RAGINI in Hindi Horror Stories by HARSH PAL books and stories PDF | RAGINI

Featured Books
Categories
Share

RAGINI




यह घटना उस समय की है जब मैं एक विधार्थी था और आई आई टी कानपूर से इन्जीनियरिंग कर रहा था रात के करीब 1:00 होंगे चारो और अंधेरा छाया हुआ था सड़क पर लगा लाइट का खम्बा कभी जल उठता कभी मदं पड जाता सड़क सुनसान थी कभी कभी कोई कार सन्नाटे को चीरती हुई आती फिर सब सुनसान हो जाता सड़क के पास ही एक अपार्टमेंट मे मैं और मेरा सहपाठी गणेश सो रहे थे अचानक मेरी निंद टूटी और मुझे जोरो कि प्यास लगने लगी मै पानी पीने चला गया तभी मैंने खिड़की से कोई परछाई देखी मैं डर गया मैंने धीरे से खिड़की खोली और नीचे सड़क की ओर देखा वह दृश्य देखकर मैं सहम गया मैं भाग कर गणेश के पास गया
मैं :- गणेश! गणेश उठो
गणेश:- क्या हुआ
मैं :- जरा बाहर तो चलो
हम दोनों बाहर आ गए हमने जो देखा उसे देखकर हमारे होश उड़ गए शरीर से पसीने छूटने लगे शरीर एक जगह जम गया सामने एक लाश थी उसका सिर धड़ अलग था उसने काले कपड़े पहन रखे थे और वह कोई तांत्रिक लग रहा था उसके शरीर पर बड़े-बड़े नाखून के निशान थे उसने खूब ज्यादा माला पहन रखी थी कुछ समझ नहीं आ रहा था तभी गणेश को तांत्रिक के गले में कुछ दिखाई दिया वह एक लॉकेट था उसने मुझे लॉकेट दिखाते हुए कहा:- यार! यह क्या चीज है बड़ी सुंदर है मैं इसे ले लेता हूं
मैंने उसे समझाते हुए कहा:- नहीं हमें इसे नहीं लेना चाहिए कहा जाता है कि मरे हुए लोगों का समान नहीं लेना चाहिए हमें खतरा हो सकता है मेरे खूब समझाने पर भी गणेश नहीं माना इतने में वहां और लोग इकट्ठा हो गए थोड़ी देर बाद वहां पुलिस आ गई बाडी को पोस्टमार्टम लिए भेज दिया गया हम अपने घर लौट आए गणेश बाथरूम में चला गया मैं लेट ही था कि मुझे चीख सुनाई दी चीख बाथरूम से आई थी मैं दौड़कर बाथरूम की तरफ गया जब मैं बाथरूम में पहुंचा तो मैं यह देखकर सुन रह गया की बाथरूम की दीवार खून से सनी हुई है मेरा शरीर सुन्न रह गया मैं पसीने से तार हो गया बाथरूम की खिड़की टूटी हुई थी मैं घबरा गया मैं खिड़की से झाका बाहर का दृश्य देखकर मैं सहम गया बाहर गणेश लहुलूहान था उसकी मौत हो चुकी थी मैं जैसे ही नीचे जाने के लिए पीछे मुड़ा मेरा ध्यान बाथरूम के शीशे पर गया वहां खून से कुछ लिखा था जिसे पढ़ कर मुझे सारा माजरा समझ आ गया उसे पर लिखा था "मुझे वह लॉकेट दे दो वरना कोई जिदा नहीं बचेगा"- रागिनी। मैं नीचे गया मैंने गणेश के हाथों से वही लॉकेट देखा मैंने लॉकेट लिया मै आपने दोस्त की मृत्यु से बहुत दुखी हुआ मैने उसका देह संस्कार किया और बात की तहत तक जाने के लिए निकला। मैं एक तांत्रिक को जानता था मैं उसके पास गया मैंने तांत्रिक से सारी बात बताई और कहा :- बाबा में इसकी तह तक जाना चाहता हूं इस लॉकेट से मुझे कभी खतरा है जब तक यह लॉकेट मेरे पास रहेगा वह मुझे मारने का प्रयत्न करेगी मैं उससे कैसे बच सकता हूं
