come on smile now in Hindi Anything by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | चलो मुस्कुरा दो अब

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चलो मुस्कुरा दो अब

1.
अपनी अच्छाई पे तुम भरोसा रखना,
बंद मत करना खुद को,
किसी कमरे में,
बंद कमरे में भी अपने लिए,
खुला एक झरोखा रखना,

बहुत रोकेंगे लोग तुम्हें,
हंसने मुस्कुराने से,
तुम रुकना नहीं किसी भी हाल में,
अपने चेहरे पे सदा एक मुस्कुराहट रखना...

2.
चलो मुस्कुरा दो अब,
कि ये दुनियां की बातों में मत आओ,

ज़माना तुमसे है तुम ज़माने से नहीं,
ये बात अब समझ जाओ,

अपनी मुस्कान को सुनो,
किसी का मोहताज मत बनाओ,

तड़पने दो इस दुनियां को,
तुम्हें रोता देखने के लिए,

तुम ज़माने की खिल्ली उड़ा दो,
और बस मुस्कुराते ही जाओ...

3.
अपनी आंखों को देखना कभी बंद करके,
हम आएंगे और पलक झपकते ही,
चले जायेंगे तुम्हे तंग करके,

साथ तो छूट जाता है,
मगर यादें रोज़ दरवाज़ा खटखटाती हैं,

कोई फायदा नहीं,
इन यादों से जंग करके...

4.
बहुत याद आयेंगे हम,
जब सूखे हुए गुलाब,
किताबों में देखोगे,
हम कोई सामान तो नहीं जनाब,
हमारी यादों को बताओ,
तुम कहां फेकोगे...

5.
दिल की क्या कहें,
इसकी चाहते निराली हैं,
उम्र भले ही हो गई चेन्नई की गर्मी जैसी,
दिल की अठखेलियां,
अब भी कुल्लू मनाली हैं...

6.
हस के हर उलझन सुलझा लिया करती हूं,
ये गैरों की महफ़िल है ज़रा बच के रहा करती हूं,

किसी को दौलत, किसी को यहां जहान चाहिए,
मेरी अपनी दुनियां है,
मैं बस उसमें रहा करती हूं...

7.
प्यार से मुझे भी कभी तुमने "अपना" कह दिया होता,
तो हम कब के "तेरे" हो गए होते,
बंजारों से इस जीवन में,
तेरी छांव में कहीं ठहर गए होते...

8.
रिक्तता हमेशा बनी रहेगी,
पूर्ण कुछ नहीं है,
रिक्तता पूर्ण समझा जाना ही,
सुखद है...

9.
तेरा ज़िक्र हम आंखों में रखते हैं,
तेरा मेरा जो ज़माना था,
वो बहारों में रखते हैं,
देख ना ले इन आंखों में तुम्हें कोई,
इसलिए आंखों को थोड़ा झुका के रखते हैं...

10.
आप जब खुद के साथ होते हैं,
तभी सबसे ख़ास होते हैं,

दुनियां की परवाह में,
ना गवाना ज़िंदगी,
अपने हालात अपने हांथ होते हैं...

11.
अपनी उदासी छिपाने के लिए,
लोग कपड़े रंगीन पहन लेते हैं,

झूठ के पुलिंदों में,
बंधी हसी को,
सच्ची मुस्कान समझ लेते हैं...

12.
दिल से चाहने वालों को,
दिमाग से चाहने वाले मिलते हैं,
यूं ही नहीं गुलाब कांटों में खिलते हैं,

13.
दूर किसी देश में चले जाते हैं,
चलो खुद के साथ एक नया जहां बसाते हैं,

बहुत दूभर होता है,
बेकद्री को संभाल पाना,

बेकदर होने से पहले,
चलो खुद ही संभल जाते हैं...

14.
सूरज ने कहा चांद से,
तुम चमकोगे और मैं तुम्हें रौशनी दूंगा,

तुम रहोगे जिस भी असमान में,
मैं सदा तुम्हें देखता रहूंगा...

15.
रुझान आ गया मेरे इश्क का,
ऐसे हारे की ज़मानत भी जप्त हो गई,

वो जो एहसास नुमा पूंजी लगाई थी,
वो ना जाने कहां लुप्त हो गई,

आंखों की वो चमक,
जो इतराती थी चारों प्रहर,
रुझान के आते ही वो भी सुस्त हो गई...

16.
रात मरहम सी है,
नींद की गोद में ले जाती है,
सुबह का क्या है,
फ़कत दुनियां में उलझाती है...

17.
यूं ही नहीं रौशनी हुआ करती है,
अंधेरों से भी मोहब्बत करनी पड़ती है,

सोचा हुआ कहां सब मुकम्मल हुआ यहां,
अपनों में भी गैरों सी सीरत मिलती है,

कठपुतली सा मनुष्य,
बस इशारों पे उसके नाचता है,
वक़्त के आगे कहां कभी किसी की चलती है...

18.
अभी बहुत से आयाम बाक़ी हैं,
बेशक ये सफ़र ख़ूबसूरत है,
अभी और इनाम बाक़ी हैं

19.
रेशम के जाल में उलझ कर,
अक्सर इंसान,
सूती धागे सा टूट जाता है...