जाता लेकिन रात को मुझे सोने से डर लगता था मुझे बार-बार एक डरावना सपना दिखाई दे रहा था मैं जब आंखें बंद करती तो एक काली परछाई दिखाई देती वह हाथ में एक चाकू लेकर मेरी तरफ आती दिखाई देती और पास ही हाथ में बंदूक लिए एक आदमी की परछाई दिखाई देती वह बंदूक को मेरी तरफ ताने हुए दिखाई देती और चाकू लिए हुए वह परछाई धीरे-धीरे मेरे पास आती तभी मेरी आंख खुल जाती और मैं घबरा जाती यह सिलसिला कई दिनों तक चला मैं इस बारेेे एक दिन मेंने अपनी मम्मी को भी बताया मां मुझे बहुत दिनों से एक बुरा सपना दिखाई देता है ऐसा लगता है कि कोई लड़की मेरी तरफ चाकू लेकर मुझे मारने आ रही है वह धीरे-धीरे मेरे पास आती है और तभी डर से मेरी आंख खुल जाती है मम्मी ने समझते हुए कहा:- बेटी तुम चिंता मत करो यह सपने सच नहीं होते और अगर तुम्हें डर लगता है तो (मां ने पास ही रखा चाकू मुझे दिया) तो इस चाकू को अपने सिरहाने रखकर सो जाना तुम्हें बुरे सपने नहीं आएंगे अच्छा अब तुम जाओ और बाहर जाकर खेलो
मां की बात सुनकर मैं बाहर चली गई अगले दिन मेरा जन्मदिन था और मैं बेड पर उदास लेती थी मम्मी पापा ने मेरे जन्मदिन के लिए कुछ तैयारी नहीं की थी यही सोचते सोचते मुझे नींद आ गई मैंने चाकू को अपने सिरहाने रख लिया था फिर भी मुझे वही सपना दोबारा आया वह काली परछाई हाथ में चाकू लेकर मेरी तरफ बढ़ने लगी मेरी आंखें खुली तो मेरे होश उड़ गए कमरे में अंधेरा था कमरे के अंधेरे में वह परछाई जो सपने में अभी मैंने देखी थी मेरी तरफ चाकू लिए बढ़ रही थी वह धीरे-धीरे मेरे पास आ रही थी मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या कर करूं पसीने से मैं तर हो गई मैं कांपने लगी मैंनअपनेी सिरहाने पर रखा चाकू उठाया और उसे काली परछाई के पेट में गोप दिया कमरे में काफी अंधेरा और सन्नाटा था एक दूसरे की सूरत भी दिखाई ना देती थी उस परछाई के मुंह से एक चीज निकली यह देखकर दूर खड़ी आदमी की परछाई जो मुझ पर बंदूक तने हुए थी भाग कर मेरे पास आने लगी मैंने पास रखे फ्लावर पॉट को उठाया और उसकी और फेंक फ्लावर पॉट उसके सिर पर लगा और उसके मुंह से एक चीख के साथ मेरा नाम निकल गया:- नेहा, नेहा
यह देखकर मैं आश्चर्य में पड़ गई यह तो मेरे पापा की आवाज थी मैंने भागकर कमरे का लैंप जलाया कमरे में उजाला होते ही मेरी चिख निकल गई मैं पसीने से तर हो गई मेरे पैर जम गए मुझे होश ना रहा मेरी मम्मी खून से लाहुलूहान मेरे बेड पर पड़ी थी उनके पेट में चाकू लगा था और पिताजी खून से लटपट फर्श पर पड़े थे खून सारे फर्श पर फैल चुका था ऐसा भयानक मंजर मैंने पहले कभी ना देखा था उनकेसिर से खून तेज तेज बह रहा था अचानक कमरे में सन्नाटे को तोड़ते हुए एक गाने की आवाज आई:- हैप्पी बर्थडे टू यू हैप्पी बर्थडे टू यू माय डियर डॉटर हैप्पी बर्थडे टू यू
यह आवाज मेरे मम्मी पापा की थी जो टेबल पर रखी एक रेडियो से आ रही थी मैंने अपने बेड के पास रखे केक को भी देखा जिससे मुझे समझ आ गया कि मेरी मम्मी चाकू केक काटने के लिए लाई थी और मेरे पापा के हाथ में बंदूक नहीं एक पिचकारी थी जिसमें पानी भरा हुआ था वह मेरे मुंह पर पानी डालकर मुझे जगाने वाले थे अनजाने में मुझे यह क्या हो गया मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था अपने माता-पिता की लाश सामने देख मुझे सूद ना रही और मैं बेहोश हो गई जब मेरी आंखें खुली तो पुलिस हमारे घर की तलाशी ले रही थी और फोटो खींच रही थी चाकू पर मेरे हाथ के निशान होने के कारण मुझे पकड़ लिया गया लेकिन अब मैं घर में थी या जेल में मुझे इसकी कोई शुध ना थी मैं उदास कोने में बैठी रहती थी मेरा मानसिक संतुलन बिगड़ चुका था मुझे पागल खाने लाया गया लोग समझते थे कि मैं पागल हूं लेकिन मैंने चीख चीख कर बताती थी कि मैं पागल नहीं हूं मुझे अब भी वह आवाज सुनाई देती है वह मेरे माता-पिता की गाने की आवाज जो उसे समय रेडियो में बज रही थी जब वह मुझे सुनाई देती तो मैं तेज तेज चिल्लाती :- कोई बंद करो इसे, कोई बंद करो, मैं मर जाऊंगी, मेरा सिर फटा जाता है, कोई बंद करो लेकिन ताजूब की बात है कि लोगों को वह आवाज सुनाई ना देती थी इसलिए लोग मुझे पागल क हते थे और आज भी मुझे वह सुनाई देती है और लोग मुझे पागल कहते हैं मेरी मां कहती थी कि सपने कभी सच नहीं होती लेकिन यह सपना सच हुआ और इस सपना ने मेरा सब कुछ छीन लिया मेरे माता-पिता को मेरे ही हाथों मरवा दिया और उन्हें मुझसे दूर कर दिया और अब वह आवाज मुझे जीने नहीं देती
Kahani:- scary dreams come true
Writer:-Harsh pal