तांत्रिक:- बेटा! तुम इस लॉकेट को हनुमान जी के मंदिर में उनकी मूर्ति के पीछे रख देना उसके बाद मैं वैसा ही किया अब मुझे कोई खतरा नहीं था पर मैं उसे लॉकेट को ज्यादा दिनों तक मंदिर में नहीं रख सकता था इसलिए मैं जल्दी से कम पर लग गया मैंने पीछे के सारे अखबार देख डाले मुझे कुछ ना मिला परंतु जैसे ही मैं कुर्सी से उठा मुझे नीचे एक अखबार नजर आया मैंने उसे उठाया तभी मुझे रागनी दा एक मिस्टीरियस स्टोरी नाम से एक आर्टिकल नजर आया या अखबार पिछले हफ्ते का था मैंने उसे अखबार से एड्रेस लिया और रागिनी के घर की तरफ चल पड़ा जब मैं रागिनी के घर पहुंचा तो घर पर ताला लगा था
मैंने पड़ोसी से जाकर पूछा:- अंकल! क्या आप जानते हैं कि आपकी पड़ोसी कहां है
अंकल :- बेटा अब इस घर में कोई नहीं रहता इस घर में पंडित दीनानाथ और उसकी बेटी रहते थे करीब दो हफ्ते पहले उनकी बेटी गायब हो गई और इस दुख के मरे हुए चल बसे
मैंने पूछा :- क्या आप जानते हैं रागिनी कहां गई अंकल:- बेटा कॉलेज जाया करती थी क्या पता कहां गई एक दिन घर रही नहीं लोटी
मैंने अंकल से कहा:- तो आपने उसकी खोज की अंकल:- बेटा अमीरों की सब सुनते हैं गरीबों की कौन सुनता है बेचारा दीनानाथ हफतो फिरा किंतु उसकी बेटी का पता ना चला FIR भी कराई परंतु कुछ पता नहीं चला
मैंने अंकल से कहा:- क्या आप मुझे उसके कालेज का एड्रेस दे सकते हैं
अंकल:- हां बेटा उन्होंने मुझे कालेज का एड्रेस दे दिया मैंने उनसे कहा :-अगर आप इजाजत दे तो मैं रागिनी के घर की तलाशी लेना चाहता हूं
अंकल ने कहा :- ठीक है बेटा तुम ले सकते हो और उन्होंने मुझे रागिनी के घर की चाबी दे दी मैं रागिनी के घर गया जब मैं रागिनी के कमरे में पहुंचा और मैंने उसकी हर चीज देखी वहां मुझे एक इत्र की सीसी दिखाई दी मैंने उसे वहीं छोड़ दिया और घर के बाहर आ गया रागिनी के घर पर तलाशी के दौरान मुझे कुछ हासिल नहीं हुआ अब मैं उसके कालेज जाने की तैयारी करने लगा जब मैं उसके कॉलेज की तरफ जा रहा था तो मैंने वहां रास्ते में एक दुपट्टा देखा मैं आश्चर्य में पड़ गया पीले रंग का दुपट्टा जिससे उसे इत्र की महक आ रही थी मैंने दुपट्टा उठाया और जंगल के अंदर की तरफ चलने लगा कुछ दूर चलने पर मुझे एक गुफा दिखाई दी मैं डरते डरते गुफा के अंदर गया वहां का नजारा देख मेरे आश्चर्य का ठिकाना ना रहा सामने राक्षस की बड़ी सी मूर्ति थी उसके नीचे रागिनी का शरीर था उसकी गर्दन लग पड़ी थी खून के छींटे राक्षस के मुँह पर लगे थे पास ही बली का सामान था मैंने उस तांत्रिक की तस्वीर को भी वहां देखा जिसकी लाश मैंने और गणेश ने अपने घर के नीचे देखी थी मैं सब समझ गया की रागनी की मृत्यु के पीछे क्या राज है मैं वहां से कुछ दूर चला ही था कि वहां मुझे एक व्यक्ति दिखाई दिया उसे गुफा के बाहर एक पेड़ से बंदी बनाया गया था उसने तांत्रिक के समान काले कपड़े पहन रखे थे गले में बड़ी-बड़ी मालाए थी माथे पर भस्म रमी थी
