Gokul ka Chintu Yadav in Hindi Short Stories by Vijay Sanga books and stories PDF | गोकुल का चिंटू यादव

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गोकुल का चिंटू यादव

ये कहानी है मथुरा जिले के गोकुल मे रहने वाले चिंटू ग्वाला की। चिंटू वैसे तो 19 साल का था , लेकिन उसका दिमाग बिलकुल किसी 9–10 साल के बच्चे जैसा था।

चिंटू जब 10 साल का था, तब अपने मम्मी पापा के साथ बाजार जाने के दौरान उसका और उसके मम्मी पापा का एक कार से एक्सीडेंट हो गया था। उस एक्सीडेंट मे वो तो किसी तरह बच गया, लेकिन उसके मम्मी पापा नही बच पाए।

एक्सीडेंट के दौरान चिंटू के सर पर गहरी चोट लगने की वजह से उसका दिमाग 19 साल की उम्र मे भी बच्चे की तरह था।

चिंटू का उसके चाचा चाची के अलावा और कोई परिवार वाला नही था, इसलिए कोर्ट ने चिंटू जब तक 20 सालकी उम्र का नही हो जाता तब तक उसकी कस्टडी उसके चाचा चाची को दी थी।

उसके चाचा चाची भी उसका खूब फायदा उठाते थे। वो लोग उसकी देख भाल के लिए मिलने वाले सारे पैसे भी ले लेते और उसे एक पैसा भी नहीं देते। और साथ में उससे किसी नौकर की तरह पूरे घर का काम करवाते ।

चिंटू के चाचा चाची के 2 बच्चे थे । वो दोनो लगभग 15 साल की उम्र के थे। वो दोनो भी चिंटू को परेशान करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते।

एक दिन चिंटू को उसकी चाची ने कुछ पैसे, एक झोला और कुछ सामान की लिस्ट दी, और कहा की वो बाजार से वो सारा सामान ले आए।

दोपहर के 2 बज रहे थे। चिंटू एक पुरानी सी साइकिल लेकर बाजार के लिए निकल चुका था। वो अपनी धुन मे गाना गुनगुनाते हुए रस्ते से जा रहा था की तभी कुछ दूरी पर फुटबॉल खेल रहे बच्चों पर उसका ध्यान चला जाता है।

वो उन बच्चों की तरफ देख ही रहा होता है की तभी कोई उसकी साइकिल से टकरा जाता है। साइकिल का बैलेंस बिगड़ने की वजह से चिंटू भी रोड के किनारे पर गिर जाता है।

चिंटू को साइकिल से एक लड़की टकरा गई थी। वो लड़की उठती है और फिर गुस्से मे उसकी तरफ बढ़ने लगती है।

चिंटू अपनी साइकिल उठा रहा होता है की तभी वो लड़की उसको 2 से 3 तमाचा मार देती है। चिंटू को चाटा पढ़ते ही उसका मुंह रोने जैसा हो जाता है।

“अंधा हो गया है क्या? तुझे इतना बड़ा इंसान नजर नहीं आ रहा?” वो लड़की गुस्से मे चिंटू से कहती है।

चिंटू अपने आंसू पोंछे हुए नजर झुका कर सिसकियां लेते हुए उस लड़की से कहता है, “मुझे माफ कर दीजिए, मेरा ध्यान कहिनौर होने की वजह से मैं आपको देख नही पाया।”

चिंटू की बात सुनकर वो लड़की उसके दुबारा से तमाचा मारने वाली होती है की तभी कहीं से एक लड़के की आवाज आती है, रूकिए..! उसको मत मारिये।”

ये सुनते ही वो लड़की पीछे पलट कर देखती है। एक लड़का भागता हुआ उसकी तरफ आ रहा था।

वो लड़की गुस्से मे उस लड़के को देखते हुए पूछती है, “तुम कौन हो? और मैं इसको क्यों ना मारूं ? इसने अपनी साइकिल से मुझे टक्कर मारी है।”

उस लड़की की बात सुनकर वो लड़का उसे कहता है, “देखिए बहन जी, इस बात के लिए मैं आपसे माफी मांगता हूं, लेकिन please उसको मत मारिये।”

उस लड़के की बात सुनने के बाद उस लड़की को लगता है, वो लड़का भी चिंटू का दोस्त होगा तभी वो उसको बचा रहा है।

वो लड़की कुछ बोलने को ही होती है की तभी वो लड़का उसको चिंटू के बारे मे बताता है। चिंटू के बारे मे जानकर उस लड़की को अपने किए पर पछतावा होने लगता है। वो चिंटू से माफी मांगकर वहां से चली जाती है।

“और भाई चिंटू...! कहां जा रहा था अकेले अकेले?” वो लड़का मुस्कुराते हुए चिंटू से पूछता है।

“मुकेश मैं तो बस बाजार जा रहा था, चाची ने कुछ सामान मंगवाया है।” चिंटू उस लड़के से कहता है।