उस व्यक्ति ने मुझसे कहा:- कौन हो बेटा तुम यहां क्या कर रहे हो वह तुम्हें नहीं छोड़ेगी मेरे हाथों की दुपट्टे को देखते हुए उन्होंने पूछा:- यह दुपट्टा तुम्हें कहां से मिला
मैंने बड़े आश्चर्य पूर्वक पूछा :- आप इस दुपट्टे के बारे में कैसे जानते हैं और कौन है जो मुझे नहीं छोड़ेगी यह आप क्या कह रहे हैं और आपको यहां बंदी किसने बनाया है मैंने उसे व्यक्ति को खोलने की चेष्टा की परंतु उन रस्सियों में काली शक्ति का जादू था मैं चाह कर भी उसे खोल नहीं पाया
तांत्रिक बोला:- बेटा ! तुम चाह कर भी इन्हें नहीं खोल सकते जिस गुफा से तुम अभी आ रहे हो वह मेरे ही शिष्य कालिनाथ की है वह अमर होना चाहता था अमर होने के लिए उसने दैत्य दानव की कठोर से कठोर साधना की एक रात वह अपने साधन पूरी करके फल की प्रतीक्षा कर रहा था तभी हवन कुंड की अग्नि से एक राक्षस निकालकर उसके समक्ष आया उसने कालिनाथ से कहा :- अगर तू अमर होना चाहता है तो तुझे बलि देनी होगी एक कुंवारी लड़की की बाली वह लड़की जो सुबह इस रास्ते से सबसे पहले गुजरे उसे लड़की की बलि दे और संसार की समस्त शक्ति को अपने अधीन कर ले कितना कह कर राक्षस वहां से चला गया उस दिन कालिनाथ बहुत खुश हुआ उसने सारी बात मुझे बताई मैंने उसे समझाने की कोशिश की मैंने उससे कहा:- देखो वत्स बुराई चाहे कितनी ही ताकतवर क्यों ना हो वह कभी अमर नहीं बन सकती ऐसा होना सृष्टि के नियमों का उल्लंघन करना है मेरे खूब समझाने पर भी वह नहीं माना और वहां से गुस्से में चला गया जाते समय मैंने उससे कहा :- देखो वक्त यदि तुम ऐसा कार्य करोगे तो मुझे स्वयं तुम्हें रोकना होगा उसे वक्त तो उसने कुछ नहीं कहा और वहां से चला गया अगले दिन जब मैं सो रहा था उसने मेरी दी शक्ति के द्वारा मुझे कैद कर दिया अगले दिन सवेरे ही जब रागिनी अपने कॉलेज के लिए निकली तो कालिनाथ उसे पड़कर गुफा में कैद कर दिया वह लड़की चिल्लाती रही परंतु पापी ने उसे नहीं छोड़ा उसने रागिनी की बलि देकर रक्षा की भूख शांत की बदले में राक्षस ने उसे शक्तियों से भरा एक लॉकेट दिया और कहा जो अभी इस लॉकेट धारण करेगा वह संसार में व्याप्त सभी काली शक्तियों का स्वामी हो जाएगा परंतु इतना ध्यान अवश्य रखना यह शक्तियां तुम पर होवी न होने पाए इस लॉकेट की वजह से रागिनी ने तांत्रिक को मारा रागिनी की सारी शक्ति इस लाकेट में है इसलिए वह इस लॉकेट को हासिल करना चाहती है
मैंने तांत्रिक से पूछा:- परंतु बाबा जब हम तांत्रिक की लाश के पास पहुंचे थे तब भी लॉकेट वही था और जब मैं गणेश की लाश के पास पहुंचा तब भी लॉकेट गणेश के हाथ में ही था रागिनी को लॉकेट ले जाने का अवसर दो बार मिला फिर उसने लॉकेट क्यों नहीं लिया
तांत्रिक ने उत्तर दिया:- बेटा! रागिनी लॉकेट खुद हासिल नहीं कर सकती रागिनी को लॉकेट तभी स्वीकृत होगा जब कोई खुद अपने हाथों से उसे लॉकेट को दे और यदि उसे एक बार लॉकेट मिल गया तो वह शक्तिशाली हो जाएगी फिर उसे रोकने का कोई साधन नहीं होगा
मैंने तांत्रिक से कहा:- बाबा! क्या कोई उपाय है जिससे रागिनी की आत्मा को मुक्ति मिल सके बाबा ने बताया :- बेटा! हमें उसे लॉकेट को नष्ट करना होगा
मै:-लेकिन बाबा उसे तो हम अभी भी नष्ट कर सकते हैं ना
तांत्रिक ने कहा :- बेटा! जैसा तुम समझ रहे हो ऐसा नहीं है उसे लॉकेट को जब भी नष्ट किया जा सकता है जब पूर्णिमा की रात हो और चंद्रमा बिल्कुल तुम्हारे सिर पर हो तभी उसे मार नहीं जा सकता
मैंने बाबा से कहा :- तो ठीक है बाबा मैं उस लॉकेट को लेकर आता हूं आप बस इतना बता दीजिए की अमावस्या की रात कब है
तांत्रिक ने कहा:- बेटा तुम्हें जल्दी करनी होगी अमावस्या की रात आज ही है इसके बाद में लोकेट लेने चला गया जब मैं लॉकेट लेकर लौटा तो मैंने जो देखा उसे देखकर मैं सन रह गया शरीर पसीने से तर हो गया तांत्रिक का शरीर खून से सन था उसकी गर्दन रागिनी के हाथों में थी रागिनी की लाल लाल आंखें बड़े-बड़े नाखून भयानक चेहरा था चेहरे के दाएं तरफ एक निशान था जैसे किसी ने कुल्हाड़ी से वार किया हो वो तांत्रिक की गर्दन को नोच नोच कर खा रही थी उसके दांतों से खून टपक रहा था मैं यह सब देखकर घबरा गया मेरे पसीने छूटने लगे मैंने जल्दी से अपनी बाइक ली और भागने लगा रागिनी ने मुझे देख लिया वह मेरे पीछे आने लगी मैंने बाइक तेज कर ली वह अभी भी मेरे पीछे आ रही थी रात हो चुकी थी कुछ दूर चलकर मुझे एहसास हुआ कि वह मेरे पीछे नहीं है सुनसान जंगल में आकर मेरी बाइक का पहिया जाम हो गया मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था जैसे ही मैंने नीचे देखा तो मैं आश्चर्य में पड़ गया डरने मुझे घेर लिया मेरे रोंगटे खड़े हो गए जमीन से दो हाथ निकले हुए और मेरी बाइक के पहिए को पकड़े हुए थे यह देखकर मेरी चीख निकल गई मैं बाइक को वहीं छोड़ आगे की ओर दौड़ा मेरी बाइक मेरे पीछे-पीछे आ रही थी अचानक मुझे ठोकर लगी और मैं गिर गया बाइक मेरे निकट आती जा रही थी अचानक मेरी बाइक मेरे दोनों पैरों पर चढ़ गई मेरी दर्द के मारे चीख निकल गई मेरे पैर की हड्डी टूट चुकी थी पैर से खून बह रहा था मैं हाथों के सहारे सरक सरक कर सड़क के किनारे आया मेरी बाइक वहीं आकर मेरे पास गिर पड़ी मैं दर्द से करा रहा था अचानक मेरी नजर एक ट्रक पर गई ट्रक ड्राइवर की आंखें लाल थी वह पूरी स्पीड किए मेरी तरफ ही आ रहा था उस पर रागिनी की आत्मा ने कब्जा कर लिया था मैंने जल्दी से अपनी जेब से वह कागज निकला जिस पर रागिनी का आर्टिकल लिखा था कयोकि उस कागज के सिवा मेरे पास और कुछ नही था मैं अपनी बाइक के पास सरकते हुए गया मैंने अपनी बाइक को न्यूट्रल कर रेस छोड़ दी और कागज को पेट्रोल में भिगोकर इंजन के पास लगा दिया कागज में आग लग गई मैंने देखा चांद सर के ऊपर था ट्रक अभी भी मेरी तरफ ही आ रहा थक मैंने लॉकेट को आग में रख दिया कागज के साथ लॉकेट भी चल गया लॉकेट के जलते ही ट्रक में भी आग लग गई और रागिनी का अंत हुआ उसे मुक्ति मिल गई परंतु उसे दिन मैंने अपने दोनों पैरों और अपने दोस्त को खो दिया
कहानी :- रागिनी दा मिस्टीरियस स्टोरी
लेखक :- हर्षपाल