ये लड़का था मुकेश यादव। चिंटू का एक मात्र दोस्त, जो उसका हमेशा साथ दिया करता था। मुकेश ही एक ऐसा था जिससे चिंटू खुलकर बात करता था।

इसके बाद मुकेश चिंटू को साइकिल के पीछे बैठने के लिए कहता है और फिर वो दोनो साइकिल से बाजार की तरफ चल पढ़ते हैं।

2 घंटे बाद जब चिंटू सारा सामान लेकर बाजार से घर पहुंचता है तब उसकी चाची उससे सामान का झोला लेते हुए कहती है, “तुझे इतनी देर कैसे हो गई? चल जल्दी से घर के अंदर जा और सारे बर्तन मांज दे।”

अपनी चाची की बात सुनते ही चिंटू भागता हुआ किचेन मे जाता है और सारे बर्तन मांजने लगता है। बर्तन मांजने के बाद चिंटू की चाची ने उससे सारे घर मे झाड़ू पोछा भी लगवाया।

कुछ दिनों बाद एक दिन चिंटू बाजार से सामान लेकर अपने घर की तरफ आ रहा होता है की तभी अचानक उसका ध्यान एक आम के पेड़ पर जाता है। पेड़ पर पके आम देख कर वो अपनी साइकिल एक तरफ खड़ी करके आम तोड़ने की कोशिश करने लगता है।

वो आम तोड़ने के लिए पत्थर मार ही रहा होता है की तभी कोई उसकी साइकिल गिरा देता है। साइकिल के गिरने की आवाज सुनकर चिंटू अपनी साइकिल की तरफ देखता है, उसकी साइकिल नीचे गिरी पड़ी थी, और उसपर रखा सामान का झोला भी नीचे गिर गया था।

तभी चिंटू की नजर उसकी साइकिल के पास खड़ी लड़की पर जाता है जिसने उसकी साइकिल जान बूझ कर गिराई थी। ये वही लड़की थी जो कुछ समय पहले चिंटू की साइकिल से टकरा गई थी।

वो लड़की हंस हुए चिंटू से कहती है, “अब हिसाब बराबर हो गया।”

उस लड़की की इस बात को नजर अंदाज करते हुए चिंटू झोले से गिरी सब्जियां उठाने लगता है। सभी सब्जियों पर मिट्टी लग चुकी थी।

तभी चिंटू को अपनी चाची का खयाल आता है। वो सोचने लगता है की अगर वो अब ये सब सब्जियां लेकर घर गया तो उसकी चाची खूब मारेगी। यही सब सोचते हुए चिंटू गुस्से मे उस लड़की की तरफ बढ़ने लगता है।

वो लड़की चिंटू को अपनी ओर गुस्से मे आता देख घबरा जाती है। वो वहीं पड़ा एक पत्थर उठती है और चिंटू के सर पर दे मारती है। चिंटू उसी समय बेहोश हो जाता है। चिंटू के बेहोश होते ही वो लड़की वहां से भाग जाती है।

जब चिंटू इतनी देर होने के बाद भी घर नहीं आता तो उसकी चाची अपने पति, मतलब चिंटू के चाचा को उसको ढूंढने के लिए भेजती है।

चिंटू के चाचा उसको बहुत ढूंढते हैं पर वो उन्हे कहीं नहीं मिलता। इसके बाद चिंटू के चाचा उस जगह पर पहुंचते हैं जहां पर चिंटू को उस लड़की ने पत्थर से मारा था। वहां पर अभी भी साइकिल और सामान का झोला पड़ा हुआ था, पर चिंटू वहां पर नही था।

साइकिल और सामान का झोला लिए चिंटू के चाचा घर पहुंचते हैं। जैसे ही चिंटू की चाची उनको देखती है, वो गुस्से मे इधर उधर देखते हुए पूछती है, “कहां है वो हरमखोर ? आज मैं मार मार के उसकी खाल उधेड़ दूंगी।”

अपनी पत्नी की बात सुनकर चिंटू के चाचा उसको बताते हैं की, उसको साइकिल और खोला तो मिला लेकिन चिंटू कहीं नहीं मिला।

अपनी पति की बात सुनकर चिंटू की चाची ज्योति अपनी पति रमेश को देखते हुए कहती है, “अचानक चिंटू कहां जा सकता है ? कहीं उसको कुछ हो तो नही गया?”

अब ज्योति और रमेश को चिंटू की चिंता होने लगी थी। उन्हे इस बात का डर था की कहीं उसको कुछ हो गया तो उस बात का इल्जाम उनके सर पर ना आ जाए।

वहीं दूसरी तरफ चिंटू शाम के 7 बजे उस जगह पर बैठा हुआ था जिस जगह पर उसका और उसके मम्मी पापा का एक्सीडेंट हुआ था। वो वहां बैठा अपने मम्मी पापा को याद करके रो रहा था।

असल मे जब उस लड़की ने चिंटू के सर पर उसी जगह पर पत्थर मार दिया था जिस जगह पर चोट लगने की वजह से चिंटू का दिमाग बच्चे जैसा हो गया था। लेकिन दुबारा उसी जगह पर चोट लगने की वजह से चिंटू पूरी तरह से ठीक हो चुका था।

उसको अपने मम्मी पापा की बहुत याद आ रही थी, इसलिए वो उनको याद करता हुआ उसी जगह पर पहुंच गया था जिस जगह पर एक्सीडेंट की वजह से उसके मम्मी पापा की जान चली गई थी।

कुछ देर बाद चिंटू वापस घर पहुंचता है। उसको देखते ही चिंटू की चाची ज्योति उसको मारने के लिए गुस्से में उसकी तरफ बढ़ने लगती है। वो उसपर हांथ उठाने ही वाली होती है की तभी चिंटू अपन चाची और चाचा के देखते हुए कहता है, “मुझे मेरे घर को चाभी चाहिए, आज के बाद मैं वहीं रहूंगा।”

चिंटू के मुंह से ये बात सुनकर उसके चाचा चाची हक्के बक्के रह जाते हैं। वो दोनो हैरानी से एक दूसरे की सकल देखने लगते हैं।

चिंटू की चाची उससे कुछ बोलने को ही थी की तभी चिंटू गुस्से में घूरकर अपने चाचा को देखते हुए कहता है, “आप लोग मुझे मेरे घर की चाभी देने वाले हो या नही?”

चिंटू की ये बात सुनते ही उसकी चाची अपने कमरे मे जाती है, और फिर अपनी अलमारी से चिंटू के घर की चाभी लाकर उसको दे देती है।

अपने घर की चाभी मिलने के बाद चिंटू अपने घर जाता है और फिर घर का ताला खोलकर अपने घर के अंदर जाकर बैठ जाता है। उसके घर का सारा सामान वैसे का वैसा ही रखा हुआ था। बस वो सब सफेद चादरों से ढका हुआ था।

चिंटू सभी समानो पर से चादरें हटता है और फिर वहीं सोफे पर बैठे बैठे सो जाता है।

सुबह जब चिंटू का दोस्त मुकेश उसके घर के पास से गुजर रहा होता है की तभी वो चिंटू के घर का दरवाजा खुला देख कर रूक जाता है। वो सोचने लगता है की कहीं चिंटू के पुराने घर मेटकोई चोर तो नही घूस गया!

मुकेश दबे पैर घर के अंदर घुसने लगता है। वो इधर उधर देख ही रहा होता है की तभी उसके पीछे से उसके कंधे पर कोई हांथ रखता है। मुकेश घबराता हुआ धीरे धीरे पीछे पलटता है।

जैसे ही मुकेश पीछे मुड़ता है, वो देखता है की वहां पर चिंटू खड़ा था। “अबे चिंटू तू है..! मैं तो खामोखा घबरा गया था।”

चिंटू मुस्कुराते हुए मुकेश से कहता है, “तू सही समय पर आया, चल अब घर की साफ सफाई करने मे मेरी मदत कर।”

चिंटू की बात सुनकर मुकेश हैरानी से उसको देखने लगता है। उसको तो यकीन ही नहीं हो रहा था की उसका दोस्त चिंटू ठीक हो गया था।

मुकेश खुशी के मारे चिंटू को गले से लगा लेता है। खुशी के मारे उसकी आंखो से आंसू आने लगते हैं।

“अबे भाई तू रो क्यों रहा है? चल अब रोना धोना छोड़ और साफ सफाई करने मे मेरी मदत कर।” चिंटू अपने दोस्त मुकेश से कहता है।

घर की साफ सफाई हो जाने के बाद चिंटू मुकेश के साथ वकील से मिलने के लिए जाता है। वकील चिंटू को लेकर एक डॉक्टर के पास जाता है। डॉक्टर चिंटू की जांच करता है और फिर ये साबित हो जाता है की चिंटू दिमागी तौर पर पूरी तरह से ठीक हो गया था।

कुछ दिनों बाद चिंटू को अपनी प्रॉपर्टी के पूरे कागजात मिल जाते हैं। उसके बाद चिंटू अपने घर में ही रहने लगता है। और साथ मे वो अपनी खेती बाड़ी का काम भी शुरू कर देता है। मुकेश और उसका परिवार चिंटू का पूरा साथ देता है।

चिंटू का खाना पीना भी मुकेश के घर पर ही होता था। उसके घर वाले उसको अपने बेटे की तरह मानते थे। इसलिए उन्होंने उसको बोल रखा था की वो खाना खाने के लिए उनके वहां आ जाया करे।

कुछ समय बाद चिंटू खेती बाड़ी का पूरा काम सिख जाता है। तीन साल बाद मुकेश की बहन पूजा से चिंटू की शादी हो जाती है। उसके बाद चिंटू अपनी पत्नी के साथ खुशी खुशी अपना जीवन व्यतीत करता है।